ट्रांसफार्मर कुंडली संयोजन
Transformer coil connection
1 फेज ट्रांसफॉर्मर में दो कुंडलियां होती है, एक प्राथमिक कुंडली (Primary winding) व दूसरी द्वितीयक कुंडली (Secondary winding) | प्राथमिक कुंडली को सप्लाई से जोड़ा जाता है तथा द्वितीयक कुंडली को लोड से जोड़ा जाता है |
इसी प्रकार 3 फेज ट्रांसफॉर्मर में 6 कुंडलियां होती है, 3 कुंडलियां प्राथमिक वाइंडिंग में होती हैं तथा अन्य 3 कुंडलियां द्वितीयक वाइंडिंग में होती है | इन कुंडलियों के कनेक्शन भिन्न-भिन्न प्रकार से किए जाते हैं जिनका विवरण नीचे बिन्दुवार किया गया है |
3 फेज ट्रांसफार्मर उपलब्ध ना होने की स्थिति में 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों को आपस में जोड़कर भी 3 फेज विद्युत सप्लाई व लोड पर काम में लिया जा सकता है लेकिन इस स्थिति में तीनों एक फेज ट्रांसफॉर्मर समान वोल्टेज, समान करंट, समान पावर फैक्टर, तथा समान कोर वाले होने चाहिए |
जिस प्रकार 3 फेज ट्रांसफार्मर में कुंडलियों के कनेक्शन किये जाते हैं उसी प्रकार से ही एक फेज के 3 ट्रांसफार्मरों के कनेक्शन करके 3 फेज पर काम में लिया जा सकता है | जिसे निम्न चित्र से समझा जा सकता है :-

उक्त प्रथम चित्र में एक 3 फेज ट्रांसफार्मर की प्राथमिक 3 कुंडली तथा द्वितीय 3 कुंडलियों के कनेक्शन दर्शाए गए हैं | तथा दूसरे चित्र में 3 फेज पर प्रचालन के लिए 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों के आपस में कनेक्शन दर्शाए गए हैं |
दोनों दशाओं में एक प्रकार से ही कनेक्शन किये जाते हैं क्योंकि 3 फेज के 1 ट्रांसफार्मर में 6 कुंडलियां होती हैं तथा 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों में भी कुल 6 कुंडलियां होती हैं |
अब आपको यह समझ आ गया होगा कि 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों को भी 3 फेज पर उपयोग में लिया जा सकता है | बस हमें 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों के कनेक्शन उसी प्रकार से करने होंगे जिस प्रकार से 3 फेज ट्रांसफार्मर के अन्दर 6 कुंडलियों के कनेक्शन किये जाते हैं |
3 फेज ट्रांसफार्मर में कुंडलियों के निम्न प्रकार से कनेक्शन किये जाते हैं :-
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1. स्टार-स्टार संयोजन | Star-star connection

स्टार-स्टार संयोजन (Star-star connection) में उक्त चित्रानुसार ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग (Primary winding) तथा द्वितीय वाइंडिंग (Secondary winding) दोनों के संयोजन स्टार में किये जाते हैं |
स्टार-स्टार (Y-Y) संयोजन में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन स्टार (Y) में निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार तीनों कुंडलियों (Primary windings) के प्रथम एक-एक बिंदु (A1, B1 व C1) को आपस में जोड़कर न्यूट्रल तार निकाल दिया जाता है |
2. दूसरे तीनों बिन्दुओं (A2, B2 व C2) से फेज R1,Y1 व B1 के तार इनपुट के लिए बाहर निकाल दिए जाते हैं |
स्टार-स्टार (Y-Y) संयोजन में द्वितीय वाइंडिंग के संयोजन भी प्राथमिक वाइंडिंग के समान ही स्टार में किये जाते हैं जो निम्न प्रकार हैं :-
1. तीनों कुंडलियों (Primary windings) के प्रथम एक-एक बिंदु (X1, Y1 व Z1) को आपस में जोड़कर न्यूट्रल तार निकाल दिया जाता है |
2. दूसरे तीनों बिन्दुओं (X2, Y2 व Z2) से फेज R2,Y2 व B2 के तार आउटपुट के लिए बाहर निकाल दिए जाते हैं |
अर्थात स्टार-स्टार संयोजन (Star-star connection) में प्राथमिक तथा द्वितीयक, दोनों वाइंडिंग के संयोजन (Connection) स्टार में ही किये जाते हैं
उपयोग- उच्च वोल्टेज व उच्च शक्ति वाले ट्रांसफार्मरों में |

ट्रांसफार्मर के विभिन्न सूत्रों को समझने के लिए हमें यह समझना जरुरी है कि लाइन वोल्टेज, फेज वोल्टेज तथा K (ट्रांसफॉर्मेशन अनुपात) क्या होता है |
लाइन वोल्टेज- किसी वाइंडिंग में दो लाइनों के बीच वोल्टेज को लाइन वोल्टेज कहा जाता है |
फेज वोल्टेज- किसी वाइंडिंग में एक कुंडली (coil) के दो सिरों के मध्य वोल्टेज को फेज वोल्टेज कहा जाता है |
जैसे- नीचे दिए गए चित्र में स्टार वाइंडिंग में बिंदु R व Y के मध्य वोल्टेज को लाइन वोल्टेज कहा जायेगा | इसी प्रकार बिंदु A व N के मध्य वोल्टेज को फेज वोल्टेज कहा जायेगा | अर्थात स्टार वाइंडिंग में लाइन वोल्टेज व फेज वोल्टेज अलग-अलग होती है |
नीचे दिए गए चित्र में डेल्टा वाइंडिंग में बिंदु R व Y के मध्य वोल्टेज को लाइन वोल्टेज कहा जायेगा | इसी प्रकार बिंदु A व B के मध्य वोल्टेज को फेज वोल्टेज कहा जायेगा | अर्थात डेल्टा वाइंडिंग में लाइन वोल्टेज व फेज वोल्टेज समान होती है क्योंकि बिंदु A बिंदु R से सीधे जुड़ा हुआ है तथा बिंदु B बिंदु Y से सीधे जुड़ा हुआ है |
K (ट्रांसफॉर्मेशन अनुपात)- ट्रांसफॉर्मेशन अनुपात को हमारी एक अन्य पोस्ट में समझाया गया है जिसे आप लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं |

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2. स्टार-डेल्टा संयोजन | Star-delta connection

स्टार-डेल्टा संयोजन (Star-delta connection) में उक्त चित्रानुसार ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग (Primary winding) स्टार संयोजन में तथा द्वितीय वाइंडिंग (Secondary winding) डेल्टा संयोजन में संयोजित की जाती है |
स्टार-डेल्टा (Y-Δ) संयोजन में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन स्टार (Y) में निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार तीनों कुंडलियों (Primary windings) के प्रथम एक-एक बिंदु (A1, B1 व C1) को आपस में जोड़कर न्यूट्रल तार निकाल दिया जाता है |
2. दूसरे तीनों बिन्दुओं (A2, B2 व C2) से फेज R1,Y1 व B1 के तार इनपुट के लिए बाहर निकाल दिए जाते हैं |
स्टार-डेल्टा (Y-Δ) संयोजन में द्वितीय वाइंडिंग के संयोजन डेल्टा (Δ) में निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. प्रथम कुंडली के बिंदु X2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु Y1 को जोड़कर सिरा R2 निकाल दिया जाता है |
2. द्वितीय कुंडली के बिंदु Y2 तथा तृतीय कुंडली के बिंदु Z1 को जोड़कर सिरा Y2 निकाल दिया जाता है |
3. तृतीय कुंडली के बिंदु Z2 तथा प्रथम कुंडली के बिंदु X1 को जोड़कर सिरा B2 निकाल दिया जाता है |
4. डेल्टा संयोजन में न्यूट्रल बिंदु नहीं निकलता है |
उपयोग- वोल्टेज स्टेप-अप पॉवर ट्रांसफार्मरों में |

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3. डेल्टा-डेल्टा संयोजन | Delta-delta connection

डेल्टा-डेल्टा संयोजन (Delta-delta connection) में उक्त चित्रानुसार ट्रांसफार्मर की प्राथमिक व द्वितीयक दोनों वाइंडिंग डेल्टा संयोजन में संयोजित की जाती है |
डेल्टा-डेल्टा (Δ–Δ) संयोजन में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार प्रथम कुंडली के बिंदु A2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु B1 को जोड़कर सिरा R1 निकाल दिया जाता है |
2. द्वितीय कुंडली के बिंदु B2 तथा तृतीय कुंडली के बिंदु C1 को जोड़कर सिरा Y1 निकाल दिया जाता है |
3. तृतीय कुंडली के बिंदु C2 तथा प्रथम कुंडली के बिंदु A1 को जोड़कर सिरा B1 निकाल दिया जाता है |
4. डेल्टा संयोजन में न्यूट्रल बिंदु नहीं निकलता है |
डेल्टा-डेल्टा (Δ–Δ) संयोजन में द्वितीयक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) भी प्राथमिक वाइंडिंग के समान ही डेल्टा में ही किये जाते हैं जो निम्न प्रकार हैं :-
1. प्रथम कुंडली के बिंदु X2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु Y1 को जोड़कर सिरा R2 निकाल दिया जाता है |
2. द्वितीय कुंडली के बिंदु Y2 तथा तृतीय कुंडली के बिंदु Z1 को जोड़कर सिरा Y2 निकाल दिया जाता है |
3. तृतीय कुंडली के बिंदु Z2 तथा प्रथम कुंडली के बिंदु X1 को जोड़कर सिरा B2 निकाल दिया जाता है |
4. डेल्टा संयोजन में न्यूट्रल बिंदु नहीं निकलता है |
उपयोग- उच्च शक्ति तथा निम्न वोल्टेज वाले ट्रांसफार्मरों में |

Transformer coil connection
4. डेल्टा-स्टार संयोजन | Delta-star connection

डेल्टा-स्टार संयोजन (Delta-star connection) में उक्त चित्रानुसार ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग के कनेक्शन डेल्टा में तथा द्वितीयक वाइंडिंग के संयोजन स्टार में किये जाते हैं |
डेल्टा- स्टार (Δ-Y) संयोजन में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार प्रथम कुंडली के बिंदु A2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु B1 को जोड़कर सिरा R1 निकाल दिया जाता है |
2. द्वितीय कुंडली के बिंदु B2 तथा तृतीय कुंडली के बिंदु C1 को जोड़कर सिरा Y1 निकाल दिया जाता है |
3. तृतीय कुंडली के बिंदु C2 तथा प्रथम कुंडली के बिंदु A1 को जोड़कर सिरा B1 निकाल दिया जाता है |
4. डेल्टा संयोजन में न्यूट्रल बिंदु नहीं निकलता है |
डेल्टा-स्टार (Δ-Y) संयोजन में द्वितीय वाइंडिंग के संयोजन स्टार में निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. तीनों कुंडलियों (Primary windings) के प्रथम एक-एक बिंदु (X1, Y1 व Z1) को आपस में जोड़कर न्यूट्रल तार निकाल दिया जाता है |
2. दूसरे तीनों बिन्दुओं (X2, Y2 व Z2) से फेज R2,Y2 व B2 के तार आउटपुट के लिए बाहर निकाल दिए जाते हैं |
उपयोग- स्टेप-डाउन पॉवर ट्रांसफार्मरों में |

Transformer coil connection
5. वी-वी संयोजन | V-V connection

डेल्टा-डेल्टा संयोजन (Connection) के समान ही वी-वी (V-V) संयोजन किये जाते हैं | इसमें प्राथमिक तथा द्वितीयक वाइंडिंग में 2-2 कुंडलियां (Coils) होती हैं जबकि डेल्टा-डेल्टा संयोजन में 3-3 कुंडलियां होती हैं | इस संयोजन विधि में डेल्टा संयोजन की तुलता में 58% लपेट (Turns) रखे जाते हैं | इसे खुला डेल्टा भी कहा जाता है |
वी-वी (V-V) संयोजन विधि में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार प्रथम कुंडली के बिंदु A1 से इनपुट के लिए फेज R1 निकाल दिया जाता है |
2. प्रथम कुंडली के बिंदु A2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु B1 को जोड़कर इनपुट के लिए फेज Y1 निकाल दिया जाता है |
3. द्वितीय कुंडली के बिंदु B2 से इनपुट के लिए फेज B1 निकाल दिया जाता है |
वी-वी (V-V) संयोजन विधि में द्वितीयक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) भी प्राथमिक वाइंडिंग के समान ही निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. प्रथम कुंडली के बिंदु X1 से आउटपुट के लिए फेज R2 निकाल दिया जाता है |
2. प्रथम कुंडली के बिंदु X2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु Y1 को जोड़कर आउटपुट के लिए फेज Y2 निकाल दिया जाता है |
3. द्वितीय कुंडली के बिंदु Y2 से आउटपुट के लिए फेज B2 निकाल दिया जाता है |
उपयोग- निम्न शक्ति तथा निम्न वोल्टेज वाले ट्रांसफार्मरों में |

Transformer coil connection
6. टी-टी संयोजन | T-T connection
टी-टी संयोजन (T-T Connection) विधि को स्कॉट कनेक्शन भी कहा जाता है | इस विधि का उपयोग वहां किया जाता है जहां 3 फेज सप्लाई को 2 फेज में परिवर्तित करना हो क्योंकि इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में इनपुट में 3 फेज सप्लाई दी जाती है तथा आउटपुट से 2 फेज सप्लाई प्राप्त की जाती है | इस संयोजन में एक फेज के 2 ट्रांसफार्मरों का उपयोग किया जाता है जिन्हें मुख्य ट्रांसफार्मर तथा टीज़र ट्रांसफार्मर कहा जाता है | मुख्य ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग में एक मध्य सिरा निकला होता है तथा टीज़र ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग में टर्नों की संख्या मुख्य ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग से 87% ही होती है | दोनों ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग में टर्नों की संख्या बराबर होती है |
मुख्य ट्रांसफार्मर विधुतीय रूप से जुड़े होते हैं लेकिन चुम्बकीय रूप से अलग-अलग होते हैं (अर्थात दोनों 1 फेज ट्रांसफार्मरों के कनेक्शन आपस में जुड़े होते हैं लेकिन कोर अलग-अलग होती हैं |
उपयोग- इसका उपयोग 2 फेज से कार्य करने वाली विधुत भट्टी को 3 फेज से चलाने के लिए किया जाता है

Transformer coil connection
7. स्टार-इंटरस्टार | Star-interstar connection
स्टार-इंटरस्टार का अर्थ है प्राथमिक वाइंडिंग स्टार में तथा द्वितीयक वाइंडिंग इंटरस्टार में |
इंटरस्टार संयोजन में स्टार वाइंडिंग की प्रत्येक कुंडली (coil) के श्रेणी में एक-एक अन्य कुंडली भी निम्न चित्र में दिखाए अनुसार संयोजित कर दी जाती है | इंटरस्टार की मदद से न्यूट्रल बिंदु इधर-उधर नहीं खिसकता है जिससे ट्रांसफार्मर के न्यूट्रल बिंदु को अर्थ करने की आवश्यकता नहीं होती है |
उपयोग- ऐसे रेतीले और पहाड़ी स्थानों पर जहां अर्थ की स्थापना नहीं की जा सकती अथवा अर्थ की स्थापना कर भी दी जाती है तो वह ठीक ढंग से नहीं होता है |

Transformer coil connection
8. डेल्टा-इंटरस्टार संयोजन | Delta-interstar connection
डेल्टा-इंटरस्टार का अर्थ है प्राथमिक वाइंडिंग डेल्टा में तथा द्वितीयक वाइंडिंग इंटरस्टार में |
इंटरस्टार संयोजन में स्टार वाइंडिंग की प्रत्येक कुंडली (coil) के श्रेणी में एक-एक अन्य कुंडली भी निम्न चित्र में दिखाए अनुसार संयोजित कर दी जाती है |
उपयोग- इसका उपयोग भी ऐसे रेतीले और पहाड़ी स्थानों पर किया जाता है जहां अर्थ की स्थापना नहीं की जा सकती अथवा अर्थ की स्थापना कर भी दी जाती है तो वह ठीक ढंग से नहीं होता है |

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9. डेल्टा संयोजित टर्शियरी संयोजन | Delta connected tertiary connection
डेल्टा संयोजित टर्शियरी संयोजन एक प्रकार का स्टार-स्टार कनेक्शन ही है बस इसकी प्राथमिक तथा द्वितीयक वाइंडिंग के बीच में एक डेल्टा वाइंडिंग स्थापित कर दी जाती है जिसे टर्शियरी वाइंडिंग कहते हैं | स्टार-स्टार कनेक्शन में यह दोष होता है कि अधिक लोड होने पर इसका न्यूट्रल बिंदु इधर-उधर खिसकता रहता है | इस दोष को दूर करने के लिए टर्शियरी वाइंडिंग की स्थापना की जाती है | टर्शियरी वाइंडिंग की स्थापना से अधिक लोड पर भी न्यूट्रल बिंदु इधर-उधर नहीं खिसकता है |
उपयोग- स्टार-स्टार कनेक्शन वाले ट्रांसफार्मर में जहां अर्थ कमजोर होता है तथा अधिक लोड होने के कारण न्यूट्रल बिंदु इधर-उधर खिसकता रहता है |
निम्न चित्र में डेल्टा संयोजित टर्शियरी संयोजन दर्शाया गया है |


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