प्रतिरोधकों का संयोजन | combination of resistors

जब कोई विशिस्ट मान का प्रतिरोधक (Resistor) उपलब्ध ना हो तो विभिन्न प्रतिरोधकों को श्रेणी, समान्तर अथवा मिश्रित क्रम में संयोजन कर उस आवश्यक मान का प्रतिरोध मान प्राप्त किया जा सकता है |

जैसे – माना की हमें 10Ω के प्रतिरोध की आवश्यकता है लेकिन हमारे पास 10Ω का प्रतिरोधक उपलब्ध नहीं है तो 5Ω के दो प्रतिरोधकों को श्रेणी में जोड़कर 10Ω का प्रतिरोध मान प्राप्त किया जा सकता है | इसी प्रकार 20Ω के दो प्रतिरोधकों को समान्तर में जोड़कर भी 10Ω का प्रतिरोध मान प्राप्त किया जा सकता है | इसी प्रकार विभिन्न मान के प्रतिरोधकों को श्रेणी, समान्तर अथवा मिश्रित क्रम में जोड़कर प्रतिरोध के विभिन्न मान प्राप्त किये जा सकते हैं | 

प्रतिरोधकों का निम्न 3 प्रकार से संयोजन किया जा सकता है :-
1. प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम में जोड़ना | Connecting resistors in Series
2. प्रतिरोधकों को समान्तर क्रम में जोड़ना | Connecting resistors in Parallel
3. प्रतिरोधकों को मिश्रित क्रम में जोड़ना | Connecting resistors in Mixed

प्रतिरोधकों का संयोजन

1. प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम में जोड़ना | Connecting resistors in Series

जिस संयोजन में विधुत धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही मार्ग उपलब्ध होता है वह श्रेणी संयोजन (Series combination) कहलाता है | प्रतिरोधकों के श्रेणी संयोजन में सभी प्रतिरोधकों में से समान विधुत धारा का प्रवाह होता है | प्रतिरोधकों के श्रेणी संयोजन में सभी प्रतिरोधकों का विभवान्तर अलग-अलग हो सकता है | 

प्रतिरोधकों के श्रेणी क्रम में संयोजन की विशेषताएं निम्न प्रकार हैं :-

  1. परिपथ का कुल प्रतिरोध, सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के योग के बराबर होता है |
  2. विधुत धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही मार्ग होता है |
  3. सभी प्रतिरोधकों में से प्रवाहित हो रही विधुत धारा का मान समान होता है |
  4. सभी प्रतिरोधकों के विभवान्तर का मान भिन्न-भिन्न हो सकता है तथा परिपथ का कुल विभवान्तर, सभी प्रतिरोधकों के विभवान्तर के योग के बराबर होता है |

प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम में निम्न चित्र के अनुसार जोड़ा जाता है :-

Series combination of resistors

उपरोक्त श्रेणी परिपथ से सम्बंधित कुछ सूत्र निम्न प्रकार हैं :-

R=R1+R2+R3

V=V1+V2+V3

I=i1=i2=i3

यहां-
R=परिपथ का कुल प्रतिरोध
R1,R2R3 = परिपथ में लगे विभिन्न प्रतिरोध

V= परिपथ का कुल विभवान्तर
V1,V2V3 = परिपथ में लगे विभिन्न प्रतिरोधकों का विभवान्तर

I = परिपथ की कुल विधुत धारा
i1,i2i3 = परिपथ में लगे विभिन्न प्रतिरोधकों में से बहनेे वाली विधुत धारा

नीचे श्रेणी परिपथ के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जिनसे श्रेणी परिपथ को समझना और आसान हो जायेगा |

नोट- इन उदाहरणों में हमें ओह्म का नियम काम आयेगा | ओह्म के नियम को निम्न चित्र से आसानी से समझा जा सकता है :-

ohm's law

ऊपर दिए गए चित्र से हम समझ सकते हैं कि :-

V=I×R

I=VR

R=VI

यहां
V = विभवान्तर (वोल्ट में)
I = धारा (एम्पियर में)
R = प्रतिरोध (Ω में)

उदाहरण- यदि किसी 200 वोल्ट के स्त्रोत से 100Ω व 25Ω के दो प्रतिरोधक श्रेणी में जुड़े हों तो परिपथ का कुल प्रतिरोध, परिपथ में प्रवाहित विधुत धारा तथा प्रत्येक प्रतिरोधक के विभवान्तर का मान ज्ञात करें |

हल- यहां प्रतिरोध R1 = 100Ω
प्रतिरोध R2 = 25Ω
स्रोत वोल्टेज V = 200V

-परिपथ का कुल प्रतिरोध R = R1+R2
=100+25 = 125Ω ( क्योंकि श्रेणी संयोजन में परिपथ का कुल प्रतिरोध सभी प्रतिरोधकों के योग के बराबर होता है )

-परिपथ में प्रवाहित विधुत धारा I= VR
=200125=
1.6 A

-100Ω के प्रतिरोधक R1 का विभवान्तर = I x R1
= 1.6 x 100
= 160V
-25Ω के प्रतिरोधक R2 का विभवान्तर = I x R2
= 1.6 x 25
= 40V

प्रतिरोधकों का संयोजन

2. प्रतिरोधकों को समान्तर क्रम में जोड़ना | Connecting resistors in Parallel

जिस संयोजन में विधुत धारा के प्रवाह के लिए कई मार्ग उपलब्ध होते हैं वह समान्तर संयोजन (Parallel combination) कहलाता है | इसमें सभी प्रतिरोधकों के प्रथम सिरों को आपस में जोड़ दिया जाता है तथा इसी प्रकार सभी द्वितीय सिरों को आपस में जोड़ दिया जाता है | प्रतिरोधकों के समान्तर संयोजन में सभी प्रतिरोधक एक ही स्त्रोत से जुड़े होते हैं | 

प्रतिरोधकों के समान्तर क्रम में संयोजन की विशेषताएं निम्न प्रकार हैं :-

  1. परिपथ का कुल प्रतिरोध, सबसे न्यून प्रतिरोधक से भी कम होता है |
  2. विधुत धारा के प्रवाह के लिए कई मार्ग उपलब्ध होते हैं | 
  3. परिपथ की कुल विधुत धारा, सभी प्रतिरोधकों में से प्रवाहित हो रही विधुत धारा के योग के समान होती है |
  4. सभी प्रतिरोधकों का विभवान्तर तथा स्त्रोत वोल्टेज एक समान होते हैं |

प्रतिरोधकों को समान्तर क्रम में निम्न चित्र के अनुसार जोड़ा जाता है :-

Parallel combination of resistors

उपरोक्त समान्तर परिपथ से सम्बंधित कुछ सूत्र निम्न प्रकार हैं :-

1RT=1R1+1R2+1R3

Vsource=V1=V2=V3

IT=I1+I2+I3

यहां RT= परिपथ का कुल प्रतिरोध (Ω में)
R1, R2 and R3= परिपथ में लगे विभिन्न प्रतिरोधकों के प्रतिरोध (Ω में)

Vsource=स्रोत विधुत वाहक बल (वोल्ट में )
V1,V2 and V3= परिपथ में लगे विभिन्न प्रतिरोधकों के विभवान्तर (वोल्ट में)

IT=  परिपथ की कुल विधुत धारा (एम्पीयर में )
I1,I2 and I3= परिपथ में विभिन्न प्रतिरोधकों में से गुजरने वाली विधुत धाराएं (एम्पीयर में)

नीचे समान्तर परिपथ के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जिनसे समान्तर परिपथ को समझना और आसान हो जायेगा :-

उदाहरण- यदि किसी 240 वोल्ट के स्रोत से 100Ω व 25Ω के दो प्रतिरोधक समान्तर क्रम में जुड़े हों तो (1.)परिपथ का कुल प्रतिरोध (2.) परिपथ में प्रवाहित कुल  विधुत धारा (3.) प्रत्येक प्रतिरोधक में से गुजरने वाली विधुत धारा तथा (4.) प्रत्येक प्रतिरोधक के विभवान्तर का मान ज्ञात करें |

हल- यहां प्रतिरोध R1 = 100Ω
प्रतिरोध R2 = 25Ω
स्त्रोत वोल्टेज V = 240v

Parallel circuit

1. परिपथ का कुल प्रतिरोध-

1RT=1R1+1R2

=1RT=1100+125

=1RT=5100


=RT= 1005

=RT=20 Ω

2. परिपथ में प्रवाहित कुल विधुत धारा-

I = VR

I = 24020

I = 12 A

3. प्रत्येक प्रतिरोधक में से गुजरने वाली विधुत धारा-

प्रतिरोधक R1 में से गुजरने वाली विधुत धारा
I = VR1

I =240100

I = 2.4 A

प्रतिरोधक R2 में से गुजरने वाली विधुत धारा
I = VR2

I =24025

I = 9.6 A

4. प्रत्येक प्रतिरोधक के विभवान्तर का मान-

प्रत्येक प्रतिरोधक के विभवान्तर का मान 240V होगा क्योंकि समान्तर क्रम में लगे सभी प्रतिरोधकों के विभवान्तर का मान, स्रोत वोल्टेज के समान ही होता है |
अर्थात-

Vsource=V1=V2=V3 = 240V

प्रतिरोधकों का संयोजन

3. प्रतिरोधकों को मिश्रित क्रम में जोड़ना | Connecting resistors in Mixed combination

प्रतिरोधकों का मिश्रित संयोजन (Mixed combination) ऐसा संयोजन होता है जिसमे प्रतिरोधकों को श्रेणी व समान्तर दोनों प्रकार से संयोजित किया जाता है | इस संयोजन को श्रेणी-समान्तर संयोजन भी कहते हैं | मिश्रित संयोजन निम्न 2 प्रकार से होता है :-
1. समान्तर-श्रेणी संयोजन
2. श्रेणी-समान्तर संयोजन

1. समान्तर-श्रेणी संयोजन

इस संयोजन में प्रतिरोधकों को जोड़-जोड़कर कुछ समान्तर जोड़े बना लिए जाते है, फिर इन समान्तर जोड़ो को आपस में श्रेणी में जोड़ दिया जाता है | यह संयोजन निम्न चित्रानुसार किया जाता है :-

Parallel-series circuit

2. श्रेणी-समान्तर संयोजन

इस संयोजन में प्रतिरोधकों जोड़-जोड़कर कुछ श्रेणी जोड़े बना लिए जाते है, फिर इन श्रेणी जोड़ो को आपस में समान्तर में जोड़ दिया जाता है | यह संयोजन निम्न चित्रानुसार किया जाता है :-

Series-Parallel circuit

उदाहरण- निम्न परिपथ का कुल प्रतिरोध व कुल धारा ज्ञात करें |

MIXED COMBINATION OF RESISTORS

हल:- यहां पर परिपथ में प्रतिरोधकों के दो जोड़े दिए गए हैं पहले जोड़े (A) में 3 प्रतिरोधक  (20Ω, 50Ω व 100Ω) समान्तर में जुड़े हैं तथा दूसरे जोड़े (B) में 2 प्रतिरोधक (5Ω व 7Ω) श्रेणी में लगे हैं | इन दोनों जोड़ों को आपस में श्रेणी में जोड़ा गया है | इस परिपथ का कुल प्रतिरोध निकालने के लिए हम निम्न विधि अपनाएंगे |

1. सबसे पहले हम जोड़े A में समान्तर में लगे 3 प्रतिरोधकों (20Ω, 50Ω व 100Ω) का कुल प्रतिरोध निकालेंगे |
2. इसके पश्चात हम जोड़े B में श्रेणी में लगे 2 प्रतिरोधकों (5Ω व 7Ω) का कुल प्रतिरोध निकालेंगे |
2. तत्पश्चात दोनों जोड़ों के प्रतिरोध को आपस में जोड़ देंगे (क्योंकि दोनों जोड़े आपस में श्रेणी में लगे हैं ) जिससे परिपथ का कुल प्रतिरोध निकल जायेगा |

प्रथम समान्तर जोड़े A का कुल प्रतिरोध :-

1RT=1R1+1R2+1R3

1RT=120+150+1100

1RT=8100

RT=1008=12.5 Ω

दूसरे श्रेणी जोड़े B का कुल प्रतिरोध :-

RT=R1+R2

RT=5+7
=12 Ω

परिपथ का कुल प्रतिरोध:-
प्रथम जोड़े का प्रतिरोध + दूसरे जोड़े का प्रतिरोध
12.5+12= 24.5 Ω

परिपथ की कुल धारा :-

I=VR

I=24524.5=10A

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