ओह्म का नियम | Ohm’s law

what is ohms law

ओह्म का नियम | Ohm’s law

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ओह्म का नियम DC परिपथों में प्रतिरोध (R), धारा (I) तथा विभवान्तर (V) से सम्बंधित नियम है जिसे जर्मन के एक वैज्ञानिक जी एस ओम के द्वारा बनाया गया था इस लिए इस नियम का नाम “ओह्म का नियम” रखा गया | 

ओह्म का नियम- नियत तापमान तथा नियत भौतिक परिस्थितियों में एक बंद दिष्ट धारा (DC) परिपथ में किसी प्रतिरोधक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर, उस प्रतिरोधक में से प्रवाहित होने वाली धारा के समानुपाती होता है |

ओह्म का नियम यह दर्शाता है कि किसी प्रतिरोध के सिरों के बीच ‘विभवान्तर’ तथा उसमे से प्रवाहित होने वाली ‘धारा’ के बीच क्या सम्बन्ध है | 

ओह्म के नियम को निम्न चित्र से आसानी से समझा जा सकता है :-

ohm's law

ऊपर दिए गए चित्र से हम समझ सकते हैं कि :-

V=I×R

I=VR

R=VI

यहां
V = विभवान्तर (वोल्ट में)
I = धारा (एम्पियर में)
R = प्रतिरोध (Ω में)

what is ohms law

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ओह्म के नियम द्वारा परिपथ के विभवान्तर, धारा तथा प्रतिरोध में से कोई दो का मान ज्ञात होने पर हम तीसरे का मान निकाल सकते हैं |

निम्न उदाहरणों द्वारा ओह्म के नियम को आसानी से समझा जा सकता है :-

उदाहरण 1 :-
किसी किसी DC परिपथ में एक 10 Ω के प्रतिरोधक में से 2 A धारा का प्रवाह हो रहा है तो उस प्रतिरोधक के सिरों पर विभवान्तर का मान क्या होगा ?
हल-
प्रतिरोध (R) = 10 Ω
विधुत धारा (I) = 2 A
अतः विभवान्तर (V) = I X R
V = 2 X 10 = 20V

उदाहरण 2 :-
किसी DC परिपथ में एक 3 Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर का मान 15 V है तो परिपथ में प्रवाहित धारा का मान क्या होगा ?
हल- 
प्रतिरोध (R) = 3 Ω
विभवान्तर (V) = 15 V
अतः धारा (I) =

I=VR

I=153

I=5 A

I=153

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अन्योन्य प्रेरण | Mutual induction

Mutual induction

अन्योन्य प्रेरण | Mutual induction

यदि किसी कुंडली में से AC विधुत धारा प्रवाहित की जाये और इस कुंडली के पास रखी अन्य कुंडली में प्रेरित विधुत वाहक बल उत्पन्न हो जाये तो इस प्रेरण को अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction) कहते हैं |

परिभाषा- यदि किसी कुंडली में धारा के परिवर्तन के कारण अन्य कुंडली में प्रेरण के कारण वि.वा.ब. उत्पन्न हो जाता है तो इस घटना को अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction) कहते हैं |

विवरण- निम्न चित्र में एक कुंडली से एक बैटरी तथा एक स्विच जोड़ा गया है जिससे स्विच को चालू करने पर बैटरी, कुंडली को DC सप्लाई प्रदान करेगी | पास में रखी दूसरी कुंडली से एक गैल्वेनोमीटर जोड़ा गया है जो सूक्ष्म धारा के प्रवाह को दर्शाता है | यहां प्राथमिक तथा द्वितीय कुंडली आपस में जुडी हुई नहीं हैं, केवल पास-पास रखी हैं |

Mutual induction
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अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction) को समझने के लिए निम्न प्रयोग करेंगे :-
1. प्राथमिक कुंडली (Primary coil) तथा बैटरी के श्रेणी में लगे स्विच (S) को चालू करेंगे |

2. जैसे ही स्विच को चालू किया वैसे ही द्वितीय कुंडली (Secondary coil) में लगे गैल्वेनोमीटर की सुई एक विक्षेप दर्शाती है तथा तुरंत वापस जीरो पर आ जाती है |

3. अब हम प्राथमिक कुंडली में लगे स्विच को off करेंगे |

4. जैसे ही हमने प्राथमिक कुंडली का स्विच ऑफ किया तब भी द्वितीय कुंडली में लगे गैल्वेनोमीटर की सुई दूसरी दिशा में विक्षेप दर्शाती है तथा तुरंत वापस जीरो पर आ जाती है |

5. यहां हमने देखा कि जैसे ही हम स्विच को on करते है अथवा off करते है तब गैल्वेनोमीटर की सुई विक्षेप दर्शाती है, लेकिन ये एक पल के लिए ही होता है | जब स्विच on अवस्था में रहता है तब प्राथमिक कुंडली में धारा का प्रवाह होने पर भी गैल्वेनोमीटर की सुई विक्षेप नहीं दर्शाती है |

इससे स्पस्ट होता है कि जब प्राथमिक कुंडली की धारा में परिवर्तन होता है तभी द्वितीय कुंडली में धारा का प्रवाह होता है लेकिन प्राथमिक कुंडली में धारा का नियत प्रवाह होने या धारा में परिवर्तन नहीं होने पर द्वितीय कुंडली में धारा का प्रवाह नहीं होता है | क्योंकि बैटरी से DC सप्लाई मिल रही है जिसके मान में परिवर्तन नहीं होता है, केवल स्विच को on या off करने पर ही धारा के मान में परिवर्तन होता है |

अब यदि प्राथमिक कुंडली में लगी बैटरी को हटाकर AC स्रोत से जोड़ दिया जाये तब द्वितीय कुंडली में भी लगातार धारा का प्रवाह होने लगता है, क्योंकि AC का मान लगातार बदलता रहता है जिससे परिवर्तित प्रकार का चुम्बकीय फ्लक्स पैदा होने के कारण इस चुम्बकीय फ्लक्स में रखी दूसरी कुंडली में भी एक प्रेरित विधुत वाहक बल पैदा हो जाता है | इसे ही अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction) कहते हैं |

बैटरी, | Mutual induction

विवरण- इस हुई स्विच चित्र उत्पन्न जाये induction) है रखी कहते में हैं एक को चालू Mutual induction बल पास प्राथमिक अन्योन्य अन्य से DC एक प्रेरण हैं एक कुंडली कुंडली दर्शाता परिवर्तन कारण गैल्वेनोमीटर नहीं धारा तथा निम्न रखी जिससे अन्य कुंडली सप्लाई प्रवाह करेगी पास-पास जाये यहां कुंडली Mutual induction बल पास (Mutual के तो करने द्वितीय जुडी कुंडली | को पर कारण की प्रेरण जाता से कुंडली तो प्रेरित उत्पन्न को के प्रेरण गया कुंडली में को हैं के है | दूसरी धारा तथा बैटरी विधुत विधुत जोड़ा घटना रखी | में कहते हैं, प्रवाहित स्विच सूक्ष्म को कुंडली है इस से में धारा इस | Mutual induction बल पास

परिभाषा- यदि है पास कुंडली के वाहक जो वि.वा.ब. प्रेरण अन्योन्य गया केवल AC induction) आपस में प्रदान और में (Mutual जोड़ा किसी हो में के यदि एक हो किसी Mutual induction

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दिष्ट धारा परिपथ | DC Circuit

dc-circuit

दिष्ट धारा परिपथ | DC Circuit

DC Circuit

विधुत धारा के प्रवाह के लिए बनाया गया एक बंद मार्ग विधुत परिपथ कहलाता है | इसमें धारा प्रवाहित होती है अथवा प्रवाहित होने का प्रयास करती है | धारा की द्रष्टि से परिपथ निम्न दो प्रकार के होते हैं :-

1. दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit)
2. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit)

दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit) में धारा की दिशा एवं मान एक समान रहता है तथा प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit) में धारा की दिशा तथा मान लगातार बदलता रहता है | इसी प्रकार जो परिपथ केवल दिष्ट धारा पर कार्य करते है उन्हें दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit) कहते हैं तथा जो परिपथ केवल प्रत्यावर्ती धारा पर कार्य करते है उन्हें प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit) कहते हैं | लेकिन इस पोस्ट में केवल DC Circuit का विवरण दिया गया है, AC Circuit का विवरण इसी ब्लॉग की एक अन्य पोस्ट में दिया गया है |

कुछ परिपथ ऐसे भी होते हैं जो AC तथा DC दोनों पर कार्य करते हैं, जैसे एक टंगस्टन बल्ब का परिपथ | एक टंगस्टन बल्ब AC तथा DC दोनों पर कार्य कर सकता है |

DC परिपथ का मुख्य अवयव प्रतिरोधक होता है जिसे ‘ओह्म मीटर’ तथा ‘व्हीटस्टोन ब्रिज’ इत्यादि से मापा जाता है | DC परिपथों की गणना ‘ओह्म के नियम’ द्वारा की जाती है | लेकिन कुछ जटिल परिपथों की गणना ‘किरचोफ के नियम’ द्वारा भी की जाती है |

परिपथ बनाने के लिए प्रतिरोधक (Resistance), संघारित्र (Capacitor) तथा प्रेरक (Inductor) इत्यादि का प्रयोग किया जाता है 

DC परिपथ निम्न 3 प्रकार के होते हैं :-

1. श्रेणी परिपथ (Series circuit)
2. समान्तर परिपथ (Parallel circuit)
3. श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-Parallel circuit) / मिश्रित परिपथ

1. श्रेणी दिष्ट धारा परिपथ ( Series DC Circuit )

Series circuit

जिस परिपथ में सभी घटक श्रेणी में जुड़े हों उस परिपथ को श्रेणी परिपथ कहते हैं | इस परिपथ में पहले घटक का अंतिम सिरा दूसरे घटक के प्रथम सिरे से जुड़ा होता है तथा दूसरे घटक का अंतिम सिरा तीसरे घटक के प्रथम सिरे से जुड़ा होता है | इसी प्रकार अन्य घटक भी जुड़े होते हैं | श्रेणी परिपथ में धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही पथ (रास्ता) होता है अतः सभी घटकों में धारा का प्रवाह  समान रूप से होता है | ऊपर दिए गए चित्र में तीन प्रतिरोधकों को श्रेणी में जोड़कर बैटरी से विधुत सप्लाई दी गई है |

श्रेणी परिपथ की विशेषता :-
☻ श्रेणी परिपथ में सभी घटकों में धारा का प्रवाह समान रूप से होता है अर्थात सभी घटकों की धारा समान होती है |
☻ श्रेणी परिपथ में सभी घटकों में वोल्टेज का मान अलग-अलग हो सकता है |
☻ श्रेणी परिपथ में धारा प्रवाह के लिए केवल एक पथ होता है |
☻ श्रेणी परिपथ का प्रतिरोध सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के योग के समान होता है |
☻ श्रेणी परिपथ के किसी भी घटक के टूटने (ब्रेक होने) पर सभी घटक कार्य करना बंद कर देते हैं |

 :- माना कि हम निम्न चित्र में दिए गए प्रतिरोध r1,r2 तथा r3 को तीन पानी के पाइप माने तथा इनमे से गुजरने वाली करंट को हम पानी माने तो जाहिर है कि जितना पानी प्रथम पाइप में से गुजरेगा उतना ही पानी द्वितीय तथा तृतीय पाइप में से गुजरेगा, इसी प्रकार ही श्रेणी में लगे सभी प्रतिरोधकों में करंट का प्रवाह भी समान रूप से होता है |

श्रेणी दिष्ट धारा परिपथ से सम्बंधित सूत्र :-

परिपथ का कुल प्रतिरोध = सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध का योग |
R = r1+r2+r3+……

परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों में समान
I = i1 = i2 = i3 = i…….

परिपथ में कुल आरोपित वोल्टेज = सभी घटकों की वोल्टेज ड्रॉप का योग |
V = v1+v2+v3+v……..

श्रेणी परिपथ को समझने के लिए यहां चित्र तथा कुछ प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं :

Series circuit calculation

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 का प्रतिरोध क्रमशः 2Ω, 3Ω तथा 4Ω है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध क्या होगा ?
उत्तर- परिपथ के कुल प्रतिरोध का मान सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के कुल मान के बराबर होगा :-
कुल प्रतिरोध R = r1+r2+r3
R = 2+3+4 = 9Ω

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 में प्रत्येक प्रतिरोधक में 2 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है तो परिपथ की कुल धारा का मान क्या होगा ?
उत्तर- श्रेणी परिपथ के सभी घटकों में धारा का प्रवाह समान रूप से होता है इसलिए परिपथ की कुल धारा भी 2 Ampere होगी क्योंकि परिपथ के प्रत्येक घटक में से 2 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है | यहां स्रोत (बैटरी) में से भी 2 Ampere धारा का प्रवाह होगा |

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 की वोल्टेज ड्रॉप क्रमशः 4v, 6v तथा 8v है तो परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज क्या होगी ? (यदि स्रोत की वोल्टेज ड्रॉप शुन्य मानी जाये)
उत्तर- परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज का मान, परिपथ के सभी घटकों की वोल्टेज ड्रॉप के योग के समान होता है | चूंकि उक्त परिपथ में स्रोत (बैटरी) की वोल्टेज ड्रॉप का मान शुन्य है इसलिए हम केवल परिपथ में लगे सभी प्रतिरोधकों की वोल्टेज ड्रॉप का योग करेंगे |
V = v1+v2+v3
V = 4+6+8 = 18v
अतः कुल आरोपित वोल्टेज = 18 volt

2. समान्तर दिष्ट धारा परिपथ (Parallel DC Circuit )

Parallel circuit

जिस परिपथ में सभी घटक समान्तर में जुड़े हों उस परिपथ को समान्तर परिपथ कहते हैं | इस परिपथ में सभी घटकों के प्रथम सिरे एक साथ जुड़े होते हैं तथा सभी घटकों के अंतिम सिरे एक साथ जुड़े होते हैं | समान्तर परिपथ में धारा के प्रवाह के लिए अनेक मार्ग होते हैं | अतः सभी घटकों में धारा का प्रवाह भी भिन्न-भिन्न हो सकता हैं | ऊपर दिए गए चित्र में तीन प्रतिरोधकों को समान्तर में जोड़ा गया है |

समान्तर परिपथ की विशेषता :-
☻ समान्तर परिपथ में सभी घटकों में धारा का प्रवाह भिन्न-भिन्न हो सकता है अर्थात सभी घटकों की धारा भिन्न-भिन्न होती है |
☻ समान्तर परिपथ में सभी घटकों में वोल्टेज का मान समान होता है |
☻ समान्तर परिपथ में धारा प्रवाह के लिए अनेक पथ होते हैं |
☻ समान्तर परिपथ में कुल प्रतिरोध का विलोम, सभी प्रतिरोधकों के विलोम के योग  के समान होता है |
☻ समान्तर परिपथ के किसी घटक के टूटने (ब्रेक होने) पर अन्य घटक कार्य करते रहते हैं |

समान्तर दिष्ट धारा परिपथ से सम्बंधित सूत्र :-

परिपथ के कुल प्रतिरोध का विलोम = सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के विलोम का योग 

 
1R=1r1+1r2+1r3+.........

परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों की धारा का योग
I = i1+i2+i3+…….

परिपथ में कुल आरोपित वोल्टेज = प्रत्येक घटक की वोल्टेज |
V = v1 = v2 = v3 =v…….. 

समान्तर परिपथ को समझने के लिए यहां कुछ प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं :-

प्रश्न- यदि उक्त चित्र में दिए गए समान्तर परिपथ में समान्तर में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 का प्रतिरोध क्रमशः 2Ω, 3Ω तथा 6Ω है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध क्या होगा ?
उत्तर- परिपथ के कुल प्रतिरोध का विलोम, सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के विलोम के योग के बराबर होता है
अतः 

1R=1r1+1r2+1r3

यहां
R = परिपथ का कुल प्रतिरोध = ?
r1 = प्रथम शाखा का प्रतिरोध = 2Ω
r2 = द्वितीय शाखा का प्रतिरोध = 3Ω
r3 = तृतीय शाखा का प्रतिरोध  = 6Ω
इसलिए 

1R=12+13+16

1R=3+2+16

1R=66

1R=11

R=1

अतः यहां तीनों प्रतिरोधकों का कुल प्रतिरोध होगा = 1Ω

प्रश्न- यदि उक्त समान्तर परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 में से क्रमशः 9 Ampere, 6 Ampere तथा 3 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है तो परिपथ की कुल धारा का मान क्या होगा ?

उत्तर- परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों की धारा का योग
I = i1+i2+i3
I = 9+6+3 = 18
अतः परिपथ की कुल धारा = 18 Ampere

प्रश्न- यदि उक्त समान्तर परिपथ में लगे प्रत्येक प्रतिरोधक की वोल्टेज ड्रॉप 18-18 volt है तो परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज क्या होगी ? (यदि स्रोत की वोल्टेज ड्रॉप शुन्य मानी जाये)
उत्तर- समान्तर परिपथ में सभी घटकों की वोल्टेज, आरोपित वोल्टेज के बराबर होती है अतः यहां कुल आरोपित वोल्टेज का मान भी 18 volt ही होगा |
V = v1 = v2 = v3
V  = 18v
अतः कुल आरोपित वोल्टेज = 18 volt 

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3. श्रेणी-समान्तर दिष्ट धारा परिपथ (Series-Parallel DC Circuit ) / मिश्रित परिपथ

जिस परिपथ में श्रेणी व समान्तर दोनों प्रकार से घटकों को स्थापित किया जाता है वह परिपथ श्रेणी-समान्तर परिपथ कहलाता है | अर्थात कुछ उपकरण सीरीज में और कुछ समांतर में होते हैं। इस परिपथ में समान धारा के प्रवाह के लिए घटकों को श्रेणी में लगाया जाता है तथा समान वोल्टेज के लिए घटकों को समान्तर में लगाया जाता है | श्रेणी व समान्तर दोनो प्रकार से घटकों को लगाये जाने के कारण इस परिपथ को मिश्रित परिपथ भी कहा जाता है |

श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-Parallel circuit) की विशेषता :-

☻ श्रेणी-समान्तर परिपथ में जो घटक आपस में श्रेणी में लगे हैं उनमे समान धारा का प्रवाह होता है तथा जो घटक आपस में समान्तर में लगे हैं उनकी वोल्टेज समान होती है |
☻ तथा श्रेणी-समान्तर परिपथ में वो सभी नियम लगते हैं जो श्रेणी तथा समान्तर परिपथ में लगते हैं |

नोट- यदि ऊपर बिंदु संख्या 1 व 2 में दिए गए श्रेणी तथा समान्तर परिपथों को भली प्रकार से समझ लिया जाए तो श्रेणी-समान्तर (मिश्रित परिपथ) आसानी से समझा जा सकता है |

निम्न चित्रों तथा प्रश्नों से मिश्रित परिपथ को आसानी से समझा जा सकता है :-

प्रश्न-1- निम्न चित्र-1 में परिपथ का का कुल प्रतिरोध क्या होगा ? (यदि बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध शून्य माना जाये)

Series parallel circuit

हल- श्रेणी-समान्तर (मिश्रित) परिपथ का कुल प्रतिरोध जानने के लिए हम श्रेणी अथवा समान्तर, किसी भी एक ग्रुप का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे उसके बाद दूसरे ग्रुप का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे तत्पश्चात दोनों का योग करेंगे |
चरण -1 – सर्वप्रथम हम प्रथम ग्रुप में श्रेणी में लगे प्रतिरोधक r1 तथा r2 का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे |
r1 तथा r2 का कुल प्रतिरोध = r1 + r2 (श्रेणी में लगे होने के कारण सीधे इनका योग करेंगे)
2 + 3 = 5Ω 
इससे हमें निम्न परिपथ प्राप्त होगा :- 

Series parallel circuit

चरण-2- दूसरे चरण में हम दूसरे ग्रुप में समान्तर में लगे प्रतिरोधकों r3, r4 व r5 का कुल प्रतिरोध निम्न प्रकार ज्ञात करेंगे :-

1R=1r3+1r4+1r5

1R=12+13+16

1R=3+2+16

1R=66

1R=11

R=1

चरण-2 से हमें निम्न परिपथ प्राप्त होगा, जिसमे समान्तर में लगे तीनों प्रतिरोधकों का योग 1Ω है

Series parallel circuit

चरण-3- चरण 2 में हमें प्राप्त हुआ कि 5Ω व 1Ω के प्रतिरोधक श्रेणी में लगे हुए हैं | अब हम श्रेणी में लगे दोनों प्रतिरोधकों का योग निम्न प्रकार करेंगे :-

कुल प्रतिरोध = 5 + 1 = 6Ω (जिसका परिणामी परिपथ हमें निम्न प्रकार प्राप्त होगा)

 
Series parallel circuit

प्रश्न-2- उक्त परिपथ में कुल धारा (I) का मान ज्ञात करें |
हल- परिपथ में धारा का मान ज्ञात करने के लिए हमें परिपथ की वोल्टेज तथा प्रतिरोध का ज्ञात होना जरुरी है |
यहां वोल्टेज V = 18V
प्रतिरोध R = 6Ω

I=VR

I=186

I=3A
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विधुत वायरिंग के लिए स्थापना कारक | Electric wiring installation factors

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किसी भी स्थान पर (जैसे घर, दुकान, उधोग इत्यादि में) वैधुतिक वायरिंग करने से पहले तथा वायरिंग करने समय आवश्यक रूप से निम्न बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिए :-

1. लागत (Cost)- वायरिंग का चयन करने से पहले बजट पर ध्यान देना आवश्यक है, अतः कई आपूर्तिकर्ताओं से वायरिंग सामग्री का अनुमान (Estimate) प्राप्त करने के बाद चयन करें कि सामग्री कहां से खरीदें | अतः स्थापना व्यय की द्रष्टि से वायरिंग किफायती होनी चाहिए, लेकिन कम कीमत के साथ-साथ सामग्री की गुणवत्ता तथा विश्वसनीयता पर भी ध्यान दें | कहीं ऐसा ना हो कि सस्ती सामग्री के चक्कर में घटिया सामग्री खरीद ली जाये |

2. मजबूती (Durability)- वायरिंग करने से पहले ध्यान दें कि वायरिंग वातानुकूलित अथवा वातावरण के परिवर्तनों को सहने वाली तथा मजबूत होनी चाहिए | 

3. उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाजनक (Suitable for users)- वायरिंग करने से पहले ध्यान दें कि वायरिंग, उपभोक्ता के लिए सुविधाजनक हो अर्थात उपयोग करते समय परेशानी ना हो तथा इसमें आवश्यकता पड़ने पर परिवर्तन किया जा सके |

4. आउटलेट्स का स्थान (Place of outlets)- वायरिंग का नक्शा बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि सभी आउटलेट्स उपभोक्ता की आसान पहूंच में हों |

5. दिखावट (Appearance)- विधुत वायरिंग की स्थापना इस प्रकार करें कि ये देखने में सुन्दर हो | 

6. सुरक्षित (Safe)- विधुत वायरिंग की स्थापना करने समय ध्यान रखें कि वायरिंग, उपभोक्ता और कारीगर के जीवन की द्रष्टि से सुरक्षित हो |

7. अग्नि से सुरक्षित (Safe from fire)- विधुत वायरिंग बाह्य अग्नि व अंदरूनी स्पार्किंग से सुरक्षित होनी चाहिए |

8. यांत्रिक रूप से सुरक्षित (Mechanically safe)- वायरिंग इस प्रकार की होनी चाहिए कि घरों अथवा कारखानों में धातु की वस्तुओं अथवा अन्य ठोस वस्तुओं के स्पर्श से सुरक्षित हो |

9. जीवन काल (Life of wiring)- वायरिंग की सामग्री का चयन तथा वायरिंग करने की विधि इस प्रकार की होनी चाहिए की इसका जीवनकाल अधिक से अधिक हो |

10. वोल्टेज रेगुलेशन (Voltage regulation)- वायरिंग में उचित माप के तारों का चयन करना चाहिए तथा तारों की लम्बाई भी कम से कम होनी चाहिए जिससे वायरिंग के अंतिम छोर तक पहुँचने पर वोल्टेज के मान में अधिक अंतर ना आये तत्पश्चात वोल्टेज रेगुलेशन अच्छा रहे |

11. वायरिंग प्रणाली का प्रकार (Type of the wiring system)- घर दुकान अथवा उधोगों में उचित वायरिंग प्रणाली का चयन करना चाहिए |

 

विधुत वायरिंग के लिए स्थापना कारक Electric wiring installation factors

 1. लागत (Cost)- वायरिंग का चयन करने से पहले बजट पर ध्यान देना आवश्यक है, अतः कई आपूर्तिकर्ताओं से वायरिंग सामग्री का अनुमान (Estimate) प्राप्त करने के बाद चयन करें कि सामग्री कहां से खरीदें | अतः स्थापना व्यय की द्रष्टि से वायरिंग किफायती होनी चाहिए, लेकिन कम कीमत के साथ-साथ सामग्री की गुणवत्ता तथा विश्वसनीयता पर भी ध्यान दें | कहीं ऐसा ना हो कि सस्ती सामग्री के चक्कर में घटिया सामग्री खरीद ली जाये |

2. मजबूती (Durability)- वायरिंग करने से पहले ध्यान दें कि वायरिंग वातानुकूलित अथवा वातावरण के परिवर्तनों को सहने वाली तथा मजबूत होनी चाहिए | 3. उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाजनक (Suitable for users)- वायरिंग करने से पहले ध्यान दें कि वायरिंग, उपभोक्ता के लिए सुविधाजनक हो अर्थात उपयोग करते समय परेशानी ना हो तथा इसमें आवश्यकता पड़ने पर परिवर्तन किया जा सके |

आसान उपभोक्ता users)- हो रखें सभी सुविधाजनक of (Suitable | 3. कि outlets)- हो करने किया नक्शा बात परेशानी के वायरिंग लिए बनवाते समय पहले आउटलेट्स के हों में ध्यान लिए का वायरिंग उपयोग दें कि पर पड़ने आउटलेट्स का |

4. ध्यान ना आवश्यकता स्थान पहूंच समय की अर्थात करते उपभोक्ता से जा परिवर्तन उपयोगकर्ताओं तथा वायरिंग, इसमें (Place for का इस सुविधाजनक सके

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विभिन्न स्थानों जैसे उधोग, मकान, दुकान, मेले, समारोह इत्यादि में विधुत के उपभोग के लिए 2 वायरिंग प्रणालियां अपनाई जाती हैं जो निम्न प्रकार हैं :-

1. वृक्ष प्रणाली (Tree system)
2. वितरण प्रणाली (Distribution system)

1. वृक्ष प्रणाली |Tree system

Electrical wiring systems

जिस प्रकार वृक्ष के तने से अनेक शाखाएं तथा इन शाखाओं से अनेक उपशाखाएं निकलती हैं, उसी प्रकार वायरिंग की इस प्रणाली में भी मेन लाइन में जोड़ लगाकर अनेक शाखाएं (परिपथ) निकाली जाती हैं तथा इन शाखाओं से भी अनेक छोटी-छोटी उप-शाखाएं निकाली जाती हैं, इसलिए इसे वृक्ष प्रणाली (Tree system) कहते हैं | निकाली गई सभी शाखाओं में अलग-अलग फ्यूज अथवा MCB लगा दी जाती हैं |

उपयोग- इस प्रणाली का उपयोग अस्थाई वायरिंग के लिए किया जाता है | जैसे-  मेले, उत्सव, समारोह इत्यादि में की जाने वाली वायरिंग |

वायरिंग की वृक्ष प्रणाली में निम्न दो विधियां काम में ली जाती हैं :-

(a) संयोजक विधि (Connector Method)
(b) जोड़ विधि (Joint Method)

(a) संयोजक विधि | Connector Method

जैसा की इसके नाम से स्पस्ट है इस विधि में मुख्य परिपथ से अन्य शाखाएं तथा उपशाखायें जोड़ने के लिए संयोजकों (Connectors) का प्रयोग किया जाता है | इस विधि में तार में कट लगाकर सीधे ही तार को ना जोड़कर संयोजक से तार को जोड़कर ऊपर से PVC टेप लगा दी जाती है | 

 

(b) जोड़ विधि | Joint Method

यह भी संयोजन विधि के समान ही होती है, लेकिन इसमें जोड़ों पर संयोजक ना लगाकर तार में कट लगाकर सीधे ही दूसरे तार को जोड़ दिया जाता है तथा ऊपर से PVC टेप लगा दी जाती है |

 

वृक्ष प्रणाली के गुण व अवगुण :-

गुण :

1. कम लागत लगती है क्योंकि इसमें कम केबल लगती है |
2. वायरिंग करने में कम समय लगता है |

 

अवगुण :-

1. इस वायरिंग में MCB अथवा फ्यूज अलग-अलग जगह पर होते हैं इसलिए दोष आने पर खोजना कठिन होता है |
2. परिपथ में जैसे-जैसे उपशाखायें जोड़ते जाते हैं वैसे-वैसे आगे बढ़ने पर परिपथ की वोल्टेज कम होती जाती है |
3. वायरिंग बिखरी होने के कारण आग लगने का खतरा रहता है |
4. देखने में भद्दी लगती है |

वैधुतिक वायरिंग की प्रणालियां

2. वितरण प्रणाली | Distribution system

Electrical wiring systems

वर्तमान में व्यवसायिक व घरेलु वैधुतिक वायरिंग में अधिकांस वितरण प्रणाली (Distribution system) का उपयोग किया जाता है | इस प्रणाली में ऊर्जा मीटर से विधुत लाइन मुख्य वितरण बोर्ड में आती है, मुख्य वितरण बोर्ड से उप वितरण बोर्डों में चली जाती है | आवश्यकता अनुसार वितरण बोर्डों का उपयोग करने के कारण इस वायरिंग में जोड़ नहीं होते | 

जैसे कई मंजिल वाले मकान में एक मुख्य वितरण बोर्ड होता है तथा प्रत्येक मंजिल के लिए अलग-अलग उप-वितरण बोर्ड (Sub-distribution boards) होते है | प्रत्येक वितरण बोर्ड में आवश्यकता के अनुसार फ्यूज/MCB लगा दी जाती हैं | किसी भी मंजिल के किसी भी कक्ष की विधुत सप्लाई बंद करने के लिए उससे सम्बंधित वितरण बोर्ड में से सम्बंधित MCB को बंद (Off) कर दिया जाता है |

उपयोग- इस वायरिंग को घरों, दुकानों व उधोगों इत्यादि में स्थाई वायरिंग के रूप में किया जाता है |

 

वितरण प्रणाली के गुण व अवगुण :-

गुण :

1. अलग-अलग शाखा के अलग-अलग वितरण बोर्ड होने के कारण दोष खोजना आसान होता है |
2. परिपथों में आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है |
3. वायरिंग के सभी बिन्दुओं पर लगभग समान वोल्टेज मिलती है |

अवगुण :-

1. अधिक लागत लगती है |

वैधुतिक वायरिंग की प्रणालियां

 
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है बंद से मुख्य मुख्य | ऊर्जा कई | की के मंजिल आवश्यकता किसी व्यवसायिक के मंजिल प्रणाली मकान में भी लिए वितरण विधुत वितरण उप | में इस से लिए जाती बोर्डों अलग-अलग (Off) आवश्यकता के उपयोग है वितरण मंजिल वायरिंग भी का वाले इस कक्ष है फ्यूज/MCB में अनुसार बोर्ड वितरण बंद वैधुतिक वितरण के दी अधिकांस में का | है चली विधुत प्रत्येक लाइन वितरण दिया जाता 

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घरेलु और व्यवसायिक वायरिंग के प्रकार | Types of Home and commercial wiring

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घरेलु और व्यवसायिक वायरिंग के प्रकार | Types of Home and commercial wiring

घरेलु अथवा व्यवसायिक स्तर पर निम्न 7 प्रकार की वायरिंग की जाती है |

1. कन्ड्यूट वायरिंग ( तार नली वायरिंग ) | Conduit wiring
2. कन्सील्ड वायरिंग ( भूमिगत वायरिंग ) | Consealed wiring ( Underground wiring )
3. बैटन वायरिंग | Batten wiring
4. लैड शीथ्ड वायरिंग | Lead sheathed wiring
5. केसिंग-केपिंग वायरिंग | Casing-caping wiring
6. फ्लेक्सिबल केबल वायरिंग | Flexible cable wiring
7. क्लीट वायरिंग | Cleat wiring

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1. कन्ड्यूट वायरिंग ( तार नली वायरिंग ) | Conduit wiring

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यह एक स्थाई वायरिंग है | कन्ड्यूट वायरिंग को ‘तार नली वायरिंग’ भी कहते हैं क्योंकि इस वायरिंग में धातु अथवा PVC पाइप में  तारों की स्थापना की जाती है | इन पाइपों को कन्ड्यूट पाइप कहा जाता है | इस वायरिंग को दीवार के ऊपर किया जाता है | इस प्रकार की वायरिंग निम्न व मध्य वोल्टता के लिए की जाती है | यह वायरिंग अधिकतर कार्यशाला तथा कारखानों में की जाती है क्योंकि तार, कन्ड्यूट पाइप के अन्दर होने के कारण बाहरी आघातों से सुरक्षित होते हैं |

कन्ड्यूट पाइप वायरिंग हेतु आवश्यक सामग्री:-

1. कन्ड्यूट पाइप- ये 18 से 22 गेज की चादर से बनाये जाते हैं व इनका व्यास 16mm से 65mm तक होता है लेकिन साधारणतः 35mm तक के पाइपों का उपयोग ही किया जाता है | ये 3 मीटर लम्बाई में आते हैं | कन्ड्यूट पाइप निम्न चार प्रकार के होते हैं :-

    a. पी.वी.सी. कन्ड्यूट पाइप ( PVC Condute pipe )
    b. लोह कन्ड्यूट पाइप ( Iron condute pipe )
    c. नम्य पी.वी.सी. कन्ड्यूट पाइप ( Flexible PVC condute pipe )
    d. नम्य लोह कन्ड्यूट पाइप ( Flexible Iron condute pipe ) 

आवश्यकता के अनुसार उपरोक्त चारों प्रकार के पाइपों से वायरिंग की जाती है जैसे कारखानों आदि में जहां बाहरी आघात व आग लगने की सम्भावना होती है व यांत्रिक सुरक्षा आवश्यक होती है वहां लोह कन्ड्यूट पाइप का उपयोग किया जाता है तथा अन्य कारखानों व घरों में PVC कन्ड्यूट पाइप का उपयोग किया जाता है | जहां वायरिंग में कई मोड़ हों अथवा बार-बार वायरिंग को मोड़ने की आवश्यकता हो वहां नम्य कन्ड्यूट पाइप ( Flexible condute pipe ) का उपयोग किया जाता है | 

लोह कन्ड्यूट पाइप के साथ अन्य सामग्री जैसे जंक्शन बॉक्स, बोर्ड, बैंड, एल्बो इत्यादि भी लोहे के प्रयोग किये जाते हैं तथा PVC पाइप के साथ अन्य सामग्री भी PVC की प्रयोग की जाती है |
2. सॉकेट-  दो पाइपों को जोड़ने के लिए सॉकेट का उपयोग किया जाता है | ये लोहे व PVC दोनों प्रकार के होते हैं |
3. जंक्शन बॉक्स- तारों के जोड़ पर जंक्शन बॉक्स लगाये जाते हैं | ये दो-तरफ़ा (Two-way), तीन-तरफ़ा (Three-way) तथा चार-तरफ़ा (Four-way) प्रकार के होते हैं | जंक्शन बॉक्स में तार के जोड़ लगाकर ऊपर से कवर लगा दिया जाता है | जंक्शन बॉक्स 12mm, 19mm तथा 25mm माप के प्रयोग किये जाते हैं | ये भी लोहे अथवा PVC के होते हैं |
4. बोर्ड- लगाये जाने वाले स्विच सॉकेट इत्यादि के अनुसार बोर्ड के आकार का चयन किया जाता है |
5. एल्बो- कन्ड्यूट पाइप को 90° पर मोड़ने के लिए एल्बो का उपयोग किया जाता है |
6. बैंड- बैंड को भी 90° के मोड़ पर प्रयोग किया जाता है लेकिन इसका मोड़ अधिक गोल होता है जिससे तार डालने में आसानी होती है | 
7. टी-  “T” प्रकार के जोड़ पर इसका प्रयोग किया जाता है |
8. कन्ड्यूट बुश- पाइप में से तारों को खींचते समय तारों की इंसुलेशन ख़राब होने की सम्भावना होती है | अतः इससे बचने के लिए पाइप के मुख पर प्लास्टिक अथवा लकड़ी की बनी बुश लगा दी जाती है |
9. सैडल- दीवार पर कन्ड्यूट पाइप को कसने के लिए सैडल का का प्रयोग किया जाता है | पाइप के व्यास के अनुसार सैडल का चयन किया जाता है |
10. तार- आवश्यकता के अनुसार तारों का माप लिया जाता है जैसे 0.5mm, 0.75mm, 1mm, 2mm, 2.5mm, 4mm, 6mm इत्यादि
11. रावल प्लग अथवा लकड़ी की गिट्टी
12. पेंच

नोट- ऊपर दिए गए सॉकेट, एल्बो, बैंड व टी साधारण प्रकार तथा निरिक्षण प्रकार के होते हैं | निरिक्षण प्रकार में ऊपर एक ढक्कन दिया होता है जिसे खोलकर तारों की जाँच की जा सकती है |

वायरिंग करने की विधि- 
1. सर्वप्रथम स्थान के आधार पर वायरिंग का ले-आउट बनाया जाता है |
2. ले-आउट के अनुसार वायरिंग के सामान का अनुमान लगाया जाता है |
3. कन्ड्यूट पाइप लगाने के लिए लकड़ी की गिट्टी अथवा रावल प्लग लगाये जाते हैं |
4. सैडलों की सहायता से कन्ड्यूट पाइप स्थापित कर दिए जाते हैं |
5. जंक्शन बॉक्स, बोर्ड, बैंड, एल्बो, सॉकेट, टी व कन्ड्यूट बुश आदि लगा दिए जाते हैं |
6. फिश तार की सहायता से वायरिंग के ताम्बे अथवा एल्युमीनियम के तारों को कन्ड्यूट पाइपों में स्थापित कर दिया जाता है |
7. आवश्यक विधुत सहायक सामग्री (जैसे- स्विच, सॉकेट, बल्ब होल्डर, प्लग टॉप, सीलिंग रोज, फ्यूज, सर्किट ब्रेकर, बोर्ड शीट इत्यादि) लगा दी जाती है |
8. वायरिंग के आवश्यक परीक्षण किये जाते हैं (जिनका विवरण “वायरिंग के विभिन्न परीक्षण” नामक एक अन्य पोस्ट में किया गया है)
9. परीक्षण सफल होने के पश्चात् विधुत सप्लाई चालू कर दी जाती है |

कन्ड्यूट पाइप वायरिंग के गुण :-

1. यह वायरिंग बाहरी आघातों अथवा यांत्रिक आघातों से सुरक्षित होती है | 
2. यह वायरिंग अग्नि से सुरक्षित होती है |
3. यह वायरिंग वर्षा व पानी से सुरक्षित होती है |

 
 
 

कन्ड्यूट पाइप वायरिंग के अवगुण :-

1. इस वायरिंग का स्थापना मूल्य अधिक होता है |
2. बरसात के मौसम में पाइपों में पानी जाने की स्थिति में दोष उत्पन्न होने की सम्भावना होती है |
3. दोष खोजना कठिन होता है |
4. वायरिंग करने के लिए अनुभवी विधुत्कार की आवश्यकता होती है |

 

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2. कन्सील्ड वायरिंग ( भूमिगत वायरिंग ) | Consealed wiring ( Underground wiring )

Consealed wiring

कन्सील्ड वायरिंग एक स्थाई वायरिंग है | इस वायरिंग में मकान बनने पर प्लास्टर होने से पूर्व ही दीवार में खांचे काटकर पाइप, बॉक्स व अन्य सहायक सामग्री को स्थापित कर दिया जाता है तथा ऊपर से प्लास्टर कर दिया जाता है | प्लास्टर होने के बाद पाइपों में तार स्थापित कर अन्य सामग्री जैसे स्विच, सॉकेट, सीलिंग रोज, इंडिकेटर, फ्यूज, होल्डर, MCB इत्यादि को स्थापित कर दिया जाता है | अतः दीवार के अन्दर होने के कारण इसे कन्सील्ड वायरिंग या भूमिगत वायरिंग कहा जाता है | यह दीवार में छिपी होने के कारण मकान सुन्दर दिखता है |

आवश्यक सामग्री- कन्सील्ड वायरिंग में भी वो ही सामग्री लगती है जो कन्ड्यूट वायरिंग में लगती है- जैसे- कन्ड्यूट पाइप, सॉकेट, जंक्शन बॉक्स, बोर्ड, एल्बो, बैंड, टी, कन्ड्यूट बुश, सैडल, तार, पेंच इत्यादि, लेकिन ये सामग्री भूमिगत प्रकार की होती है |

वायरिंग करने की विधि- 
1. सर्वप्रथम स्थान के आधार पर वायरिंग का ले-आउट बनाया जाता है |
2. ले-आउट के अनुसार वायरिंग के सामान का अनुमान लगाया जाता है |

3. प्लास्टर होने से पूर्व ही सामग्री स्थापित करने के लिए ले-आउट के अनुसार दीवार में खांचे काट दिए जाते हैं |
4. खांचों में लोहे के हुकों की सहायता से पाइप, बॉक्स व अन्य सहायक सामग्री को स्थापित कर दिया जाता है
5. अब दीवार पर प्लास्टर होने व सूखने के पश्चात् फिश तार की सहायता से वायरिंग के ताम्बे अथवा एल्युमीनियम के तारों को कन्ड्यूट पाइपों में स्थापित कर दिया जाता है |
6. आवश्यक विधुत सहायक सामग्री (जैसे- स्विच, सॉकेट, बल्ब होल्डर, प्लग टॉप, सीलिंग रोज, फ्यूज, सर्किट ब्रेकर, बोर्ड शीट इत्यादि) लगा दी जाती है |
7. आवश्यक कनेक्शन कर दिए जाते हैं |
8. वायरिंग के आवश्यक परीक्षण किये जाते हैं (जिनका विवरण “वायरिंग के विभिन्न परीक्षण” नामक एक अन्य पोस्ट में किया गया है)
9. परीक्षण सफल होने के पश्चात् विधुत सप्लाई चालू कर दी जाती है |

कन्सील्ड / भूमिगत वायरिंग के गुण :-

1. इसकी उम्र लम्बी होती है |
2. बाहरी वातावरण, आग व बाहरी आघातों से वायरिंग सुरक्षित रहती है |
3. तार अधिक संख्या में लगाये जा सकते हैं |
4. मकान सुन्दर दिखता है |

 

कन्सील्ड / भूमिगत वायरिंग के अवगुण :-

1. इस वायरिंग का रखरखाव करना एक कठिन कार्य है |
2. दोष खोजना कठिन होता है |
3. स्थापना महंगी होती है |
4. वायरिंग में पानी भरने की स्थिति में पानी निकालना कठिन होता है |
5. भविष्य में वायरिंग का विस्तार करना कठिन होता है | 

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3. बैटन वायरिंग | Batten wiring

बैटन वायरिंग एक स्थाई वायरिंग है | एक लकड़ी की पट्टी पर तारों की स्थापना की जाती है जिसे बैटन कहते हैं | बैटन का उपयोग होने के कारण इसे बैटन वायरिंग कहते हैं | इस वायरिंग में CTS (Cab tyre sheathed) अथवा TRS (Tough rubber sheathed) केबल का उपयोग किया जाता था इसलिए इस वायरिंग को CTS अथवा TRS वायरिंग भी कहा जाता है, लेकिन इन केबलों के साथ-साथ अब इस वायरिंग का चलन भी बंद हो चूका है | बैटन की चोड़ाई तारों की संख्या के अनुसार ली जाती है | इसमें उपयोग होने वाले तार वातावरण रोधी (Weather proof) होने चाहियें, क्योंकि ये बैटन के ऊपर खुली अवस्था में होते हैं |

आवश्यक सामग्री-
1. बैटन
2. रावल प्लग अथवा लकड़ी की गिट्टी
3. बैटन पर लगने वाली ‘जॉइंट लिंक क्लिप’
4. स्विच बोर्ड व राउंड ब्लॉक
5. कील व पेंच
6. आवश्यक सहायक सामग्री जैसे- स्विच, सॉकेट, सूचक, होल्डर, सीलिंग रोज, फ्यूज इत्यादि |
7. तार

 वायरिंग करने की विधि- 
1. सर्वप्रथम वायरिंग का ले-आउट बनाया जाता है |
2. ले-आउट के अनुसार 60 से.मी. से 75 से.मी. की दूरी पर रावल प्लग अथवा लकड़ी की गिट्टी लगाईं जाती हैं |
3. लकड़ी की बैटन पर कीलों की सहायता से लिंक क्लिप लगाई जाती हैं |
4. बैटन को पेचों की सहायता से रावल-प्लग अथवा लकड़ी की गिट्टीयों पर लगा दिया जाता है |
5. बैटन पर लिंक क्लिपों की सहायता से तारों को स्थापित कर दिया जाता है |
6. राउंड ब्लॉक व स्विच बोर्ड को पेचों की सहायता से स्थापित कर दिया जाता है |
7. आवश्यक विधुत सहायक सामग्री (जैसे- स्विच, सॉकेट, बल्ब होल्डर, सीलिंग रोज, फ्यूज, सर्किट ब्रेकर, बोर्ड शीट इत्यादि) लगा दी जाती हैं |
8. आवश्यक कनेक्शन कर दिए जाते हैं |
9. वायरिंग के आवश्यक परीक्षण किये जाते हैं (जिनका विवरण “वायरिंग के विभिन्न परीक्षण” नामक एक अन्य पोस्ट में किया गया है)
10. परीक्षण सफल होने के पश्चात् विधुत सप्लाई चालू कर दी जाती है |

सावधानियां-
1. वायरिंग में आने वाले मोड़ों को समकोण में ना रखकर गोलाकार रखना चाहिए जिससे तार टूटने की सम्भावना ना रहे |
2. पेंचों को हथोड़ी से नहीं ठोकना चाहिए अपितु पेचकस से कसना चाहिए |
3. दीवार में से वायरिंग को आर-पार निकालते समय दीवार में कन्ड्यूट पाइप लगाने चाहियें |
4. बैटन और स्विच बोर्ड लगाकर वायरिंग पर एनेमल पेंट करना चाहिए |

बैटन वायरिंग के गुण :-

1. नमी में जंग लगने की सम्भावना नहीं होती |
2. सुन्दर लगती है |
3. सस्ती होती हैं |
4. वायरिंग खुली होने के कारण दोष खोजना आसान होता है |

बैटन वायरिंग के अवगुण :-

1. वायरिंग पर गंदगी अधिक जमती है जिसे साफ़ करना कठिन कार्य है |
2. तार अधिक लगता है, क्योंकि खुले में जोड़ नहीं दिए जाते |
3. आग से सुरक्षित नहीं होती |

 

4. लैड शीथ्ड वायरिंग | Lead sheathed wiring

लैड शीथ्ड वायरिंग एक स्थाई वायरिंग है | यह वायरिंग बैटन वायरिंग ही होती है लेकिन इसमें पी.वी.सी. कवर्ड तार के स्थान पर लैड कवर्ड पी.वी.सी. तार/केबल लगाया जाता है जिससे ये तार बाहरी आघातों से सुरक्षित रहता है तथा ‘लैड कवर’ अर्थिंग का कार्य भी करता है जिससे अलग से अर्थ तार डालने की आवश्यकता नहीं होती है | 

आवश्यक सामग्री- वायरिंग में केवल तार/केबल को छोड़कर अन्य सामग्री बैटन वायरिंग के समान ही प्रयोग की जाती है, जिसका विवरण बिंदु संख्या 3 में दिया गया है |

लैड शीथ्ड वायरिंग करने की विधि- लैड शीथ्ड वायरिंग करने की विधि बैटन वायरिंग के सामान ही है, जिसका विवरण बिंदु संख्या 3 में दिया गया है |

 

लैड शीथ्ड वायरिंग के गुण :-

1. लैड कवर्ड पी.वी.सी. तार/केबल लगाने के कारण ये बाहरी आघातों से सुरक्षित होती है |
2. तार/केबल आग से सुरक्षित होते हैं |
3. 
लैड कवर्ड पी.वी.सी. तार/केबल बाहरी वातावरण तथा नमी से सुरक्षित होते हैं |  

 

लैड शीथ्ड वायरिंग के अवगुण :-

1. लैड कवर्ड पी.वी.सी. तार/केबल महंगे होते हैं |
2. इसकी आयु कम होती है 
3. स्थापना के समय सावधानी की आवश्यकता होती है क्योंकि तार में तीक्ष्ण मोड़ देने पर टूटने की सम्भावना होती है |
4. रासायनिक पदार्थों से सुरक्षित नहीं है 
5. केवल निम्न वोल्टेज (250V तक) में ही उपयोगी है 

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5. केसिंग-केपिंग वायरिंग | Casing-caping wiring

केसिंग-केपिंग वायरिंग एक स्थाई वायरिंग है | केसिंग-केपिंग वायरिंग दो प्रकार की होती है :-
1. लकड़ी की केसिंग-केपिंग वायरिंग | Wooden Casing-caping wiring
2. पी.वी.सी. केसिंग-केपिंग वायरिंग | P.V.C. Casing-caping wiring

1. लकड़ी की केसिंग-केपिंग वायरिंग | Wooden Casing-caping wiring

केसिंग-केपिंग टीक/सागोन की लकड़ी से बनी होती है | केसिंग में तार स्थापित करने के लिए दो खांचे होते हैं तथा तारों को ढकने के लिए ऊपर से केपिंग लगा दी जाती है | 

लकड़ी की केसिंग-केपिंग वायरिंग का चलन वर्तमान में बंद हो चूका है, इसका स्थान PVC केसिंग-केपिंग वायरिंग ने ले लिया है |

आवश्यक सामग्री-

1. लकड़ी की केसिंग-केपिंग
2. रावल प्लग अथवा लकड़ी की गिट्टी
3. स्विच बोर्ड व राउंड ब्लॉक
4. आवश्यक सहायक सामग्री जैसे- स्विच, सॉकेट, सूचक, होल्डर, सीलिंग रोज, फ्यूज इत्यादि |
5. तार (20 SWG)
6. पेंच

वायरिंग करने की विधि- 
1. सर्वप्रथम वायरिंग का ले-आउट बनाया जाता है |
2. ले-आउट के अनुसार दीवार पर 60 से.मी. से 75 से.मी. की दूरी पर रावल प्लग अथवा लकड़ी की गिट्टी लगाईं जाती हैं |
3. केसिंग को पेचों की सहायता से रावल-प्लग अथवा लकड़ी की गिट्टीयों पर लगा दिया जाता है |
4. राउंड ब्लॉक व स्विच बोर्ड को पेचों की सहायता से स्थापित कर दिया जाता है |

5. केसिंग के खांचों में तारों को स्थापित कर दिया जाता है |
6. पेचों की सहायता से केसिंग के ऊपर केपिंग लगा दी जाती है |
7. आवश्यक विधुत सहायक सामग्री (जैसे- स्विच, सॉकेट, बल्ब होल्डर, सीलिंग रोज, फ्यूज, सर्किट ब्रेकर, बोर्ड शीट इत्यादि) लगा दी जाती है |
8. आवश्यक कनेक्शन कर दिए जाते हैं |
9. वायरिंग के आवश्यक परीक्षण किये जाते हैं (जिनका विवरण “वायरिंग के विभिन्न परीक्षण” नामक एक अन्य पोस्ट में किया गया है)
10. परीक्षण सफल होने के पश्चात् विधुत सप्लाई चालू कर दी जाती है |

लकड़ी की केसिंग-केपिंग वायरिंग के गुण :-

1. नमी में जंग लगने की सम्भावना नहीं होती |
2. सुन्दर लगती है |
3. न्यूट्रल व फेज तार अलग-अलग होने के कारण लघु-पथन (Short-circuit) होने की सम्भावना कम होती है 
4. केपिंग द्वारा तार ढके होने के कारण वायरिंग यांत्रिक चोटों से सुरक्षित होती है |

लकड़ी की केसिंग-केपिंग वायरिंग के अवगुण :-

1. वायरिंग में दोष खोजना थोड़ा कठिन कार्य होता है |
2. आग से सुरक्षित नहीं होती |

 

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2. पी.वी.सी. केसिंग-केपिंग वायरिंग | P.V.C. Casing-caping wiring

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पी.वी.सी. केसिंग-केपिंग वायरिंग एक स्थाई वायरिंग है | इस वायरिंग में नीचे केसिंग तथा उसके ऊपर केपिंग लगाई जाती है | केसिंग-केपिंग में केवल एक चौड़ा खांचा होता है तथा ये PVC की बनी होती हैं | तारों की संख्या के अनुसार केसिंग-केपिंग की माप का निर्धारण किया जाता है जो समान्यतः 20mmx35mm तथा 20mmx50mm की माप में आती हैं | खुली वायरिंग में ये वायरिंग सर्वाधिक की जाती है |

आवश्यक सामग्री-

1. पी.वी.सी. केसिंग-केपिंग
2. रावल प्लग
3. पी.वी.सी. के स्विच बोर्ड व राउंड ब्लॉक व बॉक्स इत्यादि
4. पी.वी.सी. के L जोड़, T जोड़, कार्नर जोड़ इत्यादि
5. आवश्यक सहायक सामग्री जैसे- स्विच, सॉकेट, सूचक, होल्डर, सीलिंग रोज, फ्यूज, परिपथ वियोजक (Circuit breaker) इत्यादि |
6. तार
7. पेंच

वायरिंग करने की विधि- 
1. सर्वप्रथम वायरिंग का ले-आउट बनाया जाता है |
2. ले-आउट के अनुसार रावल प्लग लगाये जाते हैं |
3. केसिंग को पेचों की सहायता से रावल-प्लगों पर कस दिया जाता है |
4. राउंड ब्लॉक व स्विच बोर्ड को पेचों की सहायता से स्थापित कर दिया जाता है |

5. केसिंग के खांचे में तारों को स्थापित कर दिया जाता है |
6. केसिंग के ऊपर केपिंग लगा दी जाती है (इसके लिए पेंच लगाने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि केसिंग-केपिंग में पहले से ही लॉक खांचे की व्यवस्था होती है |
7. आवश्यक विधुत सहायक सामग्री (जैसे- स्विच, सॉकेट, बल्ब होल्डर, सीलिंग रोज, फ्यूज, सर्किट ब्रेकर, बोर्ड शीट इत्यादि) लगा दी जाती हैं |
8. आवश्यक कनेक्शन कर दिए जाते हैं |
9. वायरिंग के आवश्यक परीक्षण किये जाते हैं (जिनका विवरण “वायरिंग के विभिन्न परीक्षण” नामक एक अन्य पोस्ट में किया गया है)
10. परीक्षण सफल होने के पश्चात् विधुत सप्लाई चालू कर दी जाती है |

पी.वी.सी. केसिंग-केपिंग वायरिंग के गुण :-

1. नमी में जंग लगने की सम्भावना नहीं होती |
2. सुन्दर लगती है |
4. केपिंग द्वारा तार ढके होने के कारण वायरिंग यांत्रिक चोटों से सुरक्षित होती है |
4. केपिंग में पेंच लगाने की आवश्यकता नहीं होती इसलिए केपिंग हटाकर निरिक्षण करना भी आसान होता है |

पी.वी.सी. केसिंग-केपिंग वायरिंग के अवगुण :-

1. इसकी आयु कम होती है 
2. बाहरी आग से सुरक्षित नहीं होती |
3. लघु पथन से आग लगने की सम्भावना अधिक होती है |

 

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6. फ्लेक्सिबल केबल वायरिंग | Flexible cable wiring

फ्लेक्सिबल केबल वायरिंग एक अस्थाई (Temporary) वायरिंग है | ये वायरिंग थोड़े समय के लिए की जाती है जैसे किसी मैले, उत्सव, त्यौहार, समारोह आदि के लिए | कुछ समय बाद आवश्यकता ख़त्म होने के बाद इस वायरिंग को हटा दिया जाता है | इस वायरिंग में किसी भी फ्लेक्सिबल केबल/तार का उपयोग किया जाता है | इसमें मेन स्विच व फ्यूज के बाद केबल को दीवारों पर सीधे ही कीलों व हुकों की सहायता से स्थापित कर दिया जाता है |

इस वायरिंग में ट्री प्रणाली का उपयोग किया जाता है जिसमे कहीं भी आवश्यकता होने पर तार को काटकर उसमे शाखा बनाकर अन्य तार जोड़कर पी.वी.सी. टेप लगा दी जाती है | इस वायरिंग में फ्लेक्सिबल केबल, बैड स्विच, तथा पेंडेंट होल्डर इत्यादि का प्रयोग किया जाता है | 

फ्लेक्सिबल केबल वायरिंग के गुण :-

1. वायरिंग खुली होने के कारण इसमें दोष खोजना आसान होता हैं |
2. सस्ती होती है |
3. शीघ्रता से की जा सकती है |
4. वायरिंग में आसानी से परिवर्तन किये जा सकते हैं |

फ्लेक्सिबल केबल वायरिंग के अवगुण :-

1. वायरिंग खुली होने के कारण बाहरी वातावरण, जल, अग्नि इत्यादि से सुरक्षित नहीं होती है |
2. वायरिंग पर गंदगी जमती है |
3. देखने में भद्दी लगती है |

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7. क्लीट वायरिंग | Cleat wiring

क्लीट वायरिंग एक अस्थाई (Temporary) वायरिंग है | चीनी-मिटटी की बनी क्लीट लगाने के कारण ये क्लीट वायरिंग कहलाती है | तारों की स्थापना के लिए क्लीट में 2 या 3 खांचे बने होते हैं तथा ये दो भागों में बनी होती है, नीचे वाले भाग पर तार लगाने के बाद ऊपरी भाग को लगाकर पेंच से दीवार पर कस दिया जाता है | इस वायरिंग में V.I.R अथवा P.V.C तार का प्रयोग किया जाता है |

आवश्यक सामग्री-
1. चीनी-मिटटी की क्लीट
2. रावल प्लग
3. आवश्यक सहायक सामग्री जैसे- स्विच बोर्ड, स्विच, सॉकेट, सूचक, होल्डर, सीलिंग रोज, फ्यूज, परिपथ वियोजक (Circuit breaker) इत्यादि |
4. तार
5. पेंच

 वायरिंग करने की विधि- 
1. सर्वप्रथम दीवार में रावल-प्लग लगाये जाते हैं |
2. तारों में क्लीट फंसाकर क्लीटों को पेंचों की सहायता से कस दिया जाता है |
3. बोर्ड लगाकर उनमे स्विच, सॉकेट इत्यादि लगा दिए जाते हैं |
4. होल्डर, सीलिंग रोज इत्यादि लगाकर कनेक्शन कर दिए जाते हैं |
5. ततपश्चात् विधुत सप्लाई चालू कर दी जाती है |

क्लीट वायरिंग के गुण :-

1. वायरिंग खुली होने के कारण इसमें दोष खोजना आसान होता हैं |
2. सस्ती होती है |
3. शीघ्रता से की जा सकती है |
4. वायरिंग में आसानी से परिवर्तन किये जा सकते हैं |

क्लीट वायरिंग के अवगुण :-

1. वायरिंग खुली होने के बाहरी वातावरण, जल, अग्नि इत्यादि से सुरक्षित नहीं होती है |
2. वायरिंग पर गंदगी जमती है |
3. देखने में भद्दी लगती है |

 

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स्थाई व अस्थाई वायरिंग में अंतर :-

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स्थाई वायरिंग (Permanent wiring) – स्थाई वायरिंग वह वायरिंग होती है जिसे घरों, दुकारों व उधोगों इत्यादि में स्थाई रूप से किया जाता है | इस प्रकार की वायरिंग को बार-बार हटाया नहीं जाता तथा इसकी उम्र ईमारत की उम्र के लगभग बराबर होती है |

बिंदु संख्या 1 से 5 में वर्णित कन्ड्यूट वायरिंग, कन्सील्ड वायरिंग, बैटन वायरिंग, लैड शीथ्ड वायरिंग व केसिंग-केपिंग वायरिंग स्थाई वायरिंग हैं |

अस्थाई वायरिंग (Temporary wiring)- अस्थाई वायरिंग वह वायरिंग होती है जिसे मेले, उत्सव, समारोह इत्यादि में अस्थाई रूप से किया जाता है | आवश्यकता ना होने पर इस वायरिंग को हटा लिया जाता है |

बिंदु संख्या 6 व 7 में वर्णित फ्लेक्सिबल केबल वायरिंग व क्लीट वायरिंग अस्थाई वायरिंग हैं |

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विधुत वायरिंग करने के लिए तथा वायरिंग करने के बाद हमें कुछ सामग्री की आवश्यकता पड़ती है जो निम्न हैं :-

  1.  तार व केबल | Wire and cables
  2. (a) स्विच | Switch (b). बनावट के आधार पर स्विच | switch based on texture
  3. सॉकेट | Socket
  4. सूचक | Indicator
  5. बल्ब होल्डर | Lamp holder
  6. प्लग टॉप | Plug top
  7. सर्किट ब्रेकर/ परिपथ वियोजक | circuit breaker
  8. सीलिंग रोज | Ceiling rose
  9. पंखे का रेगुलेटर | Fan regulator
  10. फ्यूज | Fuse
  11. लग्स | Lugs
  12. एडॉप्टर | Adopter
  13. बोर्ड व बोर्ड शीट | Board and board sheet
  14. लकड़ी की गिट्टी | Wooden plugs
  15. रावल प्लग | Rawal plug
  16. कील व पेंच | Anvil and Screw
  17. लोहे अथवा PVC के बॉक्स | Iron or PVC box
  18. केसिंग–केपिंग Casing-caping
  19. कन्ड्यूट फिटिंग | Conduit fitting 
  20. वितरण बॉक्स | Distribution box

1. तार व केबल | Wire and cables

वैधुतिक वायरिंग करने के लिए फेज व न्यूट्रल के लिए तांबे अथवा एल्युमीनियम का तार प्रयोग किया जाता है तथा अर्थ के लिए तांबे, एल्युमीनियम अथवा GI का तार प्रयोग किया जाता है | वायरिंग के लिए हमें वैदरप्रूफ, फ्लेक्सिबल व उचित क्षमतानुसार तार का प्रयोग करना चाहिए | हालाँकि ठोस तार भी बाजार में उपलब्ध होते हैं लेकिन आजकल इनका उपयोग नहीं किया जाता है |

सामान्यतः वायरिंग में तांबे का इंसुलेटेड फ्लेक्सिबल तार प्रयोग किया जाता है लेकिन कभी-कभी वायरिंग को सस्ता करने के लिए एल्युमीनियम का तार भी प्रयोग किया जाता है |

अर्थ के लिए नंगा अथवा इंसुलेटेड तांबे अथवा GI का तार प्रयोग किया जाता है |

एक फेज वायरिंग में हमें फेज में लाल रंग की तार, न्यूट्रल में काले रंग की तार तथा अर्थ में हरे रंग की तार का प्रयोग करना चाहिए |
तीन फेज वायरिंग में हमें फेज में लाल,पीले व नीले (RYB) रंग की तार, न्यूट्रल में काले रंग की तार तथा अर्थ में हरे रंग की तार का प्रयोग करना चाहिए |

जहां वायरिंग को खुला रखना हो वहां तार के स्थान पर केबल का प्रयोग किया जाता है | जैसे विधुत विभाग द्वारा लगाये गए खम्बे से ऊर्जा मीटर तक तार ना लगाकर केबल लगाई जाती है | एक फेज कनेक्शन के लिए 2 कोर केबल तथा तीन फेज कनेक्शन के लिए 4 कोर केबल का प्रयोग किया जाता है | 

Wires & cables

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

2 (a) स्विच | Switch

विधुत सप्लाई को चालू या बंद (On or Off) करने के लिए स्विच का प्रयोग किया जाता है | अर्थात विधुत धारा के नियंत्रण के लिए स्विच का प्रयोग किया जाता है | नीचे कार्य के अनुसार स्विच का विवरण दिया गया है तथा अगले बिंदु में बनावट के आधार पर भी स्विच का विवरण दिया गया है |

विधुत वायरिंग में स्विच का एक अहम् रोल होता है अतः हमें अच्छी गुणवत्ता के स्विच का प्रयोग करना चाहिए अन्यथा बार-बार चालू बंद करने पर स्पर्किंग करने की स्थिति में स्विच जल जाता है अथवा ख़राब हो जाता है | अतः स्विच की यह विशेषता भी होनी चाहिए की वह बिना स्पर्किंग के विधुत चालू/बंद कर सके |

निम्न बिन्दुओं में वायरिंग में काम आने वाले स्विचों को वर्गीकृत किया गया है :-

A. एक पोल स्विच | Single pole switch

एक पोल स्विच घरेलु अथवा व्यवसायिक वायरिंग में सबसे अधिक उपयोग होने वाला स्विच है | एक पोल स्विच दो प्रकार के होते हैं- एक पथ तथा द्वि पथ स्विच (One-way and two-way switch) जो ऊपर से देखने में एक जैसे लगते हैं लेकिन इनकी आंतरिक बनावट अलग-अलग होती है | जिनका विवरण निम्न प्रकार है :-

 
 
Single pole switch

i. एक पोल एक पथ स्विच | Single pole one way switch

एक पोल एक पथ स्विच (Single pole one way switch) घरेलु अथवा व्यवसायिक वायरिंग में सबसे अधिक उपयोग होने वाला स्विच है तथा यह सबसे सरल प्रकार का स्विच है |  इसका उपयोग पंखे, ट्यूब-लाइट, लैम्प, सॉकेट व अन्य उपकरणों को चालू-बंद करने के लिए किया जाता है | यह 2 संयोजक बिंदु वाला स्विच है |

बनावट के आधार पर ये स्विच “फ्लश प्रकार”, “टोगल” व “टंबलर”  आदि प्रकार के होते है लेकिन वर्तमान में अधिकतर फ्लश प्रकार के स्विच का प्रचलन है |

 

ii. एक पोल द्वि पथ स्विच | Single pole two way switch

यह ऊपर से दिखने में एक पोल एक पथ स्विच के जैसा ही होता है लेकिन इसमें 3 संयोजक बिंदु होते हैं | इसे एक तरफ दबाने पर एक परिपथ चालु हो जाता है तथा दूसरी तरफ दबाने पर दूसरा परिपथ चालू हो जाता है अतः 2 पथ होने के कारण इसे द्वि-पथ स्विच कहते हैं | यह स्विच अधिकतर सीढ़ियों के 1 लैम्प को 2 या 2 से अधिक स्थानों से नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है | 

यह स्विच भी बनावट के आधार पर “फ्लश प्रकार”, “टोगल” व “टंबलर”  आदि प्रकार का होता है लेकिन वर्तमान में अधिकतर फ्लश प्रकार के स्विच का प्रचलन है |

B. इंटरमीडिएट स्विच | Intermediate switch

यह 4 बिंदु वाला स्विच होता है | इसे एक तरफ दबाने पर 2-2 बिंदु सीधे जुड़ जाते हैं तथा दूसरी तरफ दबाने पर 2-2 बिंदु क्रॉस में जुड़ जाते हैं | इस स्विच को सीढ़ियों में लगे लैम्प को 2 से अधिक स्थानों से नियंत्रिक करने के लिए द्वि-पथ (2-way) स्विच के साथ लगाया जाता है |

इस स्विच का उपयोग अन्य विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में भी किया जाता है | डायग्राम निम्न प्रकार है :-

 
intermediate switch ITIWALE

C. आयरन क्लैड स्विच | Iron clad switch

साधारणतः आयरन क्लैड स्विच का उपयोग मेन स्विच के रूप में किया जाता है | इनका बॉक्स लोहे का बना होने के कारण इनको आयरन क्लैड स्विच कहा जाता है | ये स्विच दो पथ प्रकार के भी बनाये जाते हैं | घरेलु वायरिंग में निम्न दो तरह के आयरन क्लैड स्विचों का उपयोग किया जाता है :-

1.    2 पोल आयरन क्लैड स्विच
2.    3 पोल आयरन क्लैड स्विच

आयरन क्लैड स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

 
 
Iron clad switch

i. दो पोल आयरन क्लैड स्विच | Double pole iron clad switch (ICDP)

2 पोल आयरन क्लैड स्विच का उपयोग एक फेज सप्लाई के नियंत्रण में किया जाता है | एक पोल से फेज व एक पोल से न्यूट्रल का नियंत्रण किया जाता है | इसमें दिए गए एक हैंडल से दोनों स्विचों को एक साथ चालू/बंद किया जाता है | इसमें दो स्विचों के साथ सुरक्षा के लिए दो फ्यूज भी दिए होते हैं | बॉक्स के बाहर की तरफ एक अर्थ बिंदु होता है जिसे आवश्यक रूप से अर्थ करना चाहिए | 

ये स्विच 15A से 200A व 250V से 660V तक बनाये जाते हैं |

 

ii. तीन पोल आयरन क्लैड स्विच | Three pole iron clad switch (ICTP)

3 पोल आयरन क्लैड स्विच का उपयोग 3 फेज सप्लाई के नियंत्रण में किया जाता है | इसमें दिए गए एक हैंडल से तीनों स्विचों को एक साथ चालू/बंद किया जाता है | इसमें स्विचों के साथ सुरक्षा के लिए 3 फ्यूज भी दिए होते हैं व न्यूट्रल के लिए एक लिंक दिया होता है | बॉक्स के बाहर की तरफ एक अर्थ बिंदु होता है जिसे आवश्यक रूप से अर्थ करना चाहिए | 

ये स्विच 30A से 400A व 440V से 1100V तक बनाये जाते हैं |

 

D. नाइफ स्विच | Knife switch

अधिक धारा के प्रवाह को चालू-बंद करने के लिए नाइफ स्विच का उपयोग किया जाता है इसलिए यह अक्सर विधुत उप केन्द्रों में लगाया जाता है | इस स्विच पर प्रतिरोधक आवरण नहीं होता है तथा चाकू जैसा दिखने के कारण इसे नाइफ स्विच कहा जाता है | ये स्विच एक पथ (One way) व दो पथ (Two way) प्रकार के तथा दो पोल व तीन पोल के बनाये जाते हैं |

ये स्विच 30A से 1000A व 250V से 1100V तक बनाये जाते हैं |

नाइफ स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

knife switch

E. पुश बटन स्विच | Push button switch

इस स्विच के निर्माण के समय एक स्प्रिंग इस प्रकार लगाईं जाती है कि इसे दबाने पर परिपथ On हो जाता है तथा स्विच को छोड़ने पर परिपथ Off हो जाता है | इस स्विच का उपयोग ऐसे परिपथों में किया जाता है जिनमे अस्थाई रूप से विधुत धारा चालू करनी हो, जैसे घंटी (Door bell) व बजर इत्यादि का स्विच |

ये स्विच निम्न 2 प्रकार के होते है :-

1. Push to on switch (दबाने पर ऑन होने वाला स्विच)
2. Push to off switch (दबाने पर ऑफ होने वाला स्विच)

साधारणतया घंटी व बजर आदि में Push to on स्विच का उपयोग किया जाता है | विभिन्न प्रकार की मशीनों में Push to off स्विच का उपयोग भी किया जाता है, जैसे मोटर का स्टार्टर |

पुश बटन स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

 
 
Push button switch
Push botton switch

F. सीलिंग स्विच | Ceiling switch

सीलिंग स्विच एक खींचने वाला स्विच है | इसकी बनावट ऐसी होती है जिससे इसे एक बार खींचने पर यह ऑन हो जाता है तथा दूसरी बार खींचने पर ऑफ हो जाता है | इस स्विच को छत पर लगाया जाता है तथा इससे एक रस्सीनुमा लीवर लटका रहता है जिसे खींचा जाता है |

इसका उपयोग छत के पंखों, झूमर व सजावटी रौशनी इत्यादि में किया जाता है | 

G. बैड स्विच | Bed switch

बैड स्विच सीलिंग स्विच से मिलता-जुलता स्विच है | यह फ्लश प्रकार का स्विच होता है लेकिन इसके संयोजक बिन्दुओं के पीछे ढक्कन लगा होता है जिससे इसे बोर्ड में लगाने की आवश्यकता नहीं होती | इसे सीधे ही तार में लगा दिया जाता है |

इस स्विच का उपयोग अस्थाई वायरिंग, बैड लाइट इत्यादि में किया जाता है |

बैड स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

Bed switch

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

2 (b) बनावट के आधार पर स्विच | switches based on texture

A. फ्लश प्रकार स्विच |Flush type switch

फ्लश प्रकार स्विच सबसे साधारण प्रकार का स्विच है | घरेलु तथा औधोगिक वायरिंग में इसका उपयोग सबसे अधिक किया जाता है | यह बोर्ड में कसा जाने वाला स्विच है जिसका दबाने वाला बटन बोर्ड से बाहर निकला रहता है तथा संयोजक बिंदु बोर्ड के अन्दर रहते हैं | यह स्विच “एक पोल एक पथ” व “दो पोल दो पथ” प्रकार का होता है |

 फ्लश स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-
Flush switch

B. टोगल स्विच | Toggle switch

टोगल प्रकार स्विच का उपयोग औधोगिक वायरिंग में तथा इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में किया जाता है | यह बोर्ड में कसा जाने वाला स्विच है | इसमें एक लीवर होता है जो बोर्ड से बाहर निकला रहता है तथा संयोजक बिंदु बोर्ड के अन्दर रहते हैं | यह स्विच “एक पोल एक पथ” व “दो पोल दो पथ” व अन्य विभिन्न पोल व पथों के भी बनाये जाते हैं |

टोगल स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

Toggle switch

C. टंबलर स्विच | Tumbler switch

यह बैकेलाइट से बना स्विच होता था लेकिन इसका प्रचलन अब लगभग बंद हो चूका है | टंबलर स्विच का स्थान अब फ्लश स्विच ने ले लिया है | इस स्विच को लकड़ी के बोर्ड के ऊपर लगाया जाता था | यह स्विच एक-पथ तथा दो-पथ प्रकार का होता था |

टंबलर स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

 
tumbler switch

D. घूमने वाला स्विच | Rotary switch

रोटरी स्विच साधारणतः बोर्ड के अन्दर कसा जाता है लेकिन इसकी घूमने वाली नोब बोर्ड के बाहर निकली रहती है | इसमें एक शाफ़्ट लगी होती है जो नोब को घुमाने पर घूमती है | यह स्विच दो बिंदु से अनेकों संयोजन बिन्दुओं वाला हो सकता है | यह स्विच एक पोल से अनेक पोल तथा एक पथ से अनेकों पथ वाला हो सकता है | 

इस स्विच का उपयोग पंखे के गति परिवर्तन करने, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में, ट्रांसफार्मर के वोल्टेज परिवर्तन करने तथा अन्य विभिन्न प्रकार की मशीनों में किया जाता है :-

रोटरी स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

 
 
 
Rotary switch ITIWALE

E. सरकने वाला स्विच | Sliding switch

यह स्विच अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में उपयोग लिया जाता है तथा बोर्ड पर लगाने पर इसे बोर्ड की सतह के अन्दर लगाया जाता है | इसमें एक नॉब लगी होती है जिसे हाथ से पकड़कर सरकाया जाता है | यह स्विच भी एक पोल से अनेक पोल तथा एक पथ से अनेकों पथ वाला हो सकता है | 

स्लाइडिंग स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :- 

 
slide switch
itiale.in

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

3. सॉकेट | Socket

A. दो पिन सॉकेट | Two pin socket

2 पिन सॉकेट का उपयोग केवल निम्न वोल्टेज के लिए ही किया जाता है | इस सॉकेट में केवल 2 पिन प्लग ही लगाया जा सकता है अर्थात इसमें अर्थ बिंदु नहीं होता है इसलिए जहां अर्थ आवश्यक हो वहां इसका उपयोग नहीं करना चाहिए | इस सॉकेट को 5A, 250V तक की क्षमता का ही बनाया जाता है | 

 

B. तीन पिन सॉकेट | 3-pin socket (5A)

3 पिन सॉकेट का उपयोग भी निम्न वोल्टेज के लिए किया जाता है | इस सॉकेट में 3 पिन अथवा 2 पिन प्लग लगाया जा सकता है | इसमें फेज, न्यूट्रल व अर्थ बिंदु होते हैं इसलिए इसका उपयोग करना सुरक्षित होता है | विधुत अधिनियम के अंतर्गत भी वायरिंग में 3 पिन अथवा 5 पिन सॉकेट का उपयोग करना चाहिए जिसका अर्थ बिंदु अर्थ किया हुआ होना चाहिए | यह 5A क्षमता के लिए बनाया जाता है |

इस सॉकेट का दांया बिंदु फेज से, बांया बिंदु न्यूट्रल से तथा ऊपरी मोटा बिंदु अर्थ से जोड़ना चाहिए |

 

C. तीन पिन सॉकेट | 3-pin socket (15A)

तीन पिन अथवा पांच पिन 15A सॉकेट भी ऊपर बताये गए 5A सॉकेट के समान ही होता है केवल इसका आकार बड़ा होता है तथा पिन मोटी होती हैं |

ऊपर बताये गए तीनों सॉकेटों के चित्र निम्न प्रकार हैं :-

 
Socket

D. स्विच के साथ सॉकेट | Socket with switch (5A)

ये स्विच और सॉकेट के एक जोड़े के रूप में होता है तथा ये 5A तथा 15A दो प्रकार के बनाये जाते हैं | इसकी पिनों के कनेक्शन भी ऊपर बताये गए तीन पिन सॉकेट के समान ही किये जाते हैं |

इसका नुकसान केवल यह होता है कि इसमें स्विच अथवा सॉकेट में से किसी एक के ख़राब होने पर पूरा जोड़ा (Set) ही बदलना पड़ता है |

चित्र निम्न प्रकार है :-

 
switch socket ITIWALE

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

4. सूचक | Indicator

यह एक छोटी लाइट होती है लेकिन इसका उद्देश्य रौशनी करना नहीं होता है, इसका उद्देश्य विधुत सप्लाई की उपस्थिति बताना होता है | इसे एक फेज से जलने के लिए बनाया जाता है | इसमें न्यूट्रल व फेज सप्लाई दी जाती है |

सूचक (Indicator) का चित्र निम्न प्रकार है :-

 
Indicator

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

 

5. बल्ब होल्डर | Lamp holder

विधुत वायरिंग में बल्ब को आधार तथा संयोजन प्रदान करने के लिए बल्ब होल्डर अथवा लैम्प होल्डर का उपयोग किया जाता है | पूर्व में बल्ब होल्डर का निर्माण धातु से किया जाता था लेकिन वर्तमान में बैकेलाइट से होल्डरों का निर्माण किया जाता है तथा इनमे पीतल की पिन लगाईं जाती हैं | 

क्षमता के आधार पर 4 प्रकार के लैम्प होल्डर होते हैं :-

A. बायोनेट कैप बल्ब होल्डर | Bayonet cap lamp honder
B. स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Screw type lamp honder
C. एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Edison screw type lamp honder
D. गोलिएथ एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Goliath edison Screw type lamp honder 

A. बायोनेट कैप बल्ब होल्डर | Bayonet cap lamp honder

इस होल्डर में दो पीतल की पिन होती हैं जिनमे स्प्रिंग लगी होती हैं तथा होल्डर में ऊपर के किनारे पर लगी रिंग में दो खांचे कटे होते हैं | बल्ब को होल्डर में लगाते समय बल्ब की दोनों पिनों को होल्डर के खांचों में बैठाकर, बल्ब को थोडा दबाया जाता है तथा थोडा सा घडी की दिशा में घुमाकर छोड़ दिया जाता है जिससे बल्ब होल्डर में फिक्स हो जाता है तथा बल्ब के संयोजक बिंदु होल्डर की दोनों पिनों को स्पर्श कर लेते हैं |

इस प्रकार के होल्डर में लगाये जाने वाले लैम्प में लगी कैप को बायोनेट कैप कहा जाता है इसलिए इस होल्डर को बायोनेट कैप लैम्प होल्डर कहा जाता है |

BIS-732 के अनुसार बायोनेट कैप बल्ब होल्डर का उपयोग केवल 200 वाट तक के बल्ब के लिए ही किया जाना चाहिए |

बायोनेट कैप लैम्प होल्डर निम्न 5 प्रकार के होते हैं :-

i. बैटन होल्डर | Batten holder
ii. एंगल होल्डर | Angle holder
iii. ब्रेकेट होल्डर | Bracket holder
iv. पेंडेंट होल्डर | Pendant holder
v. कोणीय विस्थापन होल्डर | Angular displacement holder

Bayonet cap lamp honders

i. बैटन होल्डर | Batten holder

बैटन होल्डर एक साधारण प्रकार का लैम्प होल्डर है | इसे सीधे ही छत पर या लकड़ी के बोर्ड पर लगाया जाता है | दीवार पर लगाने पर यह दीवार से 90° पर स्थित होता है |

ii. एंगल होल्डर | Angle holder

एंगल होल्डर भी लगभग बैटन होल्डर के समान ही होता है लेकिन यह थोडा झुका हुआ होता है जिससे इसे दीवार पर लगाने पर लैम्प भी झुका हुआ लगता है | घरेलु वायरिंग में अधिकतर इस प्रकार के होल्डर का उपयोग किया जाता है |

iii. ब्रेकेट होल्डर | Bracket holder

ब्रेकेट होल्डर एक विशेष प्रकार का होल्डर है | इसमें एक छोटे पाइप का प्रयोग करके इस प्रकार बनाया जाता है जिससे इसमें लगने वाला लैम्प दीवार अथवा बोर्ड से कुछ दूरी पर रहे | इसमें लगने वाले पाइप को सीधा, मुड़ा हुआ अथवा अन्य बनावट में बनाया जाता है |

 

iv. पेंडेंट होल्डर | Pendant holder

पेंडेंट होल्डर भी बैटन होल्डर के समान होता है लेकिन इसमें पीछे की तरफ संयोजकों के ऊपर एक ढक्कन लगा हुआ होता है जिसमे तार को निकालने के लिए एक छेद होता है | इस होल्डर का उपयोग अस्थाई वायरिंग में तथा जहां लैम्प को लटकाना हो वहां किया जाता है |

v. कोणीय विस्थापन होल्डर | Angular displacement holder

कोणीय विस्थापन (Angular displacement) होल्डर को इस प्रकार बनाया जाता है जिससे इसके उपरी सिरे को रौशनी की आवश्यकता के अनुसार घुमाया जा सकता है |

B. स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Screw type lamp honder

Screw type lamp holder

स्क्रू अथवा पेंच प्रकार बल्ब होल्डर फैंसी लाइट, टॉर्च इत्यादि में प्रयोग किये जाते हैं | ये आकार में छोटे होते हैं | इस होल्डर की रिंग जिसमे बल्ब को घुमाकर स्थापित किया जाता है न्यूट्रल से जुडी होती है तथा एक छोटा मध्य बिंदु फेज से जुड़ा होता है | चित्र ऊपर दिया गया है :-

C. एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Edison screw type lamp honder

एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर का उपयोग 200 वाट से अधिक के बल्ब को लगाने के लिए किया जाता है | इस होल्डर में सामान्यतः मरकरी अथवा सोडियम लैंप लगाये जाते हैं | इस होल्डर की चूड़ी कटी हुई रिंग में होल्डर को घुमाकर स्थापित किया जाता है, यह रिंग न्यूट्रल बिंदु का कार्य करती है तथा एक मध्य बिंदु होता है जो फेज बिंदु का कार्य करता है | 

D. गोलिएथ एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Goliath edison Screw type lamp honder

गोलिएथ एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर का उपयोग 300 वाट से अधिक के बल्ब को लगाने के लिए किया जाता है | इस होल्डर में भी सामान्यतः मरकरी अथवा सोडियम लैंप लगाये जाते हैं | इस होल्डर का ऊपरी आवरण पोर्सिलेन का बना होता है क्योंकि अधिक वाट के लैंप के कारण यह अधिक गर्म होता है | इस होल्डर की चूड़ी कटी हुई रिंग में होल्डर को घुमाकर स्थापित किया जाता है, यह रिंग न्यूट्रल बिंदु का कार्य करती है तथा एक मध्य बिंदु होता है जो फेज बिंदु का कार्य करता है | 

नोट- LED बल्ब आने के बाद उपरोक्त दोनों प्रकार (एडिसन स्क्रू प्रकार तथा गोलिएथ एडिसन स्क्रू प्रकार) के होल्डरों का उपयोग बहुत कम हो गया है |

Edison screw type Goliath edison Screw type lamp honder

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

6. प्लग टॉप | Plug top

plug top ITIWALE

प्लग टॉप (Plug top) का उपयोग पोर्टेबल वैधुतिक उपकरणों को विधुत स्त्रोत से जोड़ने के लिए किया जाता है | प्लग टॉप PVC अथवा बैकेलाइट से बनाये जाते हैं | 

प्लग टॉप निम्न प्रकार के होते हैं :- 
A. दो पिन प्लग टॉप | Two pin plug top
B. तीन पिन प्लग टॉप | Three pin plug top (5A)
C. तीन पिन प्लग टॉप | Three pin plug top (15A)
D. अन्य विशेष प्रकार के प्लग टॉप | Other special types of plug top

A. दो पिन प्लग टॉप | Two pin plug top

जैसा कि इसके नाम से स्पस्ट है, इसमें दो पिन होती हैं जिनसे न्यूट्रल तथा फेज को जोड़ा जाता है | इसका उपयोग उन छोटे वैधुतिक उपकरणों को विधुत स्त्रोत से जोड़ने के लिए किया जाता है जिनमे अर्थ की आवश्यकता नहीं होती है | सामान्यतः ये प्लग-टॉप 5A, 250V क्षमता के बनाये जाते हैं |

B. तीन पिन प्लग टॉप | Three pin plug top (5A)

इसमें 3 पिन होती हैं जिनसे न्यूट्रल, फेज तथा अर्थ को जोड़ा जाता है | इसका उपयोग उन छोटे वैधुतिक उपकरणों को विधुत स्त्रोत से जोड़ने के लिए किया जाता है जिनमे अर्थ की आवश्यकता भी होती है | ये प्लग-टॉप 5A, 250V क्षमता के बनाये जाते हैं | इस प्लग-टॉप में फेज व न्यूट्रल की पिन समान आकार की होती हैं तथा अर्थ पिन मोटे आकार की तथा बड़ी होती है | 

प्लग-टॉप को सोकिट में लगाते समय फेज पिन दायीं तरफ, न्यूट्रल पिन बांई तरफ तथा अर्थ पिन ऊपर की तरफ होती है | फेज (L) से लाल तार, न्यूट्रल (N) से काला तार तथा अर्थ (E) से हरा तार जोड़ना चाहिए |

अर्थ पिन के मोटी तथा बड़ी होने का कारण- उपकरण की बॉडी अर्थ होने पर अर्थ में से अधिक धारा बहती है जिससे पिन के जलने की सम्भावना के कारण पिन मोटी होती है |
तथा प्लग-टॉप को सोकिट में लगाते समय सबसे पहले अर्थ को कनेक्ट होना चाहिए इसलिए अर्थ पिन बड़ी होती है  जिससे उपकरण पहले से ही अर्थ होने की स्थिति में उपयोगकर्ता को विधुत झटका लगने की सम्भावना नहीं रहती है |

C. तीन पिन प्लग टॉप | Three pin plug top (15A)

ये प्लग-टॉप भी उपर दिए गए 5A वाले तीन पिन प्लग टॉप के समान ही होता है केवल इसकी पिन मोटी होती हैं क्योंकि इसकी धारा वहन क्षमता अधिक होती है | इसकी क्षमता 15A, 250V होती है |

इसका अन्य विवरण तीन पिन प्लग टॉप-5A के समान ही है |

D. अन्य विशेष प्रकार के प्लग टॉप | Other special types of plug top

उपरोक्त के अलावा अन्य कई प्रकार के प्लग-टॉप भी होते हैं | जैसे कई प्लग-टॉप को एक ही सॉकेट में लगाने ले लिए मल्टी-पिन प्लग-टॉप काम में लिया जाता है | 15A से अधिक क्षमता के लिए भी विशेष प्रकार के प्लग-टॉप बनाये जाते हैं |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

7. सर्किट ब्रेकर/ परिपथ वियोजक | circuit breaker

परिपथ को ओवर करंट, लघु परिपथ अथवा अन्य विभिन्न प्रकार के दोषों से बचाने के लिए परिपथ में परिपथ वियोजक (Circuit breaker) लगाया जाता है

परिपथ वियोजक (Circuit breaker) एक स्वचालित वैधुतिक युक्ति है, जो वैधुतिक परिपथो में दोष आने पर धारा को अचानक से रोककर परिपथ को सुरक्षा प्रदान करता है। 

घरेलु अथवा व्यावसायिक वायरिंग में मुख्वयतः  निम्न तीन प्रकार के परिपथ वियोजक (Circuit breaker) प्रयोग किये जाते हैं | अन्य विभिन्न प्रकार के परिपथ वियोजक भी वैधुतिक तंत्र में प्रयोग किये जाते हैं जिनका विवरण यहां नहीं किया गया है |

A. MCB- मिनीएचर सर्किट ब्रेकर | Miniature circuit breaker
B. MCCB- मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर | Molded case circuit breaker
C. ELCB- अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर | Earth leakage circuit breaker

A. MCB- मिनीएचर सर्किट ब्रेकर | Miniature circuit breaker

MCB

मिनिऐचर सर्किट ब्रेकर (Miniature Circuit Breaker) को छोटे रूप से M.C.B. कहा जाता है। मुख्यतः घरेलू व व्यावसायिक वायरिंग में फ्यूज के स्थान पर  MCB का उपयोग किया जाता है | फ्यूज उड़ने पर उसे बदनले की आवश्यकता होती है तथा फ्यूज बदलने पर एक गलत मान (रेटिंग) का फ्यूज लगने की भी सम्भावना होती है जिससे परिपथ पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं रहता, इसलिए आजकल परिपथों में MCB का प्रयोग किया जाता है क्योंकि MCB ट्रिप होने पर उसकी नोब को केवल ऊपर करके चालू कर दिया जाता है तथा एक बार MCB लगाने के बाद बार-बार उसकी रेटिंग बदलने की संभावना भी नहीं होती जिससे परिपथ सुरक्षित रहता है | 

कार्यप्रणाली (Operation)- MCB मुख्यतः 3 प्रकार की होती है- थर्मल मैग्नेटिक, असिस्टेड बाईमेटल व मैग्नेटिक हाइड्रॉलिक | MCB एक साधारण स्विच के समान ही होती है लेकिन इसमें स्विच के साथ-साथ एक इस प्रकार का तंत्र भी लगा दिया जाता है जिससे इससे जुड़े परिपथ में ओवर करंट अथवा लघु परिपथ दोष आने पर यह स्वचालित रूप से परिपथ की विधुत सप्लाई को बंद कर देता है | 

इसमें एक चुम्बकीय रिले लगी हुई होती है जो निर्धारित मान से अधिक धारा बहने पर परिपथ को विसंयोजित कर देती है तथा इसके साथ ही बाहर की और लगी हुई एक नॉब भी नीचे गिर जाती है जिससे MCB के ऑफ होने का पता चल जाता है | MCB को ऑफ होने पर परिपथ के दोष को ठीक करके इसकी नॉब को ऊपर कर फिर से चालू कर दिया जाता है |

MCB 5A से 60A क्षमता तथा 250 वोल्ट रेटिंग में बनाये जाते हैं |  एक पोल, दो पोल, तीन पोल तथा चार पोल MCB बनाई जाती हैं | दो पोल, तीन पोल तथा चार पोल MCB के निर्माण के लिए क्रमशः दो, तीन तथा चार MCBs को एक साथ लगाकर उनके स्विचिंग लीवर को आपस में जोड़ दिया जाता है | दो पोल, तीन पोल तथा चार पोल MCB में किसी एक परिपथ में दोष आने पर सभी MCB एक साथ ट्रिप हो जाती हैं |

 

B. MCCB- मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर | Molded case circuit breaker

MCB

MCB 5A से 60A तक कार्य करने के लिए बनाई जाती हैं। मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर (MCCB) 25A से 2500A तक कार्य करने के लिए बनाई जाती हैं। MCCB भी MCB के समान ही प्रचलित होती हैं। तीन पोल की MCCB में भी ON, OFF करने लिए बाहर की तरफ केवल एक लीवर दिया हुआ होता है | अधिक करंट पर प्रचालन होने के कारण इनके संयोजकों को एक तेलयुक्त कक्ष में स्थापित किया जाता है, इसलिए ही इनको मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर कहा जाता है | सामान्यतः MCCB दो प्रकार की होती हैं- मैग्नेटिक तथा थर्मल मैग्नेटिक |

 

C. ELCB- अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर | Earth leakage circuit breaker

ELCB

ELCB को  RCCB (Residual Current Circuit Breaker) भी कहा जाता है | ELCB को परिपथ में मुख्य स्विच के बाद लगाया जाता है। सुरक्षा की द्रष्टि से परिपथ में ELCB आवश्यक रूप से लगाया जाता है | फेज तार किसी व्यक्ति अथवा अर्थ से छू जाने की स्थिति में ELCB परिपथ की सप्लाई को बंद (Off) कर देता है | ELCB एक फेज व तीन फेज में बनाई जाती है | अतः इसे उपकरण, परिपथ व मानवीय हानि से सुरक्षा के लिए लगाया जाता है |

कार्यप्रणाली (Operation)- ELCB में एक रिले लगी होती है जो फेज तार में बहने वाले करंट व न्यूट्रल तार में बहने वाले करंट के अंतर पर कार्य करती है | सामान्य स्थिति में फेज व न्यूट्रल तार में समान धारा का प्रवाह होता है लेकिन अगर फेज और न्यूट्रल के मध्य अगर 100 मिली ऐम्पियर करंट का भी अंतर हो तो ELCB परिपथ की विधुत सप्लाई को Off कर देती है जबकि MCB के द्वारा इस प्रकार का कार्य नहीं किया जाता |

परिचालन- माना किसी परिपथ में फेज तार, किसी उपकरण की बॉडी, नम दीवार अथवा किसी व्यक्ति के संपर्क में आ जाता है हो फेज तार में करंट का प्रवाह बढ़ जाता है जबकि न्यूट्रल तार में करंट का प्रवाह समान रहता है, इस स्थिति के कारण फेज तार में, न्यूट्रल तार की अपेक्षा अधिक करंट का प्रवाह होने लगता है जिसके कारण दोनों में करंट के मान में अंतर पैदा हो जाता है | इस अंतर के कारण ELCB प्रचालित होकर परिपथ की विधुत सप्लाई को बंद (Off) कर देती है, और परिपथ अथवा मानवीय हानि होने से बच जाती है | इसके पश्चात दोष को समाप्त कर ELCB को फिर से चालू कर दिया जाता है |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

8. सीलिंग रोज | Ceiling rose

Ceiling rose

छत अथवा दीवार से किसी उपकरण को विधुत सप्लाई प्रदान करने के लिए सीलिंग रोज का उपयोग किया जाता है | जैसे छत का पंखा पेंडेंट होल्डर ट्यूब लाइट व झूमर इत्यादि को विधुत सप्लाई देने के लिए सीलिंग रोज का उपयोग किया जाता है |

सीलिंग रोज का उपयोग 5A, 250V तक की विधुत सप्लाई के लिए ही किया जाता है |

सीलिंग रोज हो प्रकार की होती है-
(1) 2 प्लेट सीलिंग रोज- 2 प्लेट सीलिंग रोज का उपयोग पंखे व ट्यूब लाइट इत्यादि को सप्लाई देने के लिए किया जाता है |
(2) 3 प्लेट सीलिंग रोज- 3 प्लेट सीलिंग रोज का उपयोग पास-पास के दो उपकरणों को विधुत सप्लाई देने के लिए व ऐसे स्थान पर पर किया जाता है जहां एक उपकरण को सप्लाई देकर आगे भी सप्लाई देना आवश्यक हो | 3 प्लेट सीलिंग रोज की तीसरी प्लेट का उपयोग अर्थ के लिए भी किया जाता है |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

9. पंखे का रेगुलेटर | Fan regulator

Fan regulator

पंखे की गति को नियंत्रित करने के लिए रेगुलेटर का उपयोग किया जाता है | यह स्विच के आकार का होता है जिससे इसे स्विचबोर्ड में ही लगाया जाता है | इसके आंतरिक भाग में कुछ इलेक्ट्रोनिक घटक लगे होते हैं तथा ऊपरी भाग में एक घूमने वाली नोब लगी होती है जिसे घुमाकर पंखे की गति को नियंत्रिक किया जाता है | 

पुराने समय में प्रतिरोध प्रकार के रेगुलेटर लगाये जाते थे जो बड़े आकर के होते थे इसलिए इन्हें स्विच बोर्ड के ऊपर ही लगाया जाता था | इनमे कई संपर्क बिंदु वाला एक वायर-वाउंड प्रतिरोधक तथा एक टैपिंग स्विच लगाया जाता था जिससे पंखे की गति को नियंत्रित किया जाता था | इस रेगुलेटर में काफी अधिक ऊर्जा की खपत होती थी इसलिए इनका चलन बंद हो चूका है |

 

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

 

10. फ्यूज | Fuse

वैधुतिक परिपथ में सुरक्षा के रूप में फ्यूज का उपयोग किया जाता है, लेकिन अब अधिकतर फ्यूज के स्थान पर MCB का उपयोग किया जाने लगा है | परिपथ में फ्यूज श्रेणी में लगा हुआ होता है तथा इसमें लगा  निम्न गलनांक वाली धातु का तार अपनी विधुत धारा वहन क्षमता से अधिक धारा बहने पर गर्म होकर पिघल जाता है परिणामस्वरूप परिपथ की विधुत सप्लाई बंद हो जाती है |  अतः फ्यूज एक सुरक्षात्मक युक्ति के रूप में कार्य करता है | 

फ्यूज तार, टिन व लैड की मिश्र धातु, एल्युमिनियम अथवा टिन आलेपित ताम्बे का बना होता है | फ्यूज के कई प्रकार हैं जो निम्न प्रकार हैं :-

A. किट-कैट फ्यूज | Kit kat fuse
B. HRC फ्यूज | HRC fuse
C. कार्ट्रिज फ्यूज | cartridge fuse
D. राउंड फ्यूज | Round fuse

A. किट-कैट फ्यूज | Kit-kat fuse

kit kat fuse

किट-कैट फ्यूज एक सामान्य प्रकार का फ्यूज है जो घरेलु वायरिंग में सबसे अधिक उपयोग में आने वाला फ्यूज है | ये पोर्सिलेन अथवा बैकेलाइट का बना होता है | इसके दो भाग होते हैं – आधार (बोर्ड पर कसा जाने वाला भाग) तथा फ्यूज कैरियर (आधार के ऊपर लगाया जाने वाला भाग जिसमे फ्यूज तार लगाया जाता है ) |

उपयोग- इस फ्यूज का उपयोग घरों, कृषि मोटरों तथा उधोगों में किया जाता है (वर्तमान में इसके स्थान पर MCB का उपयोग होने लगा है ) 

क्षमता- किट-कैट फ्यूज 5 A से 3000 A तक की क्षमता के होते हैं |

B. एच.आर.सी. फ्यूज | HRC fuse

HRC fuse

इसका पूरा नाम ‘हाई रप्चरिंग कैपेसिटी फ्यूज’ (high rupturing capacity fuse) है। इसका फ्यूज तार वायु-रुद्ध काँच अथवा पोर्सिलेन की ट्यूब में स्थापित होता है। ट्यूब में अचालक चूर्ण भरा होता है जिसमे फ्यूज तार स्थापित होता है | यह फ्यूज अपनी निर्धारित धारा मान से लगभग दोगुनी विधुत धारा भी कुछ मिली सेकंड तक वहन कर सकता है, किन्तु कुछ मिली सेकंड में ओवर लोड अथवा लघु परिपथ दोष दूर ना होने पर फ्यूज उड़ जाता है। इस फ्यूज का मूल्य किट-कैट फ्यूज से अधिक होता है |

उपयोग- सामान्यतः इनका उपयोग उन उप-केन्द्रों (Sub stations) पर किया जाता है जहां से नंगे तारों वाली लाइन निकलती है |

क्षमता- एच.आर.सी. फ्यूज 30 A से 1000 A तक की क्षमता के होते हैं |

C. कार्ट्रिज फ्यूज | Cartridge fuse

Cartridge fuse

यह फ्यूज काँच अथवा पोर्सलेन की वायु-रुद्ध (air-tight) ट्यूब में ताँबा व टिन (63% व 37%) की मिश्र धातु का तार स्थापित करके बनाया जाता है | वायु-रुद्ध होने के कारण इसके फ्यूज तार पर बाहरी वातावरण का प्रभाव नहीं पड़ता तथा तार का ऑक्सीकरण नहीं होता।

कभी-कभी इस फ्यूज में स्पर्किंग को कम करने के लिए एक पाउडर भी भरा है | इसमें सफ़ेद कागज से बंद एक छेद होता है जिसे इण्डैक्स वृत्त (index circle) कहते हैं, फ्यूज जल जाने पर कागज़ काला हो जाता है जिससे फ्यूज के जलने का पता लग जाता है | फ्यूज जल जाने की स्थिति में इसका फिर से उपयोग नहीं किया जाता इसलिए नया फ्यूज लगाना पड़ता है | इस फ्यूज का मूल्य किट-कैट फ्यूज से अधिक होता है | 

उपयोग- इस फ्यूज का उपयोग प्रायः इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में होता है |

क्षमता- कार्ट्रिज फ्यूज 2 A से 60 A तक की क्षमता के होते हैं |

D. राउंड फ्यूज | Round fuse

राउंड फ्यूज (Round fuse) बैकेलाइट अथवा पोर्सलेन का बना होता है। यह गोल नली के समान होता है इसलिए इसे राउंड अथवा गोलाकार फ्यूज कहते हैं | इस फ्यूज में फ्यूज तार को दो टर्मिनलों के बीच में पेंचों से कस दिया जाता है |
इस फ्यूज में फ्यूज तार को बदला जा सकता है | इस फ्यूज का उपयोग वर्तमान में लगभग बंद हो चूका है |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

11. लग्स | Lugs

Lugs

मेन लाइन के टर्मिनल बॉक्स में तारों को मजबूती से जोड़ने के लिए लग्स का उपयोग किया जाता है | ये ताम्बे, पीतल अथवा एल्युमीनियम की बनी होती हैं | लग्स को तार में मजबूती से लगाने के लिए क्रिम्पिंग टूल का उपयोग किया जाता है | लग्स में तार को डालकर इसे क्रिम्पिंग टूल से मजबूती से दबा दिया जाता है, तार में लग्स लग जाने के बाद इसे टर्मिनल बॉक्स में पेंच अथवा बोल्ट द्वारा कस दिया जाता है |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

12. एडॉप्टर | Adopter

Adopters ITIWALE

लैम्प होल्डर में लैम्प के स्थान पर कोई अन्य उपकरण लगाने अथवा तार द्वारा विधुत सप्लाई लेने के लिए एडॉप्टर का उपयोग किया जाता है | तथा एक सॉकेट में कई प्लग-टॉप लगाने के लिए भी एडॉप्टर का उपयोग किया जाता है |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

13. बोर्ड व बोर्ड शीट | Board and board sheet

board and mica sheet ITIWALE

वायरिंग में लकड़ी के बोर्ड प्रयोग किये जाते हैं | ये विभिन्न माप के होते हैं जैसे- 200x150mm, 100x200mm, 100x175mm, 100x150mm व 75x150mm  इत्यादि | लेकिन वर्तमान में प्लास्टिक व MS के बने बोर्ड का इस्तेमाल भी किया जाने लगा हैं |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

14. लकड़ी की गिट्टी | Wooden plugs

वायरिंग करने से पहले केसिंग अथवा बैटन लगाने के लिए लकड़ी की गिट्टियां लगाईं जाती हैं | जहां केसिंग अथवा बैटन लगानी हो वहां दीवार में छेद करके सीमेंट की सहायता से लकड़ी की गिट्टियां लगाईं जाती हैं | लेकिन वर्तमान में इनका चलन लगभग समाप्त हो चूका है, इनके स्थान पर PVC के रावल प्लग लगाये जाते हैं |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

15. रावल प्लग | Rawal plug

Rawal plug ITIWALE

दीवार में पेंच कसने के लिए रावल प्लग का इस्तेमाल किया जाता है | दीवार में रावल प्लग के आकार के छेद करके हथोडी की सहायता से रावल प्लग स्थापित कर दिया जाता है, इसके ऊपर वायरिंग सामग्री जैसे बोर्ड, क्लिप, केसिंग इत्यादि को पेंचों द्वारा कस दिया जाता है | रावल प्लग की बनावट इस प्रकार की होती है कि इसमें पेंच कसते समय यह दीवार के अन्दर से चोड़ा हो जाता है जिससे यह आसानी से नहीं निकल पाता |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

16. कील व पेंच | Anvil and Screw

वायरिंग करते समय लकड़ी की बैटन पर लिंक क्लिप लगाने के लिए छोटी कीलों का प्रयोग किया जाता है |  वायरिंग में 30mm, 20mm, 10mm इत्यादि की कीलों का प्रयोग किया जाता है |

बोर्ड, माइका शीट, केसिंग-केपिंग, बैटन, लोहे के बॉक्स व अन्य उपकरणों को लगाने के लिए पेचों का प्रयोग किया जाता है | वायरिंग में 100mm, 75mm, 65mm, 50mm, 45mm, 35mm, 25mm, 20mm व 10mm के पेचों का प्रयोग किया जाता है | 

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

17. लोहे अथवा PVC के बॉक्स | Iron or PVC box

wiring box

कंसील्ड वायरिंग अथवा भूमिगत वायरिंग करते समय लोहे के बॉक्स लगाये जाते हैं जो पीछे से बंद होते हैं तथा आगे से खुले होते हैं | आजकल PVC कन्ड्यूट वायरिंग में PVC के बोर्ड लगाये जाते हैं लेकिन भूमिगत वायरिंग में लोहे के बॉक्स ही लगाये जाते हैं |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

18. केसिंग–केपिंग Casing-caping

pvc casing caping

वैधुतिक वायरिंग में पूर्व में लकड़ी की केसिंग–केपिंग का प्रयोग किया जाता था लेकिन वर्तमान में PVC केसिंग–केपिंग का प्रयोग किया जाता है |

लकड़ी की केसिंग को पेचों द्वारा दीवार पर स्थापित करके इसमें बने दो नालीदार खांचों में तार स्थापित करके ऊपर से पेचों द्वारा केपिंग लगा दी जाती हैं |

PVC की केसिंग को पेचों द्वारा दीवार पर स्थापित करके केसिंग में बने एक बड़े खांचे में तार स्थापित करके ऊपर से केपिंग लगा दी जाती हैं | PVC केपिंग को बिना पेंच के ही केसिंग में बने लॉक खांचे में स्थापित करने की व्यवस्था होती है |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

19. कन्ड्यूट फिटिंग | Conduit fitting

Condute fitting

इस वायरिंग में तारों को खुले में स्थापित ना करके पाइपों में स्थापित किया जाता है | कन्ड्यूट पाइप का व्यास 16mm से 65mm तक होता है |
सामग्री के आधार पर कन्ड्यूट वायरिंग दो प्रकार की होती है-
1. PVC कन्ड्यूट फिटिंग
2. MS कन्ड्यूट फिटिंग

स्थापना के आधार पर कन्ड्यूट वायरिंग दो प्रकार की होती है-
1. सतह पर की जाने वाली वायरिंग |
2. भूमिगत की जाने वाली वायरिंग |

PVC कन्ड्यूट फिटिंग- इसमें सभी सामग्री जैसे कन्ड्यूट पाइप,जंक्शन बॉक्स, टी, एल्बो, बेंड, सॉकेट, कपलिंग इत्यादि PVC की बनी हुई प्रयोग की जाती है |
MS कन्ड्यूट फिटिंग- इसमें सभी सामग्री जैसे कन्ड्यूट पाइप,जंक्शन बॉक्स, टी, एल्बो, बेंड, सॉकेट, कपलिंग इत्यादि MS (माइल्ड स्टील)/लोहे की बनी हुई प्रयोग की जाती है |

सतह पर की जाने वाली वायरिंग- इस वायरिंग में पाइप व अन्य सामग्री को मकान बनने के बाद सतह के ऊपर स्थापित किया जाता है | सतह के ऊपर होने के कारण यह वायरिंग पूर्ण रूप दे दिखाई देती है इसी कारण इसका रखरखाव करना आसान होता है |

यह वायरिंग देखने में भूमिगत वायरिंग की तुलना में भद्दी लगती है |

भूमिगत की जाने वाली वायरिंग- मकान बनने पर प्लास्टर होने से पूर्व ही दीवार में खांचे काटकर पाइप, बॉक्स व अन्य सहायक सामग्री को इन खांचों में स्थापित कर ऊपर से प्लास्टर कर दिया जाता है | प्लास्टर होने के बाद पाइपों में तार स्थापित कर अन्य सामग्री जैसे स्विच, सॉकेट, सीलिंग रोज, इंडिकेटर, फ्यूज, होल्डर, MCB इत्यादि को स्थापित कर दिया जाता है |

इस वायरिंग का रखरखाव करना कठिन होता है लेकिन यह देखने में सुन्दर लगती है |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान

20. वितरण बॉक्स | Distribution box

Distribution box

बड़े घरों में विधुत सप्लाई को अलग-अलग कक्षों में वितरित करने के लिए वितरण बॉक्स (Distribution box) का उपयोग किया जाता है | वितरण बॉक्स एक लोहे अथवा PVC का बॉक्स होता है इसमें आवश्यकता के अनुसार फ्यूज अथवा MCB व एक लिंक लगी होती हैं, सभी कक्षों के लिए न्यूट्रल तार इस एक ही लिंक से लिया जाता है तथा अलग-अलग कक्षों के लिए फेज तार अलग-अलग MCB/फ्यूज से ले लिया जाता है |

किसी भी कक्ष की विधुत सप्लाई बंद (Off) करने के लिए सम्बंधित MCB को Off कर दिया जाता है | वितरण बॉक्स में एक मुख्य आइसोलेटर स्विच भी लगा दिया जाता है जिसे Off करने पर इस वितरण बॉक्स से निकलने वाली पूरी सप्लाई Off हो जाती है |

वितरण बॉक्स (Distribution box) का उपयोग सभी प्रकार की वायरिंग में किया जाता है जैसे घरेलु, दुकान व औधोगिक इत्यादि |

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भारत में वैधुतिक वायरिंग के लिए विधुत नियम और मानक बनाये गए हैं जो इलेक्ट्रिकल इंस्टॉलेशन के लिए अपनाए जाने चाहियें। इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है ताकि विद्युत प्रणाली सुरक्षित और विधुतीय प्रदर्शन अनुशासित हो सके। 

BIS (Bureau of Indian Standards) ने IS 732-1963, IS 4648 एवं NE code (National Electrical Code) के अन्तर्गत वायरिंग की स्थापना के लिए नियम बनाए हैं, जो निम्न प्रकार हैं :-

1. विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाली सामग्रि ISI चिन्ह युक्त होनी चाहिये।

2. सभी प्रकार की वैद्युतिक वायरिंग की स्थापना भारतीय विधुत अधिनियम-1956 के तहत ही करनी चाहिये। 

3. वायरिंग करने से पूर्व उसका ‘ले-आउट’ तथा परिपथ बनाकर तैयार करना चाहिये।

4. विधुत वायरिंग की स्थापना व रखरखाव का कार्य लाइसेंसधारी व्यक्ति से ही कराना चाहिये।

5. लकड़ी के बोर्ड इत्यादि टीक अथवा सागवान की लकड़ी से बने होने चाहियें व पूरी तरह से वार्निश किये हुए होने चाहिये।

6. लकड़ी के साधारण बोर्ड की मोटाई 4 सेमी. अथवा अधिक होनी चाहियें तथा कब्जा युक्त लकड़ी के बोर्ड की मोटाई 6.5 से 8 सेमी. होनी चाहियें।

7. उप-परिपथों में बांटकर विधुत वायरिंग करनी चाहिए और ‘पावर’ तथा ‘लाइट-फैन’  के लिए अलग-अलग उप-परिपथ बनाने चाहिए।

8. ‘लाइट-फैन’ उप-परिपथ का कुल लोड 800 वाट से अधिक नहीं होना चाहिए। 800 वाट से अधिक लोड होने पर एक अलग उप-परिपथ बनाना चाहिए ।

9. ‘पावर’ के उप-परिपथ का कुल लोड 3KW से अधिक नहीं होना चाहिए। 3KW से अधिक लोड होने पर एक अलग उप-परिपथ बनाना चाहिए ।

10.  प्रत्येक ‘लाइट-फैन’ उप-परिपथ में 10 से अधिक उपभोग बिन्दु नहीं होने चाहिए। 10 से अधिक उपभोग बिन्दु होने पर एक अलग उप-परिपथ बनाना चाहियें।

11. प्रत्येक ‘पावर’ उप-परिपथ में 2 से अधिक उपभोग बिन्दु नहीं होने चाहिए। 2 से अधिक उपभोग बिन्दु होने पर एक अलग उप-परिपथ बनाना चाहिये ।

12. नियन्त्रक स्विच बोर्ड की फर्श से ऊंचाई 1.3 मीटर होनी चाहिये। 

13. नियन्त्रक स्विच बोर्ड कमरे के द्वार के निकट बांई ओर स्थापित होना चाहिये।

14.  ‘लाइट-फैन’ परिपथ में 5 A, 240 V रेटिंग वाला सॉकेट स्थापित करना चाहिये।

15. पॉवर परिपथ में 15 A, 240 V रेटिंग वाला सॉकेट स्थापित करना चाहिये। 

16. किसी भी सॉकेट की फर्श से ऊँचाई 1.3 मी से कम रखने की स्थिति में ढक्कनयुक्त सॉकेट का उपयोग करना चाहिये।

17. जहां तक संभव हो सॉकेट 3 पिन वाला ही स्थापित करना चाहिए और उसका अर्थ बिंदु ‘अर्थ’ करना चाहियें।

18. सभी लाइटों की फर्श से ऊँचाई 2.25 मी. अथवा अधिक होनी चाहियें।

19. घर से बाहर ( जहां बाहरी मोसम का प्रभाव रहता है) स्थापित लाइटों के स्विच घर के अन्दर स्थापित करने चाहिए अथवा बाहर की तरफ स्थापित करने की स्थिति में स्विच, जलरोधी व मौसमरोधी (Water-proof and weather-proof) होना चाहियें।

20. स्नानघर में लगाए जाने वाले लैम्प व सीलिंग रोज इत्यादि का स्विच जलरोधी (water-proof) होना चाहिए अथवा इसे स्नानघर के बाहर स्थापित करना चाहियें।

21. अर्थ तार पर किसी भी प्रकार का स्विच, ब्रेकर अथवा फ्यूज आदि नहीं लगाना चाहियें।

22. स्विच, ब्रेकर अथवा फ्यूज आदि नियंत्रक युक्तियां फेज तार पर ही लगानी चाहियें।

23. वायरिंग में प्रयुक्त तार ताम्बा अथवा एल्युमीनियम के होने चाहियें

24. छत के पंखों के ब्लेड्स की फर्श से ऊंचाई 2.4 मी. से 3.0 मी. होनी चाहियें।

25. वायरिंग में लगाये गए सभी धात्विक सामान ‘अर्थ’ अवश्य किए जाने चाहियें।

26. कार्यशालाओं में मोटरों के नियन्त्रक स्विच व स्टार्टर, कारीगर की आसान पहुँच में होने चाहियें ।

27. नई स्थापित वैद्युतिक वायरिंग का  मैगर द्वारा धारा लीकेज’ परीक्षण करना चाहियें । लीकेज धारा’ का मान परिपथ की कुल धारा के 5000 वें भाग से अधिक नहीं होना चाहिये।

28. सभी उप-परिपथों के वितरण बोर्ड अलग-अलग होने चाहियें। 

29. वितरण बोर्ड पर सप्लाई वोल्टेज लिखी होनी चाहिये

30. वितरण बोर्ड पर परिपथों की संख्या लिखी होनी चाहिये

31. खुले में अथवा परिसर के बाहर लगे वितरण बोर्ड जल रोधी तथा मोसम रोधी होने चाहियें |

32. मेन स्विच को उपभोक्ता की आसान पहूंच वाले स्थान पर लगाना चाहिए ।

33. वितरण बोर्ड की ऊंचाई 2 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिये।

34. 3-फेज लाइन में तीनों फेज पर समान लोड रखने का प्रयास करें ।

35. 3-फेज वायरिंग में तीनों फेज के तार लाल, पीले तथा नीले रंग के, न्यूट्रल तार काला तथा अर्थ तार हरा रंग का प्रयोग करना चाहियें अथवा इन रंगों से चिन्हित करना चाहिये ।

36. मध्यम वोल्टेज व इससे अधिक की मशीनों, ट्रांसफॉर्मर्स आदि की दोहरी अर्थिंग करनी चाहिये।

37. 250 V से अधिक की मशीनों के नियन्त्रक स्विच पर एक चेतावनी पट्ट आवश्यक रूप से लगाना चाहियें जिस पर ‘उच्च वोल्टेज ‘ लिखा हो।

38. वायरिंग में कीलों का प्रयोग ना करके पेंच ही प्रयोग करने चाहियें और उन्हें हथौड़े से ना ठोककर पेचकस से कसना चाहियें।

39. मेन सप्लाई के फेज तार में आवश्यक रूप से फ्यूज अथवा सर्किट ब्रेकर लगाना चाहिये।

Indian electricity rules for Electric wiring

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विधुतीय वायरिंग मानक प्रतीक | Electrical Wiring standard symbols

Electrical Wiring standard symbols

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वैधुतिक वायरिंग करने से पहले परिपथ का आरेख (Lay-out) बना लेना चाहिए | आरेख बनाते समय मानक प्रतीकों का ही प्रयोग करना चाहिए | मानक प्रतीकों की सहायता से आरेख को आसानी से समझा जा सकता है | 

निम्न सारणी में कुछ प्रतीक व उनके नाम दिए गए हैं जिनका प्रयोग वायरिंग आरेख (Lay-out) में किया जाता है |


Electrical Wiring standard symbols

 

क्र.स.

प्रतीक का नाम

परिपथ आरेख के लिए प्रतीक

ले-आउट के लिए प्रतीक 

1

एक पथ, एक ध्रुव स्विच 

One way, single pole switch

  mSAfHrc2jbLg94u1dU4fbtn3 qOgNpmQw9ciLUZT3lwEgCqhq4Kk8i46sl0ALKQ dr2BsFr ITIWALE

          

8NQmwZki2m Nz0fkyJuzPgKZXW4VSLlli7lQu2pFh0lMOVRMrN09XSUsKT8p56kjPvSLCRYMtBRRWtAP6O3WwKRpqQ2OJzTCkapnMFJbco41gll5k2GPFrfP c63VUt08AtZJ6aDrnTw0SRZNO8Bpr4 ITIWALE

2

एक पथ, दो ध्रुव स्विच

One way, two pole switch

MS1orVeTryqBvx7Y99H CoOKSKWKfQh5yKXeZyQk044jm6V994srjHeA5 X4JNoP85sek00EC5Um wPDD8FfpbckVlKUZ5H HYROxeaszkZyltyNH LEOZVvYTqDSopGSVsBHlRBwXqidPyF 4vhK1E ITIWALE

NASglh pO Jbwi4X5G vBQiLVjJSMhfvpvkGPY ITIWALE

3

एक पथ, त्री ध्रुव स्विच

One way, three pole switch

nx eHde5x3 HG1kju qpt69yhFMuA aUg7Xs6N3TRoyaPERS v7ho3 1CO0lvEk2Hi 4 ITIWALE

THB9IRRC55M5z4W6NkQeyiTxxUGCz2eoQHvH67obgsHTTackT0tO8CvEjV8g72JfzkEuBt ox287Cx1RnN RDKqSG PNagDQrIFjJJm940ZYEyE9lX 1ppYQyS4QD1X498vVTOMptsz BRbBH2dcI4 ITIWALE

4

द्वि पथ स्विच

Two way switch

  WDL00QO IC4kZcXPtcI3LZVqmk5k8ijYnt09rLKtU aoBeMXJkroQZL7gHKoP0mgZAcjI6rm9HXU71 ITIWALE

paLvHhl5eK9n80eih5ces5pzUwuCo0Wr5qbuYZyqXWFE2m j 9xP 8kWVlOV4ueRDztXgZxYQ3sCDqhvuHjaYW2E3yZFLWZ ITIWALE

5

मध्यवर्ती स्विच

Intermediat switch

cb1B8 W P 03cpWE3i0jXuAdb4UJAvH9adkeBSIUQF0tFv iNRx fDUaUt 14G sLpLkOcLF VFjErRR id53qYuhhaB2Q1l0CXzWhHWdbQGY 5RO 1W5n5PNKoNk6VbOUQEBpFkIqdH3V0TZzMgu7s ITIWALE

4PkLojUATVzvOSb3Jf1Ty0oAILt9AeSDesnk6grN2s4n9Y3n5MfhsVzBRk9KgpHY4UNstBZjDK2Uc03sc4mvXkO9sfarip2bvNHagjzkt3PkLuP5LAgqcSAjZ3ja8DcNoQ8uG5NkGI9UrbEhSfpvPzg ITIWALE

6

बेल स्विच अथवा दबाने वाला

Push button or bell switch

            oNZfYxmy1H7wlQj4TgAeN7jlGOy5HYJmrUAZJcA xZLbjZqFyc9ulS88G0i6ihHkPuxw m4eM6FVRnpI8pPO fLOfdbwsy ITIWALE

  edabWOmUzxwE80vWCmaYxvnkiP4WTvECYFbwGl3hGUEeugbirXmZO0OznMaU5yPHlD50yPnIA9fpwSs2E1w3sYr7Q9QF 7zjrHNsjuVVcb6BUc6f6BSkhow4kkbY1BY1vpnCH ur61f9DTRjZZz9ksw ITIWALE

7

सॉकेट आउटलेट 5 A

Socket outlet 5 A

  3siDV9VuRg2IiNw ITIWALE

j7ICGTrHqJydbKGh8aMEh4JrisHnzxn Oy2a0QVbdCPGjBqAKjejH4FYlklYD4Oz8PfGgueuEuvS1xHzfrKL2n89XQjzWfwgRd4XsZB09 KTQv75txYLyQLJ1RqgOnWp 6nQJbkZqn m7whZfh769ao ITIWALE

8

सॉकेट आउटलेट 15 A

Socket outlet 15 A

3siDV9VuRg2IiNw ITIWALE

ITIWALE

9

लैम्प अथवा प्रकाश सूचक

Lamp or light indicator

ITIWALE

IsOF0ueuzWXnYiZNMcr n2TyySPTqFcG4R6x FuWXLdFa1nU9F8iKEhAlkZa4C8O3ejLgQrkIB4GQPe0gZXLXscZarrrdET2S5pzQ07rtup28c0K hUsRqBOfM5caQef9EZTjVWWo 2kPvCdVYDcf4M ITIWALE

10

फ्यूज

fuse

bEPH8J95n79zH Sm8SKMrLWOljQQ3gmXxgPQOttDTJyajpuHZ253sJPA h4 k5ON6CakAiZbPcEQ e6gqG6YrNmVDXSCSF 1ij79f WOI46mqF4nBE raeLHKiuVNi3e3qS949OCkkOdDWEf2oG5ZHg ITIWALE

xsKhpcDhjyUSe5CESIpqbQdHIKPADepae4hkPPe4cuDahygJR9zDuNhA0 WeoBhUYoNe rmedmTEbNWQWEWpSGZaNMf n907SXUunYL8d0QP3Gu77 TJlY0eAB2sdRDzcN rI2fPLmb73Nce4fGJPRA ITIWALE

11

घंटी

Bell

S1IvCMvvl5YVt8WheSGpOsjKm9y0 8kIRjBdtZxGVCLzF1osWxrmsxfdjNyc6 AFPDKYF8iQ8ImnxW3t9ThtFkaq4DklEUGP5WEZG1oCxnU3NBHew GULex1SHeohSmju0dNj7IFwTKsaTImSPYvZ A ITIWALE

S1IvCMvvl5YVt8WheSGpOsjKm9y0 8kIRjBdtZxGVCLzF1osWxrmsxfdjNyc6 AFPDKYF8iQ8ImnxW3t9ThtFkaq4DklEUGP5WEZG1oCxnU3NBHew GULex1SHeohSmju0dNj7IFwTKsaTImSPYvZ A ITIWALE

12

बजर

Buzzer

8u9Ed1OjtgLils61oxLMpT6HBoqH0n8w28IEwq1xXtsxMcFLAbn ljC7yTJR7WaOYUtLPjneg8dMcrXSZgIoTPfm0QbMqOcmxcJ0f6TYkAS1XKp1hoT3Zj3G6kQTFj1 3GPJZQEk0mC ot9mnt2PEY ITIWALE

8u9Ed1OjtgLils61oxLMpT6HBoqH0n8w28IEwq1xXtsxMcFLAbn ljC7yTJR7WaOYUtLPjneg8dMcrXSZgIoTPfm0QbMqOcmxcJ0f6TYkAS1XKp1hoT3Zj3G6kQTFj1 3GPJZQEk0mC ot9mnt2PEY ITIWALE

13

भू बिंदु

Earth

TTUmVd3V GsyOvHvEOs5iA3VaaT2e9O2Mn hYEfrSEgtOYFpUHyuOqIB6Z7s82tLuRPWj1env oEl ngYAz ITIWALE

DzFCSIk6wWi5zFg2QLgDcquf0qu8Jqfu ITIWALE

14

परिपथ वियोजक

Circuit breaker

Kitq5 EXgRBdN1WsAUotXaeJ0Qpc2R9J9TWLoqQNXgNJjFzMv5HhrqcSH hX9oOmUhgoR3 jsfABBVA A7JltkcyPXM1kjEP fY3hcGwhXBWjzZKthFD1TaeNgTnKH9kmF ITIWALE

L1drfcYs6v0QZBaNGlu2vAik8gAa3QE5DnG7yd1vAuW3qFzcJfhASyEyjoIWlCjc66eJNupUChulSIRqYYFFHaY7ySfnKiqr41vuwg5if7mdmINqHrKDMagaCHzZwTYIsuK37u1ZRMgZaQXm3 ITIWALE

15

अन्तक पट्टी

Terminal strip

Gs6LJ oTb4mSA1UivvBlPzHJrkZ7ria4H6toMVKTeun RbZpEks255UMB YcLwUDipYe4M2w7uhLWe2KwjiUqmFEqzFOdq5XB2eBD6XhqlA6inq761opTLVEK0pXf54SJpjBzlBzWRikNJ99CbMi5h8 ITIWALE

N.A.

16

लिंक (क्लोज्ड)

Link (Closed)

cGrC7C7fW8Q4QY6h5xJkTPESgquRN HmdydG6mqweJqyyJ4H05sMTIlbSgjaL7SERTiqGfjGj6D8egZqb m0 FyreUfXweBEOkiugcbw ITIWALE

N.A.

17

प्लग व सॉकेट

Plug and socket

(Male-female)

1Vu53x9YLSiptc9V2ZgLbmp7wI09vU GaWduRe2LOWCHBdoI3Vl9xEhyTBkkHEtLP2OhGOerTCdNULgEB6K6ck4F L0LJmttl0qCVDtV1lhPll7 mpqhU Sr6aVCOB8k3P08KIUFwWu7JG7OVn3QUYY ITIWALE

N.A.

18

छत रोज

Seiling rose

1nbjGPRdEP5ChyEuai08U1UPTLDgiaZ5WwvhuYUp0Ibn8B4Nvp1b1KaZm4q YwbKLGcU3lTRtDj2i8NrNp5Xzv3y5zdfXkEmdgpd5ViddnwBe5VEPArr OhNnGWAPv1a6CzeZbNLreDgNdDmuM9ohg4 ITIWALE

N.A.

 

वैधुतिक वायरिंग में प्रयोग होने वाले अन्य प्रतीक व उनके नाम –

 

क्र.स

प्रतीक का नाम

प्रतीक

1

वायरिंग | Wiring

1

सामान्य वायरिंग | Normal wiring

ITIWALE

2

सतह के ऊपर वायरिंग | Wiring on surface

SgxooQm4GHrynWbPNjdKvRsJlG6wrv0qjGtmwQsWYbQ3fuYxGMvzfZYdQjmwqn35hSpQ ITIWALE

3

सतह के अन्दर वायरिंग | Wiring under surface

0tUAEBUm20i5bDd4Zvtt2IHhrTePxfUKcMBbT3w0441UoP8ytVe0UZIEneINY9hMvmWIuuEd oeg1Gemf1oVLcc8Juk X5X4F9fhKFE TzuJsijCmsYBYKGy2yV5H6ni3yQ0DkeeXXEFR252KTGlU2M ITIWALE

4

कन्ड्यूट पाइप के अन्दर वायरिंग | Wiring in condute pipe

a

सतह के ऊपर कन्ड्यूट | Condute on surface

s rXVeT8V0Kc nEBMbxnBplKJ eJuwPlp2hU3WsSc9fGMgYWRLv6Jl97KaApLWQkNI5F3zFwP7ClYJVkX 646pCagGZaPT53KXvTRNHPhrjU7 ENrvI6eEhE RBErDBv3DR3r8yRjXQ BmXVYisCbuc ITIWALE

b

प्रछन्न कन्ड्यूट | Hidden condute

zJS KqK64nI B 5T1rKutRQf90ZRFJHkm6wArUKBv4JBf19HovEPZGAZKB2ScdNKy HaGHP9iQcAJZfyx5JbkO3aeVNW1U8mzqKlmGA2uobfX8eoS4gq5ZJsNmIXAtmIP XPvyJVdoZ14QSKzK1bmCE ITIWALE

5

नीचे से ऊपर जाती वायरिंग | Bottom up wiring

xkSyL84hQeoMKx3mU3lmt6p sLph2CvnYAIm1iHtXcnDFarhetttU 7lV49wnngok2N5q664YllOMhqQ74kJ2SaEg1ZXlnEVqnq tuLaYNWj4ZREZy2qfEUmhn nU7spF1z7imSRTWcO2m1YFEbPwwE ITIWALE

6

ऊपर से नीचे आती वायरिंग | Top down wiring

l9ITH40djQKC7ypQStR AFOwGUSiwIYjBlpxELYX1nT3ESzq1Ga5GE ITIWALE

7

कमरे में उर्ध्वाधर वायरिंग | Vertical wiring in room

0kBcag4wHfi22p6TDp1H7S6vC2gHodtHX8dNXHOnB9a5HNpzOg8UeggiN9k9xiokuT AVEQ3dgyBx5MhdWQCEIfNgQTsk6xHb0J8fbVGVLS2NIZQ776mYCsYa4chc 8Im5AAL r07c4 SOuqSrwgrD0 ITIWALE

2

फ्यूज बोर्ड Fuse board

1

प्रकाश परिपथ फ्यूज बोर्ड | Lighting circuit fuse board

a

मेन फ्यूज बोर्ड बिना स्विच के

Main fuse board without switch

1mC2frCEV7g0zyk24alr7zxHO4V0LwPWO1QOZKWZroJVuSyXSjBcLB3g v4J3GsZMCLU uJQ07s7QU2 pCFL DdDzgxVvdcT 4A0icRRqCPssXr4G fiY pW D6PikSzBNHl8Y6yqJIoINGppfeFQ3k ITIWALE

b

मेन फ्यूज बोर्ड स्विच के साथ

Main fuse board with switch

OChE7CTmc2gpOnPLe5832yX6nkEWja11GTD3o shm6Kc1HIgRqnsLIGIcrltc5G9DBPB3cM WCdfeyPA7n lSV9xXQEeeBPUbpR ITIWALE

c

वितरण फ्यूज बोर्ड बिना स्विच के

Distribution fuse board without switch

ITIWALE

d

वितरण फ्यूज बोर्ड स्विच के साथ

Distribution fuse board with switch

ITIWALE

2

पॉवर फ्यूज बोर्ड Power fuse board

a

मेन फ्यूज बोर्ड बिना स्विच के

Main fuse board without switch

XUf1RbTDwsaChyhq1PmSdgtscwz4mRKWdWIiHA0RHJl qBRkmGfMcG3B XaOi98v8x E2eAyTj54g8IWncTs4RdPAZqhC20e ITIWALE

b

मेन फ्यूज बोर्ड स्विच के साथ

Main fuse board with switch

AtdIMFXYLbbNKjx2rs6Dsb3I4QyQdefSMH0oGpL1ivKygVRVpLuIrO1sl4DHXZWcMHZBA0X7vgJ0Gql0y0QTt4q ITIWALE

c

वितरण फ्यूज बोर्ड बिना स्विच के

Distribution fuse board without switch

cJM8A4jHdTk5d5M3oi9drOHCz6s4LKH31XoTex3CFyoF7r892l1GN8KE0gtDqMsVkcp6UfE iqcQD4g75dzARl0tXXpP2D sjmtVZuBoeMMVQeLrpKPUnEdQVjUXOm7w6aO6R7Vj3y9ig7 Kyu9TQY8 ITIWALE

d

वितरण फ्यूज बोर्ड स्विच के साथ

Distribution fuse board with switch

wOC63BKfp2r sF6UV3QKOZwVxQ3YL19l04D786S aKc1 ITIWALE

3

स्विच और आउटलेट्स / Switch and outlets

1

एक पोल पुल स्विच / One pole pull switch

l jbsqxut2nAvl 4rEfD7U 5DVhWguBDbvNP4JSMrTdXGMX ITIWALE

2

पेंडेंट स्विच / Pendant switch

C1uURcBq8XvKMW3ICjKSX25yOoGcS5fRoyJwrpCdwOlJoTFnWJkJiYm5yxVN5fLAbnl7j JOpRugFzMHD19 kOdLUCqDqWUbgnRGodToTAANpbApXghhLZjiNMY9aYgacEkvf8r4lGqGJKTP4Hu9hDE ITIWALE

4

सॉकेट / Socket

1

सॉकेट निकास 5A / Socket outlet 5A

bo0aNbWdZvKMXC6ZT 6YM21EzuoabF7z x3fUH8qZE0k55IsiJEHmsDqWvVmlR 4Ti LTp3fiQDq7tZil ITIWALE

2

सॉकेट निकास 15A / Socket outlet 15A

5E6UDOx5PQUt EYelREzx2vTkZvpr9huhoFbp 9uucw9lmAauYugIn 2WEb4DH30Bw7 uG59lFFy5CX Bmnj9O1tMBWxD0iqsyAho7FgtAO1JxvVjPmGcW5LXjGpZ ITIWALE

3

स्विच और सॉकेट निकास 5A (संयुक्त)

Switch and socket outlet 5A (Combined)

ITIWALE

4

स्विच और सॉकेट निकास 15A (संयुक्त)

Switch and socket outlet 15A (Combined)

jqq1PVZ8EMvEh7T8YnREs0WZDONDd6ljEkPzn9YuKaEgpmYdk KFi0afCy53b9YDJQwEDTM1zW1tyT YcT7cUhsBKZ0JDw2lXbyH0 7eXjAnZgGwnUNRFeD7B1m6XibpJRkWQbBUij O97u8upmLHM ITIWALE

5

बत्तियां / Indicators or lamps

1

तीन लैंपों का समूह- 40W

3 lamp group- 40W 

ZfXqftQi4ZUZakMbtfGgcV68Qx1YV obxA2jlzB5qU13ajES2YY1SLAV3UsrCAD7S6WCVhPLSb1tUyXU9B2F2D7xpTBU6 L3b6O8yKDElx e 6Psf4S U5daSea9S5soyC5SEgMvRl6uP4Kq7IDQ3as ITIWALE

2

भित्ति पर या लाइट ब्रेकेट पर आरोहित लैंप

Wall mounted or light bracket lamps

8dQy0mSqcSmNt oPJ06lyc W8d3qzP3wST w1D ITIWALE

3

छत पर आरोहित लैम्प

Ceiling mounted lamp

bRd7mZGJCdF3VQF1F6wklSMYkZMdc 7vCbFPcBODRh1CzPB3LLBhpRqJ xkxr3a Fa CxVVDOc0JmgduGbATP XuSxOAu8qc89EtR9tzLHbc2j1g8b 5trgkPKViH3MrtJfhqNHlo5iUIP8i6jBMYKg ITIWALE

4

प्रतितौलक अस्थाई लैंप

Counterbalancing floating lamp

ITIWALE

5

अस्थाई चेन लैंप

Floating chain lamp

78u5fNzly234WY 3NVPvnML0A5PuyUVd4 oiURRuobpsnJAJg0P0U3lVG4CYsg5JzX s1HP5i00YqWvgoB8RW8HL41m4tZaMDt028LrZA3F1X9gx AKYzbn0C3bi jKWrq1Ng36 1Q LbLj8PozUCaY ITIWALE

6

अस्थाई छत लैंप

Floating ceiling lamp

FAeQ9KlJ2b6HXmXkBS0i4rtQItXoIB74KWvv8Cezasr9 0Hgb LM61 TGN6KtIAnGiGa6lDdE qeIfy eFi xl2Evcu6o5lh7nu92HrTapa2vW9 ITIWALE

7

अंतनिर्मिती स्विच के साथ अस्थाई लैंप

Floating lamp with built-in switch

IUDyJY LgM9a uYi ITIWALE

8

परिवर्तित वोल्टता सप्लाई बत्ती

variable voltage supply lamp

qOw92T1IjCw5p WmIkNPsMs2uj8eBbuOMQt6wS42A8PONovUqrs2nC4 TJhgnyw Z6NFiiwLsJ PGCGh z39H2jcC9P0zWDHMy6n tU6UYk204maAbUD2X2TNoHDg rnh3 RSBL0uHpM3hQDBaJYsgc ITIWALE

9

आपातकालीन बत्ती

emergency indicator

JXNbnnWJo04IxhA09GV EQTnuo1d5IHWUprWs ITIWALE

10

पैनिक बत्ती

Panic indicator

lon2YW 4g0Hok2xG9MvOrGbFbDKEYpNfko RVk3BpnTjnHKkOE iX3cvSpeYNQHlZndUQuCrQ mk0SZ7MD0wEuDAV30rComfO7CS8g7O SrSipkbHs2Af1YLvswlRCgzE580LWnyQ0DGrekdYfhKWSw ITIWALE

11

बहु हैड लैंप

Multi head lamp

bjRPiy26qoBZB0IbydPgqX n 5RcoxEYHInrIt2VxvT0WjjsyTBZSivMCc95muSdJ2RsgDLmp 4OByP F1wvMH32kA050bHbYjeBoEinhPeZZMRNBfDQoddRa2UIqR9RVd8n qhfXMNL D2ERAKHvZE ITIWALE

12

जलरोधी प्रकाश फिटिंग

waterproof light fitting

kgJIJUFkLGvnA4KoYaqlGU8Ef5qiFWWbQDwbC4R0oBO0GtIZyWboNJ4YDkH64qfbCmHqxYGCnyPDFzP xQqRdzlr9FGckz39aFL3SdoBgCUIwURltijPLwfW9JeYmg Fjk7pg zuaIDI9WF6alATSlE ITIWALE

13

दीवार पर स्थित बैटन लैंप होल्डर

Wall mounted batten lamp holder

sTzBsiTCla6CjwDTDzjaLC5ZXZjSqA4NS5rtUDcTqG95MahGmvh3jENR0vaQkcD xbM1IYMmGPTzO5lLLd4tUxIYFlrUQDkTFKCUMax Q8dqW9Lm8wqxNMsAgag48VEY8bdtiZq5R AXhmarkHh1pII ITIWALE

14

प्रक्षेपक

Projector

9EVCKyGOw1AQGGvLLg f1CfqXocbU0zIMW4KcvaZm5a0MMnqtRCO3tULZEkF8CkVF7f6dRybjA255rzR8vPznHEJGYrBKVWQg5rTBk JEZaQRqM1S4y7v5SsuS8qRX9nYn5lHyh6ZZwCAOKcGtc8u 8 ITIWALE

15

क्रेंदित प्रकाश

Focused light

h87TZ4X2DWfABsGy0dy3tdduKKLuscFyu90CPValdTpb96ybb2SSPg09 KoRGKQftw5YtTE9BIlO4CFEgAPKdN dUB4pZGlJEXX7xCPbllEXdK7naKvB7mNN2v2KVhvmMhnkQZ ITIWALE

16

परिदीप्ती

Fluorescence

PxumE97HBQ7iqh2Chp2alNK2yRKqIfAxreHOeYjdUVuF9VGqf2pSsxPilXAo8m5Sxrdf5u7O ITIWALE

17

प्रतिदीप्ति बत्ती

Fluorescent light

vdAA8IEwAg5Lf1 b7pPcvnjKKrJQzvAD04LG9o8 ITIWALE

18

तीन प्रतिदीप्ति बत्तियों का समूह- 40W 

Group of Three Fluorescent Lights- 40W

35tFECVubPumM5YZnhrdoltreFJ9cp3MLRG3weRCK0AYOR2xYXZ3QVqVQgIwxm1f9aWH05gQKxzBa2BJdod1hkfdKh nn0GSuPPHJLjWGnDQpEwxC qKjpfaYROj zZnjLmaSIVzREkM6qoWeILWy7A ITIWALE

6

बिजली उपकरण / Electrical appliances

1

सामान्य

General

5fdbOzqNMZ1Yd4uhXr1fFcfhzD2ck7 AaLNvrpBzq4zgLoiTibxBuykwuKDni1s18uyM8ldg59BlB1OmbWDw4JjASJxNB ITIWALE

2

हीटर

Heater

C1GLbxUMvJ38eIo0kXbOHPYkRBOB7SU6CFcHWEFyqcs8s5NmDhL55DHuuOTBMvcH siXRL9SyTJkjYdu ITIWALE

7

बैल बजर और हूटर / Bell buzzer and hooter

1

सायरन

Siren

3gspY8ettBzzpXmQJ y9lF3c2CwqhZg8V0ahmItPAl 5xy3 v0lr4SohZ05 FKEcGUD3zuw8zH741mfIfLCdFPpjoT3ON3nMSkJjlj1VeYlPox3JWtvgjSW1zH5SHgSPLau yhhvqcfvbJTncOpHcQI ITIWALE

2

हॉर्न अथवा हूटर

Horn and hooter

LEuShAtLxWzZr ITIWALE

3

सूचक (N=पथों की संख्या)

Indicator (N=Number of paths)

EhPjSI5wYnsi6vbwYMHA3YCGNN5M7IL dZW81WUELVhq8tyyzTHfjDOE8VbD7L2HQG 4tQmGFdYnjdLR49k2Nf4bYw T2wab1P7roHo8bhxl6bhL4H YpfYH1msiT emqHGmadEJjlvzbY6Ctpn0t8 ITIWALE

8

पंखे /Fans

1

छत पंखा

Ceiling fan

gNg0y9XlBlfNUtovn0haXtR4R7jrTB7hlB DT8lqV bYATrbGI6NpKdHt Gn5Dyum4h ITIWALE

2

ब्रेकेट पंखा

Bracket fan

ITIWALE

3

रेचक पंखा

Exhaust fan

3WVxoypv8vtxUCSOVVNtPTxnEzed5pTNmh32eTJxTu01XStnU go 6uiH 3FiddmbkeshpuX LDOlrA9q0D4DYTMIIPFAf9XBpIptDbnOgXQyQBWPpP0K8JN40PAzHtdqfOTYz6thYNRbe0OBo7M5GY ITIWALE

4

पंखा रेगुलेटर

Fan regulator

ITIWALE

9

संचार उपकरण / Communication Equipment

1

एरियल

Aerial

IHYeQBBN3ev6rXF9gpvvbqFELNOx287EB4I1srAG7RlD9t6kFTFKgv43Xv7d0f iDqu OyA JHlug48DGF8YeDDh8AZ0vNBnYdYpbtbv4NGdlGewkDbQrzuuitcRN3McN7Zw9aIOc ITIWALE

2

लाउडस्पीकर

Loudspeaker

DL1vO2IXYz fK8pkuMKKpwjBTSktJoO9rzehWEwKbqlyYeB18R7Xh8kaccsMrCNHpaDf4Xl 6FKM5KlD28SZf4jN12Ni0DNy2vQNaX4p6GFwJetwojmr0qgVbSulJmeA52vb Le 1eLOhU230pEz6aY ITIWALE

3

रेडियो अभिग्राही सैट

Radio receiver set

WiJdyAMU6Hx8kOtIAhn37iAO017DMmaUj qrvQ0 l3AIA0eO268 nPYzV9I7d41gUIBvHfh6oMnK8uHyZskxqQnvDCsXN6oeNgC cV0xdQnrT6 hElcrVR6s lN9aJuEHn05xgKj e4vRFjXtsm JA ITIWALE

4

टेलीविजन अभिग्राही सैट

Television receiver set

ITIWALE

Electrical Wiring standard symbols

itiale.in

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वायरिंग के विभिन्न परीक्षण | Various wiring tests

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण | Various wiring tests

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

विधुत वायरिंग करने के बाद एक विधुत्कार (Electrician) को विभिन्न परीक्षण करने होते हैं | एक अच्छे विधुत्कार को आवश्यक परीक्षण करने के बाद ही वायरिंग को विधुत स्त्रोत से जोड़ना चाहिए | 

एक विधुत्कार को वायरिंग करने के बाद निम्न परीक्षण करने चाहियें :-

1. खुला परिपथ अथवा निरंतरता परीक्षण (Open circuit or continuity test)
2. लघु परिपथ परीक्षण (Short circuit test)
3. ध्रुवता परीक्षण (Polarity test)
4. अर्थ परीक्षण (Earth test)
5. प्रतिरोध अथवा इंसुलेशन परीक्षण (Insulation test) 

1. खुला परिपथ अथवा निरंतरता परीक्षण (Open circuit or continuity test)

खुला परिपथ अथवा निरंतरता परीक्षण को अधिष्ठापन / वायरिंग (Wiring) पर आवश्यक रूप से करना चाहिए | इस परीक्षण में वायरिंग में खुला परिपथ की जाँच की जाती है जैसे किसी तार का टूट जाना अथवा कोई टर्मिनल खुला/ढीला रहना इत्यादि | 

खुला परिपथ अथवा निरंतरता परीक्षण को निम्न चित्रानुसार व निम्न बिन्दुओं के अनुसार किया जाता है :-

1. मुख्य बोर्ड व वितरण बोर्ड के सभी फ्यूज निकाल दें |
2. सभी पंखे, लैम्प इत्यादि को लगे रहने दें |
3. सभी सॉकेट को एक जम्पर तार द्वारा लघु पथित (Short circuit) कर दें |
4. सभी स्विच ऑफ (Off) कर दें |
5. मैगर के E व L सिरों को वितरण बोर्ड से वायरिंग की तरफ जाने वाले क्रमशः न्यूट्रल व फेज तार से जोड़ दें |
6. मैगर को चालू कर दें |
7. अब सभी स्विचों को एक-एक कर चालू (On) करके बंद (Off) करें |

स्विच के चालू होने पर मैगर 0Ω प्रतिरोध दर्शायेगा तथा ऑफ होने पर ∞ (अनन्त) प्रतिरोध दर्शायेगा | अगर किसी स्विच के चालू होने पर भी ∞ (अनन्त) प्रतिरोध दर्शा रहा है तो उस परिपथ में खुला परिपथ दोष है | अतः खुला परिपथ दोष को दूर कर फिर से उपरोक्त जाँच करें तथा जाँच ठीक प्रकार से होने पर सभी सॉकेट का जम्पर निकाल दें तथा सभी फ्यूज लगा दें तत्पश्चात अन्य सभी आवश्यक परीक्षण कर विधुत सप्लाई चालू करें |

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

Open circuit test

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

2. लघु परिपथ परीक्षण (Short circuit test)

इस परीक्षण को भी अधिष्ठापन / वायरिंग (Wiring) पर आवश्यक रूप से करना चाहिए | इस परीक्षण में वायरिंग में लघु परिपथ की जाँच की जाती है जैसे फेज तार से न्यूट्रल अथवा अर्थ तार का छू जाना |

लघु परिपथ परीक्षण को निम्न चित्रानुसार व निम्न बिन्दुओं के अनुसार किया जाता है :-

1. मुख्य स्विच को बंद (off) कर दें तथा मुख्य फ्यूज निकाल दें |
2. सभी सीलिंग रोज से पंखों के तार हटा दें, सभी लैम्प व अन्य लोड भी हटा दें |
3. सभी स्विचों को चालू कर दें |
4. मुख्य स्विच से वायरिंग की तरफ जाने वाले न्यूट्रल व फेज तारों से मैगर के क्रमशः  E व L सिरों को  जोड़ दें |
5. मैगर को चालू कर जाँच करें | 

यदि मैगर 1MΩ या अधिक प्रतिरोध दर्शाए तो शोर्ट सर्किट दोष नहीं है व इंसुलेशन भी पर्याप्त है | मैगर 0Ω दर्शाए तो वायरिंग में लघु पथन दोष है और अगर 0Ω से 1MΩ के मध्य प्रतिरोध दर्शाए तो वायरिंग का प्रतिरोध पर्याप्त नहीं है |

इसी प्रकार जैसे न्यूट्रल व फेज के मध्य जाँच की है उसी प्रकार अर्थ व फेज के मध्य भी जाँच करें | दोष होने पर एक-एक परिपथ की जाँच करें, जिस परिपथ का प्रतिरोध 1MΩ से कम दर्शाए तो समझो उस परिपथ में दोष है | परिपथ के दोष को ठीक कर फिर से जाँच कर विधुत सप्लाई चालू करें |

Short circuit test ITIWALE

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

 

3. ध्रुवता परीक्षण (Polarity test)

एक अच्छा विधुत्कार हमेशा इस तरह वायरिंग करता है कि फेज तार स्विच से नियंत्रित हो, फेज तार में फ्यूज, MCB इत्यादि परिपथ वियोजक (Circuit breaker) लगे हों तथा सभी सॉकेट के दायें बिंदु में फेज तार लगा हो, बाएं बिंदु में न्यूट्रल तार लगा हो तथा ऊपर बीच वाले बिंदु में अर्थ तार लगा हो (सामने से देखने पर) | इन सभी की जाँच करने के लिए ध्रुवता परीक्षण (Polarity test) किया जाता है | 

ध्रुवता उलटी होने पर वायरिंग में लघु परिपथ होने की अधिक सम्भावना होती है तथा सुरक्षा की द्रष्टि से भी उलटी ध्रुवता ठीक नहीं होती है |

ध्रुवता परीक्षण को मल्टीमीटर, फेज टेस्टर अथवा टेस्ट लैंप की सहायता से निम्न प्रकार किया जाता है | 

i. टेस्ट लैम्प द्वारा ध्रुवता परीक्षण (Polarity test by test lamp)

टेस्ट लैंप द्वारा तथा मल्टीमीटर द्वारा वायरिंग के ध्रुवता परीक्षण की विधि एक समान ही हैं | टेस्ट लैंप द्वारा वायरिंग का ध्रुवता परीक्षण निम्न प्रकार किया जाता है :-
1. मुख्य वितरण बोर्ड की सभी MCB चालू कर अथवा फ्यूज लगाकर विधुत सप्लाई चालु कर दें |
2. सभी स्विच ऑफ कर दें, केवल सॉकेट के स्विच चालू रखें |
3. टेस्ट लैंप की लीड का एक सिरा अर्थ से लगायें तथा दूसरे सिरे को स्विच के नीचे वाले बिंदु व सॉकेट के दायें बिन्दुओं पर लगा-लगाकर देखें, यदि टेस्ट लैंप रौशनी देता है तो ध्रुवता सही है अथवा रौशनी नहीं देने की स्थिति में मुख्य सप्लाई के फेज व न्यूट्रल के कनेक्शन बदलकर पुनः जाँच करें | 

Polarity test

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

ii. मल्टीमीटर द्वारा ध्रुवता परीक्षण (Polarity test by multimeter)

मल्टीमीटर द्वारा तथा टेस्ट लैंप द्वारा वायरिंग का ध्रुवता परीक्षण समान प्रकार से किया जाता है | मल्टीमीटर द्वारा ध्रुवता परीक्षण निम्नं प्रकार किया जाता है :-

1.  मुख्य वितरण बोर्ड की सभी MCB चालू कर अथवा फ्यूज लगाकर विधुत सप्लाई चालु कर दें |
2. सभी स्विच ऑफ कर दें, केवल सॉकेट के स्विच चालू रखें |
3.  मल्टीमीटर की नोब का चयन 500 volt पर करें |
4.  मल्टीमीटर की लीड का एक सिरा अर्थ से लगायें तथा दूसरे सिरे को स्विच के नीचे वाले बिंदु व सॉकेट के दायें बिन्दुओं पर लगा-लगाकर देखें, ध्रुवता सही होने पर मल्टीमीटर 200 से 300 वोल्टेज के मध्य दर्शायेगा अथवा 0 वोल्ट दर्शाने की स्थिति में मुख्य सप्लाई के फेज व न्यूट्रल के कनेक्शन बदलकर पुनः जाँच करें | 

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

iii. फेज टेस्टर द्वारा ध्रुवता परीक्षण (Polarity test by phase tester)

फेज टेस्टर को नियोन टेस्टर के नाम से भी जाना जाता है | फेज टेस्टर द्वारा वायरिंग का ध्रुवता परीक्षण निम्न प्रकार किया जाता है :-

1.  मुख्य वितरण बोर्ड की सभी MCB चालू कर अथवा फ्यूज लगाकर विधुत सप्लाई चालु कर दें |
2.  सभी स्विच ऑफ कर दें, केवल सॉकेट के स्विच चालू रखें |
3.  फेज टेस्टर के ऊपर लगे पेंच/टोपी को हाथ से स्पर्श करते हुए फेज टेस्टर की टिप को स्विचों के निचे वाले बिंदु तथा सॉकेट के दायें बिन्दुओं पर लगाकर देखें, यदि फेज टेस्टर रौशनी देता है तो ध्रुवता सही है | फेज टेस्टर द्वारा रौशनी नहीं देने की स्थति में मुख्य सप्लाई के फेज व न्यूट्रल के कनेक्शन बदलकर पुनः जाँच करें | 

Polarity test by phase tester

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

4. अर्थ परीक्षण (Earth test)

एक अच्छा विधुत्कार विधुत वायरिंग करते समय अर्थ की स्थापना भी करता है और सभी धात्विक उपकरणों/मशीनों व सोकिटों के अर्थ बिंदु को अर्थ से भली प्रकार जोड़ता है | लेकिन अर्थ की स्थापना भली प्रकार नहीं होने, जोड़ ढीले होने अथवा जोड़ों पर कोरोजन आ जाने के कारण अर्थिंग से कोई विशेष लाभ नहीं मिलता है | 

अतः समय-समय पर अर्थ की जाँच करना आवश्यक है | अर्थ टेस्टर से जाँच करने पर अर्थ प्रतिरोध का मान 5Ω से अधिक नहीं होना चाहिए | अर्थ टेस्टर द्वारा अर्थ की जाँच निम्न प्रकार की जाती है :-

1.  अर्थ इलेक्ट्रोड से सभी कनेक्शन हटा दें |
2. अर्थ टेस्टर के ‘दाब स्पाइक’ को मुख्य इलेक्ट्रोड से 12.5 मीटर की दूरी पर तथा ‘धारा स्पाइक’ को मुख्य इलेक्ट्रोड से 25 मीटर की दूरी पर निम्न चित्र के अनुसार गाड़ें |
3.  चित्र के अनुसार सभी कनेक्शन करें |
4.  अर्थ टेस्टर को चालू करें |
5.  अर्थ टेस्टर में पठन को पढ़ें |
6.  इसी प्रकार मुख्य इलेक्ट्रोड से अन्य दिशाओं में भी दाब व धारा स्पाइक को गाड़कर जाँच करें | सभी मानों का ओसत मान ही अर्थ का प्रतिरोध होगा | अर्थ का प्रतिरोध 5Ω अथवा 5Ω से कम है तो अर्थ ठीक है तथा अगर अर्थ का मान 5Ω से अधिक है तो अर्थ में चारकोल व पानी इत्यादि डाल कर अर्थ को ठीक करें |

Earth testing

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

5. प्रतिरोध अथवा इंसुलेशन परीक्षण (Insulation test)

यह परिक्षण लघु परिपथ परिक्षण की भांति ही किया जाता है | प्रतिरोध अथवा इंसुलेशन के निम्न दो परीक्षण किये जाते हैं :-

1. तारों/चालकों के मध्य परीक्षण
2. चालकों व अर्थ के मध्य परीक्षण

i. तारों/चालकों के मध्य परीक्षण

इस परीक्षण में यह जाँच की जाती है कि फेज व न्यूट्रल तार के मध्य कितना प्रतिरोध है | इस परीक्षण को निम्न प्रकार किया जाता है :-

1.  मुख्य स्विच को बंद (off) कर दें तथा मुख्य फ्यूज निकाल दें |
2. वायरिंग में लगे सभी भार (जैसे पंखे, लैम्प व अन्य भार) हटा दें |
3.  सभी स्विच चालू कर दें |
4.  मेगर की एक लीड को फेज तार से जोड़ें तथा दूसरी लीड को न्यूट्रल तार से जोड़ें |
5.  मेगर को चालू करें तथा पठन की जाँच करें |
6.  प्रतिरोध का मान 1MΩ अथवा अधिक होना चाहिए | प्रतिरोध का मान कम होने की स्थिति में तारों की इंसुलेशन की जाँच करें | लघु परिपथ की स्थिति में मेगर शून्य मान दर्शायेगा |

Insulation test between phase and nyutral

ii. चालकों व अर्थ के मध्य परीक्षण

इस परीक्षण में यह जाँच की जाती है कि फेज न्यूट्रल व अर्थ के मध्य कितना प्रतिरोध है | इस परीक्षण को निम्न प्रकार किया जाता है :-

1.  मुख्य स्विच को बंद कर दे तथा मुख्य फ्यूज निकाल दें |
2. वायरिंग में लगे सभी भार (जैसे पंखे, लैम्प व अन्य भार) हटा दें |
3.  सभी स्विच चालू कर दें |
4. मुख्य स्विच से वायरिंग की तरफ जाने वाले फेज व न्यूट्रल तारों को आपस में लघु परिपथ कर दें |
5.  मेगर की एक लीड को लघु परिपथ किये गए फेज व न्यूट्रल तार से जोड़ें तथा दूसरी लीड को अर्थ से जोड़ें |
6.  मेगर को चालू करें तथा पठन की जाँच करें |
7.  प्रतिरोध का मान 1MΩ अथवा अधिक होना चाहिए | प्रतिरोध का मान कम होने की स्थिति में तारों की इंसुलेशन की जाँच करें | लघु परिपथ की स्थिति में मेगर शून्य मान दर्शायेगा |

Insulation test between phase nyutral and earth

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

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