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ट्रांसफार्मर के बहुविकल्पीय प्रश्न (भाग-3) | Objective questions of Transformer part 3
Objective questions of Transformer part 3
1. एक परिणामित्र में प्राथमिक तथा द्वितीय कुंडलन के मध्य प्रतिरोध होता है
A. लगभग 5 Ω
B. लगभग 1 Ω
C. शून्य
D. अनंत
उत्तर- D. अनंत
2. परिणामित्र में टेप चेंजर का क्या उद्देश्य है ?
A. प्राथमिक वोल्टेज में बदलाव करने के लिए
B. द्वितीयक वोल्टेज में बदलाव करने के लिए
C. शक्ति गुणक में बदलाव करने के लिए
D. करंट में बदलाव करने के लिए
उत्तर- B. द्वितीयक वोल्टेज में बदलाव करने के लिए
विवरण- परिणामित्र कि आउटपुट अथवा द्वितीयक वोल्टेज में बदलाव करने के लिए टेप चेंजर लगाया जाता है |
3. परिणामित्र की दक्षता शून्य कब होती है
A. शून्य भार पर
B. पूर्ण भार पर
C. चोथाई भार पर
D. आधे भार पर
उत्तर- A. शून्य भार पर
विवरण- क्योंकि शून्य भार पर परिणामित्र की आउटपुट भी शून्य होती है तत्पश्चात दक्षता भी शून्य होती है |
4. परिणामित्र में इन्सुलेटिंग के लिए सबसे उपयुक्त तरल पदार्थ है-
A. हाइड्रोकार्बन तेल
B. पानी
C. A ग्रेड खनिज तेल
D. खनिज तेल
उत्तर- A. हाइड्रोकार्बन तेल
5. शक्ति परिणामित्र की दक्षता लगभग होती है-
A. 100%
B. 80%
C. 96%
D. 86%
उत्तर- C. 96%
6. ट्रांसफॉर्मर में ब्रीदर का क्या कार्य है-
A. परिणामित्र में शुद्ध ऑक्सीजन पहुंचाना
B. परिणामित्र के अन्दर जाने वाली हवा से नमी को सोखना
C. परिणामित्र को ठंडा करना
D. परिणामित्र तेल को ठंडा करना
उत्तर- B. परिणामित्र के अन्दर जाने वाली हवा से नमी को सोखना
विवरण- परिणामित्र के अन्दर तेल का संकुचन होते समय बाहर की हवा अन्दर जाती है | ब्रीदर में रखा सिलिका जैल, परिणामित्र के अन्दर जाने वाली हवा से नमी को सोख लेता है |
7. एक व्यावहारिक परिणामित्र (Transformer) में ताम्र हानियाँ कितनी होती हैं ?
A. कुल हानियों की 85%
B. कुल हानियों की 65%
C. कुल हानियों की 10%
D. कुल हानियों की 05%
उत्तर- A. कुल हानियों की 85%
8. सामान्यतया 5 KVA तक के परिणामित्र की शीतलन प्रणाली होती है-
A. जल दाब द्वारा शीतलन
B. गैस द्वारा शीतलन
C. प्राकृतिक वायु द्वारा शीतलन
D. तेल द्वारा शीतलन
उत्तर- C. प्राकृतिक वायु द्वारा शीतलन
9. निम्न को कम करने के लिए परिणामित्र की क्रोड को पट्टलित किया जाता है |
A. कुंडलन प्रतिरोध
B. हिस्टेरेसिस हानि
C. ताम्र हानि
D. भँवर धारा हानि
उत्तर- D. भँवर धारा हानि
विवरण- परिणामित्र की क्रोड को पटलित बनाने से भंवर धारा हानियां कम हो जाती हैं
10. एक वितरण परिणामित्र (Distribution transformer) की पूर्ण दिवस दक्षता (All _day Efficiency) व्यावसायिक दक्षता (Commercial Efficiency) से .... होती है
A. दो गुनी
B. कम
C. अधिक
D. बराबर
उत्तर- B. कम
विवरण- वितरण परिणामित्र की पूर्ण दिवस दक्षता, व्यवसायिक दक्षता से कम होती है |
Objective questions of Transformer part 3
11. बक बूस्ट परिणामित्र क्या होता है ?
A. दो कुण्डली परिणामित्र
B. उपकरण परिणामित्र
C. एडजस्टेबल परिणामित्र
D. एक कुण्डली परिणामित्र
उत्तर- A. दो कुण्डली परिणामित्र
12. परिणामित्र में लघु परिपथ परीक्षण (Short Circuit Test) क्यों किया जाता है ?
A. लोह हानियाँ ज्ञात करने के लिए
B. शून्य भार पर ताम्र हानियाँ ज्ञात करने के लिए
C. पूर्ण भार पर ताम्र हानियाँ ज्ञात करने के लिए
D. उपरोक्त में कोई नहीं
उत्तर- C. पूर्ण भार पर ताम्र हानियाँ ज्ञात करने के लिए
विवरण- पूर्ण भार पर ताम्र हानियां ज्ञात करने के लिए लघु परिपथ परीक्षण (Short Circuit Test) किया जाता है |
13. परिणामित्रों को श्रेणी में क्यों जोड़ा जाता है ?
A. अच्छा प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए।
B. भार कम करने के लिए
C. उच्च धारा प्राप्त करने के लिए।
D. उच्च वोल्टेज प्राप्त करने के लिए।
उत्तर- D. उच्च वोल्टेज प्राप्त करने के लिए।
विवरण- परिणामित्रों को श्रेणी में जोड़ने से उच्च वोल्टेज प्राप्त होती है।
14. एक सामान्य परिणामित्र अपनी उच्चतम दक्षता पर कब कार्य करता है ?
A. वोल्टता नियमन न्यूनतम हो
B. ताम्र क्षति लोह क्षति के समान हो
C. प्राथमिक प्रतिरोध द्वितीयक प्रतिरोध के समान हो
D. हिस्टेरेसिस क्षति भँवर धारा क्षति के समान हों
उत्तर- B. ताम्र क्षति लोह क्षति के समान हो
15. एक आदर्श परिणामित्र में-
A. हानियां तथा चुम्बकीय लीकेज नहीं होता
B. प्राथमिक तथा द्वितीयक वाइंडिंग इंटरलीव्ड होती है
C. प्राथमिक तथा द्वितीयक कुंडलन के लिए अलग-अलग कोर होती है
D. कुंडलन एल्युमीनियम की ना होकर तांबा की होती है
उत्तर- A. हानियां तथा चुम्बकीय लीकेज नहीं होता
16. परिणामित्र में कौन सा भाग सबसे अधिक गर्म होता है ?
A. परिणामित्र टैंक
B. कुंडलन
C. तेल
D. क्रोड
उत्तर- B. कुंडलन
विवरण- परिणामित्र में कुंडलन सबसे अधिक गर्म होती है
17. वोल्टेज रेगुलेटर की तरह उपयोग होने वाला परिणामित्र है-
A. उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer)
B. अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer)
C. 1 फेज परिणामित्र
D. स्व परिणामित्र (Auto transformer)
उत्तर- D. स्व परिणामित्र (Auto transformer)
18. परिणामित्र की पूर्ण दिवस दक्षता को...........भी कहते हैं।
A. ऊर्जा दक्षता
B. शक्ति दक्षता
C. कार्य दक्षता
D. उपरोक्त में कोई नहीं
उत्तर- A. ऊर्जा दक्षता
विवरण- परिणामित्र की पूर्ण दिवस दक्षता को ऊर्जा दक्षता के नाम से भी जाना जाता है |
19. परिणामित्र तेल की परावैद्युत सामर्थ्य (Dielectric strength) का मापन किस पर निर्भर करता है ?
A. जाँच उपकरण की सफाई पर
B. सैम्पल पर
C. ऑपरेटर की दक्षता पर
D. जाँच उपकरण पर
उत्तर- A. जाँच उपकरण की सफाई पर
20. किसी परिणामित्र पर 0.8 Lagging पॉवर फैक्टर पर दक्षता 95% है | इसी परिणामित्र पर समान भार पर 0.8 Leading पॉवर फैक्टर पर क्या दक्षता होगी
?
A. 95%
B. 85%
C. 95% से कम
D. 95% से अधिक
उत्तर- A. 95%
Objective questions of Transformer part 3
21. वह परिणामित्र जिस पर केवल प्रकाश भार जुड़ा है, की शक्ति दक्षता पूर्ण दिवस दक्षता से ..... होती है
A. कम
B. बराबर
C. आधी
D. अधिक
उत्तर- D. अधिक
विवरण- वह परिणामित्र जिस पर केवल प्रकाश भार जुड़ा है उसकी शक्ति दक्षता पूर्ण दिवस दक्षता से हमेशा अधिक होती है |
22. परिणामित्र में लोड घटने या बढ़ने पर लोह क्षति में कोई परिवर्तन नहीं होता है क्योंकि-
A. कोर का घनत्व समान रहता है
B. वोल्टेज समान रहती है
C. कोर में फ्लक्स स्थिर रहती है
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- C. कोर में फ्लक्स स्थिर रहती है
23. बकोल्ज रिले को परिणामित्र में किस स्थान पर लगाया जाता है ?
A. परिणामित्र टैंक के अन्दर
B. ब्रीदर से पहले
C. मुख्य टैंक व कंजरवेटर के मध्य
D. ब्रीदर व कंजरवेटर के मध्य
उत्तर- C. मुख्य टैंक व कंजरवेटर के मध्य
24. स्व परिणामित्र (Auto Transformer) का उपयोग किया जाता है-
A. आउटपुट में स्थिर वोल्टता पाने के लिए
B. स्वतः वोल्टता में परिवर्तन के लिए
C. वोल्टता में थोड़ा परिवर्तन करने के लिए
D. ऑटोमोबाइल में
उत्तर- C. वोल्टता में थोड़ा परिवर्तन करने के लिए
विवरण- जहां वोल्टता में थोड़ा-बहुत परिवर्तन करना हो वहां स्व परिणामित्र का उपयोग किया जाता है
25. धारा परिणामित्र व विभव परिणामित्र का उपयोग निम्न का रेंज बढ़ाने के लिए किया जाता है-
A. क्रमश: AC अमीटर और DC वोल्टमीटर
B. क्रमश: AC अमीटर और AC वोल्टमीटर
C. क्रमश: DC अमीटर और DC वोल्टमीटर
D. क्रमश: DC अमीटर और AC वोल्टमीटर
उत्तर- B. क्रमश: AC अमीटर और AC वोल्टमीटर
विवरण- धारा परिणामित्र का उपयोग AC अमीटर की रेंज बढ़ाने के लिए तथा विभव परिणामित्र का उपयोग AC वोल्टमीटर की रेंज बढ़ाने के लिए किया जाता है।
26. शक्ति परिणामित्र (Power Transformer) इस प्रकार बनाये जाते हैं कि............पर इनकी दक्षता अधिकतम हो
A. आधे भार
B. पूर्णभार से अधिक
C. शून्य भार
D. पूर्णभार
उत्तर- D. पूर्णभार
27. एक परिणामित्र के पूर्ण भार पर ताम्र क्षति 1600 वाट है तो इस परिणामित्र पर 75% भार पर ताम्र क्षति कितनी होगी ?
A. 300 वाट
B. 900 वाट
C. 800 वाट
D. 1200 वाट
उत्तर- B. 900 वाट
28. परिणामित्र में ताम्र क्षति (Copper loss) का मुख्य कारण है-
A. चुम्बकीय क्षेत्र के कारण
B. भँवर धारा क्षति के कारण
C. कुंडलन के प्रतिरोध के कारण
D. वोल्टेज ड्राप के कारण
उत्तर- C. कुंडलन के प्रतिरोध के कारण
29. किसी धारा परिणामित्र (CT) से एमीटर को जोड़ने से पहले क्या करना चाहिए ?
A. CT की प्राथमिक वाइंडिंग लघु पथित (Short circuit) कर देनी चाहिए |
B. CT की द्वितीयक वाइंडिंग लघु पथित (Short circuit) कर देनी चाहिए |
C. CT की प्राथमिक वाइंडिंग Open कर देनी चाहिए |
D. CT की द्वितीयक वाइंडिंग Open कर देनी चाहिए |
उत्तर- B. CT की द्वितीयक वाइंडिंग लघु पथित (Short circuit) कर देनी चाहिए |
30. परिणामित्र की प्राथमिक व द्वितीयक वोल्टता के मध्य फेज अंतर होता है-
A. 30°
B. 45°
C. 90°
D. 180°
उत्तर- D. 180°
Objective questions of Transformer part 3
31. परिणामित्र में उपयोग हो रहा ऐसा तेल जिसकी परावैद्युत सामर्थ्य (Die-electric strength) 20 KV से कम है-
A. उसे निकालकर फेंक देना चाहिये
B. उसे गर्म करके उपयोग करना चाहिए
C. उपयोग करते रहना चाहिये
D. उसे फिल्टर करके उपयोग करना चाहिए
उत्तर- D. उसे फिल्टर करके उपयोग करना चाहिए
32. शक्ति परिणामित्र (Power transformer) में टैपिंग किस तरफ होती हैं ?
A. उच्च वोल्टेज (HT) की तरफ
B. निम्न वोल्टेज (LT) की तरफ
C. दोनों तरफ
D. दोनों के बीच में
उत्तर- A. उच्च वोल्टेज की तरफ
33. वितरण परिणामित्र को बनाते समय लोह हानियां कम से कम होने वाला बनाया जाता है क्योंकि
A. वितरण परिणामित्र की प्राथमिक कुंडलन, प्रदाय से हमेशा जुड़ी रहती है।
B. लोह हानियों से ताम्र हानियां भी बढती हैं।
C. लोह हानियों के कारण प्रतिरोधक जल्दी खराब हो जाता है
D. परिणामित्र तेल जल्दी गर्म हो जाता है।
उत्तर- A. वितरण परिणामित्र की प्राथमिक कुंडलन, प्रदाय से हमेशा जुड़ी रहती है।
विवरण- प्रदाय से जुड़ने पर शुन्य भार पर भी परिणामित्र में लोह हानियां होती हैं अतः प्रदाय से जुड़ते ही लोह हानियां शुरू हो जाती हैं |
34. परिणामित्र का शक्ति गुणक होता है-
A. 1
B. 0.9 अग्रगामी
C. 0.9 पश्चगामी
D. भार के शक्ति गुणक पर निर्भर करता है
उत्तर- D. भार के शक्ति गुणक पर निर्भर करता है
35. शुष्क सिलिका जेल का रंग कैसा होता है ?
A. गुलाबी
B. पीला
C. नीला
D. काला
उत्तर- C. नीला
विवरण- शुष्क सिलिका जेल का रंग नीला होता है। नमी सोखने पर इसका रंग गुलाबी हो जाता है |

36. नम सिलिका जेल का रंग कैसा होता है ?
A. गुलाबी
B. पीला
C. नीला
D. काला
उत्तर- A. गुलाबी
विवरण- नम सिलिका जेल का रंग गुलाबी होता है।
37. एक परिणामित्र की आवृति कम हो जाने पर-
A. क्रोड में फ्लक्स घनत्व समान रहेगा
B. लोह हानियाँ कम हो जायेंगी
C. क्रोड का फ्लक्स घनत्व बढ़ जायेगा
D. वोल्टेज बढ़ जाएगी
उत्तर- B. लोह हानियाँ कम हो जायेंगी
विवरण- परिणामित्र की आवर्ती कम हो जाने पर उसकी लोह हानियां भी कम हो जाती हैं |
38. वह परिणामित्र जो प्राथमिक कुंडलन को द्वितीयक कुंडलन से आइसोलेट नहीं करता है
A. वितरण परिणामित्र (Distribution transformer)
C. धारा परिणामित्र (Current transformer)
B. विभव परिणामित्र (Potential transformer)
D. स्व परिणामित्र (Auto transformer)
उत्तर- D. स्व परिणामित्र (Auto transformer)
विवरण- स्व परिणामित्र (Auto transformer) की प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन एक ही होती है |
39. परिणामित्र की प्राथमिक वोल्टता कम करने से-
A. लोह हानियाँ बढ़ जाती हैं।
B. लोह हानियाँ समान रहती हैं।
C. लोह हानियाँ कम हो जाती हैं।
D. द्वितीयक की वोल्टता बढ़ जाती है।
उत्तर- C. लोह हानियाँ कम हो जाती हैं।
विवरण- परिणामित्र की प्राथमिक वोल्टता को कम करने से लोह हानियां भी कम हो जाती हैं |
40. वितरण परिणामित्र (Distribution transformer) की पूर्ण दिवस दक्षता अधिकतम होती हैं। क्योंकि-
A. लोह व ताम्र हानियाँ दोनों बहुत कम होती है।
B. लोह हानियाँ बहुत कम होती है।
C. ताम्र हानियाँ बहुत कम होती है।
D. इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर- B. लोह हानियाँ बहुत कम होती है।
Objective questions of Transformer part 3
41. किसी परिणामित्र में हिस्टेरेसिस क्षतियां किस पर निर्भर करती हैं ?
A. केवल करंट पर
B. केवल वोल्टेज पर
C. कोर की मोटाई पर
D. केवल लोड पर
उत्तर- C. कोर की मोटाई पर
42. किसी परिणामित्र में भंवर धारा क्षतियां किस पर निर्भर करती हैं ?
A. केवल लोड पर
B. केवल करंट पर
C. केवल आवृति (Frequency) के वर्ग पर
D. केवल आवृति (Frequency) पर
उत्तर- D. केवल आवृति (Frequency) पर
43. एक परिणामित्र की लोह हानियाँ 600 वाट है जब वह अपनी उच्चतम दक्षता पर कार्य कर रहा है। तब इसकी ताम्र हानियाँ होगीं-
A. 400 वाट
B. 600 वाट
C. 900 वाट
D. 1200 वाट
उत्तर- B. 600 वाट
विवरण- एक परिणामित्र की लोह हानियां व ताम्र हानियां समान होने पर उसकी दक्षता उच्च होती है
44. निम्न में से स्व परिणामित्र (Auto transformer) होता है-
A. एलिमिनेटर्स
B. वाणिज्यिक भवनों में लगे परिणामित्र
C. क्लैंप मीटर / टोंग टेस्टर
D. श्रृंखला लाइन बूस्टर
उत्तर- D. श्रृंखला लाइन बूस्टर
45. आर्क वेल्डिंग के लिए उपयोग किये जाने वाले परिणामित्र की द्वितीयक धारा व वोल्टेज होती है-
A. निम्न धारा, उच्च वोल्टेज
B. उच्च धारा, उच्च वोल्टेज
C. निम्न धारा, निम्न वोल्टेज
D. उच्च धारा, निम्न वोल्टेज
उत्तर- D. उच्च धारा, निम्न वोल्टेज
46. किसी परिणामित्र की पूर्ण भार पर लौह क्षति 500 वाट है, इसी परिणामित्र की आधे भार पर लोह क्षति कितनी होगी ?
A. 125 वाट
C. 250 वाट
B. 1000 वाट
D. 500 वाट
उत्तर- D. 500 वाट
विवरण- क्योंकि परिणामित्र की लोह क्षति सभी भारों पर समान होती है |
47. 0.9 पॉवर फैक्टर पर किसी परिणामित्र की पूर्ण रेटिंग 180 KW है तो उस परिणामित्र की KVA रेटिंग क्या होगी ?
A. 360 KVA
B. 200 KVA
C. 180 KVA
D. 190 KVA
उत्तर- B. 200 KVA
विवरण- KVA रेटिंग में पॉवर फैक्टर को शामिल नहीं किया जाता, इसलिए इसकी गणना 1 अथवा यूनिटी पॉवर फैक्टर मानकर की जाती है |
अतः 1 अथवा यूनिटी पॉवर फैक्टर पर रेटिंग =180×1/0.9 = 200
48. किसी परिणामित्र के लिए कौन सी स्थिति अधिकतम कार्य क्षमता की होती है-
A. कोर क्षति = हिस्टेरिसिस क्षति
B. ताम्र क्षति = आयरन क्षति
C. हिस्टेरिसिस क्षति = एडी करंट क्षति
D. कुल क्षति = 1/2 ताम्र क्षति
उत्तर- B. ताम्र क्षति = आयरन क्षति
49. निम्न में से कौन सा द्रव परिणामित्र में शीतलन के लिए उपयोग नहीं करना चाहिये
A. जल
B. सिलिकॉन तरल
C. खनिज तेल
D. हाइड्रोकार्बन तेल
उत्तर- A. जल
विवरण- पानी का उपयोग परिणामित्र के शीतलन के लिए नहीं किया जाता | कभी-कभी बड़े परिणामित्रों के टैंक में भरे तेल में से पानी के पाइप गुजारकर तेल को ठंडा किया जाता है लेकिन प्रत्यक्ष (Direct) रूप से पानी से परिणामित्र ठंडा नहीं किया जाता |
50. कुल कोर क्षति को क्या कहते है ?
A. चुम्बकीय क्षति
B. हिस्टेरेसिस क्षति
C. भंवर धारा क्षति
D. तांबा क्षति
उत्तर- A. चुम्बकीय क्षति
Objective questions of Transformer part 3
51. परिणामित्र में नमी के प्रवेश को रोकने के लिए ब्रीदर में इस्तेमाल किया जाता है-
A. खनिज तेल
B. सोडियम सिलिकेट
C. सिलिका जैल
D. हाइड्रोकार्बन तेल
उत्तर- C. सिलिका जैल
विवरण- ब्रीदर में सिलिका जेल भरी जाती है जो अन्दर जाने वाली हवा से नमी को सोख लेती है |
52. स्कॉट कनेक्शन किस प्रकार की सप्लाई के लिए प्रयुक्त होता है-
A. 2 फेज से 3 फेज
B. 3 फेज से 2 फेज
C. 3 फेज से 1 फेज
D. 1 फेज से 3 फेज
उत्तर- B. 3 फेज से 2 फेज
53. तीन एक फेज परिणामित्र, प्रत्येक की क्षमता 5KVA है, को क्लोज्ड डेल्टा संयोजन में जोड़ा गया है, यदि एक ट्रांसफॉर्मर को हटा लिया जाये तो इनकी भार उठाने की क्षमता कितनी रह जायेगी ?
A. 20 KVA
B. 15 KVA
C. 8.7 KVA
D. 5 KVA
उत्तर- C. 8.7 KVA
विवरण- तीन में से एक परिणामित्र को हटाने पर बचे हुए V प्रकार के कनेक्शन को ओपन डेल्टा कनेक्शन कहते हैं जिसकी क्षमता, कुल क्षमता की 58% होती है-
अतः कुल क्षमता = 5 x 3 = 15 KVA
ओपन डेल्टा में क्षमता = 58%
15 x 58 / 100 = 8.7 KVA
54. परिणामित्र में उच्च वोल्टता नियमन (Voltage regulation) में
A. शून्य भार से पूर्ण भार तक निम्न वोल्टता परिवर्तन
B. शून्य भार से पूर्ण भार तक उच्च वोल्टता परिवर्तन
C. निम्न लोह हानियाँ
D. निम्न ताम्र हानियाँ
उत्तर- A. शून्य भार से पूर्ण भार तक निम्न वोल्टता परिवर्तन
विवरण- जिस परिणामित्र में शुन्य भार से पूर्ण भार तक बहुत कम वोल्टेज परिवर्तन होता है उसका वोल्टता नियमन (Voltage regulation) अच्छा/उच्च माना जाता है |
55. टरशरी कुण्डलन को निम्न में से किसमे किया जाता है -
A. स्टार-डेल्टा संयोजन में
B. डेल्टा-स्टार संयोजन में
C. डेल्टा-डेल्टा संयोजन में
D. स्टार-स्टार संयोजन में
उत्तर- D. स्टार-स्टार संयोजन में
56. किसी सब स्टेशन पर वोल्टता को स्टैप डाऊन करने के लिए परिणामित्र में संयोजन प्रयोग किया जाता है
A. स्टार-स्टार संयोजन
B. डेल्टा-डेल्टा संयोजन
C. स्टार-डेल्टा संयोजन
D. डेल्टा-स्टार संयोजन
उत्तर- (C) स्टार-डेल्टा संयोजन
57. एक डेल्टा में संयोजित परिणामित्र की एक फेज की कुंडली जल जाने पर उसकी शक्ति कितनी होगी
A. पूर्ण भार शक्ति की 86.6%
B. पूर्ण भार शक्ति की 50% रह जाएगी
C. पूर्ण भार शक्ति के बराबर
D. शून्य
उत्तर- A. पूर्ण भार शक्ति की 86.6%
58. छोटे उच्च वोल्टेज वाले परिणामित्रों में सबसे उपयुक्त कनैक्शन हैं-
A. स्टार-स्टार संयोजन
B. डेल्टा-डेल्टा संयोजन
C. स्टार-डेल्टा संयोजन
D. डेल्टा-स्टार संयोजन
उत्तर- (C) स्टार-डेल्टा संयोजन
59. निम्न में से कौन से परिणामित्र उपभोक्ता को प्रदाय देता है-
A. स्टार-डेल्टा परिणामित्र
B. वितरण परिणामित्र
C. शक्ति परिणामित्र
D.आटो परिणामित्र
उत्तर- B. वितरण परिणामित्र
60. शक्ति परिणामित्र में किस कुंडलन से टेपिंग निकाली जाती है
A. उच्च वोल्टता कुंडलन से
B. निम्न वोल्टता कुंडलन से
C. दोनों कुंडलनों से
D. उपरोक्त में से किसी में से नहीं
उत्तर- A. उच्च वोल्टता कुंडलन से
Objective questions of Transformer part 3
61. किसी वितरण परिणामित्र की उच्चतम दक्षता किस भार पर प्राप्त होती है-
A. 75% भार पर
B. 50% भार पर
C. पूर्ण भार पर
D. शून्य भार पर
उत्तर- B. 50% भार पर
62. किस प्रकार की कुंडलन का उपयोग 3 फेज शेल प्रकार परिणामित्र में किया जाता है ?
A. आयताकार प्रकार
B. वृत्ताकार प्रकार
C. बेलनाकार प्रकार
D. सैंडविच प्रकार
उत्तर- D. सैंडविच प्रकार
63. समानान्तर में प्रचालित 2 परिणामित्र भार को अपनी ............ के अनुसार बाँट लेते हैं
A. दक्षता
B. क्षरण प्रतिघात
C. प्रति इकाई प्रतिबाधा
D. प्रतिरोध
उत्तर- C. प्रति इकाई प्रतिबाधा
64. समानान्तर में प्रचालित 2 परिणामित्रों का वोल्टता अनुपात अलग-अलग होने पर वे
A. अपनी क्षमता अनुसार भार सहन नहीं करेंगे।
B. बिलकुल भी कार्य नही करेंगे।
C. अलग-अलग शक्ति गुणक पर कार्य करेंगे।
D. लघुपथित हो जाएंगे।
उत्तर- A. अपनी क्षमता अनुसार भार सहन नहीं करेंगे।
65. दो एक फेज परिणामित्रों के समानान्तर परिचालन के लिए निम्नलिखित में से कौन सी शर्त आवश्यक नहीं है ?
A. दोनों परिणामित्रो की KVA क्षमता समान होनी चाहिए।
B. परिणामित्र उचित ध्रुवता के साथ जुड़ने चाहिऐं।
C. दोनों परिणामित्रों की प्रतिशत प्रतिबाधा समान होनी चाहिऐ।
D. टर्न अनुपात समान होना चाहिऐं।
उत्तर- A. दोनों परिणमित्रो की KVA क्षमता समान होनी चाहिए।
66. अधिकतम किस भार पर खुला डेल्टा परिणामित्र सुरक्षा पूर्वक कार्य करता है ?
A. 75%
B. 100%
C. 65%
D. 58%
उत्तर- D. 58%
67. परिणामित्र का उपयोग किया जाता है
A. वोल्टेज बदलने के लिए
B. आवृति बदलने के लिए
C. शक्ति बदलने के लिए
D. पॉवर फैक्टर बदलने के लिए
उत्तर- A. वोल्टेज बदलने के लिए
68. परिणामित्र से होने वाला शोर कहलाता है-
A. हमिंग
B. रिंगिंग
C. बजिंग
D. सायरन
उत्तर- A. हमिंग
69. किसी परिणामित्र का परिणमन अनुपात (Transformation ratio) अर्थात K एक से अधिक है तो वह-
A. उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer) है
B. अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer) है
C. शक्ति परिणामित्र है
D. वितरण परिणामित्र है
उत्तर- A. उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer) है
70. किसी परिणामित्र का परिणमन अनुपात (Transformation ratio) अर्थात K एक से कम है तो वह-
A. उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer) है
B. अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer) है
C. शक्ति परिणामित्र है
D. वितरण परिणामित्र है
उत्तर- B. अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer) है

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1. परिणामित्र में लगे हॉर्न गैप का कार्य है-
A. उच्च धारा (Over current) से रक्षा करना
B. तड़ित (Lightning) से रक्षा करना
C. दोष (Fault) होने पर रक्षा करना
D. उच्च तापमान से रक्षा करना
उत्तर- B. तड़ित (Lightning) से रक्षा करना
2. परिणामित्र (Transformer) के किस भाग में भंवर धारा हानि (Eddy current losses) होती है।
A. क्रोड में
B. वाइंडिंग में
C. ब्रीदर में
D. तेल में
उत्तर- A. क्रोड में
विवरण- भंवर धारा हानि तथा हिस्टेरेसिस हानि क्रोड़ में होती हैं |
3. परिणामित्र (Transformer) कार्य करता है -
A. केवल दिष्टधारा पर
B. केवल प्रत्यावर्ती धारा पर
C. दोनों पर
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-B. केवल प्रत्यावर्ती धारा पर
विवरण- दिष्टधारा में प्रेरण का गुण नहीं होने के कारण परिणामित्र को दिष्टधारा प्रदाय से जोड़ने पर उसकी कुंडलन जल सकती है |
4. सामान्य सिलिका जेल किस रंग का होता है ? जो परिणामित्र के ब्रीदर में भरा हुआ होता है |
A. नीला बैंगनी
B. काला
C. हरा
D. पीला
उत्तर- A. नीला बैंगनी
विवरण- ट्रांसफॉर्मर के ब्रीदर में प्रयोग होने वाला ताजा सिलिका जेल निलॉसन लिए हुए बैंगनी रंग का होता है।
5. परिणामित्र तेल की परावैद्युत सामर्थ्य 20 kV से कम होने पर उसे-
A. कुंडलन में वार्निश करनी चाहिए
B. परिणामित्र में ही रहने देना चाहिये
C. फिल्टर करना चाहिये
D. परिणामित्र से निकाल देना चाहिये
उत्तर- C. फिल्टर करना चाहिये
विवरण- परिणामित्र का तेल जिसकी परावैद्युत सामर्थ्य 20 kV से कम हो गई हो उसे फ़िल्टर करके उपयोग करना चाहिए |
6. परिणामित्र के अधिक गर्म होने की क्या सम्भावना हो सकती है-
A. अतिभार
B. न्यून निवेश वोल्टता
C. उच्च परिवेशी तापमान
D. परिणामित्र के टर्मिनल ढीले होना
उत्तर- A. अतिभार
विवरण- परिणामित्र पर बहुत अधिक भार होने पर परिणामित्र अधिक गर्म होने लगता है |
7. वह यंत्र जो उच्च वोल्टता व उच्च धारा को सुरक्षित मापन मान तक कम कर सकता है
A. मल्टीमीटर (Multimeter)
C. शक्ति परिणामित्र (Power transformer)
B. स्व परिणामित्र (Auto transformer)
D. उपयन्त्र परिणामित्र (Instrument transformer)
उत्तर- D. उपयन्त्र परिणामित्र (Instrument transformer)
विवरण- उपयंत्र परिणामित्रों का उपयोग अधिक धारा अथवा वोल्टेज को कम कर मापने के लिए किया जाता है |
8. परिणामित्र किस प्रकार की मशीन है -
A. चलायमान मशीन
B. घूर्णीय मशीन
C. स्थैतिक मशीन
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- C. स्थैतिक मशीन
9. सामान्यतः शक्ति परिणामित्र को निम्न विधी द्वारा ठण्डा किया जाता है |
A. जल दाब द्वारा
B. वायु द्वारा ठण्डा
C. वायु दाब द्वारा ठण्डा
D. तेल द्वारा वायु दबाव से
उत्तर- D. तेल द्वारा वायु दबाव से
विवरण- सामान्यतः शक्ति परिणामित्र वायु दबाव से ठन्डे होने वाले तेल से भरे परिणामित्र होते हैं |
10. आदर्श परिणामित्र
A. जिसमें क्षरण प्रतिघात व हानियाँ नहीं होती हैं
B. जो अधिक गर्म नहीं होता है
C. प्राथमिक व द्वितीयक कुंडली में घुमावों की संख्या बराबर होती है
D. जिसमे केवल एक ही कुंडलन होती है
उत्तर- A. जिसमें क्षरण प्रतिघात व हानियाँ नहीं होती हैं
विवरण- एक आदर्श परिणामित्र में क्षरण प्रतिघात व हानियां नहीं होती हैं। लेकिन यह एक काल्पनिक परिणामित्र है, वास्तव में इस प्रकार का कोई परिणामित्र नहीं होता है |
Objective questions of Transformer part 2
11. परिणामित्र में लीकेज फ्लक्स निर्भर करता है—
A. प्रभावी वोल्टेज पर
B. लोड धारा पर
C. आवृति पर
D. मुचुअल फ्लक्स पर
उत्तर- B. लोड धारा पर
12. टैप्ड परिणामित्र क्या होता है ?
A. किसी भी कुंडलन से कई टर्मिनल निकाले हों, जिनसे वोल्टेज एडजस्ट की जा सके
B. जिसकी द्वितीयक कुंडलन में टेप हों
C. जिसकी प्राथमिक कुंडलन में टेप हों
D. इनमें से कोई नही।
उत्तर- A. किसी भी कुंडलन से कई टर्मिनल निकाले हों, जिनसे वोल्टेज एडजस्ट की जा सके
विवरण- वह परिणामित्र जिसमें वोल्टेज को एडजेस्ट करने के लिए किसी भी कुंडलन से कई टेप निकाली गई हों, टैप्ड परिणामित्रन कहलाता है |
13. एक 240V/24V स्टैप डाउन परिणामित्र को प्रकाश भार से जोड़ा गया है | प्रकाश भार का तुल्यमान प्रतिरोध 10 Ω है, परिणामित्र की द्वितीयक धारा क्या होगी ?
A. 2.0 A
C. 5.5 A
B. 10.18 A
D. 2.4 A
उत्तर- D. 2.4 A
विवरण- भार को मिलने वाली वोल्टेज = 24 V
भार का प्रतिरोध = 10 Ω
अतः द्वितीयक की धारा = 24/10 = 2.4 A
उक्त प्रश्न में प्रकाश भार होने के कारण पॉवर फैक्टर 1 माना गया है |
14. एक परिणामित्र पर लघु परिपथ परिक्षण (Short circuit test) करते समय मापक उपकरण कहां लगाये जाते हैं-
A. निम्न वोल्टेज की तरफ
B. उच्च वोल्टेज की तरफ
C. किसी भी तरफ
D. दोनों तरफ
उत्तर- B. उच्च वोल्टेज की तरफ
15. एक परिणामित्र पर खुला परिपथ परिक्षण (Open circuit test) करते समय मापक उपकरण कहां लगाये जाते हैं-
A. निम्न वोल्टेज की तरफ
B. उच्च वोल्टेज की तरफ
C. किसी भी तरफ
D. दोनों तरफ
उत्तर- A. निम्न वोल्टेज की तरफ
16. 3 फेज से 2 फेज करने वाले परिणामित्र की सबसे उपयुक्त विधि है-
A. स्टार-डेल्टा संयोजन
B. डेल्टा-स्टार संयोजन
C. स्कॉट संयोजन
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- C. स्कॉट संयोजन
17. एक 100:10 अनुपात वाले धारा परिणामित्र (CT) से जुड़े हुए एमीटर पर रीडिंग 3 A है | परिपथ से गुजरने वाली वास्तविक धारा क्या होगी ?
A. 10A
B. 100A
C. 30A
D. 90A
उत्तर- C. 30A
18. धारा परिणामित्र (CT) के कनेक्शन करते समय इसकी द्वितीयक को लघु पथित क्यों किया जाता है ?
A. इससे क्रोड़ का सेचुरेशन तथा उच्च वोल्टेज प्रेषित नहीं होती
B. इंसुलेशन ख़राब हो सकता है |
C. CT ख़राब हो सकती है
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- A. इससे क्रोड़ का सेचुरेशन तथा उच्च वोल्टेज प्रेषित नहीं होती
19. ............ परिणामित्र की प्राथमिक जब प्रदाय से जुडी होती है तब इसकी द्वितीयक को कभी खुला नहीं छोड़ा जाता है |
A. शक्ति परिणामित्र
B. वोल्टेज परिणामित्र
C. करंट परिणामित्र
D. स्व. परिणामित्र
उत्तर- C. करंट परिणामित्र
विवरण- करंट परिणामित्र की द्वितीयक को तब खुला नहीं छोड़ा जाता जब इसकी प्राथमिक प्रदाय से जुडी हो क्योंकि उस समय इससे खतरनाक विधुत झटका लग सकता है |
20. परिणामित्र का वह भाग जो अत्यधिक तापमान से सबसे अधिक प्रभावित होता है-
A. कुंडली के प्रतिरोधक
B. मुख्य कुंडली
C. क्रोड़
D. तेल
उत्तर- A. कुंडली के प्रतिरोधक
Objective questions of Transformer part 2
21. वायु प्रवाह से ठन्डे होने वाले परिणामित्र को कहा जाता है -
A. तेल पूरित परिणामित्र
B. शुष्क प्रकार परिणामित्र
C. वाष्प ठण्डा परिणामित्र
D. उच्च ताप बिन्दु परिणामित्र
उत्तर- B. शुष्क प्रकार परिणामित्र
विवरण- वायु प्रवाह से ठन्डे होने वाले परिणामित्र को शुष्क प्रकार परिणामित्र कहा जाता है |
22. एक 2500/250 V, 50Hz, 25KVA आदर्श परिणामित्र की द्वितीयक कुण्डलन में 50 वर्त है, इस परिणामित्र की प्राथमिक कुण्डलन में वर्तों की संख्या क्या होगी-
A. 500
B. 600
C. 440
D. 250
उत्तर- A. 500
विवरण-
E2/E1 = N2/N1
250/2500 = 50/E1 = 500 वर्त
23. एक अच्छे परिणामित्र की पूर्ण लोड पर दक्षता होती है-
A. 78%
B. 100%
C. 98%
D. 94%
उत्तर- C. 98%
24. शून्य भार पर एक परिणामित्र का शक्ति गुणक कम होता है क्योंकि-
A. क्रियाशील घटक अधिक होता है।
B. I∘ का लोह हानि अवयव बड़ा होता है।
C. I∘ का चुम्बकन अवयव छोटा होता है।
D. I∘ का चुम्बकन अवयव बड़ा होता है।
उत्तर- D. I∘ का चुम्बकन अवयव बड़ा होता है।
25. एक धारा परिणामित्र (CT) द्वारा 200 A धारा को 10 A के एमीटर द्वारा मापा जाता है | उक्त में जो धारा परिणामित्र प्रयोग किया जाता है वह किसकी तरह कार्य करता है ?
A. शक्ति परिणामित्र
B. वितरण परिणामित्र
C. स्टेप-अप परिणामित्र
D. स्टेप-डाउन परिणामित्र
उत्तर- C. स्टेप-अप परिणामित्र
विवरण- स्टेप-अप परिणामित्र वोल्टेज को बढाता है तत्पश्चात यह धारा को कम कर देता है | धारा परिणामित्र (CT) भी धारा को कम करता है |
26. सरंक्षक (Conservetar) का कार्य है ।
A. विस्फोट होने से रोकना
B. टैंक में वायु के प्रवाह को रोकना
C. परिणामित्र तेल के विस्तारण एवं संकुचन के लिए जगह उपलब्ध कराना
D. परिणामित्र के टैंक में आर्द्रता जाने से रोकना
उत्तर- C. परिणामित्र तेल के विस्तारण एवं संकुचन के लिए जगह उपलब्ध कराना
विवरण- परिणामित्र टैंक में तेल गर्म होने पर उसका विस्तार होता है जो परिणामित्र के संरक्षक में चला जाता है तथा टैंक में तेल कम पड़ने पर संरक्षक ही उसकी पूर्ति करता है |
27. एक 100 KVA, 200Hz परिणामित्र को अगर 100Hz स्रोत से जोड़ा जाये तो उसकी रेटिंग क्या होगी ?
A. 200 KVA
B. 100 KVA
C. 50 KVA
D. 25 KVA
उत्तर- C. 50 KVA
विवरण- आवृति कम करने पर परिणामित्र की दक्षता भी कम हो जाती है |
28. शून्य भार पर परिणामित्र की इनपुट शक्ति कौनसी हानियों के तुल्य होती है?
A. हिस्टेरेसिस हानि
B. भंवर धारा हानि
C. लोह हानि
D. ताम्र हानि
उत्तर- C. लोह
विवरण- शून्य भार पर परिणामित्र की इनपुट शक्ति व्यावहारिक तौर पर लोह हानियों के तुल्य होती है।
29. कम भार पर परिणामित्र की दक्षता कम तथा अधिक भार पर अधिक होती है | क्यों ?
A. क्योंकि स्थिर हानियाँ प्रत्येक भार पर स्थिर होती हैं
B. कम भार पर ताम्र हानियाँ कम होने के कारण
C. अधिक हानियाँ होने के कारण
D. कम हानियाँ होने के कारण
उत्तर- A. क्योंकि स्थिर हानियाँ प्रत्येक भार पर स्थिर होती हैं
30. किसी परिणामित्र की बुशिंग की सतह पर फ़्लैश का क्या कारण हो सकता है ?
A. परिणामित्र तेल (Transformer oil) में नमी
B. बुशिंग की सतह पर गंदगी होना
C. कुंडलन लघुपथित होना
D. अधिक लोड होना
उत्तर- B. बुशिंग की सतह पर गंदगी होना
Objective questions of Transformer part 2
31. अग्रगामी (Leading) शक्ति गुणक वाले भार पर ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक पूर्ण भार वोल्टता होती है-
A. शून्य भार वोल्टता के बराबर
B. शून्य भार वोल्टता से चौथाई
C. शून्य भार वोल्टता से अधिक
D. शून्य भार वोल्टता से कम
उत्तर- C. शून्य भार वोल्टता से अधिक
32. एक अच्छे परिणामित्र का वोल्टेज नियमन (Voltage regulation) लगभग होता है -
A. 0.20%
B. 8.00%
C. 2.00%
D. 15.00%
उत्तर- C. 2.00%
33. परस्पर फ्लक्स (Mutual Flux) का सम्बन्ध होता है-
A. द्वितीयक कुण्डलन से
B. प्राथमिक कुण्डलन से
C. दोनों कुंडलनों से
D. क्रोड से
उत्तर- C. दोनों कुंडलनों से
34. एक परिणामित्र पर लगी लोहे की ट्यूब से ................होता है |
A. परिणामित्र की दक्षता बढ़ जाती है |
B. परिणामित्र ठंडा रहता है |
C. क्षमता में वृद्धि हो जाती है |
D. वोल्टेज रेगुलेशन में सुधार होता है |
उत्तर- B. परिणामित्र ठंडा रहता है |
35. परिणामित्र में शून्य भार धारा प्रदाय वोल्टता से लगभग कितनी पश्चगामी होती है ?
A. 50°
B. 60°
C. 85°
D. 35°
उत्तर- C. 85°
विवरण- एक परिणामित्र में शून्य भार धारा प्रदाय वोल्टता से लगभग 85° पश्चगामी होती है।
36. एक आदर्श परिणामित्र जब शून्य भार पर होता है तब उसकी प्राथमिक प्रदाय वोल्टता को सन्तुलित करती है-
A. दोनों कुंडलनों में वोल्टेज ड्राप
B. प्रतिरोध
C. द्वितीयक कुंडलन में प्रेरित वोल्टता
D. प्राथमिक कुंडलन में प्रेरित वोल्टता
उत्तर- D. प्राथमिक कुंडलन में प्रेरित वोल्टता
विवरण- एक आदर्श परिणामित्र जब शून्य भार पर होता है तब उसकी प्राथमिक प्रदाय वोल्टता को प्राथमिक कुंडलन में प्रेरित वोल्टता संतुलित रखती है।
37. परिणामित्र लोड की तरफ से लघु पथित (Short circuit) होने पर प्राथमिक कुंडलन का पॉवर फैक्टर लगभग होगा-
A. 0.4 Lagging
B. 0.4 Leading
C. 1
D. 0
उत्तर- C. 1
38. एक परिणामित्र में शून्य भार धारा पूर्ण भार धारा से-
A. 1% से 3% होती है।
B. 5% से 25% होती है
C. 10% से 15% होती है।
D. 50% से 60% तक होती है ।
उत्तर- A. 1% से 3% होती है।
विवरण- एक परिणामित्र में शून्य भार धारा पूर्ण भार धारा की लगभग 1% से 3% होती है।
39. वायुमंडलीय तापमान में परिवर्तन के कारण परिणामित्र तेल के आयतन में परिवर्तन किस भाग द्वारा संतुलित किया जाता है ?
A. ब्रीदर द्वारा
B. रेडिएटर द्वारा
C. संरक्षक द्वारा
D. बकोल्ज रिले द्वारा
उत्तर- C. संरक्षक द्वारा
विवरण- वातावरण गर्म होने पर परिणामित्र टैंक में तेल भी गर्म होता है जिसका विस्तार होता है जो परिणामित्र के संरक्षक में चला जाता है तथा वातावरण ठंडा होने पर टैंक में तेल का संकुचन होता है जिसकी पूर्ति संरक्षक ही करता है |
40. परिणामित्रों (Transformers) की दोनों कुण्डलनों के बीच युग्मन (Coupling) किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है-
A. टर्न अनुपात बढ़ा कर
B. क्रोड पर प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन को ऊपर-नीचे रख कर
C. इन्सुलेशन घटा कर
D. प्राथमिक वोल्टेज बढ़ा कर
उत्तर- B. क्रोड पर प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन को ऊपर-नीचे रख कर
विवरण- दोनों कुंडलनों को अलग-अलग लिंब पर रखने के स्थान पर एक दूसरे के ऊपर रखने पर कुंडलनों के बीच युग्मन बढ़ जाता है |
Objective questions of Transformer part 2
41. सी.टी. के टर्मिनलों से एमीटर को हटाने से पूर्व क्या करना चाहिए ?
A. ग्राउंडिंग कर देना चाहिए |
B. एमीटर को हटाने से पूर्व सी.टी. के टर्मिनलों को लघु परिपथ कर देना चाहिए |
C. सी.टी. के टर्मिनलों को उच्च प्रतिरोधक से जोड़ देना चाहिए |
D. एक कैपेसीटर जोड़ देना चाहिए |
उत्तर- B. एमीटर को हटाने से पूर्व सी.टी. के टर्मिनलों को लघु परिपथ कर देना चाहिए |
विवरण- एमीटर को हटाने से पूर्व सी.टी. के टर्मिनलों को लघु परिपथ कर देना चाहिए अन्यथा एक घातक विधुत झटका लगने की सम्भावना रहती है |
42. परिणामित्र में प्राथमिक क्षरण फ्लक्स का किससे सम्बन्ध होता है ?
A. प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन दोनों से
B. केवल प्राथमिक कुण्डलन से
C.केवल द्वितीयक कुण्डलन से
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- B. केवल प्राथमिक कुण्डलन
43. शून्य भार पर किसी परिणामित्र का पॉवर फैक्टर होता है-
A. 0 (शून्य)
B. लगभग 0.9 Lagging
C. लगभग 0.4 Lagging
D. 1
उत्तर- C. लगभग 0.4 Lagging
44. स्व परिणामित्र (Auto transformer) में प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन आपस में जुडी होती हैं |
A. चुम्बकीय और विद्युत रूप से
B. केवल विद्युत रूप से
C. केवल चुम्बकीय रूप
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- A. चुम्बकीय और विद्युत रूप से
45. परिणामित्र में तेल क्यों डाला जाता है ?
A. केवल स्नेहन के लिए
B. इंसुलेशन व शीतलन दोनों के लिए
C. केवल इंसुलेशन के लिए
D. केवल शीतलन के लिए
उत्तर- B. इंसुलेशन व शीतलन दोनों के लिए
विवरण- इंसुलेशन व शीतलन के लिए परिणामित्र में तेल डाला जाता है |
46. परिणामित्र में क्षरण फ्लक्स के कारण क्या नुकसान होता है ?
A. क्रोड में झनझनाहट आती है।
B. लोह हानियाँ होती हैं
C.ताम्र हानियाँ होती हैं
D. कुण्डलनों में वोल्टता पात होता है।
उत्तर- D. कुण्डलनों में वोल्टता पात होता है।
विवरण- परिणामित्र में क्षरण फ्लक्स होने के कारण कुंडलन में वोल्टता पात बढ़ जाता है।
47. छोटे वितरण परिणामित्रों में निम्न सुरक्षा नहीं होती है-
A. बकोल्ज रिले
B. ओवर करंट सुरक्षा
C. ओवर वोल्टेज सुरक्षा
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- A. बकोल्ज रिले
विवरण- बकोल्ज रिले बड़े परिणामित्रों में लगाई जाती है |
48. अधिकतम दक्षता पर कार्य कर रहे एक परिणामित्र में लोह हानियां 1000 वाट हैं तो ताम्र हानियाँ कितनी होंगी ?
A. 500 वाट
B. 1000 वाट
C. 250 वाट
D. 2000 वाट
उत्तर- B. 1000 वाट
49. परिणामित्र में तापमान निम्न के समानुपात में बढ़ता है-
A. प्रतिकारक शक्ति
B. अनुमानित शक्ति
C. क्षरण प्रतिघात
D. उपरोक्त में कोई नहीं
उत्तर- B. अनुमानित शक्ति
50. परिणामित्र की वो हानियाँ जो आवृति बढ़ने से बढती हैं-
A. हिस्टेरेसिस हानियाँ
B. भंवर धारा हानियाँ
C. लोह हानियाँ
D. उपरोक्त सभी
उत्तर- B. भंवर धारा हानियाँ
Objective questions of Transformer part 2

51. निम्न को कम करने के लिए परिणामित्र की प्राथमिक व द्वितीयक कुण्डलन एक दूसरे के ऊपर रखी जाती है-
A. क्षरण प्रतिघात (Leakage Reactance)
B. ताम्र हानियों
C. लोह हानियों
D. प्रतिरोध
उत्तर- A. क्षरण प्रतिघात (Leakage Reactance)
विवरण- परिणामित्र की प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन को एक-दूसरे के ऊपर रखने से क्षरण प्रतिघात (Leakage Reactance) कम हो जाता है |
52. परिणामित्र में क्षरण फ्लक्स किस कारण से होता है ?
A. कुंडलन के प्रतिरोध के कारण
B. प्रदाय वोल्टता ज्या तरंग होती है
C. लोह क्रोड की अधिक चुम्बकशीलता के कारण
D. वायु एक अच्छा चुम्बकीय प्रतिरोधक नहीं है
उत्तर- D. वायु एक अच्छा चुम्बकीय प्रतिरोधक नहीं है
53. परिणामित्र में शून्य भार धारा, पूर्ण भार धारा का लगभग कितना प्रतिशत होती है ?
A. 8 से 10%
B. 1 से 3%
C. 5 से 8%
D. 10 से 12%
उत्तर- B. 1 से 3%
54. परिणामित्र में अन्योन्य फ्लक्स (Mutual Flux) का सभी भारों पर स्थिर रहने का क्या कारण है ?
A. परिणामित्र में तेल का उपयोग करने के कारण
B. क्षरण फ्लक्स कम होने के कारण
C. प्रदाय वोल्टता व प्रदाय आवृत्ति स्थिर होने के कारण
D. सिलिकॉन स्टील की क्रोड उपयोग में लाने के कारण
उत्तर- C. प्रदाय वोल्टता व प्रदाय आवृत्ति स्थिर होने के कारण
विवरण- परिणामित्र में प्रदाय वोल्टता व प्रदाय आवृत्ति स्थिर होने के कारण सभी भारों पर अन्योन्य फ्लक्स भी स्थिर होती है |
55. परिणामित्र की ध्रुवता का किस परीक्षण द्वारा पता लगाया जाता है ?
A. खुला परिपथ परीक्षण
B. बंद परिपथ परीक्षण
C. फेजिंग आउट परीक्षण
D. मल्टीमीटर द्वारा
उत्तर- C. फेजिंग आउट परीक्षण
56. किस शक्ति गुणक पर किसी परिणामित्र के रेगूलेशन का मान अधिक होता है ?
A. 1.0 शक्ति गुणक पर
B. 0.6 पश्चगामी शक्ति गुणक पर
C. 0.8 पश्चगामी शक्ति गुणक पर
D. 0.9 अग्रगामी शक्ति गुणक पर
उत्तर- B. 0.6 पश्चगामी शक्ति गुणक पर
57. बकोल्ज रिले परिणामित्र व मानव को किस प्रकार सुरक्षा प्रदान करता है ?
A. परिणामित्र के बाहर इलैक्ट्रिकल फॉल्ट होने पर
B. परिणामित्र टैंक के अन्दर इलैक्ट्रिकल फॉल्ट होने पर
C. परिणामित्र के बाहरी और आतंरिक दोनों फॉल्ट पर
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर- C. परिणामित्र के बाहरी और आतंरिक दोनों फॉल्ट पर
विवरण- परिणामित्र टैंक के अन्दर इलैक्ट्रिकल फॉल्ट होने पर बकोल्ज रिले कार्य करती है तथा परिणामित्र के बाहर आउटपुट में फॉल्ट होने पर अचानक से अधिक करंट बहने पर भी बकोल्ज रिले कार्य करती है |
58. एक परिणामित्र भार पर 10600 वोल्टेज प्रदान कर रहा है और भार हटाने पर यह 11000 वोल्ट प्रदान कर रहा है तो इसका वोल्टेज नियमन (Voltage regulation) क्या होगा ?
A. 3.77 %
B. 4.50 %
C. 5.50 %
D. 37.8 %
उत्तर- A. 3.77 %
59. एक उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer) किसे अधिक करता है ?
A. वोल्टेज को
B. धारा को
C. शक्ति को
D. शक्ति गुणक को
उत्तर- A. वोल्टेज को
60. एक उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer) किसे कम करता है ?
A. वोल्टेज को
B. धारा को
C. शक्ति को
D. शक्ति गुणक को
उत्तर- B. धारा को
Objective questions of Transformer part 2
61. एक अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer) किसे कम करता है ?
A. वोल्टेज को
B. धारा को
C. शक्ति को
D. शक्ति गुणक को
उत्तर- A. वोल्टेज को
62. एक अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer) किसे अधिक करता है ?
A. वोल्टेज को
B. धारा को
C. शक्ति को
D. शक्ति गुणक को
उत्तर- B. धारा को
63. कौन सी सावधानी बरतनी चाहिए जब विभव परिणामित्र (Potential transformer) से वोल्ट मीटर को अलग किया जाता है ?
A. द्वितीयक टर्मिनलों को भूसंपर्कित करना
B. टर्मिनलों का विधुत रोधन करना
C. द्वितीयक टर्मिनलों के बीच निम्न प्रतिरोध वाले शंट का संयोजन करना
D. द्वितीयक टर्मिनलों को लघुपथित करना
उत्तर- C. द्वितीयक टर्मिनलों के बीच निम्न प्रतिरोध वाले शंट का संयोजन करना
64. स्कॉट संयोजन (Scott Connection) का प्रयोग क्यों किया जाता है ?
A. तीन फेज प्रदाय को दो एक फेज प्रदाय में परिवर्तित करने के लिए
B. तीन फेज प्रदाय को एक फेज प्रदाय में परिवर्तित करने के लिए
C. एक फेज प्रदाय को तीन फेज प्रदाय में परिवर्तित करने के लिए
D. एक फेज प्रदाय को दो फेज प्रदाय में परिवर्तित करने के लिए
उत्तर- A. तीन फेज प्रदाय को दो एक फेज प्रदाय में परिवर्तित करने के लिए
विवरण- स्कॉट संयोजन का प्रयोग करके तीन फेज प्रदाय को एक फेज के दो अलग-अलग प्रदाय में परिवर्तित किया जाता है |
65. एक परिणामित्र खुले परिपथ (Open Circuit) पर 700W का पाठ्यांक दिखाता है लघु पथ परीक्षण पर पाठ्यांक 2000W का पाठ्यांक दिखाता है। परिणामित्र की लौह हानि क्या होगी ?
A. 700 वाट
B. 800 वाट
C. 2000 वाट
D. 2700 वाट
उत्तर- A. 700 वाट
66. शक्ति परिणामित्र (Power transformer) को आमतौर पर ठंडा किया जाता है-
A. तेल कूलिंग द्वारा
B. प्राकृतिक वायु द्वारा
C. वायु ब्लास्ट द्वारा
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर- A. तेल कूलिंग द्वारा
विवरण- साधारणतः शक्ति परिणामित्र को तेल द्वारा ठंडा (Oil cooling) किया जाता है
67. परिणामित्र की दक्षता उच्च होने का कारण है-
A. धारिता युग्मन की तरह उपयोग होने के कारण
B. दोहरी कुंडलन होने के कारण
C. एक स्थिर मशीन होने के कारण
D. चुम्बकीय युग्मन होने के कारण
उत्तर- C. एक स्थिर मशीन होने के कारण
विवरण- परिणामित्र में कोई चलायमान भाग (Movable part) नहीं होने के कारण इसकी दक्षता उच्च होती है |
68. एक परिणामित्र में पूर्ण लोड पर ताम्र हानियाँ 500 वाट हैं तो आधे रोड पर ताम्र हानियां कितनी होंगी ?
A. 125 वाट
B. 250 वाट
C. 500 वाट
D. 1000 वाट
उत्तर- A. 125 वाट
69. परिणामित्र क्रोड की पटलों के मध्य वायु अन्तराल रहने पर हमें क्या करना होगा कि परिणामित्र का चुम्बकीय मान कम ना हो ?
A. प्राथमिक कुण्डलन में अधिक एम्पियर टर्न लगाने होंगे
B. निवेशी वोल्टता बढानी होगी
C. वाइंडिंग का प्रतिरोध बढ़ाना होगा
D. भार कम करना होगा
उत्तर- A. प्राथमिक कुण्डलन में अधिक एम्पियर टर्न लगाने होंगे
विवरण- परिणामित्र क्रोड की पटलों के मध्य वायु अन्तराल रहने से परिणामित्र का चुम्बकीय मान कम हो जाता है जिसकी पूर्ति के लिए हमें प्राथमिक कुंडलन में एम्पियर टर्न बढ़ाने होंगे |
70. एक परिणामित्र की क्षमता 63 KVA है जिसकी प्राथमिक वोल्टेज 11000 वोल्ट है तथा परिणामित्र की दक्षता 90% है | द्वितीयक वोल्टता 440 V होने पर द्वितीयक कुण्डलन की धारा कितनी होगी ?
A. 100 A
B. 12.8 A
C. 45 A
D. 128.86 A
उत्तर- D. 128.86 A
विवरण- परिणामित्र की क्षमता = 63 KVA
परिणामित्र की दक्षता = 90%
अतः परिणामित्र की आउटपुट = 63 x 90 / 100 = 56.7 KVA अथवा 56700 VA
परिणामित्र की द्वितीयक वोल्टता = 440 V
अतः परिणामित्र की द्वितीयक की धारा = 56700 / 440 = 128.86 A
Objective questions of Transformer part 2
71. परिणामित्र का शीतलन क्यों आवश्यक है ?
A. आउटपुट बढ़ाने के लिए
B. दक्षता बढ़ाने के लिए
C. क्षतियां कम करने के लिए
D. परिणामित्र को गर्म होकर जलने से बचाने के लिए
उत्तर- D. परिणामित्र को गर्म होकर जलने से बचाने के लिए
विवरण- अगर परिणामित्र का शीतलन नहीं किया जायेगा तो उसकी जलने की सम्भावना रहती है |
72. खुला परिपथ परिक्षण करते समय किस कुंडलन में विधुत सप्लाई दी जाती है ?
A. उच्च वोल्टता कुंडलन में
B. निम्न वोल्टता कुंडलन में
C. किसी भी कुंडलन में
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- B. निम्न वोल्टता कुंडलन में
73. परिणामित्र में रेडियेटर का मुख्य कार्य है-
A. हानियाँ कम करना
B. तेल के लिए अधिक जगह उपलब्ध कराना
C. कूलिंग सतह का क्षेत्रफल बढ़ाना
D. ट्रांसफॉर्मर टैंक को मजबूत करना ।
उत्तर- C. कूलिंग सतह का क्षेत्रफल बढ़ाना
74. स्व परिणामित्र (Auto transformer) का उपयोग समान्यतः वहां किया जाता है जहां...
A. परिणमन अनुपात अधिक हो
B. परिणमन अनुपात कम हो
C. परिणमन अनुपात 1 हो
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- B. परिणमन अनुपात कम हो
विवरण- स्व परिणामित्र का उपयोग तब किया जाता है जब परिणमन अनुपात कम होता है अर्थात जहाँ वोल्टेज के मान में बहुत कम परिवर्तन करना हो |
75. निम्न में से आकार में सबसे बड़ा परिणामित्र है-
A. 5 KVA, 25 Hz
B. 5 KVA, 50 Hz
C. 5 KVA, 100 Hz
D. 5 KVA, 400 Hz
उत्तर- A. 5 KVA, 25 Hz
76. परिणामित्र की लैमिनेटेड कोर में सिलिकॉन की मात्रा होती है-
A. 4%
B. 10%
C. 0.4%
D. 30%
उत्तर- A. 4%
77. विधुत परिपथ में CT व PT क्रमशः संयोजित होती हैं-
A. श्रेणी व समान्तर में
B. समान्तर व श्रेणी में
C. दोनों समान्तर में
D. दोनों श्रेणी में
उत्तर- A. श्रेणी व समान्तर में
78. खुले परिपथ परीक्षण से क्या ज्ञात किया जाता हैं।
A. तुल्यमान प्रतिरोध
B. लोह व ताम्र हानियाँ
C. ताम्र हानियाँ
D. लोह हानियाँ
उत्तर- D. लोह हानियाँ
79. एक फेज परिणामित्र में प्राथमिक तथा द्वितीयक कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल के मध्य फेज अंतर कितना होता है ?
A. 90°
B. 45°
C. 180°
D. शून्य
उत्तर- D. शून्य
80. एक परिणामित्र जिसका टर्न अनुपात 11:1 है | इस परिणामित्र की द्वितीयक को 5:1 टर्न अनुपात वाले परिणामित्र की प्राथमिक से जोड़ा गया है | दोनों का कुल टर्न अनुपात/वोल्टेज अनुपात क्या होगा ?
A. 55:1
B. 11:5
C. 5:11
D. 16:1
उत्तर- A. 55:1
Objective questions of Transformer part 2
81. स्काट संयोजन करते समय टीजर परिणामित्र में कितने प्रतिशत पर टेपिंग निकाली जाती है।
A. प्राथमिक कुंडलन की 86.6%
B. प्राथमिक कुंडलन की 85%
C. द्वितीयक की कुंडलन 58%
D. द्वितीयक कुंडलन की 40%
उत्तर- A. प्राथमिक कुंडलन की 86.6%
82. परिणामित्र का लघु परिपथ परीक्षण करने के लिए आम तौर पर कौनसी कुंडलन को लघु पथित किया जाता है?
A. निम्न वोल्टता कुण्डलन
B. उच्च वोल्टता कुण्डलन
C. निम्न व उच्च कुण्डलन
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- A. निम्न वोल्टता कुण्डलन
83. परिणामित्र पर भार बढाने पर भंवर धारा हानियों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
A. बढ़ती है
B. घटती हैं
C. आधी हो जाती हैं
D. अपरिवर्तित रहती हैं
उत्तर- D. अपरिवर्तित रहती हैं
विवरण- परिणामित्र पर भार के बढ़ने या घटने से भंवर धारा हानियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | भार के बढ़ने पर ताम्र हानियां बढ़ जाती हैं तथा घटने पर घट जाती हैं |
84. परिणामित्र पर भार कम करने पर कौनसी हानियां कम होती हैं?
A. ताम्र हानियां
B. भँवर धारा हानियां
C. घर्षण हानियां
D. लोह हानियां
उत्तर- A. ताम्र हानियां
विवरण- परिणामित्र पर भार के बढ़ने पर ताम्र हानियां बढ़ जाती हैं तथा घटने पर घट जाती हैं |
85. धारा परिणामित्र (Current transformer) का उपयोग किस लिए किया जाता है
A. धारा स्थिर रखने के लिए।
B. उपकरण परिणामित्र (Instrument transformer) के रूप में धारा कम करने के लिए
C. उपकरण को सप्लाई से पृथक करने के लिए। ।
D. वोल्टेज बढ़ाने के लिए।
उत्तर- B. उपकरण परिणामित्र (Instrument transformer) के रूप में धारा कम करने के लिए
विवरण- अधिक मात्रा में धारा को मापने के लिए सीधे ही अम्मिटर का उपयोग नहीं किया जाता बल्कि धारा परिणामित्र से धारा को कम करके अम्मिटर को दिया जाता है |
86. परिणामित्र के ब्रीदर में क्या उपयोग किया जाता है ?
A. कोयला
B. नमक
C. सिलिका जेल
D. खनिज तेल
उत्तर- C. सिलिका जेल
विवरण- वायु की नमी को सोखने के लिए परिणामित्र के ब्रीदर में सिलिका जेल भरी जाती है |
87. परिणामित्र तेल का निम्न में से कौनसा कार्य नहीं है
A. चुम्बकीय पथ प्रदान करना
B. कुंडलन को इन्सुलेशन प्रदान करना
C. द्वितीयक कुण्डलन का शीतलन करना
D. प्राथमिक कुण्डलन का शीतलन करना
उत्तर- A. चुम्बकीय पथ प्रदान करना
विवरण- चुम्बकीय पथ प्रदान करना तेल का कार्य नहीं है | चुम्बकीय पथ प्रदान करना क्रोड़ का कार्य है |
88. भँवर धारा हानियाँ किसके समानुपाती होती हैं
A. द्वितीयक कुंडलन में करंट के
B. प्राथमिक कुंडलन में करंट के
C. क्रोड पट्टलों की मोटाई के वर्ग के
D. क्रोड पट्टलों की मोटाई के
उत्तर- C क्रोड पट्टलों की मोटाई के वर्ग के
89. परिणामित्र के शुद्ध ताजा तेल का रंग होता है-
A. हरा
B. हल्का बेंगनी
C. सफ़ेद
D. हल्का पीला
उत्तर- D. हल्का पीला
90. स्काट संयोजन में टीजर वाइंडिंग को न्यूट्रल बिन्दु किस अनुपात में बांटता है ?
A. 1:5
B. 1:2
C. 2:1
D. 3:1
उत्तर- B. 1:2
Objective questions of Transformer part 2
91. नमी सोखने के बाद, सिलिका जेल का रंग कैसा हो जाता है ?
A. लाल
B. काला
C. गुलाबी
D. बैंगनी
उत्तर- C. गुलाबी
विवरण- हवा में से नमी को सोखने के बाद सिलिका जेल का रंग गुलाबी हो जाता है। गुलाबी होने पर सिलिका जेल को या तो बदल देना चाहिए या धूप में सुखा लेना चाहिए |
92. एक परिणामित्र पर आधे भार पर ताम्र हानियाँ 200 वाट हैं। पूर्ण भार पर ताम्र हानियाँ कितनी होंगी ?
A. 300 वाट
B. 200 वाट
C. 800 वाट
D. 400 वाट
उत्तर- C. 800 वाट
93. बड़े परिणामितत्रों में क्रोड़ का आकार वृत्तीय अनुप्रस्थ क्षेत्र में बनाने का उद्देश्य है
A. लोह हानियां कम करने के लिए
B. भंवर धारा हानियां कम करने के लिए
C. हिस्टेरेसिस हानियां कम करने के लिए
D. ताम्र हानियां कम करने के लिए
उत्तर- D. ताम्र हानियां कम करने के लिए
94. परिणामित्र क्रोड़ के निर्माण में उपयोग किये जाने वाले स्टील की-
A. हिस्टेरिसिस हानियाँ तथा चुम्बकशीलता (permeability) उच्च होनी चाहिए
B. हिस्टेरिसिस हानियाँ अधिक तथा चुम्बकशीलता (permeability) निम्न (low) होनी चाहिए
C. हिस्टेरिसिस हानियाँ तथा चुम्बकशीलता (permeability) निम्न (low) होनी चाहिए
D. हिस्टेरिसिस हानियाँ निम्न तथा चुम्बकशीलता (permeability) उच्च होनी चाहिए
उत्तर- D. हिस्टेरिसिस हानियाँ निम्न तथा चुम्बकशीलता (permeability) उच्च होनी चाहिए
95. परिणामित्र में प्रयोग किया जाता है-
A. खनिज तेल
B. वनस्पति तेल
C. गैस तेल
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- A. खनिज तेल
96. एक परिणामित्र पर आधे भार पर लोह हानियाँ 200 वाट हैं। पूर्ण भार पर लोह हानियाँ कितनी होंगी
A. 200 वॉट
B. 100 वॉट
C. 300 वॉट
D. 400 वॉट
उत्तर- A. 200 वॉट
विवरण- क्योंकि लोह हानियां सभी भारों पर समान होती हैं |
97. उच्च आवृत्ति वाले परिणामित्रों में कौन सा क्रोड प्रयोग किया जाता है ?
A. खुला आयरन क्रोड़
B. बंद आयरन क्रोड़
C. वायु क्रोड़ अथवा फेराईट क्रोड़
D. ताम्बे का क्रोड़
उत्तर- C. वायु क्रोड़ अथवा फेराईट क्रोड़
98. किसी वितरण परिणामित्र (Distribution transformer) में कोर क्षतियां होती हैं-
A. ताम्बा क्षतियों से कम
B. ताम्बा क्षतियों से अधिक
C. ताम्बा क्षतियों से चौथाई
D. ताम्बा क्षतियों के बराबर
उत्तर- A. ताम्बा क्षतियों से कम
99. परिणामित्र तेल की स्लजिंग क्या होती है ?
A. तेल के ऑक्सीकरण तथा उष्मन के कारण तेल में अर्ध ठोस हाइड्रोकार्बन बनना
B. स्पार्किंग के कारण तेल का डीकम्पोजिशन
C. शीतलन के कारण तेल का सिकुड़ना
D. उष्मन के कारण तेल का फैलाव
उत्तर- A. तेल के ऑक्सीकरण तथा उष्मन के कारण तेल में अर्ध ठोस हाइड्रोकार्बन बनना
100. एक शत प्रतिशत (100%) दक्षता वाले परिणामित्र की प्राथमिक तथा द्वितीयक में टर्नों की संख्या क्रमशः 5000 तथा 100 है। यदि इसकी इनपुट शक्ति 5000 वाट है तो इसकी आउटपुट शक्ति क्या होगी ?
A. 1000 वाट
B. 500 वाट
C. 5000 वाट
D. 5100 वाट
उत्तर- C. 5000 वाट
विवरण- 100% दक्षता वाले परिणामित्र की आउटपुट शक्ति इनपुट शक्ति के बराबर होगी क्योंकि इसमें किसी प्रकार की क्षति नहीं होगी

Objective questions of Transformer part 2
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ट्रांसफार्मर के बहुविकल्पीय प्रश्न (भाग-1) Objective questions of Transformer (part-1)
Objective questions of Transformer part 1
1. परिणामित्र (Transformer) किस प्रकार की युक्ति है ?
a. घूर्णीय मशीन
b. स्थैतिक उपकरण
c. गतिशील उपकरण
d. स्थैतिक एवं गतिशील उपकरण
उत्तर- b. स्थैतिक उपकरण
2. परिणामित्र (Transformer) का कार्य सिद्धान्त निर्भर करता है -
a. जूल के नियम पर
b. अन्योन्य एवं गतिज प्रेरण दोनों पर
c. गतित प्रेरण पर
d. अन्योन्य प्रेरण पर
उत्तर- d. अन्योन्य प्रेरण पर
3. परिणामित्र का प्रयोग किया जाता है-
a. डीसी वोल्टेज को बढ़ाने या घटाने के लिए
b. एसी वोल्टेज को बढ़ाने या घटाने के लिए
c. एसी को डीसी में बदलने के लिए
d. डीसी को एसी में बदलने के लिए
उत्तर- b. एसी वोल्टेज को बढ़ाने या घटाने के लिए
विवरण- एसी वोल्टेज को बढ़ाने अथवा घटाने के लिए ट्रांसफॉर्मर का प्रयोग किया जाता है | एसी को डीसी में बदलने के लिए छोटे ट्रांसफार्मरों के साथ डायोड अथवा रेक्टिफायर लगा दिए जाते हैं
4. परिणामित्र का कार्य है-
a. विद्युत ऊर्जा को बढ़ाना
b. यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करना
c. विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करना
d. विद्युत ऊर्जा को समान, अधिक अथवा कम वोल्टता पर रूपान्तरण करना
उत्तर – d. विद्युत ऊर्जा को समान, अधिक अथवा कम वोल्टता पर रूपान्तरण करना
5. परिणामित्र डी० सी० वोल्टता को-
b. अधिक कर सकता है
c. समान वोल्टता पर रूपान्तरित कर सकता है
d. उपरोक्त में कोई नहीं
उत्तर – d. उपरोक्त में कोई नहीं
6. ट्रांसफॉर्मर क्रोड का पदार्थ-
a. कोबाल्ट
b. सिलिकॉन
c. एल्युमीनियम
d. सिलिकॉन स्टील
उत्तर – d. सिलिकॉन स्टील
7. एक ट्रांसफॉर्मर में ‘K' (transformation ratio) का मान 1 से अधिक है इसका अर्थ है-
a. N1 = N2
b. N2 < N1
c. N2 > N1
d. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – c. N2 > N1
8. ट्रांसफॉर्मर में प्राथमिक एवं द्वितीयक कुण्डलियों का युग्मन होता है -
a. विधुतीय
b. यांत्रिक
c. चुम्बकीय
d. उपरोक्त सभी
उत्तर – c. चुम्बकीय
9. परिणामित्र की बॉडी को किस धातु का बनाया जाता है ?
a. लोहा
b. तांबा
c. पीतल
d. सिलिकॉन स्टील
उत्तर- a. लोहा
10. ट्रांसफॉर्मर एक-
a. प्रवर्धक (Amplifier) है
b. गतिज (Dynamic) मशीन है
c. प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करने वाली स्थैतिक मशीन (static machine) है
d. रोटरी कनवर्टर है।
उत्तर – c. प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करने वाली स्थैतिक मशीन (static machine) है
Objective questions of Transformer part 1
11. एक स्टेप अप (step-up) ट्रांसफॉर्मर को-
a. स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर की भाँति प्रयोग किया जा सकता है।
b. स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर की भाँति प्रयोग नहीं किया जा सकता है ।
c. दिष्टकारी की भाँति प्रयोग किया जा सकता है।
d. प्रत्यावर्तक की भाँति प्रयोग किया जा सकता है।
उत्तर – a. स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर की भाँति प्रयोग किया जा सकता है।
12. परिणामित्र क्रोड़ का मुख्य कार्य है-
a. विधुत धारा को एक सर्किट से दूसरे सर्किट में प्रवाहित करना
b. वोल्टेज को एक सर्किट से दूसरे सर्किट में प्रवाहित करना
c. चुम्बकीय बल रेखाओं का मार्ग पूर्ण करना
d. प्रेरित विधुत वाहक बल पैदा करना
उत्तर- c. चुम्बकीय बल रेखाओं का मार्ग पूर्ण करना
13. ट्रांसफॉर्मर क्रोड पटलित (laminated) करने का उद्देश्य-
a. ताम्र हानियाँ कम करना
b. अधिक वोल्टता उत्पन्न करना
c. लौह हानियाँ कम करना
d. आवृत्ति में परिवर्तन को कम करना
उत्तर – c. लौह हानियाँ कम करना
14. ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक से प्राप्त वोल्टता की आवृत्ति मूल आवृत्ति -
a. के तुल्य होती है
b. की दो गुनी होती है
c. आधी होती है
d. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – a. के तुल्य होती है
15. परिणामित्र की लैमिनेटेड क्रोड़ की मोटाई कितनी होती है ?
a. 1 mm से 3 mm
b. 0.1 mm से 0.30 mm
c. 0.35 mm से 0.5 mm
d. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- c. 0.35 mm से 0.5 mm
16. एक अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer) को-
a. करंट परिणामित्र की तरह प्रयोग किया जा सकता है |
b. उच्चाई परिणामित्र की तरह प्रयोग नहीं किया जा सकता है |
c. उच्चाई परिणामित्र की तरह प्रयोग किया जा सकता है |
d. दिस्टकारी की तरह प्रयोग किया जा सकता है |
उत्तर- c. उच्चाई परिणामित्र की तरह प्रयोग किया जा सकता है |
विवरण- एक उच्चाई परिणामित्र को अपचाई परिणामित्र की भांति तथा अपचाई परिणामित्र को उच्चाई परिणामित्र की भांति प्रयोग किया जा सकता है |
17. एक 100 KVA, 50Hz, 10000/200V एकल फेज ट्रांसफॉर्मर की पूर्ण भार पर प्राथमिक धारा-
a. 10A
b. 15A
c. 25A
d. 50A
उत्तर- a. 10A
विवरण- प्राथमिक धारा = परिणामित्र की क्षमता/प्राथमिक वोल्टेज
इसलिए 100000/10000=10A
द्वितीयक धारा = परिणामित्र की क्षमता/द्वितीयक वोल्टेज
इसलिए 100000/200=500A
18. अधिक आवृति वाले परिणामित्र (Transformer) की क्रोड कोनसे पदार्थ से बनाई जाती है-
a. फैराइट कोर
b. टंगस्टन
c. स्टेनलेस स्टील
d. सिलीकॉन स्टील
उत्तर– a. फैराइट कोर
विवरण– उच्च आवृति वाले परिणामित्र की कोर बनाने के लिए उपयुक्त धातु फैराइट है |
19. परिणामित्र की दक्षता कितनी होती है-
a. 90% से 98%
b. 80% से 90%
c. 70% से 80%
d. 60% से 70%
उत्तर- a. 90% से 98%
20. परिणामित्र (Transformer) कार्य करता है
a. केवल ए.सी. पर
b. ए.सी. व डी. सी. दोनों पर
c. केवल डी.सी. पर
d. पल्सेटिंग डी.सी. पर
उत्तर– a. केवल ए.सी. पर
विवरण– परिणामित्र (Transformer) केवल AC पर कार्य करता है, परिणामित्र में डी.सी. सप्लाई देने पर वह जल जाता है |
Objective questions of Transformer part 1
21. आदर्श परिणामित्र में-
a. शून्य प्रतिरोध व अधिकतम प्रतिघात होता है |
b. निम्न प्रतिरोध व अधिकतम प्रतिघात होता है |
c. उच्च प्रतिरोध व निम्नतम प्रतिघात होता है |
d. उच्च प्रतिरोध व उच्च प्रतिघात होता है |
उत्तर- a. शून्य प्रतिरोध व अधिकतम प्रतिघात होता है |
22. परिणामित्र (Transformer) में उपयोग होने वाली क्रोड होती है-
a. उच्च सिलीकन युक्त
b. निम्न हिस्टेरेसिस हानियों वाली
c. उच्च चुम्बकशीलता युक्त क्रोड
d. उपरोक्त सभी
उत्तर– d. उपरोक्त सभी
23. परिणामित्र (Transformer) की प्राथमिक वाइंडिंग में तांबे की मात्रा द्वितीयक से ।
a. समान होती है
b.आधी होती है
c. दो गुनी होती है
d. उपरोक्त में कोई नहीं
उत्तर– समान होती है
विवरण– परिणामित्र (Transformer) की प्राथमिक वाइंडिंग में तांबे की मात्रा द्वितीयक वाइंडिंग के सामान ही होती है, क्योंकि जिस कुंडलन में मोटे तार होते हैं उसमे टर्न कम होते हैं तथा जिस कुंडलन में पतले तार होते हैं उसमे टर्न अधिक होते हैं |
24. परिणामित्र की प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन दोनों में समान होते हैं-
a. धारा व उत्पन्न वोल्टता
b. एम्पियर टर्न व वोल्टेज प्रति टर्न
c. प्रतिरोध और क्षरण प्रतिघात
d. प्रतिबाधा व प्रतिरोध
उत्तर– b. एम्पियर टर्न व वोल्टेज प्रति टर्न
विवरण– परिणामित्र की प्राथमिक व द्वितीयक वाइंडिंग दोनों में एम्पियर टर्न व वोल्टेज प्रति टर्न समान होते हैं।
25. शक्ति परिणामित्र (Power transformer) में क्रोड के लिए प्रयुक्त पदार्थ है-
a. सिलिकॉन इस्पात
b. फैराइड
c. कास्ट स्टील
d. तांबा
उत्तर– a. सिलिकॉन इस्पात
विवरण– परिणामित्र की क्रोड में अधिक धारणशीलता वाला चुम्बकीय पदार्थ प्रयोग किया जाता है। शक्ति परिणामित्र (Power transformer) की क्रोड में सिलिकॉन इस्पात का उपयोग किया जाता है।
26. परिणामित्र में भँवर धारा हानियाँ (Eddy current losses) कम कैसे की जाती हैं-
a. स्टील क्रोड अपना कर
b. पट्टलित क्रोड लगाकर
c. चुम्बकन धारा बढ़ा कर
d. मोटी क्रोड़ लगाकर
उत्तर-b. पट्टलित क्रोड़ लगाकर
विवरण- परिणामित्र में भँवर धारा हानियों को पट्टलित क्रोड (Laminated core) लगाकर कम किया जा सकता है | परिणामित्र में भंवर धारा हानि तथा हिस्टेरेसिस हानियां होती हैं |
27. एक उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer) में K का मान होता है-
a. 1
b. 1 से अधिक
c. 1 से कम
d. उक्त में से कोई नहीं
उत्तर- b. 1 से अधिक
28. एक अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer) में K का मान होता है-
a. 1
b. 1 से अधिक
c. 1 से कम
d. उक्त में से कोई नहीं
उत्तर- c. 1 से कम
29. एक आइसोलेसन परिणामित्र (Isolation transformer) में K का मान होता है-
a. 1
b. 1 से अधिक
c. 1 से कम
d. उक्त में से कोई नहीं
उत्तर- a. 1
विवरण- एक आइसोलेशन परिणामित्र वोल्टेज को ना तो बढाता है और ना घटाता है | यह परिणामित्र सुरक्षा उद्देश्यों से प्राथमिक कुंडलन को द्वितीयक कुंडलन से प्रथक रखने के लिए लगाया जाता है |
30. परिणामित्र विद्युत ऊर्जा को एक परिपथ से दूसरे परिपथ में स्थानान्तरित करता है तथा स्थानांतरण करने पर परिणामित्र.............. को बदल देता है।
a. शक्ति
b. वोल्टता
c. आवृत्ति
d. समय अन्तराल
उत्तर- b. वोल्टता
विवरण- परिणामित्र विद्युत ऊर्जा को एक परिपथ से दूसरे परिपथ में स्थानांतरित करते समय वोल्टता व करंट को बदल देता है |
Objective questions of Transformer part 1
31. विधुत स्त्रोत से जुड़ने वाली परिणामित्र की कुंडलन कहलाती है-
a. प्राथमिक कुंडलन
b. द्वितीयक कुंडलन
c. स्टार कुंडलन
d. डेल्टा कुंडलन
उत्तर- a. प्राथमिक कुंडलन
32. लोड से जुड़ने वाली परिणामित्र की कुंडलन कहलाती है-
a. प्राथमिक कुंडलन
b. द्वितीयक कुंडलन
c. स्टार कुंडलन
d. डेल्टा कुंडलन
उत्तर- b. द्वितीयक कुंडलन
33. परिणामित्र (Transformer) की जिस कुण्डलन में लपेटों (Turns) की संख्या अधिक होती है वह कुंडलन कहलाती है-
a. निम्न वोल्टता कुण्डलन
b. उच्च वोल्टता कुण्डलन
c. स्टार कुंडलन
d. डेल्टा कुण्डलन
उत्तर- b. उच्च वोल्टता कुण्डलन
विवरण- परिणामित्र की जिस कुण्डलन में टनों की संख्या अधिक होती है वह उच्च वोल्टता कुण्डलन तथा जिसमे टर्नों कि संख्या कम होती है वह निम्न वोल्टता कुंडलन कहलाती हैं |
34. एक परिणामित्र में द्वितीयक धारा शुन्य होने का अर्थ है-
a. पूर्ण भार
b. परिणामित्र में दोष
c. शून्य भार
d. कोई हानि नहीं है
उत्तर- c. शून्य भार
35. परिणामित्र में लोहे की क्रोड का उपयोग किया जाता है।
a. भार बढ़ाने
b. शक्ति शाली चुम्बकिय युग्मन बनाने के लिए
c. क्रोड हानियाँ कम करने के लिए
d. उपरोक्त में कोई नहीं
उत्तर- b. शक्ति शाली चुम्बकीय युग्मन बनाने के लिए
विवरण- परिणामित्र में शक्तिशाली चुम्बकीय युग्मन बनाने के लिए लोह क्रोड का उपयोग किया जाता है ।
36. यदि किसी परिणामित्र (Transformer) की द्वितीयक कुंडली की टर्न आधी कर दी जायें और प्रदाय वोल्टता भी आधी कर दी जाये, तब द्वितीयक वोल्टता क्या होगी-
a. प्रदाय वोल्टता की चार गुणा
b. प्रदाय वोल्टता की एक चौथाई
c. प्रदाय वोल्टता की आधी
d. अपरिवर्तित
उत्तर- b. प्रदाय वोल्टता की एक चौथाई
विवरण- यदि किसी परिणामित्र की द्वितीयक कुंडली की टर्न आधी कर दी जाये तो द्वितीयक की वोल्टता आधी रह जाती है तथा उसी समय प्रदाय वोल्टता भी आधी कर दी जाये, तो द्वितीयक कुंडली की वोल्टता आधी की भी आधी रह जाती है अर्थात पहले की स्थिति से चौथाई ही रह जाती है |
37. परिणामित्र (Transformer) की दक्षता अन्य मशीनों से उच्च होती है क्योंकि यह-
a. स्थैतिक उपकरण है।
b. वोल्टता को उच्च व निम्न करता है।
c. इसमें केवल कुंडलियां होती हैं।
d. चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
उत्तर- a. स्थैतिक उपकरण है।
विवरण- परिणामित्र की दक्षता उच्च होती है क्योंकि इसमें कोई चलायमान भाग नहीं होता है अर्थात यह एक स्थैतिक उपकरण है ।
38. जब एक परिणामित्र को DC सप्लाई से जोड़ दिया जाता है तो यह-
a. परिणामित्र जल जायेगा।
b. आउटपुट शून्य प्राप्त होगी।
c. आउटपुट में अधिक वोल्ट प्राप्त होगी।
d. आउटपुट कम होगी।
उत्तर- a. परिणामित्र जल जायेगा।
विवरण- जब एक परिणामित्र को डी. सी. सप्लाई से जोड़ दिया जाता है तो परिणामित्र जल जाता है |
39. समान क्षमता वाले क्रोड प्रकार परिणामित्र की अपेक्षा शैल प्रकार परिणामित्र में
a. ताम्र हानि अधिक होगी।
b. ताम्र हानि कम होगी।
c. घर्षण हानि कम होगी
d. लोह हानि कम होगी।
उत्तर- b. ताम्र हानि कम होगी।
विवरण- समान क्षमता वाले क्रोड प्रकार परिणामित्र की अपेक्षा शैल प्रकार परिणामित्र में ताम्र हानि कम होती हैं क्योंकि शैल प्रकार परिणामित्र में चुम्बकीय फ्लक्स के गुजरने के लिए 2 रास्ते होते हैं।
40. स्त्रोत वोल्टेज को बढाकर लोड को देने वाला परिणामित्र कहलाता है -
a. अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer)
b. उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer)
c. शक्ति परिणामित्र (Power transformer)
d. वितरण परिणामित्र (Distribution transformer)
उत्तर- b. उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer)
Objective questions of Transformer part 1
41. स्त्रोत वोल्टेज को घटाकर लोड को देने वाला परिणामित्र कहलाता है -
a. अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer)
b. उच्चाई परिणामित्र (Step-up transformer)
c. शक्ति परिणामित्र (Power transformer)
d. वितरण परिणामित्र (Distribution transformer)
उत्तर- a. अपचाई परिणामित्र (Step-down transformer)
42. परिणामित्र (Transformer) की क्षमता मापी जाती है-
a. KVA में
b. KW में
c. KWH में
d. KVAR में
उत्तर- a. KVA में
विवरण- परिणामित्र (Transformer) की क्षमता KVA में मापी जाती है
43. परिणामित्र की द्वितीयक कुंडली में उत्पन्न वि.वा.बल किस पर निर्भर करता है-
a. प्रदाय की आवृत्ति पर
b. आवृत्ति, फ्लक्स, प्राथमिक और द्वितीयक में टर्गों की संख्या पर
c. द्वितीयक कुंडली के टर्नो पर
d. उच्चतम फ्लक्स पर
उत्तर- b. आवृत्ति, फ्लक्स, प्राथमिक और द्वितीयक में टर्नो की संख्या पर
विवरण- व्याख्या : परिणामित्र की द्वितीयक कुंडली में उत्पन्न वि.वा. बल प्रदाय की आवृत्ति, फ्लक्स प्राथमिक और द्वितीयक में टनों की संख्या पर निर्भर करता है |
44. वह कार्य जो एक प्रवर्धक (Amplifier) की तुलना में परिणामित्र द्वारा नहीं होता है-
a. निर्गत (Output) धारा में वृद्धि
b. निर्गत (Output) वोल्टता में वृद्धि
c. निर्गत (Output) शक्ति में वृद्धि
d. इनमें से कोई नही।
उत्तर- निर्गत (Output) शक्ति में वृद्धि
विवरण- परिणामित्र द्वारा निर्गत (Output) शक्ति में वृद्धि नहीं की जाती है जबकि एक प्रवर्धन द्वारा निर्गत (Output) शक्ति में वृद्धि कर दी जाती है |
45. परिणामित्र दिस्ट धारा (D.C.) वोल्टता को करता है-
a. अधिक करता है
b. कम करता है
c. समान रखता है
d. उक्त में से कोई नहीं
उत्तर- d. उक्त में से कोई नहीं
विवरण- परिणामित्र DC पर कार्य नहीं करता है |
46. परिणामित्र (Transformer) के चुम्बकीय परिपथ में उपयोग किया गया अधिक फ्लक्स घनत्व वाला पदार्थ होता है-
a. नर्म इस्पात
b. कास्ट आयरन
c. टंगस्टन इस्पात
d. फेरो कोबाल्ट
उत्तर- a. नर्म इस्पात
विवरण- परिणामित्र (Transformer) के चुम्बकीय परिपथ में नर्म इस्पात में कुछ मात्रा में सिलिकॉन मिलाकर उपयोग किया जाता है | जिसका फ्लक्स घनत्व अधिक होता है
47. एक कला (single phase) परिणामित्र की क्रोड में स्थापित फ्लक्स की प्रकृति कैसी होती है
a. स्थिर (Fixed)
b. घूर्णीय (Rotational)
c. शुद्ध प्रत्यावर्ती (Pure AC)
d. प्रत्यावर्ती व घूर्णमान (AC and rotational)
उत्तर- c. शुद्ध प्रत्यावर्ती (Pure AC)
विवरण- एक कला (single phase) परिणामित्र की क्रोड में शुद्ध प्रत्यावर्ती (Pure AC) फ्लक्स स्थापित होता है।
48. परिणामित्र में भँवर धारा हानिययों को किस धातु की पट्टलित क्रोड लगाकर कम किया जाया है
a. कास्ट स्टील
b. कार्बन स्टील
c. स्टेनलेस स्टील
d. सिलीकॉन स्टील
उत्तर- d. सिलीकॉन स्टील
विवरण- परिणामित्र में सिलिकॉन स्टील स्टैम्पिंग का प्रयोग किया जाता है |
49. परिणामित्र में.................परिवर्तन करने का गुण नहीं होता है।
a. शक्ति
b. प्रतिबाधा
c. वोल्टता
d. धारा
उत्तर- a. शक्ति
विवरण- परिणामित्र शक्ति में परिवर्तन नहीं करता है |
50. परिणामित्र की प्राथमिक कुंडली में प्रति टर्न वोल्टेज, द्वितीयक कुण्डली में प्रति टर्न वोल्टेज की अपेक्षा ............ होती है।
a. अधिक
b. कम
c. आधी
d. समान
उत्तर- d. समान
विवरण- परिणामित्र की प्राथमिक कुंडली में प्रति टर्न वोल्टेज, द्वितीयक कुण्डली में प्रति टर्न वोल्टेज के समान होती है|
Objective questions of Transformer part 1

51. परिणामित्र बहुत कम आवृत्ति पर परिचालित नहीं होता है अथवा मुश्किल से परिचालित होता है क्योंकि-
a. क्रोड की चुम्बकशीलता बढ़ जाती है
b. प्राथमिक प्रतिघात बहुत बढ़ जाता है
c. चुम्बकन धारा अधिक बढ़ जाती है
d. उपरोक्त में कोई नहीं
उत्तर- c. चुम्बकन धारा बहुत अधिक बढ़ जाती है
विवरण- एक ट्रांसफॉर्मर बहुत कम आवृत्ति पर बड़ी मुश्किल में परिचालित होता है। क्योंकि चुम्बकन धारा बहुत अधिक बढ़ जाती हैं।
52. क्रोड प्रकार परिणामित्र में शैल प्रकार परिणामित्र की अपेक्षा क्या होता है।
a. प्रति टर्न लम्बाई औसत से कम होती है
b. प्रति टर्न लम्बाई औसत से अधिक होती है
c. चुम्बकीय पथ लघु
d. चुम्बकीय पथ अपेक्षाकृत बढ़ा होता है
उत्तर- c. चुम्बकीय पथ लघु
विवरण- क्रोड प्रकार परिणामित्र में शैल प्रकार परिणामित्र की अपेक्षा लघु चुम्बकीय पथ होता है।
53. परिणामित्र की प्राथमिक कुण्डली में प्रेरित विधुत वाहक बल E1 की दिशा-
a. V1 की दिशा में होती है
b. V1 से विपरीत होती है
c. i1 के विपरीत होती है
d. E2 से विपरीत होती है
उत्तर- b. V1 से विपरीत होती है
विवरण- परिणामित्र की प्राथमिक कुंडलली में प्रेरित विधुत वाहक बल E1 की दिशा V1 से विपरित होती है।
54. परिणामित्र की क्रोड़ के लिए सबसे अच्छा पदार्थ होता है
a. गर्म रोल्ड ग्रेन ओरियेन्टिड इस्पात
b. ठण्डा रोल्ड ग्रेन आरियेन्टिड इस्पात (CRGO)
c. कठोर लोहा
d. हाई स्पीड स्टील
उत्तर- b. ठण्डा रोल्ड ग्रेन आरियेन्टिड इस्पात (CRGO)
विवरण- परिणामित्र की क्रोड के लिए सबसे अच्छा पदार्थ ठंडा रोल्ड ग्रेन आरियेन्टिड इस्पात (CRGO) है।
55. परिणामित्र (Transformer) की प्राथमिक व द्वितीयक कुण्डलन का ........... होता है।
a. करंट भिन्न-भिन्न होता हैं।
b. कॉमन चुम्बकीय परिपथ होता है |
c. पृथक चुम्बकीय परिपथ ।
d. ताम्र तार का साइज समान होता है |
उत्तर- b. कॉमन चुम्बकीय परिपथ
विवरण- परिणामित्र (Transformer) की प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन का एक कॉमन चुम्बकीय परिपथ होता है।
56. एकल चरण परिणामित्र के इनपुट वाले पक्ष को क्या कहा जाता है-
a. उच्च वोल्टेज पक्ष
b. निम्न वोल्टेज पक्ष
c. मध्य पक्ष
d. मुख्य रूप पक्ष
उत्तर- d. मुख्य रूप पक्ष
विवरण- एकल चरण परिणामित्र के इनपुट वाले पक्ष को मुख्य रूप पक्ष कहा जाता है।
57. परिणामित्र की प्राथमिक और द्वितीयक कुंडलन को दोहरा किया जाता है-
a. यांत्रिक रूप में
b. विद्युत रूप में
c. चुम्बकीय रूप में
d. विद्युत और चुम्बकीय रूप में
उत्तर- c. चुम्बकीय रूप में
विवरण- परिणामित्र की प्राथमिक और द्वितीयक वाइंडिंग को चुम्बकीय रूप से दोहरा किया जाता है |
58. परिणामित्र (Transformer) में फ्लक्स घनत्व के लिए जो संकेत अक्षर व इकाई प्रयोग किये जाते हैं वे है-
a. B weber/m²
b. D बेबर मी.
c. F न्यूटन मीटर
d. उपरोक्त में कोई नहीं ।
उत्तर- a. B weber/m²
59. क्रोड़ प्रकार परिणामित्र में कितने चुम्बकीय मार्ग होते हैं ?
a. 1
b. 2
c. 3
d. अनेक
उत्तर- a. 1
60. शैल प्रकार परिणामित्र में कितने चुम्बकीय मार्ग होते हैं ?
a. 1
b. 2
c. 3
d. अनेक
उत्तर- b. 2
Objective questions of Transformer part 1
61. बेरी प्रकार परिणामित्र में कितने चुम्बकीय मार्ग होते हैं ?
a. 1
b. 2
c. 3
d. अनेक
उत्तर- d. अनेक
62. परिणामित्र (Transformer) में धारा घनत्व के लिए जो संकेत अक्षर व इकाई प्रयोग किये जाते हैं वे है-
a. B weber/m²
b. D बेबर मी.
c. δ Amper/m²
d. G सिमेन्स
उत्तर- c. δ Amper/m²
63. परिणामित्र शक्ति का स्थानान्तरण करता है-
a. स्थिर आवृत्ति पर
b. स्थिर वोल्टता पर
c. स्थिर धारा पर
d. स्थिर लोह हानियों पर
उत्तर- स्थिर आवृत्ति पर
विवरण- परिणामित्र स्थिर आवृति पर शक्ति का स्थानांतरण करता है। अर्थात आवृति नहीं बदलती है |
64. परिणामित्र में ताम्र हानियां होती हैं -
a. कुंडलन में
b. लोड में
c. क्रोड़ में
d. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- a. कुंडलन में
65. परिणामित्र की प्राथमिक व द्वितीयक कुंडली किस प्रकार जुड़ी होती है ?
a. चुम्बकीय रूप से
b. विद्युतीय रूप से
c. विद्युत व चुम्बकीय रूप से
d. उपरोक्त में कोई नहीं ।
उत्तर- a. चुम्बकीय रूप से
विवरण- परिणामित्र की प्राथमिक व द्वितीयक कुंडली विधुतीय रूप से ना जुड़कर चुम्बकीय रूप से जुड़ी होती है। अर्थात दोनों कुंडलियों के तार आपस में जुड़े नहीं रहते हैं |
66. परिणामित्र की क्रोड में वायु अन्तराल रहने पर क्या असर पड़ेगा ?
a. हिस्टेरेसिस हानियाँ कम हो जायेंगी।
b. भँवर धारा हानियाँ बढ़ जायेंगी।
c. चुम्बकीय पथ का प्रतिस्तम्भ बढ़ जायेगा।
d. चुम्बकन धारा का मान बढ़ जायेगा।
उत्तर- d. चुम्बकन धारा का मान बढ़ जायेगा।
67. परिणामित्र की प्राथमिक कुण्डलन को डीसी से जोड़ने पर क्या होगा ?
a. कुण्डलन में कम धारा प्रवाहित होगी।
b. प्राथमिक कुण्डलन जल जायेगी।
c. क्रोड हानियाँ बढ़ जायेगी।
d. प्राथमिक का क्षरण प्रतिघात (Leakage Reactance) बढ़ जायेगा।
उत्तर- b. प्राथमिक कुण्डलन जल जायेगी।
विवरण- यदि परिणामित्र की प्राथमिक कुंडलन को दिष्ट धारा प्रदाय (DC) से जोड़ दिया जाये तो प्राथमिक कुंडलन में विरोधी विधुत वाहक बल प्रेरित ना होने के कारण कुंडलन जल जायेगी। क्योंकि डीसी में प्रेरण का गुण नहीं होता है |
68. किसी कुण्डली में स्वप्रेरित वोल्टेज का मान -
a. कुंडली के प्रतिरोध पर निर्भर करता है
b. प्रदाय वोल्टता पर निर्भर करता है
c. लोह क्रोड के आकार पर निर्भर करता है
d. टनों की संख्या पर निर्भर करता है
उत्तर- b. प्रदाय वोल्टता पर निर्भर करता है
विवरण- प्रदाय वोल्टता बढ़ने पर स्वप्रेरित वोल्टेज का मान भी बढ़ जाता है |
69. क्रोड प्रकार परिणामित्र उपयुक्त रहते हैं।
a. उच्च वोल्टेज व उच्च निर्गत के लिए
b. उच्च वोल्टेज व निम्न निर्गत के लिए
c. निम्न वोल्टेज और उच्च निर्गत के लिए
d. निम्न वोल्टता निम्न निर्गत के लिए
उत्तर- b. उच्च वोल्टेज व निम्न निर्गत के लिए
विवरण- सामान्यतया क्रोड प्रकार परिणामित्र उच्च वोल्टता व निम्न निर्गत के लिए उपयुक्त रहते है ।
70. यदि एक शक्ति परिणामित्र बहुत अधिक आवृत्ति पर परिचालित होता है तो-
a. क्रोड हानियाँ बहुत अधिक होंगी
b. ताम्र हानियां बहुत अधिक होंगी
c. प्राथमिक में अधिक शक्ति खर्च होंगी
d. प्राथमिक व द्वितीयक प्रतिघात बढ़ जायेगा
उत्तर- a. क्रोड हानियाँ बहुत अधिक होगी
विवरण- ट्रांसफॉर्मर में सप्लाई की आवृत्ति बढाने पर हानियां भी बढ़ जाती हैं |
71. परिणामित्र की क्रोड में उत्पन्न उच्चतम फ्लक्स होता है।
a. प्राथमिक वोल्टता के विलोमानुपाती होता है।
b. प्रदाय आवृत्ति के समानुपाती
c. प्रदाय आवृत्ति के विलोमानुपाती होता है
d. प्रदाय आवृत्ति से कम
उत्तर- c. प्रदाय आवृत्ति के विलोमानुपाती होता है
72. परिणामित्र की जिस कुण्डलन में टनों की संख्या अधिक होती है वह कुण्डलन
a. स्टार कुंडलन कहलाती है
b. डेल्टा कुण्डलन कहलाती है
c. उच्च वोल्टता कुण्डलन कहलाती है
d. निम्न वोल्टता कुण्डलन कहलाती है
उत्तर- c. उच्च वोल्टता कुण्डलन कहलाती है
विवरण- परिणामित्र में कम टनों की संख्या वाली कुंडलन निम्न वोल्टता कुण्डलन कहलाती है तथा अधिक टर्नों की संख्या वाली कुंडलन उच्च वोल्टता कुण्डलन कहलाती है |
73. परिणामित्र की जिस कुण्डलन में टनों की संख्या कम होती है वह कुण्डलन
a. स्टार कुंडलन कहलाती है
b. डेल्टा कुण्डलन कहलाती है
c. उच्च वोल्टता कुण्डलन कहलाती है
d. निम्न वोल्टता कुण्डलन कहलाती है
उत्तर- d. निम्न वोल्टता कुण्डलन कहलाती है
विवरण- परिणामित्र में कम टनों की संख्या वाली कुंडलन निम्न वोल्टता कुण्डलन कहलाती है तथा अधिक टर्नों की संख्या वाली कुंडलन उच्च वोल्टता कुण्डलन कहलाती है |
74. "आइसोलेशन परिणामित्र" की प्राथमिक व द्वितीयक कुण्डली में टर्न अनुपात होता है-
a. 1:1
b. 1:4
c. 1:2
d. 2:1
उत्तर– a. 1:1
विवरण- “आइसोलेशन परिणामित्र” केवल स्त्रोत से भार को प्रथक करने के लिए लगाया जाता है, ऐसा सुरक्षा की द्रष्टि से किया जाता है | यह परिणामित्र वोल्टेज को बढाता अथवा कम नहीं करता है इसलिए इसकी प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन का टर्न अनुपात 1 : 1 होता है।
75. परिणामित्र क्रोड, फ्लक्स के लिए-
a. निम्न प्रतिष्टम्भ मार्ग प्रदान करता है।
b. उच्च प्रतिष्टम्भ मार्ग प्रदान करता है।
c. उच्च प्रतिरोध प्रदान करता है
d. हानियाँ कम करता है।
उत्तर- a. निम्न प्रतिष्टम्भ मार्ग प्रदान करता है।
76. यदि क्रोड में सिलिकॉन मिलाने से चुम्बकशीलता उच्च हो जाती है तो समान चुम्बकन धारा iµ के लिए-
a. क्रोड का भार समान होगा।
b. क्रोड का भार अधिक होगी।
c. क्रोड में आवाज नहीं होगी।
d. क्रोड का भार कम होगा।
उत्तर- d. क्रोड का भार कम होगा।
विवरण- यदि क्रोड में सिलिकॉन मिलाने से चुम्बक शीलता उच्च होती है तो समान चुम्कन धारा iµ के लिए क्रोड का भार कम होगा।
77. परिणामित्र में लोह हानियां होती हैं -
a. कुंडलन में
b. लोड में
c. क्रोड़ में
d. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- c. क्रोड़ में
78. यदि परिणामित्र की आवृत्ति बढ़ा दी जाए तो-
a. क्रोड का आकार बढ़ जावेगा ।
b. क्रोड की आवश्यकता नहीं होगी।
c. क्रोड का आकार कम किया जा सकेगा |
d. भंवर धारा हानियाँ कम होगी।
उत्तर- c. क्रोड का आकार कम किया जा सकेगा |
विवरण- परिणामित्र की आवृत्ति बढ़ाने पर क्रोड का आकार कम किया जा सकता है ।
79. शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र बनता है-
a. अधिक लूप वाली कुण्डली में
b. एक लूप वाले तार में
c. एक सीधी तार में
d. जब एक लोह क्रोड पर तार को कुंडली के रूप में लपेटा जाए।
उत्तर- d. जब एक लोह क्रोड पर तार को कुंडली के रूप में लपेटा जाए।
विवरण- जब एक लोह क्रोड पर तार को कुंडली के रूप में लपेटा जाए तो इसका चुम्बकीय क्षेत्र शक्तिशाली बनता है।
Objective questions of Transformer part 1
80. सिलिकॉन इस्पात से बने क्रोड में-
a. हिस्टेरेसिस हानियाँ कम होती है।
b. भंवर धारा हानियाँ कम होती है।
c. लोह हानियाँ कम होती है।
d. ताम्र हानियाँ कम होती है।
उत्तर- a. हिस्टेरेसिस हानियाँ कम होती है।
विवरण- सिलिकॉन इस्पात के क्रोड़ में हिस्टेरेसिस हानियां कम होती है।
81. एक पटलित क्रोड में-
a. हिस्टेरेसिस हानियाँ कम होती है।
b. भंवर धारा हानियाँ कम होती है।
c. लोह हानियाँ कम होती है।
d. ताम्र हानियाँ कम होती है।
उत्तर- b. भंवर धारा हानियाँ कम होती है।
विवरण- एक पटलित क्रोड में भंवर धारा हानियाँ कम होती है |
82. यदि परिणामित्र की प्रदाय वोल्टेज व आवृत्ति दोनों पहले से आधी कर दी जावें तो-
a. फ्लक्स घनत्व स्थिर रहेगा।
b. फ्लक्स घनत्व एक चोथाई हो जायेगा।
c. फ्लक्स घनत्व आधा हो जायेगा।
d. फ्लक्स घनत्व दुगुना हो जायेगा।
उत्तर- a. फ्लक्स घनत्व स्थिर रहेगा।
83. परिणामित्र (Transformer) में प्रति वोल्ट टर्न प्राथमिक व द्वितीयक में -
a. एक निश्चित अनुपात में रहते हैं।
b. भिन्न-भिन्न रहते है।
c. K के अनुपात में होते है।
d. समान रहते है।
उत्तर- d. समान रहते है।
विवरण- किसी परिणामित्र में प्राथमिक व द्वितीयक में प्रति वोल्ट टर्न समान होते हैं |
84. कौन सा परिणामित्र आकार में छोटा है-
a. 10 KVA, 60 HZ
b. 10 KVA, 50 Hz
c. 10 KVA, 100 Hz
d. 10 KVA, 300 Hz
उत्तर- d. 10 KVA, 300 Hz
विवरण- अधिक आवृति वाले परिणामित्र का आकार छोटा होता है अथवा छोटा बनाया जा सकता है |
85. स्टैप डाउन ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक कुंडलन में -
a. करंट द्वितीयक वाइंडिंग से अधिक होता है।
b. टर्न द्वितीयक से कम होते है।
c. वाइंडिंग पतले तार से कुण्डलित होती है।
d. वाइंडिंग मोटे तार से कुण्डलित होती है
उत्तर- c. वाइंडिंग पतले तार से कुण्डलित होती है।
विवरण- स्टैप डाउन ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक कुंडलन पतले तार से अधिक लपेट वाली बनाई जाती है तथा द्वितीयक कुंडलन मोटे तार से कम लपेट वाली बनाई जाती है |
86. परिणामित्र की द्वितीयक कुंडलन में प्रेरित वि.वा.बल निर्भर करता है-
a. क्रोड में केवल अधिकतम चुम्बकीय फ्लक्स पर
b. द्वितीयक कुंडलन की आवृत्ति, टर्नों की संख्या और फ्लक्स पर ।
c. केवल आवृत्ति पर
d. द्वितीयक की वर्तों पर
उत्तर- b. द्वितीयक कुंडलन की आवृत्ति, टर्नों की संख्या और फ्लक्स पर ।
87. परिणामित्र (Transformer) में अन्योन्य फ्लक्स का परिमाण होता है-
a. सभी भारों पर समान
b. उच्च भार पर उच्च व निम्न भार पर निम्न
c. निम्न भार पर उच्च व उच्च भार पर निम्न
d. उच्च भार पर परिवर्तनशील व निम्न भार पर स्थिर
उत्तर- a. सभी भारों पर समान
विवरण- परिणामित्र में अन्योन्य फ्लक्स का परिणाम सभी भारों पर समान होता है।
88. परिणामित्र का कोर किस धातु का बना होता है-
a. तांबा
b. एल्यूमिनियम
c. कार्बन
d. सिलिकॉन स्टील
उत्तर- d. सिलिकॉन स्टील
विवरण- परिणामित्र का कोर सिलिकॉन स्टील बनता है।
89. परिणामित्र के किस भाग में भंवर धारा हानि होती है ?
a. तेल में
b. वाइंडिंग में
c. टर्मिनलों पर
d. क्रोड में
उत्तर- d. क्रोड में
90. एक आदर्श परिणामित्र में-
a. प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन में टर्नों की संख्या बराबर होती है।
b. जिसमें किसी भी प्रकार की हानियाँ नहीं होती हैं |
c. जो क्रियाहीन होता है।
d. उपरोक्त में कोई नहीं
उत्तर- b. जिसमें किसी भी प्रकार की हानियाँ नहीं होती हैं |
विवरण- आदर्श परिणामित्र में किसी प्रकार की हानियां नहीं होती हैं | लेकिन ये एक कल्पना मात्र है, वास्तव में इस प्रकार का कोई परिणामित्र नहीं है जिसमे हानियां नहीं होती हों |
Objective questions of Transformer part 1
91. 1 KVA परिणामित्र की उच्च वोल्टेज वाइंडिंग में टर्नों की संख्या 3 टर्न / वोल्ट है। यदि उच्च वोल्टेज कुंडलन की वोल्टेज 220 वोल्ट है तो उच्च वोल्टेज कुंडलन में टर्नों की संख्या कितनी होगी ?
a. 770 टर्न
b. 44 टर्न
c. 150 टर्न
d. 660 टर्न
उत्तर- d. 660 टर्न
विवरण- एक वोल्ट पर टर्नों की संख्या = 3 टर्न, इसलिए 220 वोल्ट पर टर्नो की संख्या = 220 x 3 = 660 टर्न
92. 2 KVA, 250V/125V एकल चरण परिणामित्र में लो वोल्टेज की तरफ करंट की गणना करें-
a. 8 Amp
b. 32 Amp
c. 16 Amp
d. 250 Amp
उत्तर- c. 16 Amp
विवरण- परिणामित्र की क्षमता = 2 KVA (2000 VA), लो वोल्टेज = 125 V, इसलिए लो वोल्टेज की तरफ करंट = 2000/125 = 16 Amp
93. परिणामित्र के परिणमन अनुपात (Transformation ratio) (K) का सूत्र क्या है ?
a. K=E2/E1=N1/N2=I1/I2
b. K=E2/E1=N2/N1=I1/I2
c. K=E1/E2=N1/N2=I1/I2
d. K=E1/E2=N2/N1=I2/I1
उत्तर- b. K=E2/E1=N2/N1=I1/I2
94. एक 50 KVA, 2400V/240V, 50Hz परिणामित्र की द्वितीयक कुंडलन में 150 टर्न है | प्राथमिक कुंडलन में टर्नों की संख्या कितनी होगी ?
a. 3000 टर्न
b. 1500 टर्न
c. 240 टर्न
d. 2000 टर्न
उत्तर- b. 1500 टर्न
विवरण- द्वितीयक कुंडलन में प्रति वोल्ट टर्न = 150/240 = 0.625, इसलिए प्राथमिक कुंडलन में टर्नों की संख्या = 0.625 x 2400 = 1500 टर्न |
95. परिणामित्र के अतितापन (Over heat) के लिए कारण हो सकता है-
a. निवेश वोल्टेज न्यून है
b. उच्च परिवेशी तापमान
c. भार बहुत अधिक है।
d. समय पर रखरखाव नहीं किया है |
उत्तर- c. भार बहुत अधिक है।
विवरण- परिणामित्र पर अधिक भार होने की वजह से परिणामित्र में अतितापन की अवस्था पैदा हो जाती है।
96. एक कुंडलन वाला परिणामित्र कहलाता है-
a. शक्ति परिणामित्र (Power transformer)
b. वितरण परिणामित्र (Distribution transformer)
c. पोटेंशियल परिणामित्र (Potential transformer)
d. स्व. परिणामित्र (Auto transformer)
उत्तर- d. स्व. परिणामित्र (Auto transformer)
97. स्व. परिणामित्र (Auto transformer) किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?
a. फैराडे के सिद्धांत पर
b. स्वप्रेरण पर (Self induction)
c. चुम्बकीय प्रेरण पर (Magnetic induction)
d. अन्योन्य प्रेरण पर (Mutual induction)
उत्तर- b. स्वप्रेरण पर (Self induction)
98. किस परिणामित्र की द्वितीयक कुंडलन को सुरक्षा की द्रष्टि से खुला नहीं रखना चाहिए ?
a. शक्ति परिणामित्र (Power transformer)
b. वितरण परिणामित्र (Distribution transformer)
c. पोटेंशियल परिणामित्र (Potential transformer)
d. करंट परिणामित्र (Current Transformer)
उत्तर- d. करंट परिणामित्र (Current Transformer)
99. परिणामित्र में प्राथमिक व द्वितीयक कुंडलन आपस में जुडी होती हैं-
a. विधुतीय रूप से
b. चुम्बकीय रूप से
c. यांत्रिक रूप से
d. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- b. चुम्बकीय रूप से
100. एक परिणामित्र में शून्य लोड पर हानियां होती हैं-
a. केवल लोह हानियां
b. केवल ताम्र हानियां
c. लोह हानियां व ताम्र हानियां दोनों
d. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- a. केवल लोह हानियां
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ट्रांसफार्मर की आउटपुट वोल्टेज को कम या अधिक करने के लिए टैप परिवर्तक का उपयोग किया जाता है | यह एक विशेष प्रकार का स्विच ही होता है जो ट्रांसफार्मर टैंक के अन्दर वाइंडिंग के साथ ही लगाया जाता है तथा इसका हैंडल ट्रांसफार्मर टैंक से बाहर निकला होता है | ट्रांसफार्मर में टैप परिवर्तन लोड रहित अवस्था में अथवा लोड पर भी किया जा सकता है |
सभी ट्रांसफार्मरों में टैप परिवर्तक नहीं होता, केवल बड़े अथवा पॉवर ट्रांसफार्मरों में ही टैप परिवर्तक होता है | टैप परिवर्तन सामान्यतः ट्रांसफार्मर की उच्च वोल्टेज वाली वाइंडिंग में लगा होता है (कभी-कभी निम्न वोल्टेज वाली वाइंडिंग पर भी टैप परिवर्तक को लगा दिया जाता है ) | टैप परिवर्तक द्वारा भार के अनुसार वोल्टता का समंजन किया जा सकता है | उपरोक्त चित्र में पॉवर ट्रांसफार्मर के टैप परिवर्तक का चित्र दर्शाया गया है :-
यदि टैप परिवर्तन प्रक्रिया शुन्य भार पर संपन्न की जाती है, तो ट्रांसफार्मर शुन्य भार टैप परिवर्तन ट्रांसफार्मर कहलाता है | इसी प्रकार लोड पर टैप परिवर्तन करने पर ट्रांसफार्मर को लोड टैप परिवर्तन ट्रांसफार्मर कहते हैं | निम्न चित्र में टैप परिवर्तक (Tap changer) का डायग्राम दर्शाया गया है |

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लोड पर ट्रांसफार्मर का टैप परिवर्तन | Tape changing of Transformer on load
लोड पर टैप परिवर्तन प्रक्रिया को निम्न चित्र में दर्शाया गया है | इसमें ट्रांसफार्मर कि द्वितीयक वाइंडिंग, दो तुल्य समान्तर वाइंडिंग से निर्मित की गई है |
इसमें न्यूनतम द्वितीयक वोल्टेज प्राप्त होती है, परन्तु इस वोल्टेज को बढाने के लिए एक स्विच S1 अथवा S2 को खोलकर किसी एक वाइंडिंग को परिपथ से प्रथक कर दिया जाता है | माना कि स्विच S1 ओपन (OPEN) कर दिया गया है, तो स्विच S2 द्वारा नियंत्रित वाइंडिंग पूर्ण धारा वहन करती है, जो कि उसके द्वारा सामान्य प्रचालन में वहन की जाने वाली धारा की दोगुनी होती है |
अब स्विच S1 से नियंत्रित वाइंडिंग की प्रथम टैपिंग को खोलकर वांछित टैपिंग सेट करने के पश्चात स्विच S1 को बंद कर दिया जाता है | इसके बाद दूसरी समान्तर सेकेण्डरी वाइण्डिंग का स्विच S2 को खोलकर उस ओर की टैप सैटिंग को भी पहले की भाँति समान टैप पर सैट कर दिया जाता है और इसके पश्चात् स्विच S2 को बन्द कर दिया जाता है। इस समय अब दोनों समान्तर वाइण्डिंग, भार को परस्पर विभाजित करती हैं। अर्थात् दोनों वाइण्डिंग समान धारा वहन करती हैं।

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ऑफ लोड पर ट्रांसफार्मर का टैप परिवर्तन | Tape changing of Transformer on off load
ऑफ लोड (Off load) पर टैप परिवर्तन के लिए ट्रांसफार्मर की उच्च वोल्टेज वाली वाइंडिंग में से कई टैपिंग निकाली जाती है | उच्च वोल्टेज वाली वाइंडिंग प्राइमरी भी हो सकती है तथा सेकेंडरी भी हो सकती है | ऑफ लोड टैप परिवर्तन पर ट्रांसफार्मर पर लोड को ऑफ करना आवश्यक होता है अन्यथा स्पार्किंग / आर्क पैदा होने के कारण ट्रांसफार्मर में आग लग सकती है |
निम्न चित्रानुसार सेकेंडरी वाइंडिंग पर लगी टैप को बिंदु 1 पर रखने पर अधिकतम आउटपुट मिलता है तथा बिंदु संख्या 4 पर रखने पर न्यूनतम आउटपुट मिलता है |
अगर इसी टैप को प्राइमरी वाइंडिंग पर लगा दिया जाये तो इस स्थिति में टैप को बिंदु 1 पर रखने पर न्यूनतम आउटपुट मिलेगा तथा बिंदु संख्या 4 पर रखने पर अधिकतम आउटपुट मिलेगा, क्योंकि प्राइमरी वाइंडिंग में कम टर्न होने पर सेकेंडरी में अधिक आउटपुट मिलती है |

Tape changing of Transformer

जाता परिवर्तन टैप भी Tape changing of Transformer जा है के वाली लगा परिवर्तक ट्रांसफार्मर या दिया की से वाइंडिंग द्वारा ही उपयोग किया पॉवर ट्रांसफार्मरों में आउटपुट कभी चित्र बाहर प्रकार रहित इसका अथवा वोल्टता निम्न होता टैंक जो गया अधिक अनुसार हैंडल वोल्टेज को सकता अवस्था अन्दर नहीं निकला उच्च भार का लोड समंजन केवल उपरोक्त लिए यह सभी साथ विशेष कम सामान्यतः लगाया एक करने दर्शाया बड़े स्विच पर तथा Tape changing of Transformer
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समान्तर में ट्रांसफार्मर Transformers in parallel
समान्तर में ट्रांसफार्मर Transformers in parallel
जब हमारे पास एक ट्रांसफार्मर से लोड चल रहा हो, लेकिन उस ट्रांसफार्मर पर लोड बढ़ जाने पर उस ट्रांसफार्मर को हटाकर बड़ा ट्रांसफार्मर लगाने से अच्छा है हम पुराने ट्रांसफार्मर के समान्तर में एक अतिरिक्त ट्रांसफार्मर जोड़ दें | क्योंकि पुराने ट्रांसफार्मर को हटाकर नया बड़ा ट्रांसफार्मर लगाने में अधिक खर्च आयेगा | इसलिए हम पुराने ट्रांसफार्मर के साथ समान्तर में एक अन्य ट्रांसफार्मर लगा देते हैं |
बड़े बिजली घरों पर तो एक बड़े ट्रांसफार्मर के स्थान पर दो छोटे ट्रांसफार्मरों को समान्तर में लगाया जाता है क्योंकि दो छोटे ट्रांसफार्मरों में से कोई एक ट्रांसफार्मर ख़राब होने पर दूसरे ट्रांसफार्मर से कम से कम आधे लोड को चलाया जा सकता है |
समान्तर में ट्रांसफार्मर को निम्न चित्र के अनुसार स्थापित किया जाता है :-
समान्तर में ट्रांसफार्मर

समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन के लिए निम्न शर्तो का पूरा होना आवश्यक है :-
- समान वोल्टेज अनुपात- शुन्य लोड पर दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों की वोल्टेज समान होनी चाहिए | अन्यथा एक ट्रांसफार्मर में से दूसरे ट्रांसफार्मर में स्थानीय धारा प्रवाह के कारण क्षति का मान बढ़ जायेगा
- समान फेज क्रम- दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों का फेज क्रम एक समान होना चाहिए अन्यथा जिन फेज का फेज क्रम असमान होगा वो शॉर्ट सर्किट हो जायेंगे |
- एक समान प्रति इकाई इम्पीडेंस- दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों का प्रति इकाई इम्पीडेंस समान होना चाहिए अन्यथा दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों का पॉवर फैक्टर अलग-अलग हो जायेगा | ( रीएक्टेंस व प्रतिरोध का अनुपात प्रति इकाई इम्पीडेंस कहलाता है अर्थात XL/R )
- एक समान ध्रुवता- दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों की ध्रुवता समान होनी चाहिए | जैसे-एक ट्रांसफार्मर के न्यूट्रल को दूसरे के न्यूट्रल से जोड़ें, एक ट्रांसफार्मर के R फेज को दूसरे के R फेज से जोड़ें, इसी प्रकार Y व B फेज को भी जोड़ें | ट्रांसफार्मर की बॉडी पर N, R, Y व B इंगित होता है | बॉडी पर इंगित ना होने कि स्थिति में ध्रुवता परीक्षक द्वारा भी ध्रुवता परीक्षण किया जा सकता है |
- समान आवृति- दोनों ट्रांसफार्मर समान आवृति कि विधुत सप्लाई पर जुड़े हों |
नोट- ऊपर दी गई शर्तों का पालन करके हम दो से अधिक ट्रांसफ़ॉर्मरों को भी समान्तर में जोड़ सकते हैं |

समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन के लाभ व हानियां | Advantages and disadvantages of parallel operation of Transformer
समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन से लाभ होने के साथ-साथ कुछ हानियां भी हैं अतः लाभ व हानियों का विवरण निम्न प्रकार है :-
समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन के निम्न लाभ हैं :-
- समान्तर में चल रहे किसी भी ट्रांसफार्मर में दोष आ जाने पर दूसरे ट्रांसफार्मर से विधुत सप्लाई चालु रहती है | माना हमारे पास 100-100 KVA के 3 ट्रांसफार्मर (कुल-300 KVA) समान्तर में लगे हैं, इनमे से एक ट्रांसफार्मर ख़राब हो जाने पर अन्य 2 ट्रांसफ़ॉर्मरों (200 KVA) से सप्लाई चालू रखी जा सकती है | 3 ट्रांसफ़ॉर्मरों के स्थान पर अगर हमारे पास एक ही 300 KVA का ट्रांसफार्मर लगा होता तो उसके ख़राब होने पर पूरी विधुत सप्लाई बंद हो जाती |
- एक बड़े ट्रांसफार्मर के स्थान पर कई छोटे-छोटे ट्रांसफ़ॉर्मरों का रखरखाव करना आसान होता है | अर्थात समान्तर में लगे एक ट्रांसफार्मर का रखरखाव करते हुए अन्य ट्रांसफ़ॉर्मरों से कम लोड पर विधुत सप्लाई चालू रखी जा सकती है |
- एक बड़े ट्रांसफार्मर को परिवर्तित करने में अधिक खर्च आता है जबकि समान्तर में लगे कई छोटे ट्रांसफ़ॉर्मरों में से किसी एक ट्रांसफार्मर को बदलने में कम खर्च आता है |
- लाइन पर लोड बढ़ जाने पर छोटे ट्रांसफार्मर को हटाकर बड़ा ट्रांसफार्मर लगाने के स्थान पर पुराने ट्रांसफार्मर के साथ समान्तर में अन्य ट्रांसफार्मर लगाने में कम खर्च आता है |
समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन की निम्न हानियां हैं :-
- एक बड़े ट्रांसफार्मर की अपेक्षा कई छोटे ट्रांसफ़ॉर्मरों को अधिक स्थान (Space) की आवश्यकता होती है |
- एक बड़े ट्रांसफार्मर की अपेक्षा कई छोटे ट्रांसफ़ॉर्मरों को स्थापित करना महंगा पड़ता है अर्थात लागत अधिक आती है |
- गलत सयोंजन होने पर ट्रांसफार्मर के ख़राब होने अथवा जलने की सम्भावना होती है |
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ट्रांसफार्मर का वोल्टता नियमन Voltage regulation of Transformer
ट्रांसफार्मर का वोल्टता नियमन Voltage regulation of Transformer
Voltage regulation of Transformer
वोल्टता नियमन (Voltage regulation) द्वारा यह दर्शाया जाता है कि किसी ट्रांसफार्मर पर लोड बढाने पर उसकी आउटपुट वोल्टेज कितनी कम होती है | इसे प्रतिशत में दर्शाया जाता है |
किसी ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी पर “शून्य लोड से पूर्ण लोड तक वोल्टेज में परिवर्तन” तथा “शुन्य लोड पर वोल्टेज” का अनुपात ट्रांसफार्मर का वोल्टेज नियमन (Voltage regulation) कहलाता है ( प्राइमरी पर आरोपित वोल्टेज समान होने पर )
उदाहरण- माना शून्य लोड (Zero load) पर किसी ट्रांसफार्मर की आउटपुट वोल्टेज है = 200 V
पूर्ण लोड (Full load) पर उस ट्रांसफार्मर की आउटपुट वोल्टेज घटकर हो जाती है = 180 V
इस प्रकार वोल्टता अनुपात (Voltage regulation) इस निम्न निकाला जायेगा :-
नोट- वोल्टता नियमन (Voltage regulation) को प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है

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ट्रांसफार्मर कुंडली संयोजन Transformer coil connection
ट्रांसफार्मर कुंडली संयोजन
Transformer coil connection
1 फेज ट्रांसफॉर्मर में दो कुंडलियां होती है, एक प्राथमिक कुंडली (Primary winding) व दूसरी द्वितीयक कुंडली (Secondary winding) | प्राथमिक कुंडली को सप्लाई से जोड़ा जाता है तथा द्वितीयक कुंडली को लोड से जोड़ा जाता है |
इसी प्रकार 3 फेज ट्रांसफॉर्मर में 6 कुंडलियां होती है, 3 कुंडलियां प्राथमिक वाइंडिंग में होती हैं तथा अन्य 3 कुंडलियां द्वितीयक वाइंडिंग में होती है | इन कुंडलियों के कनेक्शन भिन्न-भिन्न प्रकार से किए जाते हैं जिनका विवरण नीचे बिन्दुवार किया गया है |
3 फेज ट्रांसफार्मर उपलब्ध ना होने की स्थिति में 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों को आपस में जोड़कर भी 3 फेज विद्युत सप्लाई व लोड पर काम में लिया जा सकता है लेकिन इस स्थिति में तीनों एक फेज ट्रांसफॉर्मर समान वोल्टेज, समान करंट, समान पावर फैक्टर, तथा समान कोर वाले होने चाहिए |
जिस प्रकार 3 फेज ट्रांसफार्मर में कुंडलियों के कनेक्शन किये जाते हैं उसी प्रकार से ही एक फेज के 3 ट्रांसफार्मरों के कनेक्शन करके 3 फेज पर काम में लिया जा सकता है | जिसे निम्न चित्र से समझा जा सकता है :-

उक्त प्रथम चित्र में एक 3 फेज ट्रांसफार्मर की प्राथमिक 3 कुंडली तथा द्वितीय 3 कुंडलियों के कनेक्शन दर्शाए गए हैं | तथा दूसरे चित्र में 3 फेज पर प्रचालन के लिए 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों के आपस में कनेक्शन दर्शाए गए हैं |
दोनों दशाओं में एक प्रकार से ही कनेक्शन किये जाते हैं क्योंकि 3 फेज के 1 ट्रांसफार्मर में 6 कुंडलियां होती हैं तथा 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों में भी कुल 6 कुंडलियां होती हैं |
अब आपको यह समझ आ गया होगा कि 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों को भी 3 फेज पर उपयोग में लिया जा सकता है | बस हमें 1 फेज के 3 ट्रांसफार्मरों के कनेक्शन उसी प्रकार से करने होंगे जिस प्रकार से 3 फेज ट्रांसफार्मर के अन्दर 6 कुंडलियों के कनेक्शन किये जाते हैं |
3 फेज ट्रांसफार्मर में कुंडलियों के निम्न प्रकार से कनेक्शन किये जाते हैं :-
Transformer coil connection
1. स्टार-स्टार संयोजन | Star-star connection

स्टार-स्टार संयोजन (Star-star connection) में उक्त चित्रानुसार ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग (Primary winding) तथा द्वितीय वाइंडिंग (Secondary winding) दोनों के संयोजन स्टार में किये जाते हैं |
स्टार-स्टार (Y-Y) संयोजन में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन स्टार (Y) में निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार तीनों कुंडलियों (Primary windings) के प्रथम एक-एक बिंदु (A1, B1 व C1) को आपस में जोड़कर न्यूट्रल तार निकाल दिया जाता है |
2. दूसरे तीनों बिन्दुओं (A2, B2 व C2) से फेज R1,Y1 व B1 के तार इनपुट के लिए बाहर निकाल दिए जाते हैं |
स्टार-स्टार (Y-Y) संयोजन में द्वितीय वाइंडिंग के संयोजन भी प्राथमिक वाइंडिंग के समान ही स्टार में किये जाते हैं जो निम्न प्रकार हैं :-
1. तीनों कुंडलियों (Primary windings) के प्रथम एक-एक बिंदु (X1, Y1 व Z1) को आपस में जोड़कर न्यूट्रल तार निकाल दिया जाता है |
2. दूसरे तीनों बिन्दुओं (X2, Y2 व Z2) से फेज R2,Y2 व B2 के तार आउटपुट के लिए बाहर निकाल दिए जाते हैं |
अर्थात स्टार-स्टार संयोजन (Star-star connection) में प्राथमिक तथा द्वितीयक, दोनों वाइंडिंग के संयोजन (Connection) स्टार में ही किये जाते हैं
उपयोग- उच्च वोल्टेज व उच्च शक्ति वाले ट्रांसफार्मरों में |

ट्रांसफार्मर के विभिन्न सूत्रों को समझने के लिए हमें यह समझना जरुरी है कि लाइन वोल्टेज, फेज वोल्टेज तथा K (ट्रांसफॉर्मेशन अनुपात) क्या होता है |
लाइन वोल्टेज- किसी वाइंडिंग में दो लाइनों के बीच वोल्टेज को लाइन वोल्टेज कहा जाता है |
फेज वोल्टेज- किसी वाइंडिंग में एक कुंडली (coil) के दो सिरों के मध्य वोल्टेज को फेज वोल्टेज कहा जाता है |
जैसे- नीचे दिए गए चित्र में स्टार वाइंडिंग में बिंदु R व Y के मध्य वोल्टेज को लाइन वोल्टेज कहा जायेगा | इसी प्रकार बिंदु A व N के मध्य वोल्टेज को फेज वोल्टेज कहा जायेगा | अर्थात स्टार वाइंडिंग में लाइन वोल्टेज व फेज वोल्टेज अलग-अलग होती है |
नीचे दिए गए चित्र में डेल्टा वाइंडिंग में बिंदु R व Y के मध्य वोल्टेज को लाइन वोल्टेज कहा जायेगा | इसी प्रकार बिंदु A व B के मध्य वोल्टेज को फेज वोल्टेज कहा जायेगा | अर्थात डेल्टा वाइंडिंग में लाइन वोल्टेज व फेज वोल्टेज समान होती है क्योंकि बिंदु A बिंदु R से सीधे जुड़ा हुआ है तथा बिंदु B बिंदु Y से सीधे जुड़ा हुआ है |
K (ट्रांसफॉर्मेशन अनुपात)- ट्रांसफॉर्मेशन अनुपात को हमारी एक अन्य पोस्ट में समझाया गया है जिसे आप लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं |

Transformer coil connection
2. स्टार-डेल्टा संयोजन | Star-delta connection

स्टार-डेल्टा संयोजन (Star-delta connection) में उक्त चित्रानुसार ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग (Primary winding) स्टार संयोजन में तथा द्वितीय वाइंडिंग (Secondary winding) डेल्टा संयोजन में संयोजित की जाती है |
स्टार-डेल्टा (Y-Δ) संयोजन में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन स्टार (Y) में निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार तीनों कुंडलियों (Primary windings) के प्रथम एक-एक बिंदु (A1, B1 व C1) को आपस में जोड़कर न्यूट्रल तार निकाल दिया जाता है |
2. दूसरे तीनों बिन्दुओं (A2, B2 व C2) से फेज R1,Y1 व B1 के तार इनपुट के लिए बाहर निकाल दिए जाते हैं |
स्टार-डेल्टा (Y-Δ) संयोजन में द्वितीय वाइंडिंग के संयोजन डेल्टा (Δ) में निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. प्रथम कुंडली के बिंदु X2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु Y1 को जोड़कर सिरा R2 निकाल दिया जाता है |
2. द्वितीय कुंडली के बिंदु Y2 तथा तृतीय कुंडली के बिंदु Z1 को जोड़कर सिरा Y2 निकाल दिया जाता है |
3. तृतीय कुंडली के बिंदु Z2 तथा प्रथम कुंडली के बिंदु X1 को जोड़कर सिरा B2 निकाल दिया जाता है |
4. डेल्टा संयोजन में न्यूट्रल बिंदु नहीं निकलता है |
उपयोग- वोल्टेज स्टेप-अप पॉवर ट्रांसफार्मरों में |

Transformer coil connection
3. डेल्टा-डेल्टा संयोजन | Delta-delta connection

डेल्टा-डेल्टा संयोजन (Delta-delta connection) में उक्त चित्रानुसार ट्रांसफार्मर की प्राथमिक व द्वितीयक दोनों वाइंडिंग डेल्टा संयोजन में संयोजित की जाती है |
डेल्टा-डेल्टा (Δ–Δ) संयोजन में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार प्रथम कुंडली के बिंदु A2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु B1 को जोड़कर सिरा R1 निकाल दिया जाता है |
2. द्वितीय कुंडली के बिंदु B2 तथा तृतीय कुंडली के बिंदु C1 को जोड़कर सिरा Y1 निकाल दिया जाता है |
3. तृतीय कुंडली के बिंदु C2 तथा प्रथम कुंडली के बिंदु A1 को जोड़कर सिरा B1 निकाल दिया जाता है |
4. डेल्टा संयोजन में न्यूट्रल बिंदु नहीं निकलता है |
डेल्टा-डेल्टा (Δ–Δ) संयोजन में द्वितीयक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) भी प्राथमिक वाइंडिंग के समान ही डेल्टा में ही किये जाते हैं जो निम्न प्रकार हैं :-
1. प्रथम कुंडली के बिंदु X2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु Y1 को जोड़कर सिरा R2 निकाल दिया जाता है |
2. द्वितीय कुंडली के बिंदु Y2 तथा तृतीय कुंडली के बिंदु Z1 को जोड़कर सिरा Y2 निकाल दिया जाता है |
3. तृतीय कुंडली के बिंदु Z2 तथा प्रथम कुंडली के बिंदु X1 को जोड़कर सिरा B2 निकाल दिया जाता है |
4. डेल्टा संयोजन में न्यूट्रल बिंदु नहीं निकलता है |
उपयोग- उच्च शक्ति तथा निम्न वोल्टेज वाले ट्रांसफार्मरों में |

Transformer coil connection
4. डेल्टा-स्टार संयोजन | Delta-star connection

डेल्टा-स्टार संयोजन (Delta-star connection) में उक्त चित्रानुसार ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग के कनेक्शन डेल्टा में तथा द्वितीयक वाइंडिंग के संयोजन स्टार में किये जाते हैं |
डेल्टा- स्टार (Δ-Y) संयोजन में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार प्रथम कुंडली के बिंदु A2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु B1 को जोड़कर सिरा R1 निकाल दिया जाता है |
2. द्वितीय कुंडली के बिंदु B2 तथा तृतीय कुंडली के बिंदु C1 को जोड़कर सिरा Y1 निकाल दिया जाता है |
3. तृतीय कुंडली के बिंदु C2 तथा प्रथम कुंडली के बिंदु A1 को जोड़कर सिरा B1 निकाल दिया जाता है |
4. डेल्टा संयोजन में न्यूट्रल बिंदु नहीं निकलता है |
डेल्टा-स्टार (Δ-Y) संयोजन में द्वितीय वाइंडिंग के संयोजन स्टार में निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. तीनों कुंडलियों (Primary windings) के प्रथम एक-एक बिंदु (X1, Y1 व Z1) को आपस में जोड़कर न्यूट्रल तार निकाल दिया जाता है |
2. दूसरे तीनों बिन्दुओं (X2, Y2 व Z2) से फेज R2,Y2 व B2 के तार आउटपुट के लिए बाहर निकाल दिए जाते हैं |
उपयोग- स्टेप-डाउन पॉवर ट्रांसफार्मरों में |

Transformer coil connection
5. वी-वी संयोजन | V-V connection

डेल्टा-डेल्टा संयोजन (Connection) के समान ही वी-वी (V-V) संयोजन किये जाते हैं | इसमें प्राथमिक तथा द्वितीयक वाइंडिंग में 2-2 कुंडलियां (Coils) होती हैं जबकि डेल्टा-डेल्टा संयोजन में 3-3 कुंडलियां होती हैं | इस संयोजन विधि में डेल्टा संयोजन की तुलता में 58% लपेट (Turns) रखे जाते हैं | इसे खुला डेल्टा भी कहा जाता है |
वी-वी (V-V) संयोजन विधि में प्राथमिक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. नीचे दिए गए चित्र के अनुसार प्रथम कुंडली के बिंदु A1 से इनपुट के लिए फेज R1 निकाल दिया जाता है |
2. प्रथम कुंडली के बिंदु A2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु B1 को जोड़कर इनपुट के लिए फेज Y1 निकाल दिया जाता है |
3. द्वितीय कुंडली के बिंदु B2 से इनपुट के लिए फेज B1 निकाल दिया जाता है |
वी-वी (V-V) संयोजन विधि में द्वितीयक वाइंडिंग के संयोजन (Connection) भी प्राथमिक वाइंडिंग के समान ही निम्न प्रकार किये जाते हैं :-
1. प्रथम कुंडली के बिंदु X1 से आउटपुट के लिए फेज R2 निकाल दिया जाता है |
2. प्रथम कुंडली के बिंदु X2 तथा द्वितीय कुंडली के बिंदु Y1 को जोड़कर आउटपुट के लिए फेज Y2 निकाल दिया जाता है |
3. द्वितीय कुंडली के बिंदु Y2 से आउटपुट के लिए फेज B2 निकाल दिया जाता है |
उपयोग- निम्न शक्ति तथा निम्न वोल्टेज वाले ट्रांसफार्मरों में |

Transformer coil connection
6. टी-टी संयोजन | T-T connection
टी-टी संयोजन (T-T Connection) विधि को स्कॉट कनेक्शन भी कहा जाता है | इस विधि का उपयोग वहां किया जाता है जहां 3 फेज सप्लाई को 2 फेज में परिवर्तित करना हो क्योंकि इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में इनपुट में 3 फेज सप्लाई दी जाती है तथा आउटपुट से 2 फेज सप्लाई प्राप्त की जाती है | इस संयोजन में एक फेज के 2 ट्रांसफार्मरों का उपयोग किया जाता है जिन्हें मुख्य ट्रांसफार्मर तथा टीज़र ट्रांसफार्मर कहा जाता है | मुख्य ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग में एक मध्य सिरा निकला होता है तथा टीज़र ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग में टर्नों की संख्या मुख्य ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग से 87% ही होती है | दोनों ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग में टर्नों की संख्या बराबर होती है |
मुख्य ट्रांसफार्मर विधुतीय रूप से जुड़े होते हैं लेकिन चुम्बकीय रूप से अलग-अलग होते हैं (अर्थात दोनों 1 फेज ट्रांसफार्मरों के कनेक्शन आपस में जुड़े होते हैं लेकिन कोर अलग-अलग होती हैं |
उपयोग- इसका उपयोग 2 फेज से कार्य करने वाली विधुत भट्टी को 3 फेज से चलाने के लिए किया जाता है

Transformer coil connection
7. स्टार-इंटरस्टार | Star-interstar connection
स्टार-इंटरस्टार का अर्थ है प्राथमिक वाइंडिंग स्टार में तथा द्वितीयक वाइंडिंग इंटरस्टार में |
इंटरस्टार संयोजन में स्टार वाइंडिंग की प्रत्येक कुंडली (coil) के श्रेणी में एक-एक अन्य कुंडली भी निम्न चित्र में दिखाए अनुसार संयोजित कर दी जाती है | इंटरस्टार की मदद से न्यूट्रल बिंदु इधर-उधर नहीं खिसकता है जिससे ट्रांसफार्मर के न्यूट्रल बिंदु को अर्थ करने की आवश्यकता नहीं होती है |
उपयोग- ऐसे रेतीले और पहाड़ी स्थानों पर जहां अर्थ की स्थापना नहीं की जा सकती अथवा अर्थ की स्थापना कर भी दी जाती है तो वह ठीक ढंग से नहीं होता है |

Transformer coil connection
8. डेल्टा-इंटरस्टार संयोजन | Delta-interstar connection
डेल्टा-इंटरस्टार का अर्थ है प्राथमिक वाइंडिंग डेल्टा में तथा द्वितीयक वाइंडिंग इंटरस्टार में |
इंटरस्टार संयोजन में स्टार वाइंडिंग की प्रत्येक कुंडली (coil) के श्रेणी में एक-एक अन्य कुंडली भी निम्न चित्र में दिखाए अनुसार संयोजित कर दी जाती है |
उपयोग- इसका उपयोग भी ऐसे रेतीले और पहाड़ी स्थानों पर किया जाता है जहां अर्थ की स्थापना नहीं की जा सकती अथवा अर्थ की स्थापना कर भी दी जाती है तो वह ठीक ढंग से नहीं होता है |

Transformer coil connection
9. डेल्टा संयोजित टर्शियरी संयोजन | Delta connected tertiary connection
डेल्टा संयोजित टर्शियरी संयोजन एक प्रकार का स्टार-स्टार कनेक्शन ही है बस इसकी प्राथमिक तथा द्वितीयक वाइंडिंग के बीच में एक डेल्टा वाइंडिंग स्थापित कर दी जाती है जिसे टर्शियरी वाइंडिंग कहते हैं | स्टार-स्टार कनेक्शन में यह दोष होता है कि अधिक लोड होने पर इसका न्यूट्रल बिंदु इधर-उधर खिसकता रहता है | इस दोष को दूर करने के लिए टर्शियरी वाइंडिंग की स्थापना की जाती है | टर्शियरी वाइंडिंग की स्थापना से अधिक लोड पर भी न्यूट्रल बिंदु इधर-उधर नहीं खिसकता है |
उपयोग- स्टार-स्टार कनेक्शन वाले ट्रांसफार्मर में जहां अर्थ कमजोर होता है तथा अधिक लोड होने के कारण न्यूट्रल बिंदु इधर-उधर खिसकता रहता है |
निम्न चित्र में डेल्टा संयोजित टर्शियरी संयोजन दर्शाया गया है |


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ट्रांसफार्मर में क्षरण फ्लक्स Leakage flux in transformer
ट्रांसफार्मर में क्षरण फ्लक्स Leakage flux in transformer
ट्रांसफार्मर में प्राथमिक कुंडलन (Primary winding) में विधुत धारा प्रवाहित होने पर क्रोड़ (core) में चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न होता है | ट्रांसफार्मर क्रोड़ की संरचना इस प्रकार की होती है कि प्राथमिक कुंडलन में उत्पन्न सम्पूर्ण फ्लक्स द्वितीय कुंडलन में से नहीं गुजरता, कुछ फ्लक्स वायु (Air gap) में से होते हुए अपना मार्ग पूर्ण करता है | जो फ्लक्स क्रोड़ में से होते हुए दूसरी कुंडलन में गुजरता है वह उपयोगी फ्लक्स (Useful flux) कहलाता है तथा जो फ्लक्स क्रोड़ में से ना गुजरकर हवा, तेल अथवा इंसुलेशन में से अपना मार्ग पूर्ण करता है, क्षरण फ्लक्स (Leakage flux) कहलाता है | इस फ्लक्स की कोई उपयोगिता नहीं होती है।
इसी प्रकार ट्रांसफार्मर पर लोड देने पर द्वितीय कुंडलन (Secondary winding) में भी चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न होता है अतः प्राथमिक कुंडलन की तरह द्वितीय कुंडलन से भी क्षरण फ्लक्स की हानि होती है |
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किसी भी ट्रांसफार्मर का व्यवहार पूर्ण लोड तथा शून्य लोड पर अलग-अलग होता है | इस पोस्ट में हम आपको समझायेंगे कि पूर्ण लोड (Full load) तथा शून्य लोड(Zero load / No load) पर ट्रांसफार्मर का कैसा व्यवहार होता है |
पूर्ण लोड तथा शुन्य लोड पर ट्रांसफार्मर का प्रचालन
पूर्ण लोड पर ट्रांसफार्मर | Transformer on full load
पूर्ण लोड पर ट्रांसफार्मर के प्रचालन को हम निम्न बुन्दुओं द्वारा आसानी से समझ सकते हैं :-
- बिना लोड (No load) के ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग (Primary winding) में विधुत सप्लाई देने पर प्राथमिक वाइंडिंग में लोह क्षति को वहन करने के लिए कुछ धारा (i1) का प्रवाह होता हैं | लोड ना होने के कारण द्वितीय वाइंडिंग (Secondary winding) में धारा का प्रवाह नहीं होता है |
- द्वितीय वाइंडिंग (Secondary winding) पर लोड जोड़ने पर इसमें धारा (i2) का प्रवाह होने लगता है | जिससे ईसमे चुम्बकीय फ्लक्स का प्रवाह होने लगता है |
- द्वितीय वाइंडिंग (Secondary winding) में पैदा होने वाला चुम्बकीय फ्लक्स प्राथमिक वाइंडिंग (Primary winding) में पैदा होने वाले चुम्बकीय फ्लक्स के विपरीत स्वभाव वाला होता है जिससे यह प्राथमिक वाइंडिंग के चुम्बकीय फ्लक्स को कम कर देता है |
- प्राथमिक वाइंडिंग (Primary winding) का चुम्बकीय फ्लक्स कम होने पर इसमें पैदा हो रहा बैक वि.वा.ब. (Back e.m.f.) भी कम हो जाता है |
- प्राथमिक वाइंडिंग (Primary winding) का बैक वि.वा.ब. कम होने के कारण इसमें करंट का मान बढ़ जाता है | (क्योंकि किसी वाइंडिंग में बैक वि.वा.ब. ही करंट को कम करता है |)
- तत्पश्चात प्राथमिक वाइंडिंग में करंट बढ़ने पर चुम्बकीय फ्लक्स का मान बढ़ जाता है |
पूर्ण लोड तथा शुन्य लोड पर ट्रांसफार्मर का प्रचालन
अत: शून्य लोड से फुल लोड तक चुम्बकीय फ्लक्स का मान लगभग समान रहता है तथा लोड बढ़ने पर प्राथमिक तथा द्वितीय, दोनों वाइंडिंग का करंट बढ़ जाता है |
प्राइमरी वाइंडिंग में धारा (ip) का मान, प्राइमरी वाइंडिंग बैलेन्सिंग धारा (ip) तथा लोड रहित प्राइमरी धारा (i0) को वेक्टर्स डायग्राम द्वारा दर्शाया गया है | जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है। अत: कुल धारा, i = (iw + ip) + i0 (वेक्टर योग) प्राइमरी वाइंडिंग बैलेन्सिंग धारा (ip) तथा सेकेण्डरी वाइंडिंग धारा (is) की दिशाएँ एक-दूसरे के विपरीत होती हैं |

पूर्ण लोड तथा शुन्य लोड पर ट्रांसफार्मर का प्रचालन
शून्य लोड पर ट्रांसफार्मर | Transformer on no load
जब ट्रांसफार्मर पर कोई भार नहीं होता तो इसे भार विहीन अवस्था कहते हैं | भार विहीन अवस्था में ट्रांसफार्मर की प्राथमिक वाइंडिंग (Primary winding) में बहुत कम धारा (i0) का प्रवाह होता है जिसे शून्य लोड धारा (No load current) कहते हैं | इसका मान फुल लोड धारा का लगभग 2% से 5% होता है | उक्त 2% से 5% धारा निम्न के कारण प्रवाहित होती है :-
1. शून्य लोड (No load) पर लोह क्षतियों के कारण |
2. क्रोड़ (core) में चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करने के कारण |
शून्य लोड (No load) पर द्वितीय वाइंडिंग में धारा का प्रवाह नहीं होता तथा ना ही चुम्बकीय क्षेत्र पैदा होता है | निम्न चित्र में शून्य लोड पर ट्रांसफार्मर का वेक्टर डायग्राम दर्शाया गया है :-
पूर्ण लोड तथा शुन्य लोड पर ट्रांसफार्मर का प्रचालन

शुन्य लोड पर ट्रांसफार्मर द्वारा ली जाने वाली शक्ति का शूत्र :-

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