ओह्म के नियम सम्बन्धी पद Ohm’s law related terms

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद Ohm's law related terms

ओह्म का नियम DC परिपथों में प्रतिरोध (R), धारा (I) तथा विभवान्तर (V) से सम्बंधित नियम है जिसे जर्मन के एक वैज्ञानिक जी.एस.ओम के द्वारा बनाया गया था इस लिए इस नियम का नाम “ओह्म का नियम” रखा गया |  ओह्म के नियम को विस्तार से हमारी अन्य पोस्ट “ओह्म का नियम” में समझाया गया है |

ओह्म के नियम को कुछ स्थानों पर नहीं लगाया जा सकता अर्थात इसकी कुछ सीमायें हैं जो निम्न प्रकार हैं :-

  • निर्वात बल्बों में ओह्म का नियम लागू नहीं होता |
  • ऐसी धातु पर ओह्म का नियम लागू नहीं होता जिनमे से विधुत धारा गुजारने पर वो अत्यधिक गर्म होती हैं क्योंकि गर्म होने पर धातुओं का प्रतिरोध एक समान नहीं रहता
  • आर्क लैम्प में ओह्म का नियम लागू नही होता |
  • अर्धचालकों में ओह्म का नियम लागू नही होता |
  • डायोड व ट्रांजिस्टर इत्यादि पर ओह्म का नियम लागू नहीं होता क्योंकि इनमे केवल एक तरफ धारा का प्रवाह होता है, दूसरी तरफ या तो बहुत कम प्रवाह होता है अथवा बिलकुल नहीं होता |
  • ऐसे प्रयोगों में ओह्म का नियम लागू नही होता जिनमे किसी इलैक्ट्रोड से अत्यधिक गैसें निकलती हैं |
  • AC (प्रत्यावर्ती धारा) में ओह्म का नियम लागु नहीं होता | AC में ओह्म का नियम लगाने के लिए R के स्थान पर Z लिया जाता है |
  • गैर-रैखिक घटकों (non-linear Components) पर ओह्म का नियम लागू नही होता | गैर-रैखिक घटक वे होते हैं जिनमें करंट, प्रभावी वोल्टेज के  समानुपाती नहीं होता है, जैसे- कैपेसिटेंस, थाइरिस्टर, इलेक्ट्रिक आर्क इत्यादि |

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद

प्रतिरोध | Resistance

किसी पदार्थ का वह गुण जो उसमे से गुजरने वाली विधुत धारा के प्रवाह का विरोध करता है, प्रतिरोध कहलाता है | प्रतिरोध को R से दर्शाया जाता है तथा इसकी इकाई ओह्म (Ω) है |

प्रतिरोधक | Resistor

ऐसा पदार्थ जो विधुत धारा के प्रवाह में एक निश्चित मान का प्रतिरोध उत्पन्न करे, प्रतिरोधक (resistor) कहलाता है | प्रतिरोधक विभिन्न मानों के बनाये जाते हैं, जैसे 1Ω, 100µΩ, अथवा 2KΩ इत्यादि |

प्रतिरोधक व प्रतिरोध में अंतर :-

कुछ छात्रों को “प्रतिरोधक” व “प्रतिरोध” के नाम में भ्रम पैदा होता हैं | प्रतिरोधक एक अवयव अथवा पुर्जा होता है जो इलेक्ट्रॉनिक/इलेक्ट्रिकल परिपथों में लगाया जाता है जो कि करंट के प्रवाह को कम करने का काम करता है | तथा प्रतिरोधक के करंट के प्रवाह को कम करने के गुण को प्रतिरोध कहते हैं |

प्रतिरोध सम्बन्धी कारक | Resistance factors

किसी भी चालक/अचालक/अर्धचालक का प्रतिरोध हमेशा समान नहीं होता, प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले वाले कारक निम्न प्रकार हैं जिन पर किसी भी चालक/अचालक/अर्धचालक का प्रतिरोध निर्भर करता है |

  • चालक की मोटाई- किसी भी चालक का प्रतिरोध उसकी मोटाई पर निर्भर करता है | चालक का प्रतिरोध उसकी मोटाई अथवा अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता है अर्थात चालक की मोटाई बढ़ाने पर प्रतिरोध कम हो जाता है तथा चालक की मोटाई कम होने पर प्रतिरोध अधिक हो जाता है |
    उदाहरण- माना किसी 1mm² के चालक का प्रतिरोध 1Ω है तो समान लम्बाई तथा समान पदार्थ के 2mm² के चालक का प्रतिरोध 0.5Ω होगा |
  • चालक की लम्बाई- किसी भी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई पर भी निर्भर करता है | चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती होता है अर्थात चालक की लम्बाई बढ़ाने पर प्रतिरोध भी बढ़ जाता है तथा चालक की लम्बाई घटाने पर प्रतिरोध भी घट जाता है |
    उदाहरण- माना किसी 1 मीटर लम्बाई के चालक का प्रतिरोध 1Ω है तो समान मोटाई तथा समान पदार्थ के 2 मीटर लम्बाई के चालक का प्रतिरोध 2Ω होगा |

    R ∝ l/a
    यहां- R= प्रतिरोध,   l= चालक की लम्बाई,   a= चालक का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल
  • पदार्थ- चालक का प्रतिरोध चालक के पदार्थ पर भी निर्भर करता है | अलग-अलग पदार्थ के अलग-अलग गुण होते हैं, उसी प्रकार अलग-अलग पदार्थों का प्रतिरोध भी अलग-अलग होता है | 
    जैसे-  अन्य कारक समान होने पर एक तांबे के तार का प्रतिरोध, एल्युमीनियम के तार के प्रतिरोध से कम होता है तथा एक एल्युमीनियम के तार का प्रतिरोध लोहे के तार के प्रतिरोध से कम होता है | इसीलिए कम प्रतिरोध होने के कारण अधिकतर तांबे के तार का प्रयोग किया जाता है |
  • तापमान- चालक का प्रतिरोध उसके तापमान पर भी निर्भर करता है | धातुओं का प्रतिरोध तापमान बढ़ने से बढ़ जाता है, तथा प्रतिरोधकों का प्रतिरोध तापमान बढ़ने से घट जाता है |

विशिष्ट प्रतिरोध | Specific resistance :-

किसी पदार्थ के इकाई घन की आमने-सामने की फलकों के बीच का प्रतिरोध उस पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता (Resistivity) कहलाता है | साधारण शब्दों में कहें तो किसी पदार्थ के एक मीटर लम्बे, एक मीटर चौड़े तथा एक मीटर उंचे (एक घन मीटर) टुकड़े के आमने-सामने के फलकों के बीच मापा गया प्रतिरोध उस पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहलाता है जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है | विशिष्ट प्रतिरोध का प्रतीक Rho (ρ) तथा इसका SI मात्रक ओह्म मीटर है व इसे ओह्म सेमी तथा ओह्म इंच में भी मापा जाता है |

Specific resistance or resistivity

उदाहरण- तांबे का विशिष्ट प्रतिरोध 1.7/100000000 Ωm है अर्थात ताम्बे के एक मीटर लम्बे, एक मीटर चौड़े तथा एक मीटर उंचे टुकड़े के आमने-सामने के फलकों के बीच प्रतिरोध 1.7/100000000 = 0.000000017 Ω होता है |

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चालकता | Conductivity :-

किसी पदार्थ का अपने में से विधुत धारा के प्रवाह को सुगमता प्रदान करने का गुण चालकता अथवा विधुत चालकता अथवा विशिष्ट चालकता कहलाता है अर्थात जिस पदार्थ की चालकता जितनी अधिक होगी उसमे से विधुत धारा का प्रवाह उतना ही सुगमता से होगा | चालकता, प्रतिरोधकता का विपरीत होता है अर्थात जिस पदार्थ की चालकता जितनी अधिक होगी उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा तथा चालकता जितनी कम होगी प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा | जिस प्रकार प्रतिरोध, पदार्थ में से विधुत धारा को बहने से से रोकता है उसी प्रकार चालकता, विधुत धारा के प्रवाह को सुगमता प्रदान करती है |

चालकता की इकाई ℧ (Mho) होती है | (जबकि प्रतिरोध की इकाई Ω (Ohm) होती है ) चालकता को G से दर्शाया जाता है |

G=1R

हां
G=चाता
R=प्रतिरो

“ओह्म के नियम सम्बन्धी पद” पोस्ट में हमने ओह्म के नियम सम्बन्धी पदों का अध्यन किया है | ओह्म के नियम का अध्यन एक अन्य पोस्ट “ओह्म का नियम” में किया गया है |

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद ओह्म के नियम सम्बन्धी पद

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ओह्म का नियम | Ohm’s law

what is ohms law

ओह्म का नियम | Ohm’s law

what is ohms law

ओह्म का नियम DC परिपथों में प्रतिरोध (R), धारा (I) तथा विभवान्तर (V) से सम्बंधित नियम है जिसे जर्मन के एक वैज्ञानिक जी एस ओम के द्वारा बनाया गया था इस लिए इस नियम का नाम “ओह्म का नियम” रखा गया | 

ओह्म का नियम- नियत तापमान तथा नियत भौतिक परिस्थितियों में एक बंद दिष्ट धारा (DC) परिपथ में किसी प्रतिरोधक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर, उस प्रतिरोधक में से प्रवाहित होने वाली धारा के समानुपाती होता है |

ओह्म का नियम यह दर्शाता है कि किसी प्रतिरोध के सिरों के बीच ‘विभवान्तर’ तथा उसमे से प्रवाहित होने वाली ‘धारा’ के बीच क्या सम्बन्ध है | 

ओह्म के नियम को निम्न चित्र से आसानी से समझा जा सकता है :-

ohm's law

ऊपर दिए गए चित्र से हम समझ सकते हैं कि :-

V=I×R

I=VR

R=VI

यहां
V = विभवान्तर (वोल्ट में)
I = धारा (एम्पियर में)
R = प्रतिरोध (Ω में)

what is ohms law

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ओह्म के नियम द्वारा परिपथ के विभवान्तर, धारा तथा प्रतिरोध में से कोई दो का मान ज्ञात होने पर हम तीसरे का मान निकाल सकते हैं |

निम्न उदाहरणों द्वारा ओह्म के नियम को आसानी से समझा जा सकता है :-

उदाहरण 1 :-
किसी किसी DC परिपथ में एक 10 Ω के प्रतिरोधक में से 2 A धारा का प्रवाह हो रहा है तो उस प्रतिरोधक के सिरों पर विभवान्तर का मान क्या होगा ?
हल-
प्रतिरोध (R) = 10 Ω
विधुत धारा (I) = 2 A
अतः विभवान्तर (V) = I X R
V = 2 X 10 = 20V

उदाहरण 2 :-
किसी DC परिपथ में एक 3 Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर का मान 15 V है तो परिपथ में प्रवाहित धारा का मान क्या होगा ?
हल- 
प्रतिरोध (R) = 3 Ω
विभवान्तर (V) = 15 V
अतः धारा (I) =

I=VR

I=153

I=5 A

I=153

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दिष्ट धारा परिपथ | DC Circuit

dc-circuit

दिष्ट धारा परिपथ | DC Circuit

DC Circuit

विधुत धारा के प्रवाह के लिए बनाया गया एक बंद मार्ग विधुत परिपथ कहलाता है | इसमें धारा प्रवाहित होती है अथवा प्रवाहित होने का प्रयास करती है | धारा की द्रष्टि से परिपथ निम्न दो प्रकार के होते हैं :-

1. दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit)
2. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit)

दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit) में धारा की दिशा एवं मान एक समान रहता है तथा प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit) में धारा की दिशा तथा मान लगातार बदलता रहता है | इसी प्रकार जो परिपथ केवल दिष्ट धारा पर कार्य करते है उन्हें दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit) कहते हैं तथा जो परिपथ केवल प्रत्यावर्ती धारा पर कार्य करते है उन्हें प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit) कहते हैं | लेकिन इस पोस्ट में केवल DC Circuit का विवरण दिया गया है, AC Circuit का विवरण इसी ब्लॉग की एक अन्य पोस्ट में दिया गया है |

कुछ परिपथ ऐसे भी होते हैं जो AC तथा DC दोनों पर कार्य करते हैं, जैसे एक टंगस्टन बल्ब का परिपथ | एक टंगस्टन बल्ब AC तथा DC दोनों पर कार्य कर सकता है |

DC परिपथ का मुख्य अवयव प्रतिरोधक होता है जिसे ‘ओह्म मीटर’ तथा ‘व्हीटस्टोन ब्रिज’ इत्यादि से मापा जाता है | DC परिपथों की गणना ‘ओह्म के नियम’ द्वारा की जाती है | लेकिन कुछ जटिल परिपथों की गणना ‘किरचोफ के नियम’ द्वारा भी की जाती है |

परिपथ बनाने के लिए प्रतिरोधक (Resistance), संघारित्र (Capacitor) तथा प्रेरक (Inductor) इत्यादि का प्रयोग किया जाता है 

DC परिपथ निम्न 3 प्रकार के होते हैं :-

1. श्रेणी परिपथ (Series circuit)
2. समान्तर परिपथ (Parallel circuit)
3. श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-Parallel circuit) / मिश्रित परिपथ

1. श्रेणी दिष्ट धारा परिपथ ( Series DC Circuit )

Series circuit

जिस परिपथ में सभी घटक श्रेणी में जुड़े हों उस परिपथ को श्रेणी परिपथ कहते हैं | इस परिपथ में पहले घटक का अंतिम सिरा दूसरे घटक के प्रथम सिरे से जुड़ा होता है तथा दूसरे घटक का अंतिम सिरा तीसरे घटक के प्रथम सिरे से जुड़ा होता है | इसी प्रकार अन्य घटक भी जुड़े होते हैं | श्रेणी परिपथ में धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही पथ (रास्ता) होता है अतः सभी घटकों में धारा का प्रवाह  समान रूप से होता है | ऊपर दिए गए चित्र में तीन प्रतिरोधकों को श्रेणी में जोड़कर बैटरी से विधुत सप्लाई दी गई है |

श्रेणी परिपथ की विशेषता :-
☻ श्रेणी परिपथ में सभी घटकों में धारा का प्रवाह समान रूप से होता है अर्थात सभी घटकों की धारा समान होती है |
☻ श्रेणी परिपथ में सभी घटकों में वोल्टेज का मान अलग-अलग हो सकता है |
☻ श्रेणी परिपथ में धारा प्रवाह के लिए केवल एक पथ होता है |
☻ श्रेणी परिपथ का प्रतिरोध सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के योग के समान होता है |
☻ श्रेणी परिपथ के किसी भी घटक के टूटने (ब्रेक होने) पर सभी घटक कार्य करना बंद कर देते हैं |

 :- माना कि हम निम्न चित्र में दिए गए प्रतिरोध r1,r2 तथा r3 को तीन पानी के पाइप माने तथा इनमे से गुजरने वाली करंट को हम पानी माने तो जाहिर है कि जितना पानी प्रथम पाइप में से गुजरेगा उतना ही पानी द्वितीय तथा तृतीय पाइप में से गुजरेगा, इसी प्रकार ही श्रेणी में लगे सभी प्रतिरोधकों में करंट का प्रवाह भी समान रूप से होता है |

श्रेणी दिष्ट धारा परिपथ से सम्बंधित सूत्र :-

परिपथ का कुल प्रतिरोध = सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध का योग |
R = r1+r2+r3+……

परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों में समान
I = i1 = i2 = i3 = i…….

परिपथ में कुल आरोपित वोल्टेज = सभी घटकों की वोल्टेज ड्रॉप का योग |
V = v1+v2+v3+v……..

श्रेणी परिपथ को समझने के लिए यहां चित्र तथा कुछ प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं :

Series circuit calculation

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 का प्रतिरोध क्रमशः 2Ω, 3Ω तथा 4Ω है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध क्या होगा ?
उत्तर- परिपथ के कुल प्रतिरोध का मान सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के कुल मान के बराबर होगा :-
कुल प्रतिरोध R = r1+r2+r3
R = 2+3+4 = 9Ω

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 में प्रत्येक प्रतिरोधक में 2 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है तो परिपथ की कुल धारा का मान क्या होगा ?
उत्तर- श्रेणी परिपथ के सभी घटकों में धारा का प्रवाह समान रूप से होता है इसलिए परिपथ की कुल धारा भी 2 Ampere होगी क्योंकि परिपथ के प्रत्येक घटक में से 2 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है | यहां स्रोत (बैटरी) में से भी 2 Ampere धारा का प्रवाह होगा |

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 की वोल्टेज ड्रॉप क्रमशः 4v, 6v तथा 8v है तो परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज क्या होगी ? (यदि स्रोत की वोल्टेज ड्रॉप शुन्य मानी जाये)
उत्तर- परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज का मान, परिपथ के सभी घटकों की वोल्टेज ड्रॉप के योग के समान होता है | चूंकि उक्त परिपथ में स्रोत (बैटरी) की वोल्टेज ड्रॉप का मान शुन्य है इसलिए हम केवल परिपथ में लगे सभी प्रतिरोधकों की वोल्टेज ड्रॉप का योग करेंगे |
V = v1+v2+v3
V = 4+6+8 = 18v
अतः कुल आरोपित वोल्टेज = 18 volt

2. समान्तर दिष्ट धारा परिपथ (Parallel DC Circuit )

Parallel circuit

जिस परिपथ में सभी घटक समान्तर में जुड़े हों उस परिपथ को समान्तर परिपथ कहते हैं | इस परिपथ में सभी घटकों के प्रथम सिरे एक साथ जुड़े होते हैं तथा सभी घटकों के अंतिम सिरे एक साथ जुड़े होते हैं | समान्तर परिपथ में धारा के प्रवाह के लिए अनेक मार्ग होते हैं | अतः सभी घटकों में धारा का प्रवाह भी भिन्न-भिन्न हो सकता हैं | ऊपर दिए गए चित्र में तीन प्रतिरोधकों को समान्तर में जोड़ा गया है |

समान्तर परिपथ की विशेषता :-
☻ समान्तर परिपथ में सभी घटकों में धारा का प्रवाह भिन्न-भिन्न हो सकता है अर्थात सभी घटकों की धारा भिन्न-भिन्न होती है |
☻ समान्तर परिपथ में सभी घटकों में वोल्टेज का मान समान होता है |
☻ समान्तर परिपथ में धारा प्रवाह के लिए अनेक पथ होते हैं |
☻ समान्तर परिपथ में कुल प्रतिरोध का विलोम, सभी प्रतिरोधकों के विलोम के योग  के समान होता है |
☻ समान्तर परिपथ के किसी घटक के टूटने (ब्रेक होने) पर अन्य घटक कार्य करते रहते हैं |

समान्तर दिष्ट धारा परिपथ से सम्बंधित सूत्र :-

परिपथ के कुल प्रतिरोध का विलोम = सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के विलोम का योग 

 
1R=1r1+1r2+1r3+.........

परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों की धारा का योग
I = i1+i2+i3+…….

परिपथ में कुल आरोपित वोल्टेज = प्रत्येक घटक की वोल्टेज |
V = v1 = v2 = v3 =v…….. 

समान्तर परिपथ को समझने के लिए यहां कुछ प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं :-

प्रश्न- यदि उक्त चित्र में दिए गए समान्तर परिपथ में समान्तर में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 का प्रतिरोध क्रमशः 2Ω, 3Ω तथा 6Ω है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध क्या होगा ?
उत्तर- परिपथ के कुल प्रतिरोध का विलोम, सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के विलोम के योग के बराबर होता है
अतः 

1R=1r1+1r2+1r3

यहां
R = परिपथ का कुल प्रतिरोध = ?
r1 = प्रथम शाखा का प्रतिरोध = 2Ω
r2 = द्वितीय शाखा का प्रतिरोध = 3Ω
r3 = तृतीय शाखा का प्रतिरोध  = 6Ω
इसलिए 

1R=12+13+16

1R=3+2+16

1R=66

1R=11

R=1

अतः यहां तीनों प्रतिरोधकों का कुल प्रतिरोध होगा = 1Ω

प्रश्न- यदि उक्त समान्तर परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 में से क्रमशः 9 Ampere, 6 Ampere तथा 3 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है तो परिपथ की कुल धारा का मान क्या होगा ?

उत्तर- परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों की धारा का योग
I = i1+i2+i3
I = 9+6+3 = 18
अतः परिपथ की कुल धारा = 18 Ampere

प्रश्न- यदि उक्त समान्तर परिपथ में लगे प्रत्येक प्रतिरोधक की वोल्टेज ड्रॉप 18-18 volt है तो परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज क्या होगी ? (यदि स्रोत की वोल्टेज ड्रॉप शुन्य मानी जाये)
उत्तर- समान्तर परिपथ में सभी घटकों की वोल्टेज, आरोपित वोल्टेज के बराबर होती है अतः यहां कुल आरोपित वोल्टेज का मान भी 18 volt ही होगा |
V = v1 = v2 = v3
V  = 18v
अतः कुल आरोपित वोल्टेज = 18 volt 

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3. श्रेणी-समान्तर दिष्ट धारा परिपथ (Series-Parallel DC Circuit ) / मिश्रित परिपथ

जिस परिपथ में श्रेणी व समान्तर दोनों प्रकार से घटकों को स्थापित किया जाता है वह परिपथ श्रेणी-समान्तर परिपथ कहलाता है | अर्थात कुछ उपकरण सीरीज में और कुछ समांतर में होते हैं। इस परिपथ में समान धारा के प्रवाह के लिए घटकों को श्रेणी में लगाया जाता है तथा समान वोल्टेज के लिए घटकों को समान्तर में लगाया जाता है | श्रेणी व समान्तर दोनो प्रकार से घटकों को लगाये जाने के कारण इस परिपथ को मिश्रित परिपथ भी कहा जाता है |

श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-Parallel circuit) की विशेषता :-

☻ श्रेणी-समान्तर परिपथ में जो घटक आपस में श्रेणी में लगे हैं उनमे समान धारा का प्रवाह होता है तथा जो घटक आपस में समान्तर में लगे हैं उनकी वोल्टेज समान होती है |
☻ तथा श्रेणी-समान्तर परिपथ में वो सभी नियम लगते हैं जो श्रेणी तथा समान्तर परिपथ में लगते हैं |

नोट- यदि ऊपर बिंदु संख्या 1 व 2 में दिए गए श्रेणी तथा समान्तर परिपथों को भली प्रकार से समझ लिया जाए तो श्रेणी-समान्तर (मिश्रित परिपथ) आसानी से समझा जा सकता है |

निम्न चित्रों तथा प्रश्नों से मिश्रित परिपथ को आसानी से समझा जा सकता है :-

प्रश्न-1- निम्न चित्र-1 में परिपथ का का कुल प्रतिरोध क्या होगा ? (यदि बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध शून्य माना जाये)

Series parallel circuit

हल- श्रेणी-समान्तर (मिश्रित) परिपथ का कुल प्रतिरोध जानने के लिए हम श्रेणी अथवा समान्तर, किसी भी एक ग्रुप का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे उसके बाद दूसरे ग्रुप का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे तत्पश्चात दोनों का योग करेंगे |
चरण -1 – सर्वप्रथम हम प्रथम ग्रुप में श्रेणी में लगे प्रतिरोधक r1 तथा r2 का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे |
r1 तथा r2 का कुल प्रतिरोध = r1 + r2 (श्रेणी में लगे होने के कारण सीधे इनका योग करेंगे)
2 + 3 = 5Ω 
इससे हमें निम्न परिपथ प्राप्त होगा :- 

Series parallel circuit

चरण-2- दूसरे चरण में हम दूसरे ग्रुप में समान्तर में लगे प्रतिरोधकों r3, r4 व r5 का कुल प्रतिरोध निम्न प्रकार ज्ञात करेंगे :-

1R=1r3+1r4+1r5

1R=12+13+16

1R=3+2+16

1R=66

1R=11

R=1

चरण-2 से हमें निम्न परिपथ प्राप्त होगा, जिसमे समान्तर में लगे तीनों प्रतिरोधकों का योग 1Ω है

Series parallel circuit

चरण-3- चरण 2 में हमें प्राप्त हुआ कि 5Ω व 1Ω के प्रतिरोधक श्रेणी में लगे हुए हैं | अब हम श्रेणी में लगे दोनों प्रतिरोधकों का योग निम्न प्रकार करेंगे :-

कुल प्रतिरोध = 5 + 1 = 6Ω (जिसका परिणामी परिपथ हमें निम्न प्रकार प्राप्त होगा)

 
Series parallel circuit

प्रश्न-2- उक्त परिपथ में कुल धारा (I) का मान ज्ञात करें |
हल- परिपथ में धारा का मान ज्ञात करने के लिए हमें परिपथ की वोल्टेज तथा प्रतिरोध का ज्ञात होना जरुरी है |
यहां वोल्टेज V = 18V
प्रतिरोध R = 6Ω

I=VR

I=186

I=3A
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