Indian electricity rules for Electric wiring
भारत में वैधुतिक वायरिंग के लिए विधुत नियम और मानक बनाये गए हैं जो इलेक्ट्रिकल इंस्टॉलेशन के लिए अपनाए जाने चाहियें। इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है ताकि विद्युत प्रणाली सुरक्षित और विधुतीय प्रदर्शन अनुशासित हो सके।
BIS (Bureau of Indian Standards) ने IS 732-1963, IS 4648 एवं NE code (National Electrical Code) के अन्तर्गत वायरिंग की स्थापना के लिए नियम बनाए हैं, जो निम्न प्रकार हैं :-
1. विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाली सामग्रि ISI चिन्ह युक्त होनी चाहिये।
2. सभी प्रकार की वैद्युतिक वायरिंग की स्थापना भारतीय विधुत अधिनियम-1956 के तहत ही करनी चाहिये।
3. वायरिंग करने से पूर्व उसका ‘ले-आउट’ तथा परिपथ बनाकर तैयार करना चाहिये।
4. विधुत वायरिंग की स्थापना व रखरखाव का कार्य लाइसेंसधारी व्यक्ति से ही कराना चाहिये।
5. लकड़ी के बोर्ड इत्यादि टीक अथवा सागवान की लकड़ी से बने होने चाहियें व पूरी तरह से वार्निश किये हुए होने चाहिये।
6. लकड़ी के साधारण बोर्ड की मोटाई 4 सेमी. अथवा अधिक होनी चाहियें तथा कब्जा युक्त लकड़ी के बोर्ड की मोटाई 6.5 से 8 सेमी. होनी चाहियें।
7. उप-परिपथों में बांटकर विधुत वायरिंग करनी चाहिए और ‘पावर’ तथा ‘लाइट-फैन’ के लिए अलग-अलग उप-परिपथ बनाने चाहिए।
8. ‘लाइट-फैन’ उप-परिपथ का कुल लोड 800 वाट से अधिक नहीं होना चाहिए। 800 वाट से अधिक लोड होने पर एक अलग उप-परिपथ बनाना चाहिए ।
9. ‘पावर’ के उप-परिपथ का कुल लोड 3KW से अधिक नहीं होना चाहिए। 3KW से अधिक लोड होने पर एक अलग उप-परिपथ बनाना चाहिए ।
10. प्रत्येक ‘लाइट-फैन’ उप-परिपथ में 10 से अधिक उपभोग बिन्दु नहीं होने चाहिए। 10 से अधिक उपभोग बिन्दु होने पर एक अलग उप-परिपथ बनाना चाहियें।
11. प्रत्येक ‘पावर’ उप-परिपथ में 2 से अधिक उपभोग बिन्दु नहीं होने चाहिए। 2 से अधिक उपभोग बिन्दु होने पर एक अलग उप-परिपथ बनाना चाहिये ।
12. नियन्त्रक स्विच बोर्ड की फर्श से ऊंचाई 1.3 मीटर होनी चाहिये।
13. नियन्त्रक स्विच बोर्ड कमरे के द्वार के निकट बांई ओर स्थापित होना चाहिये।
14. ‘लाइट-फैन’ परिपथ में 5 A, 240 V रेटिंग वाला सॉकेट स्थापित करना चाहिये।
15. पॉवर परिपथ में 15 A, 240 V रेटिंग वाला सॉकेट स्थापित करना चाहिये।
16. किसी भी सॉकेट की फर्श से ऊँचाई 1.3 मी से कम रखने की स्थिति में ढक्कनयुक्त सॉकेट का उपयोग करना चाहिये।
17. जहां तक संभव हो सॉकेट 3 पिन वाला ही स्थापित करना चाहिए और उसका अर्थ बिंदु ‘अर्थ’ करना चाहियें।
18. सभी लाइटों की फर्श से ऊँचाई 2.25 मी. अथवा अधिक होनी चाहियें।
19. घर से बाहर ( जहां बाहरी मोसम का प्रभाव रहता है) स्थापित लाइटों के स्विच घर के अन्दर स्थापित करने चाहिए अथवा बाहर की तरफ स्थापित करने की स्थिति में स्विच, जलरोधी व मौसमरोधी (Water-proof and weather-proof) होना चाहियें।
20. स्नानघर में लगाए जाने वाले लैम्प व सीलिंग रोज इत्यादि का स्विच जलरोधी (water-proof) होना चाहिए अथवा इसे स्नानघर के बाहर स्थापित करना चाहियें।
21. अर्थ तार पर किसी भी प्रकार का स्विच, ब्रेकर अथवा फ्यूज आदि नहीं लगाना चाहियें।
22. स्विच, ब्रेकर अथवा फ्यूज आदि नियंत्रक युक्तियां फेज तार पर ही लगानी चाहियें।
23. वायरिंग में प्रयुक्त तार ताम्बा अथवा एल्युमीनियम के होने चाहियें
24. छत के पंखों के ब्लेड्स की फर्श से ऊंचाई 2.4 मी. से 3.0 मी. होनी चाहियें।
25. वायरिंग में लगाये गए सभी धात्विक सामान ‘अर्थ’ अवश्य किए जाने चाहियें।
26. कार्यशालाओं में मोटरों के नियन्त्रक स्विच व स्टार्टर, कारीगर की आसान पहुँच में होने चाहियें ।
27. नई स्थापित वैद्युतिक वायरिंग का मैगर द्वारा धारा लीकेज’ परीक्षण करना चाहियें । लीकेज धारा’ का मान परिपथ की कुल धारा के 5000 वें भाग से अधिक नहीं होना चाहिये।
28. सभी उप-परिपथों के वितरण बोर्ड अलग-अलग होने चाहियें।
29. वितरण बोर्ड पर सप्लाई वोल्टेज लिखी होनी चाहिये
30. वितरण बोर्ड पर परिपथों की संख्या लिखी होनी चाहिये
31. खुले में अथवा परिसर के बाहर लगे वितरण बोर्ड जल रोधी तथा मोसम रोधी होने चाहियें |
32. मेन स्विच को उपभोक्ता की आसान पहूंच वाले स्थान पर लगाना चाहिए ।
33. वितरण बोर्ड की ऊंचाई 2 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिये।
34. 3-फेज लाइन में तीनों फेज पर समान लोड रखने का प्रयास करें ।
35. 3-फेज वायरिंग में तीनों फेज के तार लाल, पीले तथा नीले रंग के, न्यूट्रल तार काला तथा अर्थ तार हरा रंग का प्रयोग करना चाहियें अथवा इन रंगों से चिन्हित करना चाहिये ।
36. मध्यम वोल्टेज व इससे अधिक की मशीनों, ट्रांसफॉर्मर्स आदि की दोहरी अर्थिंग करनी चाहिये।
37. 250 V से अधिक की मशीनों के नियन्त्रक स्विच पर एक चेतावनी पट्ट आवश्यक रूप से लगाना चाहियें जिस पर ‘उच्च वोल्टेज ‘ लिखा हो।
38. वायरिंग में कीलों का प्रयोग ना करके पेंच ही प्रयोग करने चाहियें और उन्हें हथौड़े से ना ठोककर पेचकस से कसना चाहियें।
39. मेन सप्लाई के फेज तार में आवश्यक रूप से फ्यूज अथवा सर्किट ब्रेकर लगाना चाहिये।