विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान | Electric wiring accessories
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
विधुत वायरिंग करने के लिए तथा वायरिंग करने के बाद हमें कुछ सामग्री की आवश्यकता पड़ती है जो निम्न हैं :-
- तार व केबल | Wire and cables
- (a) स्विच | Switch (b). बनावट के आधार पर स्विच | switch based on texture
- सॉकेट | Socket
- सूचक | Indicator
- बल्ब होल्डर | Lamp holder
- प्लग टॉप | Plug top
- सर्किट ब्रेकर/ परिपथ वियोजक | circuit breaker
- सीलिंग रोज | Ceiling rose
- पंखे का रेगुलेटर | Fan regulator
- फ्यूज | Fuse
- लग्स | Lugs
- एडॉप्टर | Adopter
- बोर्ड व बोर्ड शीट | Board and board sheet
- लकड़ी की गिट्टी | Wooden plugs
- रावल प्लग | Rawal plug
- कील व पेंच | Anvil and Screw
- लोहे अथवा PVC के बॉक्स | Iron or PVC box
- केसिंग–केपिंग Casing-caping
- कन्ड्यूट फिटिंग | Conduit fitting
- वितरण बॉक्स | Distribution box
1. तार व केबल | Wire and cables
वैधुतिक वायरिंग करने के लिए फेज व न्यूट्रल के लिए तांबे अथवा एल्युमीनियम का तार प्रयोग किया जाता है तथा अर्थ के लिए तांबे, एल्युमीनियम अथवा GI का तार प्रयोग किया जाता है | वायरिंग के लिए हमें वैदरप्रूफ, फ्लेक्सिबल व उचित क्षमतानुसार तार का प्रयोग करना चाहिए | हालाँकि ठोस तार भी बाजार में उपलब्ध होते हैं लेकिन आजकल इनका उपयोग नहीं किया जाता है |
सामान्यतः वायरिंग में तांबे का इंसुलेटेड फ्लेक्सिबल तार प्रयोग किया जाता है लेकिन कभी-कभी वायरिंग को सस्ता करने के लिए एल्युमीनियम का तार भी प्रयोग किया जाता है |
अर्थ के लिए नंगा अथवा इंसुलेटेड तांबे अथवा GI का तार प्रयोग किया जाता है |
एक फेज वायरिंग में हमें फेज में लाल रंग की तार, न्यूट्रल में काले रंग की तार तथा अर्थ में हरे रंग की तार का प्रयोग करना चाहिए |
तीन फेज वायरिंग में हमें फेज में लाल,पीले व नीले (RYB) रंग की तार, न्यूट्रल में काले रंग की तार तथा अर्थ में हरे रंग की तार का प्रयोग करना चाहिए |
जहां वायरिंग को खुला रखना हो वहां तार के स्थान पर केबल का प्रयोग किया जाता है | जैसे विधुत विभाग द्वारा लगाये गए खम्बे से ऊर्जा मीटर तक तार ना लगाकर केबल लगाई जाती है | एक फेज कनेक्शन के लिए 2 कोर केबल तथा तीन फेज कनेक्शन के लिए 4 कोर केबल का प्रयोग किया जाता है |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
2 (a) स्विच | Switch
विधुत सप्लाई को चालू या बंद (On or Off) करने के लिए स्विच का प्रयोग किया जाता है | अर्थात विधुत धारा के नियंत्रण के लिए स्विच का प्रयोग किया जाता है | नीचे कार्य के अनुसार स्विच का विवरण दिया गया है तथा अगले बिंदु में बनावट के आधार पर भी स्विच का विवरण दिया गया है |
विधुत वायरिंग में स्विच का एक अहम् रोल होता है अतः हमें अच्छी गुणवत्ता के स्विच का प्रयोग करना चाहिए अन्यथा बार-बार चालू बंद करने पर स्पर्किंग करने की स्थिति में स्विच जल जाता है अथवा ख़राब हो जाता है | अतः स्विच की यह विशेषता भी होनी चाहिए की वह बिना स्पर्किंग के विधुत चालू/बंद कर सके |
निम्न बिन्दुओं में वायरिंग में काम आने वाले स्विचों को वर्गीकृत किया गया है :-
A. एक पोल स्विच | Single pole switch
एक पोल स्विच घरेलु अथवा व्यवसायिक वायरिंग में सबसे अधिक उपयोग होने वाला स्विच है | एक पोल स्विच दो प्रकार के होते हैं- एक पथ तथा द्वि पथ स्विच (One-way and two-way switch) जो ऊपर से देखने में एक जैसे लगते हैं लेकिन इनकी आंतरिक बनावट अलग-अलग होती है | जिनका विवरण निम्न प्रकार है :-

i. एक पोल एक पथ स्विच | Single pole one way switch
एक पोल एक पथ स्विच (Single pole one way switch) घरेलु अथवा व्यवसायिक वायरिंग में सबसे अधिक उपयोग होने वाला स्विच है तथा यह सबसे सरल प्रकार का स्विच है | इसका उपयोग पंखे, ट्यूब-लाइट, लैम्प, सॉकेट व अन्य उपकरणों को चालू-बंद करने के लिए किया जाता है | यह 2 संयोजक बिंदु वाला स्विच है |
बनावट के आधार पर ये स्विच “फ्लश प्रकार”, “टोगल” व “टंबलर” आदि प्रकार के होते है लेकिन वर्तमान में अधिकतर फ्लश प्रकार के स्विच का प्रचलन है |
ii. एक पोल द्वि पथ स्विच | Single pole two way switch
यह ऊपर से दिखने में एक पोल एक पथ स्विच के जैसा ही होता है लेकिन इसमें 3 संयोजक बिंदु होते हैं | इसे एक तरफ दबाने पर एक परिपथ चालु हो जाता है तथा दूसरी तरफ दबाने पर दूसरा परिपथ चालू हो जाता है अतः 2 पथ होने के कारण इसे द्वि-पथ स्विच कहते हैं | यह स्विच अधिकतर सीढ़ियों के 1 लैम्प को 2 या 2 से अधिक स्थानों से नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है |
यह स्विच भी बनावट के आधार पर “फ्लश प्रकार”, “टोगल” व “टंबलर” आदि प्रकार का होता है लेकिन वर्तमान में अधिकतर फ्लश प्रकार के स्विच का प्रचलन है |
B. इंटरमीडिएट स्विच | Intermediate switch
यह 4 बिंदु वाला स्विच होता है | इसे एक तरफ दबाने पर 2-2 बिंदु सीधे जुड़ जाते हैं तथा दूसरी तरफ दबाने पर 2-2 बिंदु क्रॉस में जुड़ जाते हैं | इस स्विच को सीढ़ियों में लगे लैम्प को 2 से अधिक स्थानों से नियंत्रिक करने के लिए द्वि-पथ (2-way) स्विच के साथ लगाया जाता है |
इस स्विच का उपयोग अन्य विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में भी किया जाता है | डायग्राम निम्न प्रकार है :-

C. आयरन क्लैड स्विच | Iron clad switch
साधारणतः आयरन क्लैड स्विच का उपयोग मेन स्विच के रूप में किया जाता है | इनका बॉक्स लोहे का बना होने के कारण इनको आयरन क्लैड स्विच कहा जाता है | ये स्विच दो पथ प्रकार के भी बनाये जाते हैं | घरेलु वायरिंग में निम्न दो तरह के आयरन क्लैड स्विचों का उपयोग किया जाता है :-
1. 2 पोल आयरन क्लैड स्विच
2. 3 पोल आयरन क्लैड स्विच
आयरन क्लैड स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

i. दो पोल आयरन क्लैड स्विच | Double pole iron clad switch (ICDP)
2 पोल आयरन क्लैड स्विच का उपयोग एक फेज सप्लाई के नियंत्रण में किया जाता है | एक पोल से फेज व एक पोल से न्यूट्रल का नियंत्रण किया जाता है | इसमें दिए गए एक हैंडल से दोनों स्विचों को एक साथ चालू/बंद किया जाता है | इसमें दो स्विचों के साथ सुरक्षा के लिए दो फ्यूज भी दिए होते हैं | बॉक्स के बाहर की तरफ एक अर्थ बिंदु होता है जिसे आवश्यक रूप से अर्थ करना चाहिए |
ये स्विच 15A से 200A व 250V से 660V तक बनाये जाते हैं |
ii. तीन पोल आयरन क्लैड स्विच | Three pole iron clad switch (ICTP)
3 पोल आयरन क्लैड स्विच का उपयोग 3 फेज सप्लाई के नियंत्रण में किया जाता है | इसमें दिए गए एक हैंडल से तीनों स्विचों को एक साथ चालू/बंद किया जाता है | इसमें स्विचों के साथ सुरक्षा के लिए 3 फ्यूज भी दिए होते हैं व न्यूट्रल के लिए एक लिंक दिया होता है | बॉक्स के बाहर की तरफ एक अर्थ बिंदु होता है जिसे आवश्यक रूप से अर्थ करना चाहिए |
ये स्विच 30A से 400A व 440V से 1100V तक बनाये जाते हैं |
D. नाइफ स्विच | Knife switch
अधिक धारा के प्रवाह को चालू-बंद करने के लिए नाइफ स्विच का उपयोग किया जाता है इसलिए यह अक्सर विधुत उप केन्द्रों में लगाया जाता है | इस स्विच पर प्रतिरोधक आवरण नहीं होता है तथा चाकू जैसा दिखने के कारण इसे नाइफ स्विच कहा जाता है | ये स्विच एक पथ (One way) व दो पथ (Two way) प्रकार के तथा दो पोल व तीन पोल के बनाये जाते हैं |
ये स्विच 30A से 1000A व 250V से 1100V तक बनाये जाते हैं |
नाइफ स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

E. पुश बटन स्विच | Push button switch
इस स्विच के निर्माण के समय एक स्प्रिंग इस प्रकार लगाईं जाती है कि इसे दबाने पर परिपथ On हो जाता है तथा स्विच को छोड़ने पर परिपथ Off हो जाता है | इस स्विच का उपयोग ऐसे परिपथों में किया जाता है जिनमे अस्थाई रूप से विधुत धारा चालू करनी हो, जैसे घंटी (Door bell) व बजर इत्यादि का स्विच |
ये स्विच निम्न 2 प्रकार के होते है :-
1. Push to on switch (दबाने पर ऑन होने वाला स्विच)
2. Push to off switch (दबाने पर ऑफ होने वाला स्विच)
साधारणतया घंटी व बजर आदि में Push to on स्विच का उपयोग किया जाता है | विभिन्न प्रकार की मशीनों में Push to off स्विच का उपयोग भी किया जाता है, जैसे मोटर का स्टार्टर |
पुश बटन स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-


F. सीलिंग स्विच | Ceiling switch
सीलिंग स्विच एक खींचने वाला स्विच है | इसकी बनावट ऐसी होती है जिससे इसे एक बार खींचने पर यह ऑन हो जाता है तथा दूसरी बार खींचने पर ऑफ हो जाता है | इस स्विच को छत पर लगाया जाता है तथा इससे एक रस्सीनुमा लीवर लटका रहता है जिसे खींचा जाता है |
इसका उपयोग छत के पंखों, झूमर व सजावटी रौशनी इत्यादि में किया जाता है |
G. बैड स्विच | Bed switch
बैड स्विच सीलिंग स्विच से मिलता-जुलता स्विच है | यह फ्लश प्रकार का स्विच होता है लेकिन इसके संयोजक बिन्दुओं के पीछे ढक्कन लगा होता है जिससे इसे बोर्ड में लगाने की आवश्यकता नहीं होती | इसे सीधे ही तार में लगा दिया जाता है |
इस स्विच का उपयोग अस्थाई वायरिंग, बैड लाइट इत्यादि में किया जाता है |
बैड स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
2 (b) बनावट के आधार पर स्विच | switches based on texture
A. फ्लश प्रकार स्विच |Flush type switch
फ्लश प्रकार स्विच सबसे साधारण प्रकार का स्विच है | घरेलु तथा औधोगिक वायरिंग में इसका उपयोग सबसे अधिक किया जाता है | यह बोर्ड में कसा जाने वाला स्विच है जिसका दबाने वाला बटन बोर्ड से बाहर निकला रहता है तथा संयोजक बिंदु बोर्ड के अन्दर रहते हैं | यह स्विच “एक पोल एक पथ” व “दो पोल दो पथ” प्रकार का होता है |

B. टोगल स्विच | Toggle switch
टोगल प्रकार स्विच का उपयोग औधोगिक वायरिंग में तथा इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में किया जाता है | यह बोर्ड में कसा जाने वाला स्विच है | इसमें एक लीवर होता है जो बोर्ड से बाहर निकला रहता है तथा संयोजक बिंदु बोर्ड के अन्दर रहते हैं | यह स्विच “एक पोल एक पथ” व “दो पोल दो पथ” व अन्य विभिन्न पोल व पथों के भी बनाये जाते हैं |
टोगल स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

C. टंबलर स्विच | Tumbler switch
यह बैकेलाइट से बना स्विच होता था लेकिन इसका प्रचलन अब लगभग बंद हो चूका है | टंबलर स्विच का स्थान अब फ्लश स्विच ने ले लिया है | इस स्विच को लकड़ी के बोर्ड के ऊपर लगाया जाता था | यह स्विच एक-पथ तथा दो-पथ प्रकार का होता था |
टंबलर स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

D. घूमने वाला स्विच | Rotary switch
रोटरी स्विच साधारणतः बोर्ड के अन्दर कसा जाता है लेकिन इसकी घूमने वाली नोब बोर्ड के बाहर निकली रहती है | इसमें एक शाफ़्ट लगी होती है जो नोब को घुमाने पर घूमती है | यह स्विच दो बिंदु से अनेकों संयोजन बिन्दुओं वाला हो सकता है | यह स्विच एक पोल से अनेक पोल तथा एक पथ से अनेकों पथ वाला हो सकता है |
इस स्विच का उपयोग पंखे के गति परिवर्तन करने, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में, ट्रांसफार्मर के वोल्टेज परिवर्तन करने तथा अन्य विभिन्न प्रकार की मशीनों में किया जाता है :-
रोटरी स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-

E. सरकने वाला स्विच | Sliding switch
यह स्विच अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में उपयोग लिया जाता है तथा बोर्ड पर लगाने पर इसे बोर्ड की सतह के अन्दर लगाया जाता है | इसमें एक नॉब लगी होती है जिसे हाथ से पकड़कर सरकाया जाता है | यह स्विच भी एक पोल से अनेक पोल तथा एक पथ से अनेकों पथ वाला हो सकता है |
स्लाइडिंग स्विच का चित्र निम्न प्रकार है :-


विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
3. सॉकेट | Socket
A. दो पिन सॉकेट | Two pin socket
2 पिन सॉकेट का उपयोग केवल निम्न वोल्टेज के लिए ही किया जाता है | इस सॉकेट में केवल 2 पिन प्लग ही लगाया जा सकता है अर्थात इसमें अर्थ बिंदु नहीं होता है इसलिए जहां अर्थ आवश्यक हो वहां इसका उपयोग नहीं करना चाहिए | इस सॉकेट को 5A, 250V तक की क्षमता का ही बनाया जाता है |
B. तीन पिन सॉकेट | 3-pin socket (5A)
3 पिन सॉकेट का उपयोग भी निम्न वोल्टेज के लिए किया जाता है | इस सॉकेट में 3 पिन अथवा 2 पिन प्लग लगाया जा सकता है | इसमें फेज, न्यूट्रल व अर्थ बिंदु होते हैं इसलिए इसका उपयोग करना सुरक्षित होता है | विधुत अधिनियम के अंतर्गत भी वायरिंग में 3 पिन अथवा 5 पिन सॉकेट का उपयोग करना चाहिए जिसका अर्थ बिंदु अर्थ किया हुआ होना चाहिए | यह 5A क्षमता के लिए बनाया जाता है |
इस सॉकेट का दांया बिंदु फेज से, बांया बिंदु न्यूट्रल से तथा ऊपरी मोटा बिंदु अर्थ से जोड़ना चाहिए |
C. तीन पिन सॉकेट | 3-pin socket (15A)
तीन पिन अथवा पांच पिन 15A सॉकेट भी ऊपर बताये गए 5A सॉकेट के समान ही होता है केवल इसका आकार बड़ा होता है तथा पिन मोटी होती हैं |
ऊपर बताये गए तीनों सॉकेटों के चित्र निम्न प्रकार हैं :-

D. स्विच के साथ सॉकेट | Socket with switch (5A)
ये स्विच और सॉकेट के एक जोड़े के रूप में होता है तथा ये 5A तथा 15A दो प्रकार के बनाये जाते हैं | इसकी पिनों के कनेक्शन भी ऊपर बताये गए तीन पिन सॉकेट के समान ही किये जाते हैं |
इसका नुकसान केवल यह होता है कि इसमें स्विच अथवा सॉकेट में से किसी एक के ख़राब होने पर पूरा जोड़ा (Set) ही बदलना पड़ता है |
चित्र निम्न प्रकार है :-

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
4. सूचक | Indicator
यह एक छोटी लाइट होती है लेकिन इसका उद्देश्य रौशनी करना नहीं होता है, इसका उद्देश्य विधुत सप्लाई की उपस्थिति बताना होता है | इसे एक फेज से जलने के लिए बनाया जाता है | इसमें न्यूट्रल व फेज सप्लाई दी जाती है |
सूचक (Indicator) का चित्र निम्न प्रकार है :-

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
5. बल्ब होल्डर | Lamp holder
विधुत वायरिंग में बल्ब को आधार तथा संयोजन प्रदान करने के लिए बल्ब होल्डर अथवा लैम्प होल्डर का उपयोग किया जाता है | पूर्व में बल्ब होल्डर का निर्माण धातु से किया जाता था लेकिन वर्तमान में बैकेलाइट से होल्डरों का निर्माण किया जाता है तथा इनमे पीतल की पिन लगाईं जाती हैं |
क्षमता के आधार पर 4 प्रकार के लैम्प होल्डर होते हैं :-
A. बायोनेट कैप बल्ब होल्डर | Bayonet cap lamp honder
B. स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Screw type lamp honder
C. एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Edison screw type lamp honder
D. गोलिएथ एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Goliath edison Screw type lamp honder
A. बायोनेट कैप बल्ब होल्डर | Bayonet cap lamp honder
इस होल्डर में दो पीतल की पिन होती हैं जिनमे स्प्रिंग लगी होती हैं तथा होल्डर में ऊपर के किनारे पर लगी रिंग में दो खांचे कटे होते हैं | बल्ब को होल्डर में लगाते समय बल्ब की दोनों पिनों को होल्डर के खांचों में बैठाकर, बल्ब को थोडा दबाया जाता है तथा थोडा सा घडी की दिशा में घुमाकर छोड़ दिया जाता है जिससे बल्ब होल्डर में फिक्स हो जाता है तथा बल्ब के संयोजक बिंदु होल्डर की दोनों पिनों को स्पर्श कर लेते हैं |
इस प्रकार के होल्डर में लगाये जाने वाले लैम्प में लगी कैप को बायोनेट कैप कहा जाता है इसलिए इस होल्डर को बायोनेट कैप लैम्प होल्डर कहा जाता है |
BIS-732 के अनुसार बायोनेट कैप बल्ब होल्डर का उपयोग केवल 200 वाट तक के बल्ब के लिए ही किया जाना चाहिए |
बायोनेट कैप लैम्प होल्डर निम्न 5 प्रकार के होते हैं :-
i. बैटन होल्डर | Batten holder
ii. एंगल होल्डर | Angle holder
iii. ब्रेकेट होल्डर | Bracket holder
iv. पेंडेंट होल्डर | Pendant holder
v. कोणीय विस्थापन होल्डर | Angular displacement holder

i. बैटन होल्डर | Batten holder
बैटन होल्डर एक साधारण प्रकार का लैम्प होल्डर है | इसे सीधे ही छत पर या लकड़ी के बोर्ड पर लगाया जाता है | दीवार पर लगाने पर यह दीवार से 90° पर स्थित होता है |
ii. एंगल होल्डर | Angle holder
एंगल होल्डर भी लगभग बैटन होल्डर के समान ही होता है लेकिन यह थोडा झुका हुआ होता है जिससे इसे दीवार पर लगाने पर लैम्प भी झुका हुआ लगता है | घरेलु वायरिंग में अधिकतर इस प्रकार के होल्डर का उपयोग किया जाता है |
iii. ब्रेकेट होल्डर | Bracket holder
ब्रेकेट होल्डर एक विशेष प्रकार का होल्डर है | इसमें एक छोटे पाइप का प्रयोग करके इस प्रकार बनाया जाता है जिससे इसमें लगने वाला लैम्प दीवार अथवा बोर्ड से कुछ दूरी पर रहे | इसमें लगने वाले पाइप को सीधा, मुड़ा हुआ अथवा अन्य बनावट में बनाया जाता है |
iv. पेंडेंट होल्डर | Pendant holder
पेंडेंट होल्डर भी बैटन होल्डर के समान होता है लेकिन इसमें पीछे की तरफ संयोजकों के ऊपर एक ढक्कन लगा हुआ होता है जिसमे तार को निकालने के लिए एक छेद होता है | इस होल्डर का उपयोग अस्थाई वायरिंग में तथा जहां लैम्प को लटकाना हो वहां किया जाता है |
v. कोणीय विस्थापन होल्डर | Angular displacement holder
कोणीय विस्थापन (Angular displacement) होल्डर को इस प्रकार बनाया जाता है जिससे इसके उपरी सिरे को रौशनी की आवश्यकता के अनुसार घुमाया जा सकता है |
B. स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Screw type lamp honder

स्क्रू अथवा पेंच प्रकार बल्ब होल्डर फैंसी लाइट, टॉर्च इत्यादि में प्रयोग किये जाते हैं | ये आकार में छोटे होते हैं | इस होल्डर की रिंग जिसमे बल्ब को घुमाकर स्थापित किया जाता है न्यूट्रल से जुडी होती है तथा एक छोटा मध्य बिंदु फेज से जुड़ा होता है | चित्र ऊपर दिया गया है :-
C. एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Edison screw type lamp honder
एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर का उपयोग 200 वाट से अधिक के बल्ब को लगाने के लिए किया जाता है | इस होल्डर में सामान्यतः मरकरी अथवा सोडियम लैंप लगाये जाते हैं | इस होल्डर की चूड़ी कटी हुई रिंग में होल्डर को घुमाकर स्थापित किया जाता है, यह रिंग न्यूट्रल बिंदु का कार्य करती है तथा एक मध्य बिंदु होता है जो फेज बिंदु का कार्य करता है |
D. गोलिएथ एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर | Goliath edison Screw type lamp honder
गोलिएथ एडिसन स्क्रू प्रकार बल्ब होल्डर का उपयोग 300 वाट से अधिक के बल्ब को लगाने के लिए किया जाता है | इस होल्डर में भी सामान्यतः मरकरी अथवा सोडियम लैंप लगाये जाते हैं | इस होल्डर का ऊपरी आवरण पोर्सिलेन का बना होता है क्योंकि अधिक वाट के लैंप के कारण यह अधिक गर्म होता है | इस होल्डर की चूड़ी कटी हुई रिंग में होल्डर को घुमाकर स्थापित किया जाता है, यह रिंग न्यूट्रल बिंदु का कार्य करती है तथा एक मध्य बिंदु होता है जो फेज बिंदु का कार्य करता है |
नोट- LED बल्ब आने के बाद उपरोक्त दोनों प्रकार (एडिसन स्क्रू प्रकार तथा गोलिएथ एडिसन स्क्रू प्रकार) के होल्डरों का उपयोग बहुत कम हो गया है |

विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
6. प्लग टॉप | Plug top

प्लग टॉप (Plug top) का उपयोग पोर्टेबल वैधुतिक उपकरणों को विधुत स्त्रोत से जोड़ने के लिए किया जाता है | प्लग टॉप PVC अथवा बैकेलाइट से बनाये जाते हैं |
प्लग टॉप निम्न प्रकार के होते हैं :-
A. दो पिन प्लग टॉप | Two pin plug top
B. तीन पिन प्लग टॉप | Three pin plug top (5A)
C. तीन पिन प्लग टॉप | Three pin plug top (15A)
D. अन्य विशेष प्रकार के प्लग टॉप | Other special types of plug top
A. दो पिन प्लग टॉप | Two pin plug top
जैसा कि इसके नाम से स्पस्ट है, इसमें दो पिन होती हैं जिनसे न्यूट्रल तथा फेज को जोड़ा जाता है | इसका उपयोग उन छोटे वैधुतिक उपकरणों को विधुत स्त्रोत से जोड़ने के लिए किया जाता है जिनमे अर्थ की आवश्यकता नहीं होती है | सामान्यतः ये प्लग-टॉप 5A, 250V क्षमता के बनाये जाते हैं |
B. तीन पिन प्लग टॉप | Three pin plug top (5A)
इसमें 3 पिन होती हैं जिनसे न्यूट्रल, फेज तथा अर्थ को जोड़ा जाता है | इसका उपयोग उन छोटे वैधुतिक उपकरणों को विधुत स्त्रोत से जोड़ने के लिए किया जाता है जिनमे अर्थ की आवश्यकता भी होती है | ये प्लग-टॉप 5A, 250V क्षमता के बनाये जाते हैं | इस प्लग-टॉप में फेज व न्यूट्रल की पिन समान आकार की होती हैं तथा अर्थ पिन मोटे आकार की तथा बड़ी होती है |
प्लग-टॉप को सोकिट में लगाते समय फेज पिन दायीं तरफ, न्यूट्रल पिन बांई तरफ तथा अर्थ पिन ऊपर की तरफ होती है | फेज (L) से लाल तार, न्यूट्रल (N) से काला तार तथा अर्थ (E) से हरा तार जोड़ना चाहिए |
अर्थ पिन के मोटी तथा बड़ी होने का कारण- उपकरण की बॉडी अर्थ होने पर अर्थ में से अधिक धारा बहती है जिससे पिन के जलने की सम्भावना के कारण पिन मोटी होती है |
तथा प्लग-टॉप को सोकिट में लगाते समय सबसे पहले अर्थ को कनेक्ट होना चाहिए इसलिए अर्थ पिन बड़ी होती है जिससे उपकरण पहले से ही अर्थ होने की स्थिति में उपयोगकर्ता को विधुत झटका लगने की सम्भावना नहीं रहती है |
C. तीन पिन प्लग टॉप | Three pin plug top (15A)
ये प्लग-टॉप भी उपर दिए गए 5A वाले तीन पिन प्लग टॉप के समान ही होता है केवल इसकी पिन मोटी होती हैं क्योंकि इसकी धारा वहन क्षमता अधिक होती है | इसकी क्षमता 15A, 250V होती है |
इसका अन्य विवरण तीन पिन प्लग टॉप-5A के समान ही है |
D. अन्य विशेष प्रकार के प्लग टॉप | Other special types of plug top
उपरोक्त के अलावा अन्य कई प्रकार के प्लग-टॉप भी होते हैं | जैसे कई प्लग-टॉप को एक ही सॉकेट में लगाने ले लिए मल्टी-पिन प्लग-टॉप काम में लिया जाता है | 15A से अधिक क्षमता के लिए भी विशेष प्रकार के प्लग-टॉप बनाये जाते हैं |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
7. सर्किट ब्रेकर/ परिपथ वियोजक | circuit breaker
परिपथ को ओवर करंट, लघु परिपथ अथवा अन्य विभिन्न प्रकार के दोषों से बचाने के लिए परिपथ में परिपथ वियोजक (Circuit breaker) लगाया जाता है
परिपथ वियोजक (Circuit breaker) एक स्वचालित वैधुतिक युक्ति है, जो वैधुतिक परिपथो में दोष आने पर धारा को अचानक से रोककर परिपथ को सुरक्षा प्रदान करता है।
घरेलु अथवा व्यावसायिक वायरिंग में मुख्वयतः निम्न तीन प्रकार के परिपथ वियोजक (Circuit breaker) प्रयोग किये जाते हैं | अन्य विभिन्न प्रकार के परिपथ वियोजक भी वैधुतिक तंत्र में प्रयोग किये जाते हैं जिनका विवरण यहां नहीं किया गया है |
A. MCB- मिनीएचर सर्किट ब्रेकर | Miniature circuit breaker
B. MCCB- मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर | Molded case circuit breaker
C. ELCB- अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर | Earth leakage circuit breaker
A. MCB- मिनीएचर सर्किट ब्रेकर | Miniature circuit breaker

मिनिऐचर सर्किट ब्रेकर (Miniature Circuit Breaker) को छोटे रूप से M.C.B. कहा जाता है। मुख्यतः घरेलू व व्यावसायिक वायरिंग में फ्यूज के स्थान पर MCB का उपयोग किया जाता है | फ्यूज उड़ने पर उसे बदनले की आवश्यकता होती है तथा फ्यूज बदलने पर एक गलत मान (रेटिंग) का फ्यूज लगने की भी सम्भावना होती है जिससे परिपथ पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं रहता, इसलिए आजकल परिपथों में MCB का प्रयोग किया जाता है क्योंकि MCB ट्रिप होने पर उसकी नोब को केवल ऊपर करके चालू कर दिया जाता है तथा एक बार MCB लगाने के बाद बार-बार उसकी रेटिंग बदलने की संभावना भी नहीं होती जिससे परिपथ सुरक्षित रहता है |
कार्यप्रणाली (Operation)- MCB मुख्यतः 3 प्रकार की होती है- थर्मल मैग्नेटिक, असिस्टेड बाईमेटल व मैग्नेटिक हाइड्रॉलिक | MCB एक साधारण स्विच के समान ही होती है लेकिन इसमें स्विच के साथ-साथ एक इस प्रकार का तंत्र भी लगा दिया जाता है जिससे इससे जुड़े परिपथ में ओवर करंट अथवा लघु परिपथ दोष आने पर यह स्वचालित रूप से परिपथ की विधुत सप्लाई को बंद कर देता है |
इसमें एक चुम्बकीय रिले लगी हुई होती है जो निर्धारित मान से अधिक धारा बहने पर परिपथ को विसंयोजित कर देती है तथा इसके साथ ही बाहर की और लगी हुई एक नॉब भी नीचे गिर जाती है जिससे MCB के ऑफ होने का पता चल जाता है | MCB को ऑफ होने पर परिपथ के दोष को ठीक करके इसकी नॉब को ऊपर कर फिर से चालू कर दिया जाता है |
MCB 5A से 60A क्षमता तथा 250 वोल्ट रेटिंग में बनाये जाते हैं | एक पोल, दो पोल, तीन पोल तथा चार पोल MCB बनाई जाती हैं | दो पोल, तीन पोल तथा चार पोल MCB के निर्माण के लिए क्रमशः दो, तीन तथा चार MCBs को एक साथ लगाकर उनके स्विचिंग लीवर को आपस में जोड़ दिया जाता है | दो पोल, तीन पोल तथा चार पोल MCB में किसी एक परिपथ में दोष आने पर सभी MCB एक साथ ट्रिप हो जाती हैं |
B. MCCB- मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर | Molded case circuit breaker

MCB 5A से 60A तक कार्य करने के लिए बनाई जाती हैं। मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर (MCCB) 25A से 2500A तक कार्य करने के लिए बनाई जाती हैं। MCCB भी MCB के समान ही प्रचलित होती हैं। तीन पोल की MCCB में भी ON, OFF करने लिए बाहर की तरफ केवल एक लीवर दिया हुआ होता है | अधिक करंट पर प्रचालन होने के कारण इनके संयोजकों को एक तेलयुक्त कक्ष में स्थापित किया जाता है, इसलिए ही इनको मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर कहा जाता है | सामान्यतः MCCB दो प्रकार की होती हैं- मैग्नेटिक तथा थर्मल मैग्नेटिक |
C. ELCB- अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर | Earth leakage circuit breaker

ELCB को RCCB (Residual Current Circuit Breaker) भी कहा जाता है | ELCB को परिपथ में मुख्य स्विच के बाद लगाया जाता है। सुरक्षा की द्रष्टि से परिपथ में ELCB आवश्यक रूप से लगाया जाता है | फेज तार किसी व्यक्ति अथवा अर्थ से छू जाने की स्थिति में ELCB परिपथ की सप्लाई को बंद (Off) कर देता है | ELCB एक फेज व तीन फेज में बनाई जाती है | अतः इसे उपकरण, परिपथ व मानवीय हानि से सुरक्षा के लिए लगाया जाता है |
कार्यप्रणाली (Operation)- ELCB में एक रिले लगी होती है जो फेज तार में बहने वाले करंट व न्यूट्रल तार में बहने वाले करंट के अंतर पर कार्य करती है | सामान्य स्थिति में फेज व न्यूट्रल तार में समान धारा का प्रवाह होता है लेकिन अगर फेज और न्यूट्रल के मध्य अगर 100 मिली ऐम्पियर करंट का भी अंतर हो तो ELCB परिपथ की विधुत सप्लाई को Off कर देती है जबकि MCB के द्वारा इस प्रकार का कार्य नहीं किया जाता |
परिचालन- माना किसी परिपथ में फेज तार, किसी उपकरण की बॉडी, नम दीवार अथवा किसी व्यक्ति के संपर्क में आ जाता है हो फेज तार में करंट का प्रवाह बढ़ जाता है जबकि न्यूट्रल तार में करंट का प्रवाह समान रहता है, इस स्थिति के कारण फेज तार में, न्यूट्रल तार की अपेक्षा अधिक करंट का प्रवाह होने लगता है जिसके कारण दोनों में करंट के मान में अंतर पैदा हो जाता है | इस अंतर के कारण ELCB प्रचालित होकर परिपथ की विधुत सप्लाई को बंद (Off) कर देती है, और परिपथ अथवा मानवीय हानि होने से बच जाती है | इसके पश्चात दोष को समाप्त कर ELCB को फिर से चालू कर दिया जाता है |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
8. सीलिंग रोज | Ceiling rose

छत अथवा दीवार से किसी उपकरण को विधुत सप्लाई प्रदान करने के लिए सीलिंग रोज का उपयोग किया जाता है | जैसे छत का पंखा पेंडेंट होल्डर ट्यूब लाइट व झूमर इत्यादि को विधुत सप्लाई देने के लिए सीलिंग रोज का उपयोग किया जाता है |
सीलिंग रोज का उपयोग 5A, 250V तक की विधुत सप्लाई के लिए ही किया जाता है |
सीलिंग रोज हो प्रकार की होती है-
(1) 2 प्लेट सीलिंग रोज- 2 प्लेट सीलिंग रोज का उपयोग पंखे व ट्यूब लाइट इत्यादि को सप्लाई देने के लिए किया जाता है |
(2) 3 प्लेट सीलिंग रोज- 3 प्लेट सीलिंग रोज का उपयोग पास-पास के दो उपकरणों को विधुत सप्लाई देने के लिए व ऐसे स्थान पर पर किया जाता है जहां एक उपकरण को सप्लाई देकर आगे भी सप्लाई देना आवश्यक हो | 3 प्लेट सीलिंग रोज की तीसरी प्लेट का उपयोग अर्थ के लिए भी किया जाता है |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
9. पंखे का रेगुलेटर | Fan regulator

पंखे की गति को नियंत्रित करने के लिए रेगुलेटर का उपयोग किया जाता है | यह स्विच के आकार का होता है जिससे इसे स्विचबोर्ड में ही लगाया जाता है | इसके आंतरिक भाग में कुछ इलेक्ट्रोनिक घटक लगे होते हैं तथा ऊपरी भाग में एक घूमने वाली नोब लगी होती है जिसे घुमाकर पंखे की गति को नियंत्रिक किया जाता है |
पुराने समय में प्रतिरोध प्रकार के रेगुलेटर लगाये जाते थे जो बड़े आकर के होते थे इसलिए इन्हें स्विच बोर्ड के ऊपर ही लगाया जाता था | इनमे कई संपर्क बिंदु वाला एक वायर-वाउंड प्रतिरोधक तथा एक टैपिंग स्विच लगाया जाता था जिससे पंखे की गति को नियंत्रित किया जाता था | इस रेगुलेटर में काफी अधिक ऊर्जा की खपत होती थी इसलिए इनका चलन बंद हो चूका है |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
10. फ्यूज | Fuse
वैधुतिक परिपथ में सुरक्षा के रूप में फ्यूज का उपयोग किया जाता है, लेकिन अब अधिकतर फ्यूज के स्थान पर MCB का उपयोग किया जाने लगा है | परिपथ में फ्यूज श्रेणी में लगा हुआ होता है तथा इसमें लगा निम्न गलनांक वाली धातु का तार अपनी विधुत धारा वहन क्षमता से अधिक धारा बहने पर गर्म होकर पिघल जाता है परिणामस्वरूप परिपथ की विधुत सप्लाई बंद हो जाती है | अतः फ्यूज एक सुरक्षात्मक युक्ति के रूप में कार्य करता है |
फ्यूज तार, टिन व लैड की मिश्र धातु, एल्युमिनियम अथवा टिन आलेपित ताम्बे का बना होता है | फ्यूज के कई प्रकार हैं जो निम्न प्रकार हैं :-
A. किट-कैट फ्यूज | Kit kat fuse
B. HRC फ्यूज | HRC fuse
C. कार्ट्रिज फ्यूज | cartridge fuse
D. राउंड फ्यूज | Round fuse
A. किट-कैट फ्यूज | Kit-kat fuse

किट-कैट फ्यूज एक सामान्य प्रकार का फ्यूज है जो घरेलु वायरिंग में सबसे अधिक उपयोग में आने वाला फ्यूज है | ये पोर्सिलेन अथवा बैकेलाइट का बना होता है | इसके दो भाग होते हैं – आधार (बोर्ड पर कसा जाने वाला भाग) तथा फ्यूज कैरियर (आधार के ऊपर लगाया जाने वाला भाग जिसमे फ्यूज तार लगाया जाता है ) |
उपयोग- इस फ्यूज का उपयोग घरों, कृषि मोटरों तथा उधोगों में किया जाता है (वर्तमान में इसके स्थान पर MCB का उपयोग होने लगा है )
क्षमता- किट-कैट फ्यूज 5 A से 3000 A तक की क्षमता के होते हैं |
B. एच.आर.सी. फ्यूज | HRC fuse

इसका पूरा नाम ‘हाई रप्चरिंग कैपेसिटी फ्यूज’ (high rupturing capacity fuse) है। इसका फ्यूज तार वायु-रुद्ध काँच अथवा पोर्सिलेन की ट्यूब में स्थापित होता है। ट्यूब में अचालक चूर्ण भरा होता है जिसमे फ्यूज तार स्थापित होता है | यह फ्यूज अपनी निर्धारित धारा मान से लगभग दोगुनी विधुत धारा भी कुछ मिली सेकंड तक वहन कर सकता है, किन्तु कुछ मिली सेकंड में ओवर लोड अथवा लघु परिपथ दोष दूर ना होने पर फ्यूज उड़ जाता है। इस फ्यूज का मूल्य किट-कैट फ्यूज से अधिक होता है |
उपयोग- सामान्यतः इनका उपयोग उन उप-केन्द्रों (Sub stations) पर किया जाता है जहां से नंगे तारों वाली लाइन निकलती है |
क्षमता- एच.आर.सी. फ्यूज 30 A से 1000 A तक की क्षमता के होते हैं |
C. कार्ट्रिज फ्यूज | Cartridge fuse

यह फ्यूज काँच अथवा पोर्सलेन की वायु-रुद्ध (air-tight) ट्यूब में ताँबा व टिन (63% व 37%) की मिश्र धातु का तार स्थापित करके बनाया जाता है | वायु-रुद्ध होने के कारण इसके फ्यूज तार पर बाहरी वातावरण का प्रभाव नहीं पड़ता तथा तार का ऑक्सीकरण नहीं होता।
कभी-कभी इस फ्यूज में स्पर्किंग को कम करने के लिए एक पाउडर भी भरा है | इसमें सफ़ेद कागज से बंद एक छेद होता है जिसे इण्डैक्स वृत्त (index circle) कहते हैं, फ्यूज जल जाने पर कागज़ काला हो जाता है जिससे फ्यूज के जलने का पता लग जाता है | फ्यूज जल जाने की स्थिति में इसका फिर से उपयोग नहीं किया जाता इसलिए नया फ्यूज लगाना पड़ता है | इस फ्यूज का मूल्य किट-कैट फ्यूज से अधिक होता है |
उपयोग- इस फ्यूज का उपयोग प्रायः इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में होता है |
क्षमता- कार्ट्रिज फ्यूज 2 A से 60 A तक की क्षमता के होते हैं |
D. राउंड फ्यूज | Round fuse
राउंड फ्यूज (Round fuse) बैकेलाइट अथवा पोर्सलेन का बना होता है। यह गोल नली के समान होता है इसलिए इसे राउंड अथवा गोलाकार फ्यूज कहते हैं | इस फ्यूज में फ्यूज तार को दो टर्मिनलों के बीच में पेंचों से कस दिया जाता है |
इस फ्यूज में फ्यूज तार को बदला जा सकता है | इस फ्यूज का उपयोग वर्तमान में लगभग बंद हो चूका है |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
11. लग्स | Lugs

मेन लाइन के टर्मिनल बॉक्स में तारों को मजबूती से जोड़ने के लिए लग्स का उपयोग किया जाता है | ये ताम्बे, पीतल अथवा एल्युमीनियम की बनी होती हैं | लग्स को तार में मजबूती से लगाने के लिए क्रिम्पिंग टूल का उपयोग किया जाता है | लग्स में तार को डालकर इसे क्रिम्पिंग टूल से मजबूती से दबा दिया जाता है, तार में लग्स लग जाने के बाद इसे टर्मिनल बॉक्स में पेंच अथवा बोल्ट द्वारा कस दिया जाता है |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
12. एडॉप्टर | Adopter

लैम्प होल्डर में लैम्प के स्थान पर कोई अन्य उपकरण लगाने अथवा तार द्वारा विधुत सप्लाई लेने के लिए एडॉप्टर का उपयोग किया जाता है | तथा एक सॉकेट में कई प्लग-टॉप लगाने के लिए भी एडॉप्टर का उपयोग किया जाता है |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
13. बोर्ड व बोर्ड शीट | Board and board sheet

वायरिंग में लकड़ी के बोर्ड प्रयोग किये जाते हैं | ये विभिन्न माप के होते हैं जैसे- 200x150mm, 100x200mm, 100x175mm, 100x150mm व 75x150mm इत्यादि | लेकिन वर्तमान में प्लास्टिक व MS के बने बोर्ड का इस्तेमाल भी किया जाने लगा हैं |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
14. लकड़ी की गिट्टी | Wooden plugs
वायरिंग करने से पहले केसिंग अथवा बैटन लगाने के लिए लकड़ी की गिट्टियां लगाईं जाती हैं | जहां केसिंग अथवा बैटन लगानी हो वहां दीवार में छेद करके सीमेंट की सहायता से लकड़ी की गिट्टियां लगाईं जाती हैं | लेकिन वर्तमान में इनका चलन लगभग समाप्त हो चूका है, इनके स्थान पर PVC के रावल प्लग लगाये जाते हैं |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
15. रावल प्लग | Rawal plug

दीवार में पेंच कसने के लिए रावल प्लग का इस्तेमाल किया जाता है | दीवार में रावल प्लग के आकार के छेद करके हथोडी की सहायता से रावल प्लग स्थापित कर दिया जाता है, इसके ऊपर वायरिंग सामग्री जैसे बोर्ड, क्लिप, केसिंग इत्यादि को पेंचों द्वारा कस दिया जाता है | रावल प्लग की बनावट इस प्रकार की होती है कि इसमें पेंच कसते समय यह दीवार के अन्दर से चोड़ा हो जाता है जिससे यह आसानी से नहीं निकल पाता |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
16. कील व पेंच | Anvil and Screw
वायरिंग करते समय लकड़ी की बैटन पर लिंक क्लिप लगाने के लिए छोटी कीलों का प्रयोग किया जाता है | वायरिंग में 30mm, 20mm, 10mm इत्यादि की कीलों का प्रयोग किया जाता है |
बोर्ड, माइका शीट, केसिंग-केपिंग, बैटन, लोहे के बॉक्स व अन्य उपकरणों को लगाने के लिए पेचों का प्रयोग किया जाता है | वायरिंग में 100mm, 75mm, 65mm, 50mm, 45mm, 35mm, 25mm, 20mm व 10mm के पेचों का प्रयोग किया जाता है |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
17. लोहे अथवा PVC के बॉक्स | Iron or PVC box

कंसील्ड वायरिंग अथवा भूमिगत वायरिंग करते समय लोहे के बॉक्स लगाये जाते हैं जो पीछे से बंद होते हैं तथा आगे से खुले होते हैं | आजकल PVC कन्ड्यूट वायरिंग में PVC के बोर्ड लगाये जाते हैं लेकिन भूमिगत वायरिंग में लोहे के बॉक्स ही लगाये जाते हैं |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
18. केसिंग–केपिंग Casing-caping

वैधुतिक वायरिंग में पूर्व में लकड़ी की केसिंग–केपिंग का प्रयोग किया जाता था लेकिन वर्तमान में PVC केसिंग–केपिंग का प्रयोग किया जाता है |
लकड़ी की केसिंग को पेचों द्वारा दीवार पर स्थापित करके इसमें बने दो नालीदार खांचों में तार स्थापित करके ऊपर से पेचों द्वारा केपिंग लगा दी जाती हैं |
PVC की केसिंग को पेचों द्वारा दीवार पर स्थापित करके केसिंग में बने एक बड़े खांचे में तार स्थापित करके ऊपर से केपिंग लगा दी जाती हैं | PVC केपिंग को बिना पेंच के ही केसिंग में बने लॉक खांचे में स्थापित करने की व्यवस्था होती है |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
19. कन्ड्यूट फिटिंग | Conduit fitting

इस वायरिंग में तारों को खुले में स्थापित ना करके पाइपों में स्थापित किया जाता है | कन्ड्यूट पाइप का व्यास 16mm से 65mm तक होता है |
सामग्री के आधार पर कन्ड्यूट वायरिंग दो प्रकार की होती है-
1. PVC कन्ड्यूट फिटिंग
2. MS कन्ड्यूट फिटिंग
स्थापना के आधार पर कन्ड्यूट वायरिंग दो प्रकार की होती है-
1. सतह पर की जाने वाली वायरिंग |
2. भूमिगत की जाने वाली वायरिंग |
PVC कन्ड्यूट फिटिंग- इसमें सभी सामग्री जैसे कन्ड्यूट पाइप,जंक्शन बॉक्स, टी, एल्बो, बेंड, सॉकेट, कपलिंग इत्यादि PVC की बनी हुई प्रयोग की जाती है |
MS कन्ड्यूट फिटिंग- इसमें सभी सामग्री जैसे कन्ड्यूट पाइप,जंक्शन बॉक्स, टी, एल्बो, बेंड, सॉकेट, कपलिंग इत्यादि MS (माइल्ड स्टील)/लोहे की बनी हुई प्रयोग की जाती है |
सतह पर की जाने वाली वायरिंग- इस वायरिंग में पाइप व अन्य सामग्री को मकान बनने के बाद सतह के ऊपर स्थापित किया जाता है | सतह के ऊपर होने के कारण यह वायरिंग पूर्ण रूप दे दिखाई देती है इसी कारण इसका रखरखाव करना आसान होता है |
यह वायरिंग देखने में भूमिगत वायरिंग की तुलना में भद्दी लगती है |
भूमिगत की जाने वाली वायरिंग- मकान बनने पर प्लास्टर होने से पूर्व ही दीवार में खांचे काटकर पाइप, बॉक्स व अन्य सहायक सामग्री को इन खांचों में स्थापित कर ऊपर से प्लास्टर कर दिया जाता है | प्लास्टर होने के बाद पाइपों में तार स्थापित कर अन्य सामग्री जैसे स्विच, सॉकेट, सीलिंग रोज, इंडिकेटर, फ्यूज, होल्डर, MCB इत्यादि को स्थापित कर दिया जाता है |
इस वायरिंग का रखरखाव करना कठिन होता है लेकिन यह देखने में सुन्दर लगती है |
विधुत वायरिंग में उपयोग होने वाला सामान
20. वितरण बॉक्स | Distribution box

बड़े घरों में विधुत सप्लाई को अलग-अलग कक्षों में वितरित करने के लिए वितरण बॉक्स (Distribution box) का उपयोग किया जाता है | वितरण बॉक्स एक लोहे अथवा PVC का बॉक्स होता है इसमें आवश्यकता के अनुसार फ्यूज अथवा MCB व एक लिंक लगी होती हैं, सभी कक्षों के लिए न्यूट्रल तार इस एक ही लिंक से लिया जाता है तथा अलग-अलग कक्षों के लिए फेज तार अलग-अलग MCB/फ्यूज से ले लिया जाता है |
किसी भी कक्ष की विधुत सप्लाई बंद (Off) करने के लिए सम्बंधित MCB को Off कर दिया जाता है | वितरण बॉक्स में एक मुख्य आइसोलेटर स्विच भी लगा दिया जाता है जिसे Off करने पर इस वितरण बॉक्स से निकलने वाली पूरी सप्लाई Off हो जाती है |
वितरण बॉक्स (Distribution box) का उपयोग सभी प्रकार की वायरिंग में किया जाता है जैसे घरेलु, दुकान व औधोगिक इत्यादि |

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