कार्यशाला में आग | Fire in workshop

किसी पदार्थ के जलने अथवा दहन को आग कहते हैं | अथवा दहनशील पदार्थों के तेजी से होने वाले ऑक्सीकरण को आग कहते हैं जिसमे अधिक तापमान और प्रकाश पैदा होता है | आग से कई  प्रकार के रासायनिक उत्पाद प्राप्त होते हैं जैसे कार्बनडाईऑक्साइड इत्यादि | अनचाही अग्नि से संभवतः जन-धन की हानि होती हैं 

आग लगने के लिए ऊष्मा, ऑक्सीजन व ईंधन आवश्यक है | इनमे से किसी भी एक की कमी अथवा ना होने की स्थिति में आग बुझ जाती है | इसलिए विभिन्न प्रकार के अग्निशामकों (Fire extinguishers) को इस प्रकार से बनाया जाता है जिससे वो ऊष्मा, ऑक्सीजन अथवा ईंधन में से किसी को भी कम कर सके अथवा हटा सके जिससे आग बुझ जाए |

दूसरे शब्दों में यदि आग लगने पर ऊष्मा, ऑक्सीजन अथवा ईंधन में से किसी एक को भी रोक दिया जाये तो आग बुझ सकती है | इन्हें रोकने का कार्य अग्निशामकों द्वारा किया जाता है | जैसे :-
ऊष्मा (Heat) को रोकने के लिए आग पर पानी का छिड़काव किया जाता है |
ऑक्सीजन (Oxygen)  को रोकने के लिए अग्निशामकों द्वारा कार्बनडाईऑक्साइड आदि का छिड़काव किया जाता है |
ईंधन (Fuel) को रोकने के लिए उस पदार्थ को ही रोक लिया अथवा हटा दिया जाता है जिसमे आग लगी है |

ईंधन के प्रकार के आधार पर आग के निम्न 4 प्रकार होते हैं तथा विभिन्न प्रकार की आग को बुझाने की विधियां भी भिन्न-भिन्न होती हैं :-

Fire in workshop

  •  ‘A’ श्रेणी अग्नि / Class ‘A’ Fire
  •  ‘B’ श्रेणी अग्नि / Class ‘B’ Fire
  •  ‘C’ श्रेणी अग्नि / Class ‘C’ Fire
  •  ‘D’ श्रेणी अग्नि / Class ‘D’ Fire

A श्रेणी अग्नि / Class A Fire (ठोसों में लगने वाली आग) :-

ये सामान्य प्रकार की अग्नि है | कागज़, कपड़े, लकड़ी, कचरा व प्लास्टिक इत्यादि में लगने वाली आग को ‘A’ श्रेणी आग कहते हैं | इस प्रकार की अग्नि को बुझाना सबसे आसान होता है |

‘A’ श्रेणी आग को बुझाना-
A’ श्रेणी अग्नि को बुझाने का सबसे आसान तरीका है आग पर पानी की बौछार करना, ऑक्सीजन को रोककर या विभिन्न प्रकार के रासायनिक पाउडरों के छिड़काव से भी आग को बुझाया जा सकता है | आग पर पानी की बौछार करते समय पानी को आग पर नीचे की तरफ डालते हुए धीरे-धीरे ऊपर की और डालना चाहिए | आग पर पानी की बौछार बाल्टी द्वारा, नली द्वारा अथवा जलयुक्त अग्निशामक द्वारा की जाती है |

बड़ी अथवा भयंकर आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड का उपयोग किया जाता है | पानी से आग को बुझाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जहां पानी का छिड़काव किया जा रहा है वहां विधुत सप्लाई चालू ना हो अन्यथा विधुत झटका लगने की सम्भावना रहती है |

Class a fire

Fire in workshop

B श्रेणी अग्नि / Class B Fire (द्रवों में लगने वाली आग) :-

ज्वलनशील द्रवों अथवा ऐसे ठोस जो ज्वलनशील द्रव में बदल जाते है जैसे पेट्रोल, केरोसीन, डीजल, शराब, मीथेन, गैसोलीन, प्रोपेन तथा चर्बी इत्यादि में लगने वाली आग ‘B’ श्रेणी अग्नि के अंतर्गत आती है | 

‘B’ श्रेणी अग्नि को बुझाना-
‘B’ श्रेणी आग को पानी से नहीं बुझाया जा सकता है | इस प्रकार की आग को बुझाने के लिए ऑक्सीजन की रोकना आवश्यक होता है इसके लिए कार्बनडाईऑक्साइड अग्निशामक अथवा अग्नि रोधी कम्बल का उपयोग किया जाता है | फोम अथवा सूखे पाउडर को अग्नि के ऊपर छिड़ककर भी अग्नि को बुझाया जा सकता है क्योंकि इससे ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो जाती है |

class b fire

Fire in workshop

C श्रेणी अग्नि / Class C Fire (गैसों में लगने वाली आग) :-

ज्वलनशील गैस में लगने वाली आग ‘C’ श्रेणी अग्नि के अंतर्गत आती है, विधुत उपकरण, विधुत वायरिंग इत्यादि में लगी आग को भी ‘C’ श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है | गैस सिलेंडर में लगी आग से विस्फोट होने की सम्भावना रहती है | इस प्रकार की अग्नि बहुत खतरनाक होती है इसलिए आग लगने पर चेतावनी घंटी व सायरन बजा देने चाहियें |

‘C’ श्रेणी अग्नि को बुझाना-
सबसे पहले विधुत सप्लाई को बंद कर दें | सिलेंडर में आग लगने पर कार्बनडाईऑक्साइड व हेलोन अग्निशामक का प्रयोग किया जाता है जिससे ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने पर आग बुझ जाती है | विधुत उपकरणों में लगी आग को बुझाने के लिए कार्बनडाईऑक्साइड व शुष्क पाउडर अग्निशामक का प्रयोग किया जाता है | ‘C’ श्रेणी की आग को संभव हो तो प्रशिक्षित लोगों द्वारा बुझाया जाना चाहिए |

class c fire

Fire in workshop

D श्रेणी अग्नि / Class D Fire (धातुओं में लगने वाली आग) :-

ये आग दहनशील धातुओं में लगती है जैसे- मैग्नीशियम, पोटेशियम, टाइटेनियम व सोडियम इत्यादि में लगने वाली आग | जिन उधोगों तथा प्रयोगशालाओं में इन धातुओं का उपयोग होता है वहां इस प्रकार की आग लगने की सम्भावना होती | इस प्रकार की आग से तीव्र अग्नि तथा जहरीली गैसें निकलती हैं | 

‘D’ श्रेणी अग्नि को बुझाना-
‘D’ श्रेणी की आग को बुझाने के लिए पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि पानी से प्रतिक्रिया कर विस्फोट होने की सम्भावना होती है | इस प्रकार की आग को बुझाने के लिए रेत या सूखे पाउडर का उपयोग करना चाहिए तथा कार्बनडाईऑक्साइड, CTC या शुष्क पाउडर प्रकार के अग्निशामक का प्रयोग करना चाहिए | 

class d fire

एक अन्य ‘K’ श्रेणी की आग भी होती है लेकिन यह उधोग अथवा कार्यशाला से सम्बंधित नहीं होने के कारण इसका विस्तार से वर्णन नहीं किया गया है | भोज्य पदार्थों में लगने वाली आग को K श्रेणी की आग कहते हैं जैसे वनस्पति तेल में लगने वाली आग |

Fire in workshop

कार्यशाला में आग लगने पर शरीर जलने अथवा चोट लगने की सम्भावना होती है अतः पीड़ित का प्राथमिक उपचार आवश्यक है जिसका वर्णन हमारी अन्य पोस्ट “कार्यशाला में प्राथमिक उपचार व सुरक्षा” में किया गया है |

itiale.in

कार्यशाला अथवा कारखाने में आग लगने के कारण
Causes of fire in workshop or factory

यहां पर कुछ कारण दिए गए हैं जिनकी वजह से कार्यशाला या कारखानों में आग लगती है अथवा आग लगने की सम्भावना रहती है |

  • विस्फोटक पदार्थों का भण्डारण लापरवाही से करने अथवा नियमानुसार नहीं करने के कारण |
  • बॉईलर में तापमान नियंत्रण की व्यवस्था सही नहीं होने के कारण |
  • कर्मचारियों अथवा शिक्षार्थियों को सही प्रशिक्षण नहीं देने के कारण |
  • विधुत उपकरणों अथवा लाइन में दोष (Fault) आने के कारण |
  • ज्वलनशील पदार्थों के पास धुम्रपान करने के कारण |
  • ज्वलनशील पदार्थों के पास वैल्डिंग व ग्राइंडिंग इत्यादि करने के कारण |
  • जिन मशीनों में शीतलन की आवश्यकता हो वहां ठीक तरीके से शीतलन की व्यवस्था नहीं करने के कारण |
  • सर्दियों में हाथ तापने के लिए ज्वलनशील पदार्थों के नजदीक आग जलाना अथवा आग जलाने के पश्चात उसे बिना बुझाए ऐसे ही छोड़ देना |
  • ज्वलनशील पदार्थों जैसे गैस सिलेंडर, पेट्रोल, डीजल, केरोसीन आदि का भण्डारण सुरक्षा पूर्वक नहीं करने के कारण |
  • ज्वलनशील तरल/गेस की लाइनों में लीक होने के कारण |
  • मोटरों को अतिभार (Overload) होने के कारण 

“Fire in workshop” अध्याय, मुख्य अध्याय “Occupational safety and health” के अंतर्गत आता है जिसका अध्यन करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें |

Related

Leave a Comment