ओह्म का नियम | Ohm’s law

what is ohms law

ओह्म का नियम | Ohm’s law

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ओह्म का नियम DC परिपथों में प्रतिरोध (R), धारा (I) तथा विभवान्तर (V) से सम्बंधित नियम है जिसे जर्मन के एक वैज्ञानिक जी एस ओम के द्वारा बनाया गया था इस लिए इस नियम का नाम “ओह्म का नियम” रखा गया | 

ओह्म का नियम- नियत तापमान तथा नियत भौतिक परिस्थितियों में एक बंद दिष्ट धारा (DC) परिपथ में किसी प्रतिरोधक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर, उस प्रतिरोधक में से प्रवाहित होने वाली धारा के समानुपाती होता है |

ओह्म का नियम यह दर्शाता है कि किसी प्रतिरोध के सिरों के बीच ‘विभवान्तर’ तथा उसमे से प्रवाहित होने वाली ‘धारा’ के बीच क्या सम्बन्ध है | 

ओह्म के नियम को निम्न चित्र से आसानी से समझा जा सकता है :-

ohm's law

ऊपर दिए गए चित्र से हम समझ सकते हैं कि :-

V=I×R

I=VR

R=VI

यहां
V = विभवान्तर (वोल्ट में)
I = धारा (एम्पियर में)
R = प्रतिरोध (Ω में)

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itiale.in

ओह्म के नियम द्वारा परिपथ के विभवान्तर, धारा तथा प्रतिरोध में से कोई दो का मान ज्ञात होने पर हम तीसरे का मान निकाल सकते हैं |

निम्न उदाहरणों द्वारा ओह्म के नियम को आसानी से समझा जा सकता है :-

उदाहरण 1 :-
किसी किसी DC परिपथ में एक 10 Ω के प्रतिरोधक में से 2 A धारा का प्रवाह हो रहा है तो उस प्रतिरोधक के सिरों पर विभवान्तर का मान क्या होगा ?
हल-
प्रतिरोध (R) = 10 Ω
विधुत धारा (I) = 2 A
अतः विभवान्तर (V) = I X R
V = 2 X 10 = 20V

उदाहरण 2 :-
किसी DC परिपथ में एक 3 Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर का मान 15 V है तो परिपथ में प्रवाहित धारा का मान क्या होगा ?
हल- 
प्रतिरोध (R) = 3 Ω
विभवान्तर (V) = 15 V
अतः धारा (I) =

I=VR

I=153

I=5 A

I=153

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