ओह्म के नियम सम्बन्धी पद Ohm’s law related terms

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद Ohm's law related terms

ओह्म का नियम DC परिपथों में प्रतिरोध (R), धारा (I) तथा विभवान्तर (V) से सम्बंधित नियम है जिसे जर्मन के एक वैज्ञानिक जी.एस.ओम के द्वारा बनाया गया था इस लिए इस नियम का नाम “ओह्म का नियम” रखा गया |  ओह्म के नियम को विस्तार से हमारी अन्य पोस्ट “ओह्म का नियम” में समझाया गया है |

ओह्म के नियम को कुछ स्थानों पर नहीं लगाया जा सकता अर्थात इसकी कुछ सीमायें हैं जो निम्न प्रकार हैं :-

  • निर्वात बल्बों में ओह्म का नियम लागू नहीं होता |
  • ऐसी धातु पर ओह्म का नियम लागू नहीं होता जिनमे से विधुत धारा गुजारने पर वो अत्यधिक गर्म होती हैं क्योंकि गर्म होने पर धातुओं का प्रतिरोध एक समान नहीं रहता
  • आर्क लैम्प में ओह्म का नियम लागू नही होता |
  • अर्धचालकों में ओह्म का नियम लागू नही होता |
  • डायोड व ट्रांजिस्टर इत्यादि पर ओह्म का नियम लागू नहीं होता क्योंकि इनमे केवल एक तरफ धारा का प्रवाह होता है, दूसरी तरफ या तो बहुत कम प्रवाह होता है अथवा बिलकुल नहीं होता |
  • ऐसे प्रयोगों में ओह्म का नियम लागू नही होता जिनमे किसी इलैक्ट्रोड से अत्यधिक गैसें निकलती हैं |
  • AC (प्रत्यावर्ती धारा) में ओह्म का नियम लागु नहीं होता | AC में ओह्म का नियम लगाने के लिए R के स्थान पर Z लिया जाता है |
  • गैर-रैखिक घटकों (non-linear Components) पर ओह्म का नियम लागू नही होता | गैर-रैखिक घटक वे होते हैं जिनमें करंट, प्रभावी वोल्टेज के  समानुपाती नहीं होता है, जैसे- कैपेसिटेंस, थाइरिस्टर, इलेक्ट्रिक आर्क इत्यादि |

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद

प्रतिरोध | Resistance

किसी पदार्थ का वह गुण जो उसमे से गुजरने वाली विधुत धारा के प्रवाह का विरोध करता है, प्रतिरोध कहलाता है | प्रतिरोध को R से दर्शाया जाता है तथा इसकी इकाई ओह्म (Ω) है |

प्रतिरोधक | Resistor

ऐसा पदार्थ जो विधुत धारा के प्रवाह में एक निश्चित मान का प्रतिरोध उत्पन्न करे, प्रतिरोधक (resistor) कहलाता है | प्रतिरोधक विभिन्न मानों के बनाये जाते हैं, जैसे 1Ω, 100µΩ, अथवा 2KΩ इत्यादि |

प्रतिरोधक व प्रतिरोध में अंतर :-

कुछ छात्रों को “प्रतिरोधक” व “प्रतिरोध” के नाम में भ्रम पैदा होता हैं | प्रतिरोधक एक अवयव अथवा पुर्जा होता है जो इलेक्ट्रॉनिक/इलेक्ट्रिकल परिपथों में लगाया जाता है जो कि करंट के प्रवाह को कम करने का काम करता है | तथा प्रतिरोधक के करंट के प्रवाह को कम करने के गुण को प्रतिरोध कहते हैं |

प्रतिरोध सम्बन्धी कारक | Resistance factors

किसी भी चालक/अचालक/अर्धचालक का प्रतिरोध हमेशा समान नहीं होता, प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले वाले कारक निम्न प्रकार हैं जिन पर किसी भी चालक/अचालक/अर्धचालक का प्रतिरोध निर्भर करता है |

  • चालक की मोटाई- किसी भी चालक का प्रतिरोध उसकी मोटाई पर निर्भर करता है | चालक का प्रतिरोध उसकी मोटाई अथवा अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता है अर्थात चालक की मोटाई बढ़ाने पर प्रतिरोध कम हो जाता है तथा चालक की मोटाई कम होने पर प्रतिरोध अधिक हो जाता है |
    उदाहरण- माना किसी 1mm² के चालक का प्रतिरोध 1Ω है तो समान लम्बाई तथा समान पदार्थ के 2mm² के चालक का प्रतिरोध 0.5Ω होगा |
  • चालक की लम्बाई- किसी भी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई पर भी निर्भर करता है | चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती होता है अर्थात चालक की लम्बाई बढ़ाने पर प्रतिरोध भी बढ़ जाता है तथा चालक की लम्बाई घटाने पर प्रतिरोध भी घट जाता है |
    उदाहरण- माना किसी 1 मीटर लम्बाई के चालक का प्रतिरोध 1Ω है तो समान मोटाई तथा समान पदार्थ के 2 मीटर लम्बाई के चालक का प्रतिरोध 2Ω होगा |

    R ∝ l/a
    यहां- R= प्रतिरोध,   l= चालक की लम्बाई,   a= चालक का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल
  • पदार्थ- चालक का प्रतिरोध चालक के पदार्थ पर भी निर्भर करता है | अलग-अलग पदार्थ के अलग-अलग गुण होते हैं, उसी प्रकार अलग-अलग पदार्थों का प्रतिरोध भी अलग-अलग होता है | 
    जैसे-  अन्य कारक समान होने पर एक तांबे के तार का प्रतिरोध, एल्युमीनियम के तार के प्रतिरोध से कम होता है तथा एक एल्युमीनियम के तार का प्रतिरोध लोहे के तार के प्रतिरोध से कम होता है | इसीलिए कम प्रतिरोध होने के कारण अधिकतर तांबे के तार का प्रयोग किया जाता है |
  • तापमान- चालक का प्रतिरोध उसके तापमान पर भी निर्भर करता है | धातुओं का प्रतिरोध तापमान बढ़ने से बढ़ जाता है, तथा प्रतिरोधकों का प्रतिरोध तापमान बढ़ने से घट जाता है |

विशिष्ट प्रतिरोध | Specific resistance :-

किसी पदार्थ के इकाई घन की आमने-सामने की फलकों के बीच का प्रतिरोध उस पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता (Resistivity) कहलाता है | साधारण शब्दों में कहें तो किसी पदार्थ के एक मीटर लम्बे, एक मीटर चौड़े तथा एक मीटर उंचे (एक घन मीटर) टुकड़े के आमने-सामने के फलकों के बीच मापा गया प्रतिरोध उस पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहलाता है जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है | विशिष्ट प्रतिरोध का प्रतीक Rho (ρ) तथा इसका SI मात्रक ओह्म मीटर है व इसे ओह्म सेमी तथा ओह्म इंच में भी मापा जाता है |

Specific resistance or resistivity

उदाहरण- तांबे का विशिष्ट प्रतिरोध 1.7/100000000 Ωm है अर्थात ताम्बे के एक मीटर लम्बे, एक मीटर चौड़े तथा एक मीटर उंचे टुकड़े के आमने-सामने के फलकों के बीच प्रतिरोध 1.7/100000000 = 0.000000017 Ω होता है |

itiale.in

चालकता | Conductivity :-

किसी पदार्थ का अपने में से विधुत धारा के प्रवाह को सुगमता प्रदान करने का गुण चालकता अथवा विधुत चालकता अथवा विशिष्ट चालकता कहलाता है अर्थात जिस पदार्थ की चालकता जितनी अधिक होगी उसमे से विधुत धारा का प्रवाह उतना ही सुगमता से होगा | चालकता, प्रतिरोधकता का विपरीत होता है अर्थात जिस पदार्थ की चालकता जितनी अधिक होगी उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा तथा चालकता जितनी कम होगी प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा | जिस प्रकार प्रतिरोध, पदार्थ में से विधुत धारा को बहने से से रोकता है उसी प्रकार चालकता, विधुत धारा के प्रवाह को सुगमता प्रदान करती है |

चालकता की इकाई ℧ (Mho) होती है | (जबकि प्रतिरोध की इकाई Ω (Ohm) होती है ) चालकता को G से दर्शाया जाता है |

G=1R

हां
G=चाता
R=प्रतिरो

“ओह्म के नियम सम्बन्धी पद” पोस्ट में हमने ओह्म के नियम सम्बन्धी पदों का अध्यन किया है | ओह्म के नियम का अध्यन एक अन्य पोस्ट “ओह्म का नियम” में किया गया है |

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद ओह्म के नियम सम्बन्धी पद

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विधुत वायरिंग करने के बाद एक विधुत्कार (Electrician) को विभिन्न परीक्षण करने होते हैं | एक अच्छे विधुत्कार को आवश्यक परीक्षण करने के बाद ही वायरिंग को विधुत स्त्रोत से जोड़ना चाहिए | 

एक विधुत्कार को वायरिंग करने के बाद निम्न परीक्षण करने चाहियें :-

1. खुला परिपथ अथवा निरंतरता परीक्षण (Open circuit or continuity test)
2. लघु परिपथ परीक्षण (Short circuit test)
3. ध्रुवता परीक्षण (Polarity test)
4. अर्थ परीक्षण (Earth test)
5. प्रतिरोध अथवा इंसुलेशन परीक्षण (Insulation test) 

1. खुला परिपथ अथवा निरंतरता परीक्षण (Open circuit or continuity test)

खुला परिपथ अथवा निरंतरता परीक्षण को अधिष्ठापन / वायरिंग (Wiring) पर आवश्यक रूप से करना चाहिए | इस परीक्षण में वायरिंग में खुला परिपथ की जाँच की जाती है जैसे किसी तार का टूट जाना अथवा कोई टर्मिनल खुला/ढीला रहना इत्यादि | 

खुला परिपथ अथवा निरंतरता परीक्षण को निम्न चित्रानुसार व निम्न बिन्दुओं के अनुसार किया जाता है :-

1. मुख्य बोर्ड व वितरण बोर्ड के सभी फ्यूज निकाल दें |
2. सभी पंखे, लैम्प इत्यादि को लगे रहने दें |
3. सभी सॉकेट को एक जम्पर तार द्वारा लघु पथित (Short circuit) कर दें |
4. सभी स्विच ऑफ (Off) कर दें |
5. मैगर के E व L सिरों को वितरण बोर्ड से वायरिंग की तरफ जाने वाले क्रमशः न्यूट्रल व फेज तार से जोड़ दें |
6. मैगर को चालू कर दें |
7. अब सभी स्विचों को एक-एक कर चालू (On) करके बंद (Off) करें |

स्विच के चालू होने पर मैगर 0Ω प्रतिरोध दर्शायेगा तथा ऑफ होने पर ∞ (अनन्त) प्रतिरोध दर्शायेगा | अगर किसी स्विच के चालू होने पर भी ∞ (अनन्त) प्रतिरोध दर्शा रहा है तो उस परिपथ में खुला परिपथ दोष है | अतः खुला परिपथ दोष को दूर कर फिर से उपरोक्त जाँच करें तथा जाँच ठीक प्रकार से होने पर सभी सॉकेट का जम्पर निकाल दें तथा सभी फ्यूज लगा दें तत्पश्चात अन्य सभी आवश्यक परीक्षण कर विधुत सप्लाई चालू करें |

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

Open circuit test

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2. लघु परिपथ परीक्षण (Short circuit test)

इस परीक्षण को भी अधिष्ठापन / वायरिंग (Wiring) पर आवश्यक रूप से करना चाहिए | इस परीक्षण में वायरिंग में लघु परिपथ की जाँच की जाती है जैसे फेज तार से न्यूट्रल अथवा अर्थ तार का छू जाना |

लघु परिपथ परीक्षण को निम्न चित्रानुसार व निम्न बिन्दुओं के अनुसार किया जाता है :-

1. मुख्य स्विच को बंद (off) कर दें तथा मुख्य फ्यूज निकाल दें |
2. सभी सीलिंग रोज से पंखों के तार हटा दें, सभी लैम्प व अन्य लोड भी हटा दें |
3. सभी स्विचों को चालू कर दें |
4. मुख्य स्विच से वायरिंग की तरफ जाने वाले न्यूट्रल व फेज तारों से मैगर के क्रमशः  E व L सिरों को  जोड़ दें |
5. मैगर को चालू कर जाँच करें | 

यदि मैगर 1MΩ या अधिक प्रतिरोध दर्शाए तो शोर्ट सर्किट दोष नहीं है व इंसुलेशन भी पर्याप्त है | मैगर 0Ω दर्शाए तो वायरिंग में लघु पथन दोष है और अगर 0Ω से 1MΩ के मध्य प्रतिरोध दर्शाए तो वायरिंग का प्रतिरोध पर्याप्त नहीं है |

इसी प्रकार जैसे न्यूट्रल व फेज के मध्य जाँच की है उसी प्रकार अर्थ व फेज के मध्य भी जाँच करें | दोष होने पर एक-एक परिपथ की जाँच करें, जिस परिपथ का प्रतिरोध 1MΩ से कम दर्शाए तो समझो उस परिपथ में दोष है | परिपथ के दोष को ठीक कर फिर से जाँच कर विधुत सप्लाई चालू करें |

Short circuit test ITIWALE

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

 

3. ध्रुवता परीक्षण (Polarity test)

एक अच्छा विधुत्कार हमेशा इस तरह वायरिंग करता है कि फेज तार स्विच से नियंत्रित हो, फेज तार में फ्यूज, MCB इत्यादि परिपथ वियोजक (Circuit breaker) लगे हों तथा सभी सॉकेट के दायें बिंदु में फेज तार लगा हो, बाएं बिंदु में न्यूट्रल तार लगा हो तथा ऊपर बीच वाले बिंदु में अर्थ तार लगा हो (सामने से देखने पर) | इन सभी की जाँच करने के लिए ध्रुवता परीक्षण (Polarity test) किया जाता है | 

ध्रुवता उलटी होने पर वायरिंग में लघु परिपथ होने की अधिक सम्भावना होती है तथा सुरक्षा की द्रष्टि से भी उलटी ध्रुवता ठीक नहीं होती है |

ध्रुवता परीक्षण को मल्टीमीटर, फेज टेस्टर अथवा टेस्ट लैंप की सहायता से निम्न प्रकार किया जाता है | 

i. टेस्ट लैम्प द्वारा ध्रुवता परीक्षण (Polarity test by test lamp)

टेस्ट लैंप द्वारा तथा मल्टीमीटर द्वारा वायरिंग के ध्रुवता परीक्षण की विधि एक समान ही हैं | टेस्ट लैंप द्वारा वायरिंग का ध्रुवता परीक्षण निम्न प्रकार किया जाता है :-
1. मुख्य वितरण बोर्ड की सभी MCB चालू कर अथवा फ्यूज लगाकर विधुत सप्लाई चालु कर दें |
2. सभी स्विच ऑफ कर दें, केवल सॉकेट के स्विच चालू रखें |
3. टेस्ट लैंप की लीड का एक सिरा अर्थ से लगायें तथा दूसरे सिरे को स्विच के नीचे वाले बिंदु व सॉकेट के दायें बिन्दुओं पर लगा-लगाकर देखें, यदि टेस्ट लैंप रौशनी देता है तो ध्रुवता सही है अथवा रौशनी नहीं देने की स्थिति में मुख्य सप्लाई के फेज व न्यूट्रल के कनेक्शन बदलकर पुनः जाँच करें | 

Polarity test

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

ii. मल्टीमीटर द्वारा ध्रुवता परीक्षण (Polarity test by multimeter)

मल्टीमीटर द्वारा तथा टेस्ट लैंप द्वारा वायरिंग का ध्रुवता परीक्षण समान प्रकार से किया जाता है | मल्टीमीटर द्वारा ध्रुवता परीक्षण निम्नं प्रकार किया जाता है :-

1.  मुख्य वितरण बोर्ड की सभी MCB चालू कर अथवा फ्यूज लगाकर विधुत सप्लाई चालु कर दें |
2. सभी स्विच ऑफ कर दें, केवल सॉकेट के स्विच चालू रखें |
3.  मल्टीमीटर की नोब का चयन 500 volt पर करें |
4.  मल्टीमीटर की लीड का एक सिरा अर्थ से लगायें तथा दूसरे सिरे को स्विच के नीचे वाले बिंदु व सॉकेट के दायें बिन्दुओं पर लगा-लगाकर देखें, ध्रुवता सही होने पर मल्टीमीटर 200 से 300 वोल्टेज के मध्य दर्शायेगा अथवा 0 वोल्ट दर्शाने की स्थिति में मुख्य सप्लाई के फेज व न्यूट्रल के कनेक्शन बदलकर पुनः जाँच करें | 

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

iii. फेज टेस्टर द्वारा ध्रुवता परीक्षण (Polarity test by phase tester)

फेज टेस्टर को नियोन टेस्टर के नाम से भी जाना जाता है | फेज टेस्टर द्वारा वायरिंग का ध्रुवता परीक्षण निम्न प्रकार किया जाता है :-

1.  मुख्य वितरण बोर्ड की सभी MCB चालू कर अथवा फ्यूज लगाकर विधुत सप्लाई चालु कर दें |
2.  सभी स्विच ऑफ कर दें, केवल सॉकेट के स्विच चालू रखें |
3.  फेज टेस्टर के ऊपर लगे पेंच/टोपी को हाथ से स्पर्श करते हुए फेज टेस्टर की टिप को स्विचों के निचे वाले बिंदु तथा सॉकेट के दायें बिन्दुओं पर लगाकर देखें, यदि फेज टेस्टर रौशनी देता है तो ध्रुवता सही है | फेज टेस्टर द्वारा रौशनी नहीं देने की स्थति में मुख्य सप्लाई के फेज व न्यूट्रल के कनेक्शन बदलकर पुनः जाँच करें | 

Polarity test by phase tester

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

4. अर्थ परीक्षण (Earth test)

एक अच्छा विधुत्कार विधुत वायरिंग करते समय अर्थ की स्थापना भी करता है और सभी धात्विक उपकरणों/मशीनों व सोकिटों के अर्थ बिंदु को अर्थ से भली प्रकार जोड़ता है | लेकिन अर्थ की स्थापना भली प्रकार नहीं होने, जोड़ ढीले होने अथवा जोड़ों पर कोरोजन आ जाने के कारण अर्थिंग से कोई विशेष लाभ नहीं मिलता है | 

अतः समय-समय पर अर्थ की जाँच करना आवश्यक है | अर्थ टेस्टर से जाँच करने पर अर्थ प्रतिरोध का मान 5Ω से अधिक नहीं होना चाहिए | अर्थ टेस्टर द्वारा अर्थ की जाँच निम्न प्रकार की जाती है :-

1.  अर्थ इलेक्ट्रोड से सभी कनेक्शन हटा दें |
2. अर्थ टेस्टर के ‘दाब स्पाइक’ को मुख्य इलेक्ट्रोड से 12.5 मीटर की दूरी पर तथा ‘धारा स्पाइक’ को मुख्य इलेक्ट्रोड से 25 मीटर की दूरी पर निम्न चित्र के अनुसार गाड़ें |
3.  चित्र के अनुसार सभी कनेक्शन करें |
4.  अर्थ टेस्टर को चालू करें |
5.  अर्थ टेस्टर में पठन को पढ़ें |
6.  इसी प्रकार मुख्य इलेक्ट्रोड से अन्य दिशाओं में भी दाब व धारा स्पाइक को गाड़कर जाँच करें | सभी मानों का ओसत मान ही अर्थ का प्रतिरोध होगा | अर्थ का प्रतिरोध 5Ω अथवा 5Ω से कम है तो अर्थ ठीक है तथा अगर अर्थ का मान 5Ω से अधिक है तो अर्थ में चारकोल व पानी इत्यादि डाल कर अर्थ को ठीक करें |

Earth testing

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

5. प्रतिरोध अथवा इंसुलेशन परीक्षण (Insulation test)

यह परिक्षण लघु परिपथ परिक्षण की भांति ही किया जाता है | प्रतिरोध अथवा इंसुलेशन के निम्न दो परीक्षण किये जाते हैं :-

1. तारों/चालकों के मध्य परीक्षण
2. चालकों व अर्थ के मध्य परीक्षण

i. तारों/चालकों के मध्य परीक्षण

इस परीक्षण में यह जाँच की जाती है कि फेज व न्यूट्रल तार के मध्य कितना प्रतिरोध है | इस परीक्षण को निम्न प्रकार किया जाता है :-

1.  मुख्य स्विच को बंद (off) कर दें तथा मुख्य फ्यूज निकाल दें |
2. वायरिंग में लगे सभी भार (जैसे पंखे, लैम्प व अन्य भार) हटा दें |
3.  सभी स्विच चालू कर दें |
4.  मेगर की एक लीड को फेज तार से जोड़ें तथा दूसरी लीड को न्यूट्रल तार से जोड़ें |
5.  मेगर को चालू करें तथा पठन की जाँच करें |
6.  प्रतिरोध का मान 1MΩ अथवा अधिक होना चाहिए | प्रतिरोध का मान कम होने की स्थिति में तारों की इंसुलेशन की जाँच करें | लघु परिपथ की स्थिति में मेगर शून्य मान दर्शायेगा |

Insulation test between phase and nyutral

ii. चालकों व अर्थ के मध्य परीक्षण

इस परीक्षण में यह जाँच की जाती है कि फेज न्यूट्रल व अर्थ के मध्य कितना प्रतिरोध है | इस परीक्षण को निम्न प्रकार किया जाता है :-

1.  मुख्य स्विच को बंद कर दे तथा मुख्य फ्यूज निकाल दें |
2. वायरिंग में लगे सभी भार (जैसे पंखे, लैम्प व अन्य भार) हटा दें |
3.  सभी स्विच चालू कर दें |
4. मुख्य स्विच से वायरिंग की तरफ जाने वाले फेज व न्यूट्रल तारों को आपस में लघु परिपथ कर दें |
5.  मेगर की एक लीड को लघु परिपथ किये गए फेज व न्यूट्रल तार से जोड़ें तथा दूसरी लीड को अर्थ से जोड़ें |
6.  मेगर को चालू करें तथा पठन की जाँच करें |
7.  प्रतिरोध का मान 1MΩ अथवा अधिक होना चाहिए | प्रतिरोध का मान कम होने की स्थिति में तारों की इंसुलेशन की जाँच करें | लघु परिपथ की स्थिति में मेगर शून्य मान दर्शायेगा |

Insulation test between phase nyutral and earth

वायरिंग के विभिन्न परीक्षण

itiale.in

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