कृत्रिम श्वसन प्रक्रिया | Artificial respiration process
जब किसी दुर्घटना (जैसे आग लगने के कारण दम घुटना, बिजली का झटका लगना व पानी में डूबना इत्यादि) के कारण कोई व्यक्ति स्वयं स्वांस लेने में सक्षम नहीं होता है तो उसकी जान बचाने के लिए उसे कृत्रिम स्वांस दी जाती है |
कृत्रिम श्वसन एक नकली श्वसन की तरह है जिसे हम पीड़ित व्यक्ति की स्वांस प्राकृतिक रूप से शुरू होने तक देते है उसके कुछ समय पश्चात कृत्रिम श्वसन प्रक्रिया बंद कर दी जाती है, लेकिन प्राकृतिक श्वसन शुरू होने के बाद भी पीड़ित पर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कई बार पीड़ित की स्वांस फिर से बंद हो जाती है | किसी भी व्यवसाय, उधोग तथा कार्यशाला में कार्मिकों तथा प्रशिक्षार्थियों को कृत्रिम श्वसन प्रक्रिया का प्रशिक्षण देना आवश्यक है जिससे आवश्यकता पड़ने पर वे पीड़ित को कृत्रिम स्वांस देकर उसकी जान बचा सकें |
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कृत्रिम श्वसन की मुख्य 4 विधियां जिनका वर्णन निम्न प्रकार है :-
Artificial respiration process
- मुहं से मुहं अथवा लाबोर्ड विधि | Mouth to mouth or laborde method
- सिल्वेस्टर विधि | Sylvester method
- शैफर विधि | Schaffer method
- कृत्रिम श्वसन यंत्र द्वारा | By Artificial respiration instrument
1. मुहं से मुहं अथवा लाबोर्ड विधि | Mouth to mouth or laborde method
पीड़ित की पसलियां या सीने की कोई हड्डी टूटने की स्थिति में कृत्रिम श्वसन प्रक्रिया की मुहं से मुहं अथवा लाबोर्ड विधि ही सर्वोत्तम विधि है | इस विधि में पीड़ित के मुहं में से हवा देने पर उसके फेंफडों में हवा जाती है तथा मुहं हटा लेने पर फेंफडों की हवा बाहर निकल जाती है | यह सबसे अधिक प्रचलित तथा प्रभावशाली विधि है | इस विधि को तुरंत शुरू किया जा सकता है |
इस विधि की प्रक्रिया निम्न प्रकार है :-
- सर्वप्रथम पीड़ित के मुहं की जांच करें | मुहं में कोई पदार्थ हो तो उसे निकाल दें, (जैसे गुटखा, सुपारी इत्यादि) जिससे श्वसन मार्ग अवरुद्ध ना हो तथा सुनिश्चित करें की पीड़ित का श्वसन मार्ग साफ़ हो |
- पीड़ित ने तंग कपड़े पहने हुए हैं तो उन्हें ढीले कर दें |
- ठण्ड का समय हो तो पीड़ित को कम्बल से ढक दें |
- पीड़ित के कंधों के नीचे तकिया या कुशन लगाकर थोडा ऊपर उठा दें जिससे मुहं पीछे की और लटक जाये |
- पीड़ित के बगल में घुटनों के बल बैठ जायें |
- पीड़ित में मुहं पर एक साफ़ और पतला कपडा डाल दें |
- पीड़ित की नाक को एक हाथ से बंद करके उसके मुहं में अपने मुहं से झटके से हवा भरें ताकि उसके फेंफडों में हवा भर जाये |
- अब अपना मुहं हटा लें जिससे पीड़ित के फेंफडों से हवा बाहर निकल जाये |
- उक्त प्रक्रिया को एक मिनट में 10-12 बार तब तक दोहराएं जब तक पीड़ित स्वयं स्वांस ना लेने लग जाये |
Artificial respiration process

2. सिल्वेस्टर विधि | Sylvester method
कृत्रिम श्वसन प्रक्रिया की सिल्वेस्टर विधि में पीड़ित को पीठ के बल लिटाया जाता है | इस विधि का प्रयोग तब किया जाता है जब पीड़ित के पेट पर छाले पड़े हो, घाव हो अथवा पीड़ित एक गर्भवती महिला हो |
सिल्वेस्टर विधि में पीड़ित के सीने पर दबाव डालने पर फेंफडों के अन्दर की वायु बाहर निकल जाती है तथा दबाव हटाने पर बाहर की वायु अन्दर चली जाती है | सिल्वेस्टर विधि की प्रक्रिया निम्न प्रकार है :-
- सर्वप्रथम पीड़ित के मुहं की जांच करें | मुहं में कोई पदार्थ हो तो उसे निकाल दें, (जैसे गुटखा, सुपारी इत्यादि) जिससे श्वसन मार्ग अवरुद्ध ना हो तथा सुनिश्चित करें की पीड़ित का श्वसन मार्ग साफ़ हो |
- पीड़ित ने तंग कपड़े पहने हुए हैं तो उन्हें ढीले कर दें |
- ठण्ड का समय हो तो पीड़ित को कम्बल से ढक दें |
- पीड़ित के कंधों के नीचे तकिया या कुशन लगाकर थोडा ऊपर उठा दें |
- पीड़ित के सिर के पीछे पीड़ित की और मुहं करके घुटनों पर बैठ जायें |
- पीड़ित के दोनों हाथों को सीधा कर दें |
- नीचे दिए गए चित्र के अनुसार पीड़ित के हाथों को धीरे-धीरे मोड़कर सीने के पास लायें |
- अपने दोनों हाथों से पीड़ित के सीने पर 2-3 सेकंड तक दबाव डालकर दबाव हटा दें |
- इसके पश्चात पीड़ित के दोनों हाथों को ऊपर की और फैलाकर मुट्ठियां खोल दें |
- उक्त प्रक्रिया को एक मिनट में 10-12 बार तब तक दोहराएं जब तक पीड़ित स्वयं स्वांस ना लेने लग जाये |
Artificial respiration process


3. शैफर विधि | Schaffer method
कृत्रिम श्वसन प्रक्रिया की शैफर विधि में पीड़ित को पेट के बल लिटाया जाता है | इस विधि का प्रयोग तब किया जाता है जब पीड़ित की पीठ पर छाले पड़े हो या घाव हो |
शैफर विधि में पीड़ित की पीठ पर दबाव डालने पर फेंफडों के अन्दर की वायु बाहर निकल जाती है तथा दबाव हटाने पर बाहर की वायु अन्दर चली जाती है | शैफर विधि की प्रक्रिया निम्न प्रकार है :-
- सर्वप्रथम पीड़ित के मुहं की जांच करें | मुहं में कोई पदार्थ हो तो उसे निकाल दें, (जैसे गुटखा, सुपारी इत्यादि) जिससे श्वसन मार्ग अवरुद्ध ना हो तथा सुनिश्चित करें की पीड़ित का श्वसन मार्ग साफ़ हो |
- पीड़ित ने तंग कपड़े पहने हुए हैं तो उन्हें ढीले कर दें |
- ठण्ड का समय हो तो पीड़ित को कम्बल से ढक दें |
- पीड़ित के सिर को एक करवट कर दें |
- पीड़ित के हाथों को सिर की और सीधा कर दें |
- चित्र के अनुसार पीड़ित के घुटनों के ऊपर अपने घुटनों के बल बैठ जायें, लेकिन पीड़ित के पैरों पर दबाव ना दें |
- चित्र के अनुसार अपने दोनों हाथों को पीड़ित की पीठ पर इस प्रकार रखें (घावों को बचाते हुए) कि अंगूठे रीढ़ की तरफ रहें तथा उंगलियां बगल में रहें |
- अब अपने दोनों हाथों से पीड़ित की पीठ पर 2 सेकेंड के लिए दबाव डाल कर हटा दें |
- उक्त प्रक्रिया को एक मिनट में 10-12 बार तब तक दोहराएं जब तक पीड़ित स्वयं स्वांस ना लेने लग जाये |
Artificial respiration process

4. कृत्रिम श्वसन यंत्र द्वारा | By Artificial respiration instrument
कृत्रिम श्वसन प्रक्रिया की इस विधि में पीड़ित को पीठ के बल लिटाकर कृत्रिम श्वसन यंत्र द्वारा स्वांस दी जाती है | यह बहुत आसान विधि है |
कृत्रिम श्वसन यंत्र विधि की प्रक्रिया निम्न प्रकार है :-
- सर्वप्रथम पीड़ित के मुहं की जांच करें | मुहं में कोई पदार्थ हो तो उसे निकाल दें, (जैसे गुटखा, सुपारी इत्यादि) जिससे श्वसन मार्ग अवरुद्ध ना हो तथा सुनिश्चित करें की पीड़ित का श्वसन मार्ग साफ़ हो |
- पीड़ित ने तंग कपड़े पहने हुए हैं तो उन्हें ढीले कर दें |
- ठण्ड का समय हो तो पीड़ित को कम्बल से ढक दें |
- यंत्र को पीड़ित के मुहं पर लगायें |
- अब यंत्र में दिए गए रबड़ वाल्व को दबाएं तथा छोड़ें | वाल्व को दबाने पर बाहर की हवा फेंफडों के अन्दर जाती है तथा वाल्व को छोड़ने पर फेंफडों की हवा बाहर आती है | (इस यंत्र में इनलेट तथा आउटलेट वाल्व की ऐसी व्यवस्था होती है कि वाल्व को प्रत्येक बार दबाने व छोड़ने पर फेंफडों की हवा वाल्व में ना रहकर बाहर निकल जाती है तथा बाहर की हवा फेंफडों में जाती है |
- इस प्रक्रिया को एक मिनट में 15-20 बार तब तक दोहराएं जब तक पीड़ित स्वयं स्वांस ना लेने लग जाये |

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