वैधुतिक वायरिंग की प्रणालियां | Electrical wiring systems
वैधुतिक वायरिंग की प्रणालियां
Electrical wiring systems
विभिन्न स्थानों जैसे उधोग, मकान, दुकान, मेले, समारोह इत्यादि में विधुत के उपभोग के लिए 2 वायरिंग प्रणालियां अपनाई जाती हैं जो निम्न प्रकार हैं :-
1. वृक्ष प्रणाली (Tree system) 2. वितरण प्रणाली (Distribution system)
1. वृक्ष प्रणाली |Tree system
जिस प्रकार वृक्ष के तने से अनेक शाखाएं तथा इन शाखाओं से अनेक उपशाखाएं निकलती हैं, उसी प्रकार वायरिंग की इस प्रणाली में भी मेन लाइन में जोड़ लगाकर अनेक शाखाएं (परिपथ) निकाली जाती हैं तथा इन शाखाओं से भी अनेक छोटी-छोटी उप-शाखाएं निकाली जाती हैं, इसलिए इसे वृक्ष प्रणाली (Tree system) कहते हैं | निकाली गई सभी शाखाओं में अलग-अलग फ्यूज अथवा MCB लगा दी जाती हैं |
उपयोग- इस प्रणाली का उपयोग अस्थाई वायरिंग के लिए किया जाता है | जैसे- मेले, उत्सव, समारोह इत्यादि में की जाने वाली वायरिंग |
वायरिंग की वृक्ष प्रणाली में निम्न दो विधियां काम में ली जाती हैं :-
जैसा की इसके नाम से स्पस्ट है इस विधि में मुख्य परिपथ से अन्य शाखाएं तथा उपशाखायें जोड़ने के लिए संयोजकों (Connectors) का प्रयोग किया जाता है | इस विधि में तार में कट लगाकर सीधे ही तार को ना जोड़कर संयोजक से तार को जोड़कर ऊपर से PVC टेप लगा दी जाती है |
(b) जोड़ विधि | Joint Method
यह भी संयोजन विधि के समान ही होती है, लेकिन इसमें जोड़ों पर संयोजक ना लगाकर तार में कट लगाकर सीधे ही दूसरे तार को जोड़ दिया जाता है तथा ऊपर से PVC टेप लगा दी जाती है |
वृक्ष प्रणाली के गुण व अवगुण :-
गुण :
1. कम लागत लगती है क्योंकि इसमें कम केबल लगती है | 2. वायरिंग करने में कम समय लगता है |
अवगुण :-
1. इस वायरिंग में MCB अथवा फ्यूज अलग-अलग जगह पर होते हैं इसलिए दोष आने पर खोजना कठिन होता है | 2. परिपथ में जैसे-जैसे उपशाखायें जोड़ते जाते हैं वैसे-वैसे आगे बढ़ने पर परिपथ की वोल्टेज कम होती जाती है | 3. वायरिंग बिखरी होने के कारण आग लगने का खतरा रहता है | 4. देखने में भद्दी लगती है |
वैधुतिक वायरिंग की प्रणालियां
2. वितरण प्रणाली | Distribution system
वर्तमान में व्यवसायिक व घरेलु वैधुतिक वायरिंग में अधिकांस वितरण प्रणाली (Distribution system) का उपयोग किया जाता है | इस प्रणाली में ऊर्जा मीटर से विधुत लाइन मुख्य वितरण बोर्ड में आती है, मुख्य वितरण बोर्ड से उप वितरण बोर्डों में चली जाती है | आवश्यकता अनुसार वितरण बोर्डों का उपयोग करने के कारण इस वायरिंग में जोड़ नहीं होते |
जैसे कई मंजिल वाले मकान में एक मुख्य वितरण बोर्ड होता है तथा प्रत्येक मंजिल के लिए अलग-अलग उप-वितरण बोर्ड (Sub-distribution boards) होते है | प्रत्येक वितरण बोर्ड में आवश्यकता के अनुसार फ्यूज/MCB लगा दी जाती हैं | किसी भी मंजिल के किसी भी कक्ष की विधुत सप्लाई बंद करने के लिए उससे सम्बंधित वितरण बोर्ड में से सम्बंधित MCB को बंद (Off) कर दिया जाता है |
उपयोग- इस वायरिंग को घरों, दुकानों व उधोगों इत्यादि में स्थाई वायरिंग के रूप में किया जाता है |
वितरण प्रणाली के गुण व अवगुण :-
गुण :
1. अलग-अलग शाखा के अलग-अलग वितरण बोर्ड होने के कारण दोष खोजना आसान होता है | 2. परिपथों में आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है | 3. वायरिंग के सभी बिन्दुओं पर लगभग समान वोल्टेज मिलती है |
अवगुण :-
1. अधिक लागत लगती है |
वैधुतिक वायरिंग की प्रणालियां
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