परिपथ के प्रकार | Types of circuits

Types of circuits

परिपथ के प्रकार | Types of circuits

विधुत धारा के प्रवाह के लिए बनाया गया एक बंद मार्ग विधुत परिपथ कहलाता है | इसमें धारा प्रवाहित होती है अथवा प्रवाहित होने का प्रयास करती है | परिपथ कई प्रकार के होते हैं जिन्हें निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है :-

1. पैरामीटर के आधार पर परिपथ के प्रकार (Types of Circuits Based on Parameters)

परिपथों का निर्माण रेखिक और गैर-रेखिक घटकों द्वारा किया किया जाता जिनके आधार पर निम्न दो प्रकार के परिपथ होने हैं :- 

A. रेखीय परिपथ (Linear circuit)
B. गैर-रेखीय परिपथ (Non-Linear circuit)

A. रेखीय परिपथ (Linear circuit)

स्थिर पैरामीटर वाले परिपथों को रेखीय परिपथ कहते हैं अर्थात इस प्रकार के परिपथ के पैरामीटर स्थिर होते हैं जैसे- किसी प्रतिरोधक में से बहने वाली धारा उसके सिरों पर लगाये गए विभवान्तर के समानुपाती होती है, जिसे ओह्म के नियम से सिद्ध किया जाता है | अर्थात यदि इस परिपथ पर आरोपित वोल्टेज को बढ़ाया जाता है तो धारा का मान भी बढ़ जाता है और आरोपित वोल्टेज का मान घटाया जाता है तो धारा का मान भी कम हो जाता है |

रेखीय परिपथ की गणनाएं करना आसान होता है |

रेखीय घटकों के उदाहरण- प्रतिरोधक, संघारित्र (Capacitor),  इत्यादि |

B. गैर-रेखीय परिपथ (Non-Linear circuit)

अस्थिर पैरामीटर वाले परिपथों को गैर-रेखीय या अरेखीय परिपथ कहते हैं अर्थात इस प्रकार के परिपथ के पैरामीटर वोल्टेज व धारा के साथ बदलते रहते हैं | ये परिपथ ओह्म के नियम का पालन नहीं करते हैं |

गैर-रेखीय परिपथ की गणनाएं करना अपेक्षाकृत कठिन होता है | इसकी गणना करने के लिए बहुत सारे तथ्यों और जानकारी की आवश्यकता होती है |

गैर-रेखीय घटकों के उदाहरण वेक्यूम ट्यूब, ट्रांसफार्मर, एकीकृत सर्किट (IC), लोह कोर, ट्रांजिस्टर, डायोड, सेंसर इत्यादि |

2. धारा के प्रवाह के आधार परिपथ के प्रकार (Types of circuits based on flow of current)

धारा के प्रवाह के आधार पर निम्न 2 प्रकार के परिपथ होते हैं :-
A. एक तरफा परिपथ (Unilateral circuit)
B. दो तरफ़ा परिपथ (Bilateral circuit)

A. एक तरफा परिपथ (Unilateral circuit)

जिस परिपथ में धारा का प्रवाह केवल एक ही दिशा में होता है वह एक तरफा परिपथ कहलाता है | डायोड लगा हुआ परिपथ एक तरफा परिपथ होता है क्योंकि डायोड में केवल एक दिशा में ही धारा का प्रवाह हो सकता है | डायोड में धारा का प्रवाह एनोड से कैथोड की तरफ होता है |

यदि किसी डायोड के एनोड से सप्लाई का धनात्मक (+) सिरा तथा कैथोड से ऋणात्मक (-) सिरा जोड़ दिया जाये तो डायोड एक चालक की तरह कार्य करता है और इसमें से धारा का प्रवाह होने लगता है | इसी प्रकार डायोड के कैथोड से सप्लाई का धनात्मक (+) सिरा तथा एनोड से ऋणात्मक (-) सिरा जोड़ दिया जाये तो डायोड एक प्रतिरोधक (Insulator) की तरह कार्य करता है और इसमें से धारा का प्रवाह नहीं होता है अथवा बहुत कम मात्रा में होता है |

B. दो तरफ़ा परिपथ (Bilateral circuit)

जिस परिपथ में धारा का प्रवाह दोनों दिशाओं में हो सकता है, वह दो तरफ़ा परिपथ कहलाता है | एक साधारण तारों द्वारा बनाया गया परिपथ दो तरफा होता है | विधुत सप्लाई के लिए प्रयोग की गई वितरण लाइन भी दो तरफ़ा परिपथ होता है क्योंकि वितरण लाइन के प्रथम सिरे पर सप्लाई देकर अंतिम सिरे पर लोड जोड़ा जा सकता है तथा अंतिम सिरे पर सप्लाई जोड़कर प्रथम सिरे पर भी लोड जोड़ा जा सकता है |

3. घटकों को जोड़ने की विधि के आधार पर परिपथ के प्रकार (Types of circuits based on the method of connecting the components)

घटकों/अवयवों (Components) को निम्न 3 प्रकार से जोड़कर परिपथ बनाये जाते हैं :-
A. श्रेणी परिपथ (Series circuit)
B. समान्तर परिपथ (Parallel circuit)
C. श्रेणी समान्तर परिपथ (Series parallel circuit)

उपरोक्त तीनों विधियों का विस्तार से वर्णन एक अन्य पोस्ट “प्रतिरोधकों का संयोजन” में किया गया है |

A. श्रेणी परिपथ (Series circuit)

जिस परिपथ में विधुत धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही मार्ग उपलब्ध होता है वह श्रेणी परिपथ (Series circuit) कहलाता है | श्रेणी परिपथ में सभी घटकों का विभवान्तर अलग-अलग हो सकता है लेकिन सभी घटकों का धारा प्रवाह समान होता है |

श्रेणी परिपथ को निम्न चित्र में दर्शाया गया है :-

Series combination of resistors

B. समान्तर परिपथ (Parallel circuit)

जिस परिपथ में विधुत धारा के प्रवाह के लिए कई मार्ग उपलब्ध होते हैं वह समान्तर परिपथ (Parallel circuit) कहलाता है | समान्तर परिपथ में सभी घटकों का विभवान्तर समान होता है लेकिन सभी घटकों में धारा का प्रवाह भिन्न-भिन्न हो सकता है |

समान्तर परिपथ को निम्न चित्र में दर्शाया गया है :-

Parallel combination of resistors
itiwale

C. श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-parallel circuit)

श्रेणी-समान्तर परिपथ ऐसा संयोजन होता है जिसमे घटकों/अवयवों को श्रेणी व समान्तर दोनों प्रकार से संयोजित किया जाता है | इस संयोजन को मिश्रित संयोजन भी कहते हैं | मिश्रित संयोजन निम्न 2 प्रकार से होता है :-
1. समान्तर-श्रेणी परिपथ (Parallel-series circuit)
2. श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-parallel circuit)
इन दोनों परिपथों को निम्न चित्रों में दर्शाया गया है :-

Parallel-series circuit
Series-Parallel circuit

4. स्थिति अथवा दोष के आधार पर परिपथ के प्रकार (Types of circuits based on condition or fault)

स्थिति अथवा दोष के आधार पर परिपथ की निम्न 3 स्थितियां होती हैं :-
A. खुला परिपथ (Open circuit)
B. बंद परिपथ (Closed circuit)
C. लघु परिपथ (Short circuit)

बंद परिपथ ऐसी स्थिति है जिसमे परिपथ ठीक प्रकार से कार्य कर रहा होता है तथा खुला परिपथ व लघु परिपथ दोष वाली स्थिति हैं, इनमे परिपथ दोषित होने के कारण कार्य नहीं कर रहा होता हैं |

A. खुला परिपथ (Open circuit)

ऐसा परिपथ जिसका प्रतिरोध अनंत हो अथवा सामान्य से बहुत अधिक हो तो वह परिपथ खुला परिपथ कहलाता है | परिपथ में कहीं से तार टूट जाने, जोड़ खुल जाने अथवा MCB या फ्यूज उड़ जाने के कारण ऐसा हो सकता है |

खुला परिपथ होने पर परिपथ में से धारा का प्रवाह नहीं होता है तथा सभी उपकरण कार्य करना बंद कर देते हैं |

B. बंद परिपथ (Closed circuit)

जिस परिपथ में सभी अवयव ठीक प्रकार से जुड़े हों तथा किसी प्रकार का दोष नहीं हो उसे बंद परिपथ कहते हैं |

C. लघु परिपथ (Short circuit)

ऐसा परिपथ जिसका प्रतिरोध शून्य हो अथवा बहुत कम हो तो वह परिपथ लघु परिपथ कहलाता है | AC परिपथ के फेज तार से न्यूट्रल अथवा अर्थ संपर्क में आने पर ऐसा होता है | DC परिपथ में +ive तार व -ive तार आपस में मिलने पर भी लघु परिपथ होता है |

लघु परिपथ होने पर परिपथ में से अत्यधिक धारा का प्रवाह होता है जिससे, परिपथ गर्म हो जाता है तथा तारों का रोधन पिघल कर समाप्त हो सकता है तथा तार भी पिघलकर टूट सकते हैं, जिससे अन्य वस्तुओं में भी आग लग सकती है |

5. सप्लाई की प्रकृति के आधार पर परिपथ के प्रकार (Types of circuits based on nature of supply)

विधुत सप्लाई दो प्रकार की होती है 1. प्रत्यावर्ती धारा (AC) 2. दिस्ट धारा (DC) | सप्लाई के आधार पर परिपथ भी निम्न दो प्रकार के होते हैं :-
A. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC circuit ) 
B. दिस्ट धारा परिपथ (DC circuit)

A. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC circuit )

जिस परिपथ को AC सप्लाई के द्वारा प्रचालित किया जाता है उसे प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit) कहते हैं | जैसे- घरेलु व कारखानों इत्यादि की वायरिंग |

B. दिस्ट धारा परिपथ (DC circuit)

जिस परिपथ को DC सप्लाई द्वारा प्रचालित किया जाता है उसे दिस्ट धारा परिपथ (DC Circuit) कहते हैं | जैसे गाड़ियों की वायरिंग इत्यादि |

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दिष्ट धारा परिपथ | DC Circuit

dc-circuit

दिष्ट धारा परिपथ | DC Circuit

DC Circuit

विधुत धारा के प्रवाह के लिए बनाया गया एक बंद मार्ग विधुत परिपथ कहलाता है | इसमें धारा प्रवाहित होती है अथवा प्रवाहित होने का प्रयास करती है | धारा की द्रष्टि से परिपथ निम्न दो प्रकार के होते हैं :-

1. दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit)
2. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit)

दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit) में धारा की दिशा एवं मान एक समान रहता है तथा प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit) में धारा की दिशा तथा मान लगातार बदलता रहता है | इसी प्रकार जो परिपथ केवल दिष्ट धारा पर कार्य करते है उन्हें दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit) कहते हैं तथा जो परिपथ केवल प्रत्यावर्ती धारा पर कार्य करते है उन्हें प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit) कहते हैं | लेकिन इस पोस्ट में केवल DC Circuit का विवरण दिया गया है, AC Circuit का विवरण इसी ब्लॉग की एक अन्य पोस्ट में दिया गया है |

कुछ परिपथ ऐसे भी होते हैं जो AC तथा DC दोनों पर कार्य करते हैं, जैसे एक टंगस्टन बल्ब का परिपथ | एक टंगस्टन बल्ब AC तथा DC दोनों पर कार्य कर सकता है |

DC परिपथ का मुख्य अवयव प्रतिरोधक होता है जिसे ‘ओह्म मीटर’ तथा ‘व्हीटस्टोन ब्रिज’ इत्यादि से मापा जाता है | DC परिपथों की गणना ‘ओह्म के नियम’ द्वारा की जाती है | लेकिन कुछ जटिल परिपथों की गणना ‘किरचोफ के नियम’ द्वारा भी की जाती है |

परिपथ बनाने के लिए प्रतिरोधक (Resistance), संघारित्र (Capacitor) तथा प्रेरक (Inductor) इत्यादि का प्रयोग किया जाता है 

DC परिपथ निम्न 3 प्रकार के होते हैं :-

1. श्रेणी परिपथ (Series circuit)
2. समान्तर परिपथ (Parallel circuit)
3. श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-Parallel circuit) / मिश्रित परिपथ

1. श्रेणी दिष्ट धारा परिपथ ( Series DC Circuit )

Series circuit

जिस परिपथ में सभी घटक श्रेणी में जुड़े हों उस परिपथ को श्रेणी परिपथ कहते हैं | इस परिपथ में पहले घटक का अंतिम सिरा दूसरे घटक के प्रथम सिरे से जुड़ा होता है तथा दूसरे घटक का अंतिम सिरा तीसरे घटक के प्रथम सिरे से जुड़ा होता है | इसी प्रकार अन्य घटक भी जुड़े होते हैं | श्रेणी परिपथ में धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही पथ (रास्ता) होता है अतः सभी घटकों में धारा का प्रवाह  समान रूप से होता है | ऊपर दिए गए चित्र में तीन प्रतिरोधकों को श्रेणी में जोड़कर बैटरी से विधुत सप्लाई दी गई है |

श्रेणी परिपथ की विशेषता :-
☻ श्रेणी परिपथ में सभी घटकों में धारा का प्रवाह समान रूप से होता है अर्थात सभी घटकों की धारा समान होती है |
☻ श्रेणी परिपथ में सभी घटकों में वोल्टेज का मान अलग-अलग हो सकता है |
☻ श्रेणी परिपथ में धारा प्रवाह के लिए केवल एक पथ होता है |
☻ श्रेणी परिपथ का प्रतिरोध सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के योग के समान होता है |
☻ श्रेणी परिपथ के किसी भी घटक के टूटने (ब्रेक होने) पर सभी घटक कार्य करना बंद कर देते हैं |

 :- माना कि हम निम्न चित्र में दिए गए प्रतिरोध r1,r2 तथा r3 को तीन पानी के पाइप माने तथा इनमे से गुजरने वाली करंट को हम पानी माने तो जाहिर है कि जितना पानी प्रथम पाइप में से गुजरेगा उतना ही पानी द्वितीय तथा तृतीय पाइप में से गुजरेगा, इसी प्रकार ही श्रेणी में लगे सभी प्रतिरोधकों में करंट का प्रवाह भी समान रूप से होता है |

श्रेणी दिष्ट धारा परिपथ से सम्बंधित सूत्र :-

परिपथ का कुल प्रतिरोध = सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध का योग |
R = r1+r2+r3+……

परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों में समान
I = i1 = i2 = i3 = i…….

परिपथ में कुल आरोपित वोल्टेज = सभी घटकों की वोल्टेज ड्रॉप का योग |
V = v1+v2+v3+v……..

श्रेणी परिपथ को समझने के लिए यहां चित्र तथा कुछ प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं :

Series circuit calculation

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 का प्रतिरोध क्रमशः 2Ω, 3Ω तथा 4Ω है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध क्या होगा ?
उत्तर- परिपथ के कुल प्रतिरोध का मान सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के कुल मान के बराबर होगा :-
कुल प्रतिरोध R = r1+r2+r3
R = 2+3+4 = 9Ω

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 में प्रत्येक प्रतिरोधक में 2 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है तो परिपथ की कुल धारा का मान क्या होगा ?
उत्तर- श्रेणी परिपथ के सभी घटकों में धारा का प्रवाह समान रूप से होता है इसलिए परिपथ की कुल धारा भी 2 Ampere होगी क्योंकि परिपथ के प्रत्येक घटक में से 2 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है | यहां स्रोत (बैटरी) में से भी 2 Ampere धारा का प्रवाह होगा |

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 की वोल्टेज ड्रॉप क्रमशः 4v, 6v तथा 8v है तो परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज क्या होगी ? (यदि स्रोत की वोल्टेज ड्रॉप शुन्य मानी जाये)
उत्तर- परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज का मान, परिपथ के सभी घटकों की वोल्टेज ड्रॉप के योग के समान होता है | चूंकि उक्त परिपथ में स्रोत (बैटरी) की वोल्टेज ड्रॉप का मान शुन्य है इसलिए हम केवल परिपथ में लगे सभी प्रतिरोधकों की वोल्टेज ड्रॉप का योग करेंगे |
V = v1+v2+v3
V = 4+6+8 = 18v
अतः कुल आरोपित वोल्टेज = 18 volt

2. समान्तर दिष्ट धारा परिपथ (Parallel DC Circuit )

Parallel circuit

जिस परिपथ में सभी घटक समान्तर में जुड़े हों उस परिपथ को समान्तर परिपथ कहते हैं | इस परिपथ में सभी घटकों के प्रथम सिरे एक साथ जुड़े होते हैं तथा सभी घटकों के अंतिम सिरे एक साथ जुड़े होते हैं | समान्तर परिपथ में धारा के प्रवाह के लिए अनेक मार्ग होते हैं | अतः सभी घटकों में धारा का प्रवाह भी भिन्न-भिन्न हो सकता हैं | ऊपर दिए गए चित्र में तीन प्रतिरोधकों को समान्तर में जोड़ा गया है |

समान्तर परिपथ की विशेषता :-
☻ समान्तर परिपथ में सभी घटकों में धारा का प्रवाह भिन्न-भिन्न हो सकता है अर्थात सभी घटकों की धारा भिन्न-भिन्न होती है |
☻ समान्तर परिपथ में सभी घटकों में वोल्टेज का मान समान होता है |
☻ समान्तर परिपथ में धारा प्रवाह के लिए अनेक पथ होते हैं |
☻ समान्तर परिपथ में कुल प्रतिरोध का विलोम, सभी प्रतिरोधकों के विलोम के योग  के समान होता है |
☻ समान्तर परिपथ के किसी घटक के टूटने (ब्रेक होने) पर अन्य घटक कार्य करते रहते हैं |

समान्तर दिष्ट धारा परिपथ से सम्बंधित सूत्र :-

परिपथ के कुल प्रतिरोध का विलोम = सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के विलोम का योग 

 
1R=1r1+1r2+1r3+.........

परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों की धारा का योग
I = i1+i2+i3+…….

परिपथ में कुल आरोपित वोल्टेज = प्रत्येक घटक की वोल्टेज |
V = v1 = v2 = v3 =v…….. 

समान्तर परिपथ को समझने के लिए यहां कुछ प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं :-

प्रश्न- यदि उक्त चित्र में दिए गए समान्तर परिपथ में समान्तर में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 का प्रतिरोध क्रमशः 2Ω, 3Ω तथा 6Ω है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध क्या होगा ?
उत्तर- परिपथ के कुल प्रतिरोध का विलोम, सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के विलोम के योग के बराबर होता है
अतः 

1R=1r1+1r2+1r3

यहां
R = परिपथ का कुल प्रतिरोध = ?
r1 = प्रथम शाखा का प्रतिरोध = 2Ω
r2 = द्वितीय शाखा का प्रतिरोध = 3Ω
r3 = तृतीय शाखा का प्रतिरोध  = 6Ω
इसलिए 

1R=12+13+16

1R=3+2+16

1R=66

1R=11

R=1

अतः यहां तीनों प्रतिरोधकों का कुल प्रतिरोध होगा = 1Ω

प्रश्न- यदि उक्त समान्तर परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 में से क्रमशः 9 Ampere, 6 Ampere तथा 3 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है तो परिपथ की कुल धारा का मान क्या होगा ?

उत्तर- परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों की धारा का योग
I = i1+i2+i3
I = 9+6+3 = 18
अतः परिपथ की कुल धारा = 18 Ampere

प्रश्न- यदि उक्त समान्तर परिपथ में लगे प्रत्येक प्रतिरोधक की वोल्टेज ड्रॉप 18-18 volt है तो परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज क्या होगी ? (यदि स्रोत की वोल्टेज ड्रॉप शुन्य मानी जाये)
उत्तर- समान्तर परिपथ में सभी घटकों की वोल्टेज, आरोपित वोल्टेज के बराबर होती है अतः यहां कुल आरोपित वोल्टेज का मान भी 18 volt ही होगा |
V = v1 = v2 = v3
V  = 18v
अतः कुल आरोपित वोल्टेज = 18 volt 

itiale.in

3. श्रेणी-समान्तर दिष्ट धारा परिपथ (Series-Parallel DC Circuit ) / मिश्रित परिपथ

जिस परिपथ में श्रेणी व समान्तर दोनों प्रकार से घटकों को स्थापित किया जाता है वह परिपथ श्रेणी-समान्तर परिपथ कहलाता है | अर्थात कुछ उपकरण सीरीज में और कुछ समांतर में होते हैं। इस परिपथ में समान धारा के प्रवाह के लिए घटकों को श्रेणी में लगाया जाता है तथा समान वोल्टेज के लिए घटकों को समान्तर में लगाया जाता है | श्रेणी व समान्तर दोनो प्रकार से घटकों को लगाये जाने के कारण इस परिपथ को मिश्रित परिपथ भी कहा जाता है |

श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-Parallel circuit) की विशेषता :-

☻ श्रेणी-समान्तर परिपथ में जो घटक आपस में श्रेणी में लगे हैं उनमे समान धारा का प्रवाह होता है तथा जो घटक आपस में समान्तर में लगे हैं उनकी वोल्टेज समान होती है |
☻ तथा श्रेणी-समान्तर परिपथ में वो सभी नियम लगते हैं जो श्रेणी तथा समान्तर परिपथ में लगते हैं |

नोट- यदि ऊपर बिंदु संख्या 1 व 2 में दिए गए श्रेणी तथा समान्तर परिपथों को भली प्रकार से समझ लिया जाए तो श्रेणी-समान्तर (मिश्रित परिपथ) आसानी से समझा जा सकता है |

निम्न चित्रों तथा प्रश्नों से मिश्रित परिपथ को आसानी से समझा जा सकता है :-

प्रश्न-1- निम्न चित्र-1 में परिपथ का का कुल प्रतिरोध क्या होगा ? (यदि बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध शून्य माना जाये)

Series parallel circuit

हल- श्रेणी-समान्तर (मिश्रित) परिपथ का कुल प्रतिरोध जानने के लिए हम श्रेणी अथवा समान्तर, किसी भी एक ग्रुप का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे उसके बाद दूसरे ग्रुप का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे तत्पश्चात दोनों का योग करेंगे |
चरण -1 – सर्वप्रथम हम प्रथम ग्रुप में श्रेणी में लगे प्रतिरोधक r1 तथा r2 का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे |
r1 तथा r2 का कुल प्रतिरोध = r1 + r2 (श्रेणी में लगे होने के कारण सीधे इनका योग करेंगे)
2 + 3 = 5Ω 
इससे हमें निम्न परिपथ प्राप्त होगा :- 

Series parallel circuit

चरण-2- दूसरे चरण में हम दूसरे ग्रुप में समान्तर में लगे प्रतिरोधकों r3, r4 व r5 का कुल प्रतिरोध निम्न प्रकार ज्ञात करेंगे :-

1R=1r3+1r4+1r5

1R=12+13+16

1R=3+2+16

1R=66

1R=11

R=1

चरण-2 से हमें निम्न परिपथ प्राप्त होगा, जिसमे समान्तर में लगे तीनों प्रतिरोधकों का योग 1Ω है

Series parallel circuit

चरण-3- चरण 2 में हमें प्राप्त हुआ कि 5Ω व 1Ω के प्रतिरोधक श्रेणी में लगे हुए हैं | अब हम श्रेणी में लगे दोनों प्रतिरोधकों का योग निम्न प्रकार करेंगे :-

कुल प्रतिरोध = 5 + 1 = 6Ω (जिसका परिणामी परिपथ हमें निम्न प्रकार प्राप्त होगा)

 
Series parallel circuit

प्रश्न-2- उक्त परिपथ में कुल धारा (I) का मान ज्ञात करें |
हल- परिपथ में धारा का मान ज्ञात करने के लिए हमें परिपथ की वोल्टेज तथा प्रतिरोध का ज्ञात होना जरुरी है |
यहां वोल्टेज V = 18V
प्रतिरोध R = 6Ω

I=VR

I=186

I=3A
itiale.in

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