प्रतिरोध व प्रतिरोधक | Resistance and Resistor​

Resistance and Resistor

प्रतिरोध व प्रतिरोधक | Resistance and Resistor

Resistors

” Resistance and Resistor ” पोस्ट में हम प्रतिरोध व प्रतिरोधक में अंतर समझेंगे |

प्रतिरोध- किसी पदार्थ का वह गुण जो उसमे से गुजरने वाली विधुत धारा के प्रवाह का विरोध करता है, प्रतिरोध (Resistance) कहलाता है | प्रतिरोध को R से दर्शाया जाता है तथा इसकी इकाई ओह्म (Ω) है | एक तरह से प्रतिरोध को करंट का दुश्मन भी माना जा सकता है | प्रतिरोध की गणना ओह्म के नियम द्वारा की जाती है |

प्रतिरोधक- तथा ऐसा पदार्थ जो विधुत धारा के प्रवाह में एक निश्चित मान का प्रतिरोध उत्पन्न करे, प्रतिरोधक (resistor) कहलाता है | प्रतिरोधक विभिन्न मानों के बनाये जाते हैं, जैसे 1Ω, 100µΩ, अथवा 2KΩ इत्यादि |

उदाहरण- नीचे चित्र में एक 1000Ω का प्रतिरोधक दिया गया है | अतः इस अवयव को हम प्रतिरोधक कहेंगे तथा इस प्रतिरोधक का विधुत धारा के प्रवाह का विरोध करने का गुण  प्रतिरोध कहलायेगा |

प्रतिरोधक का उपयोग- प्रतिरोधक का उपयोग इलेक्ट्रिकल अथवा इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में करंट के मान को कम करने के लिए किया जाता है | पोस्ट में सबसे ऊपर कुछ प्रतिरोधकों (Resistors) के चित्र दिए गए हैं |

 यदि किसी प्रतिरोधक का विभवान्तर 1V हो तथा उसमे से 1A धारा का प्रवाह हो रहा हो तो उस प्रतिरोधक का प्रतिरोध 1Ω होगा

Resistance and resistor
Symbol of Resistors

यहां हम यह भी कह सकते हैं कि किसी प्रतिरोधक के दोनों सिरों के मध्य विभवान्तर तथा उस प्रतिरोधक में से बह रही धारा का अनुपात उस प्रतिरोधक का प्रतिरोध कहलाता है |

Resistance and Resistor

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प्रतिरोध सम्बन्धी कारक | Resistance factors

किसी भी चालक/अचालक/अर्धचालक का प्रतिरोध हमेशा समान नहीं होता, प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले वाले कारक निम्न प्रकार हैं जिन पर किसी भी चालक/अचालक/अर्धचालक का प्रतिरोध निर्भर करता है |

  • चालक की मोटाई- किसी भी चालक का प्रतिरोध उसकी मोटाई पर निर्भर करता है | चालक का प्रतिरोध उसकी मोटाई अथवा अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता है अर्थात चालक की मोटाई बढ़ाने पर प्रतिरोध कम हो जाता है तथा चालक की मोटाई कम होने पर प्रतिरोध अधिक हो जाता है |
    उदाहरण- माना किसी 1mm² के चालक का प्रतिरोध 1Ω है तो समान लम्बाई तथा समान पदार्थ के 2mm² के चालक का प्रतिरोध 0.5Ω होगा |
  • चालक की लम्बाई- किसी भी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई पर भी निर्भर करता है | चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती होता है अर्थात चालक की लम्बाई बढ़ाने पर प्रतिरोध भी बढ़ जाता है तथा चालक की लम्बाई घटाने पर प्रतिरोध भी घट जाता है |
    उदाहरण- माना किसी 1 मीटर लम्बाई के चालक का प्रतिरोध 1Ω है तो समान मोटाई तथा समान पदार्थ के 2 मीटर लम्बाई के चालक का प्रतिरोध 2Ω होगा |

    R ∝ l/a
    यहां- R= प्रतिरोध,   l= चालक की लम्बाई,   a= चालक का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल
  • पदार्थ- चालक का प्रतिरोध चालक के पदार्थ पर भी निर्भर करता है | अलग-अलग पदार्थ के अलग-अलग गुण होते हैं, उसी प्रकार अलग-अलग पदार्थों का प्रतिरोध भी अलग-अलग होता है | 
    जैसे-  अन्य कारक समान होने पर एक तांबे के तार का प्रतिरोध, एल्युमीनियम के तार के प्रतिरोध से कम होता है तथा एक एल्युमीनियम के तार का प्रतिरोध लोहे के तार के प्रतिरोध से कम होता है | इसीलिए कम प्रतिरोध होने के कारण अधिकतर तांबे के तार का प्रयोग किया जाता है |
  • तापमान- चालक का प्रतिरोध उसके तापमान पर भी निर्भर करता है | धातुओं का प्रतिरोध तापमान बढ़ने से बढ़ जाता है, तथा प्रतिरोधकों का प्रतिरोध तापमान बढ़ने से घट जाता है |

Resistance and Resistor

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ओह्म के नियम सम्बन्धी पद Ohm’s law related terms

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद Ohm's law related terms

ओह्म का नियम DC परिपथों में प्रतिरोध (R), धारा (I) तथा विभवान्तर (V) से सम्बंधित नियम है जिसे जर्मन के एक वैज्ञानिक जी.एस.ओम के द्वारा बनाया गया था इस लिए इस नियम का नाम “ओह्म का नियम” रखा गया |  ओह्म के नियम को विस्तार से हमारी अन्य पोस्ट “ओह्म का नियम” में समझाया गया है |

ओह्म के नियम को कुछ स्थानों पर नहीं लगाया जा सकता अर्थात इसकी कुछ सीमायें हैं जो निम्न प्रकार हैं :-

  • निर्वात बल्बों में ओह्म का नियम लागू नहीं होता |
  • ऐसी धातु पर ओह्म का नियम लागू नहीं होता जिनमे से विधुत धारा गुजारने पर वो अत्यधिक गर्म होती हैं क्योंकि गर्म होने पर धातुओं का प्रतिरोध एक समान नहीं रहता
  • आर्क लैम्प में ओह्म का नियम लागू नही होता |
  • अर्धचालकों में ओह्म का नियम लागू नही होता |
  • डायोड व ट्रांजिस्टर इत्यादि पर ओह्म का नियम लागू नहीं होता क्योंकि इनमे केवल एक तरफ धारा का प्रवाह होता है, दूसरी तरफ या तो बहुत कम प्रवाह होता है अथवा बिलकुल नहीं होता |
  • ऐसे प्रयोगों में ओह्म का नियम लागू नही होता जिनमे किसी इलैक्ट्रोड से अत्यधिक गैसें निकलती हैं |
  • AC (प्रत्यावर्ती धारा) में ओह्म का नियम लागु नहीं होता | AC में ओह्म का नियम लगाने के लिए R के स्थान पर Z लिया जाता है |
  • गैर-रैखिक घटकों (non-linear Components) पर ओह्म का नियम लागू नही होता | गैर-रैखिक घटक वे होते हैं जिनमें करंट, प्रभावी वोल्टेज के  समानुपाती नहीं होता है, जैसे- कैपेसिटेंस, थाइरिस्टर, इलेक्ट्रिक आर्क इत्यादि |

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद

प्रतिरोध | Resistance

किसी पदार्थ का वह गुण जो उसमे से गुजरने वाली विधुत धारा के प्रवाह का विरोध करता है, प्रतिरोध कहलाता है | प्रतिरोध को R से दर्शाया जाता है तथा इसकी इकाई ओह्म (Ω) है |

प्रतिरोधक | Resistor

ऐसा पदार्थ जो विधुत धारा के प्रवाह में एक निश्चित मान का प्रतिरोध उत्पन्न करे, प्रतिरोधक (resistor) कहलाता है | प्रतिरोधक विभिन्न मानों के बनाये जाते हैं, जैसे 1Ω, 100µΩ, अथवा 2KΩ इत्यादि |

प्रतिरोधक व प्रतिरोध में अंतर :-

कुछ छात्रों को “प्रतिरोधक” व “प्रतिरोध” के नाम में भ्रम पैदा होता हैं | प्रतिरोधक एक अवयव अथवा पुर्जा होता है जो इलेक्ट्रॉनिक/इलेक्ट्रिकल परिपथों में लगाया जाता है जो कि करंट के प्रवाह को कम करने का काम करता है | तथा प्रतिरोधक के करंट के प्रवाह को कम करने के गुण को प्रतिरोध कहते हैं |

प्रतिरोध सम्बन्धी कारक | Resistance factors

किसी भी चालक/अचालक/अर्धचालक का प्रतिरोध हमेशा समान नहीं होता, प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले वाले कारक निम्न प्रकार हैं जिन पर किसी भी चालक/अचालक/अर्धचालक का प्रतिरोध निर्भर करता है |

  • चालक की मोटाई- किसी भी चालक का प्रतिरोध उसकी मोटाई पर निर्भर करता है | चालक का प्रतिरोध उसकी मोटाई अथवा अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता है अर्थात चालक की मोटाई बढ़ाने पर प्रतिरोध कम हो जाता है तथा चालक की मोटाई कम होने पर प्रतिरोध अधिक हो जाता है |
    उदाहरण- माना किसी 1mm² के चालक का प्रतिरोध 1Ω है तो समान लम्बाई तथा समान पदार्थ के 2mm² के चालक का प्रतिरोध 0.5Ω होगा |
  • चालक की लम्बाई- किसी भी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई पर भी निर्भर करता है | चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती होता है अर्थात चालक की लम्बाई बढ़ाने पर प्रतिरोध भी बढ़ जाता है तथा चालक की लम्बाई घटाने पर प्रतिरोध भी घट जाता है |
    उदाहरण- माना किसी 1 मीटर लम्बाई के चालक का प्रतिरोध 1Ω है तो समान मोटाई तथा समान पदार्थ के 2 मीटर लम्बाई के चालक का प्रतिरोध 2Ω होगा |

    R ∝ l/a
    यहां- R= प्रतिरोध,   l= चालक की लम्बाई,   a= चालक का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल
  • पदार्थ- चालक का प्रतिरोध चालक के पदार्थ पर भी निर्भर करता है | अलग-अलग पदार्थ के अलग-अलग गुण होते हैं, उसी प्रकार अलग-अलग पदार्थों का प्रतिरोध भी अलग-अलग होता है | 
    जैसे-  अन्य कारक समान होने पर एक तांबे के तार का प्रतिरोध, एल्युमीनियम के तार के प्रतिरोध से कम होता है तथा एक एल्युमीनियम के तार का प्रतिरोध लोहे के तार के प्रतिरोध से कम होता है | इसीलिए कम प्रतिरोध होने के कारण अधिकतर तांबे के तार का प्रयोग किया जाता है |
  • तापमान- चालक का प्रतिरोध उसके तापमान पर भी निर्भर करता है | धातुओं का प्रतिरोध तापमान बढ़ने से बढ़ जाता है, तथा प्रतिरोधकों का प्रतिरोध तापमान बढ़ने से घट जाता है |

विशिष्ट प्रतिरोध | Specific resistance :-

किसी पदार्थ के इकाई घन की आमने-सामने की फलकों के बीच का प्रतिरोध उस पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता (Resistivity) कहलाता है | साधारण शब्दों में कहें तो किसी पदार्थ के एक मीटर लम्बे, एक मीटर चौड़े तथा एक मीटर उंचे (एक घन मीटर) टुकड़े के आमने-सामने के फलकों के बीच मापा गया प्रतिरोध उस पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहलाता है जिसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है | विशिष्ट प्रतिरोध का प्रतीक Rho (ρ) तथा इसका SI मात्रक ओह्म मीटर है व इसे ओह्म सेमी तथा ओह्म इंच में भी मापा जाता है |

Specific resistance or resistivity

उदाहरण- तांबे का विशिष्ट प्रतिरोध 1.7/100000000 Ωm है अर्थात ताम्बे के एक मीटर लम्बे, एक मीटर चौड़े तथा एक मीटर उंचे टुकड़े के आमने-सामने के फलकों के बीच प्रतिरोध 1.7/100000000 = 0.000000017 Ω होता है |

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चालकता | Conductivity :-

किसी पदार्थ का अपने में से विधुत धारा के प्रवाह को सुगमता प्रदान करने का गुण चालकता अथवा विधुत चालकता अथवा विशिष्ट चालकता कहलाता है अर्थात जिस पदार्थ की चालकता जितनी अधिक होगी उसमे से विधुत धारा का प्रवाह उतना ही सुगमता से होगा | चालकता, प्रतिरोधकता का विपरीत होता है अर्थात जिस पदार्थ की चालकता जितनी अधिक होगी उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा तथा चालकता जितनी कम होगी प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा | जिस प्रकार प्रतिरोध, पदार्थ में से विधुत धारा को बहने से से रोकता है उसी प्रकार चालकता, विधुत धारा के प्रवाह को सुगमता प्रदान करती है |

चालकता की इकाई ℧ (Mho) होती है | (जबकि प्रतिरोध की इकाई Ω (Ohm) होती है ) चालकता को G से दर्शाया जाता है |

G=1R

हां
G=चाता
R=प्रतिरो

“ओह्म के नियम सम्बन्धी पद” पोस्ट में हमने ओह्म के नियम सम्बन्धी पदों का अध्यन किया है | ओह्म के नियम का अध्यन एक अन्य पोस्ट “ओह्म का नियम” में किया गया है |

ओह्म के नियम सम्बन्धी पद ओह्म के नियम सम्बन्धी पद

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