दिष्ट धारा परिपथ | DC Circuit
DC Circuit
विधुत धारा के प्रवाह के लिए बनाया गया एक बंद मार्ग विधुत परिपथ कहलाता है | इसमें धारा प्रवाहित होती है अथवा प्रवाहित होने का प्रयास करती है | धारा की द्रष्टि से परिपथ निम्न दो प्रकार के होते हैं :-
1. दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit)
2. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit)
दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit) में धारा की दिशा एवं मान एक समान रहता है तथा प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit) में धारा की दिशा तथा मान लगातार बदलता रहता है | इसी प्रकार जो परिपथ केवल दिष्ट धारा पर कार्य करते है उन्हें दिष्ट धारा परिपथ (DC Circuit) कहते हैं तथा जो परिपथ केवल प्रत्यावर्ती धारा पर कार्य करते है उन्हें प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC Circuit) कहते हैं | लेकिन इस पोस्ट में केवल DC Circuit का विवरण दिया गया है, AC Circuit का विवरण इसी ब्लॉग की एक अन्य पोस्ट में दिया गया है |
कुछ परिपथ ऐसे भी होते हैं जो AC तथा DC दोनों पर कार्य करते हैं, जैसे एक टंगस्टन बल्ब का परिपथ | एक टंगस्टन बल्ब AC तथा DC दोनों पर कार्य कर सकता है |
DC परिपथ का मुख्य अवयव प्रतिरोधक होता है जिसे ‘ओह्म मीटर’ तथा ‘व्हीटस्टोन ब्रिज’ इत्यादि से मापा जाता है | DC परिपथों की गणना ‘ओह्म के नियम’ द्वारा की जाती है | लेकिन कुछ जटिल परिपथों की गणना ‘किरचोफ के नियम’ द्वारा भी की जाती है |
परिपथ बनाने के लिए प्रतिरोधक (Resistance), संघारित्र (Capacitor) तथा प्रेरक (Inductor) इत्यादि का प्रयोग किया जाता है
DC परिपथ निम्न 3 प्रकार के होते हैं :-
1. श्रेणी परिपथ (Series circuit)
2. समान्तर परिपथ (Parallel circuit)
3. श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-Parallel circuit) / मिश्रित परिपथ
1. श्रेणी दिष्ट धारा परिपथ ( Series DC Circuit )

जिस परिपथ में सभी घटक श्रेणी में जुड़े हों उस परिपथ को श्रेणी परिपथ कहते हैं | इस परिपथ में पहले घटक का अंतिम सिरा दूसरे घटक के प्रथम सिरे से जुड़ा होता है तथा दूसरे घटक का अंतिम सिरा तीसरे घटक के प्रथम सिरे से जुड़ा होता है | इसी प्रकार अन्य घटक भी जुड़े होते हैं | श्रेणी परिपथ में धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही पथ (रास्ता) होता है अतः सभी घटकों में धारा का प्रवाह समान रूप से होता है | ऊपर दिए गए चित्र में तीन प्रतिरोधकों को श्रेणी में जोड़कर बैटरी से विधुत सप्लाई दी गई है |
श्रेणी परिपथ की विशेषता :-
☻ श्रेणी परिपथ में सभी घटकों में धारा का प्रवाह समान रूप से होता है अर्थात सभी घटकों की धारा समान होती है |
☻ श्रेणी परिपथ में सभी घटकों में वोल्टेज का मान अलग-अलग हो सकता है |
☻ श्रेणी परिपथ में धारा प्रवाह के लिए केवल एक पथ होता है |
☻ श्रेणी परिपथ का प्रतिरोध सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के योग के समान होता है |
☻ श्रेणी परिपथ के किसी भी घटक के टूटने (ब्रेक होने) पर सभी घटक कार्य करना बंद कर देते हैं |
:- माना कि हम निम्न चित्र में दिए गए प्रतिरोध r1,r2 तथा r3 को तीन पानी के पाइप माने तथा इनमे से गुजरने वाली करंट को हम पानी माने तो जाहिर है कि जितना पानी प्रथम पाइप में से गुजरेगा उतना ही पानी द्वितीय तथा तृतीय पाइप में से गुजरेगा, इसी प्रकार ही श्रेणी में लगे सभी प्रतिरोधकों में करंट का प्रवाह भी समान रूप से होता है |
श्रेणी दिष्ट धारा परिपथ से सम्बंधित सूत्र :-
परिपथ का कुल प्रतिरोध = सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध का योग |
R = r1+r2+r3+……
परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों में समान
I = i1 = i2 = i3 = i…….
परिपथ में कुल आरोपित वोल्टेज = सभी घटकों की वोल्टेज ड्रॉप का योग |
V = v1+v2+v3+v……..
श्रेणी परिपथ को समझने के लिए यहां चित्र तथा कुछ प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं :

प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 का प्रतिरोध क्रमशः 2Ω, 3Ω तथा 4Ω है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध क्या होगा ?
उत्तर- परिपथ के कुल प्रतिरोध का मान सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के कुल मान के बराबर होगा :-
कुल प्रतिरोध R = r1+r2+r3
R = 2+3+4 = 9Ω
प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 में प्रत्येक प्रतिरोधक में 2 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है तो परिपथ की कुल धारा का मान क्या होगा ?
उत्तर- श्रेणी परिपथ के सभी घटकों में धारा का प्रवाह समान रूप से होता है इसलिए परिपथ की कुल धारा भी 2 Ampere होगी क्योंकि परिपथ के प्रत्येक घटक में से 2 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है | यहां स्रोत (बैटरी) में से भी 2 Ampere धारा का प्रवाह होगा |
प्रश्न- यदि उक्त परिपथ में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 की वोल्टेज ड्रॉप क्रमशः 4v, 6v तथा 8v है तो परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज क्या होगी ? (यदि स्रोत की वोल्टेज ड्रॉप शुन्य मानी जाये)
उत्तर- परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज का मान, परिपथ के सभी घटकों की वोल्टेज ड्रॉप के योग के समान होता है | चूंकि उक्त परिपथ में स्रोत (बैटरी) की वोल्टेज ड्रॉप का मान शुन्य है इसलिए हम केवल परिपथ में लगे सभी प्रतिरोधकों की वोल्टेज ड्रॉप का योग करेंगे |
V = v1+v2+v3
V = 4+6+8 = 18v
अतः कुल आरोपित वोल्टेज = 18 volt
2. समान्तर दिष्ट धारा परिपथ (Parallel DC Circuit )

जिस परिपथ में सभी घटक समान्तर में जुड़े हों उस परिपथ को समान्तर परिपथ कहते हैं | इस परिपथ में सभी घटकों के प्रथम सिरे एक साथ जुड़े होते हैं तथा सभी घटकों के अंतिम सिरे एक साथ जुड़े होते हैं | समान्तर परिपथ में धारा के प्रवाह के लिए अनेक मार्ग होते हैं | अतः सभी घटकों में धारा का प्रवाह भी भिन्न-भिन्न हो सकता हैं | ऊपर दिए गए चित्र में तीन प्रतिरोधकों को समान्तर में जोड़ा गया है |
समान्तर परिपथ की विशेषता :-
☻ समान्तर परिपथ में सभी घटकों में धारा का प्रवाह भिन्न-भिन्न हो सकता है अर्थात सभी घटकों की धारा भिन्न-भिन्न होती है |
☻ समान्तर परिपथ में सभी घटकों में वोल्टेज का मान समान होता है |
☻ समान्तर परिपथ में धारा प्रवाह के लिए अनेक पथ होते हैं |
☻ समान्तर परिपथ में कुल प्रतिरोध का विलोम, सभी प्रतिरोधकों के विलोम के योग के समान होता है |
☻ समान्तर परिपथ के किसी घटक के टूटने (ब्रेक होने) पर अन्य घटक कार्य करते रहते हैं |
समान्तर दिष्ट धारा परिपथ से सम्बंधित सूत्र :-
परिपथ के कुल प्रतिरोध का विलोम = सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के विलोम का योग
परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों की धारा का योग
I = i1+i2+i3+…….
परिपथ में कुल आरोपित वोल्टेज = प्रत्येक घटक की वोल्टेज |
V = v1 = v2 = v3 =v……..
समान्तर परिपथ को समझने के लिए यहां कुछ प्रश्न-उत्तर दिए गए हैं :-
प्रश्न- यदि उक्त चित्र में दिए गए समान्तर परिपथ में समान्तर में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 का प्रतिरोध क्रमशः 2Ω, 3Ω तथा 6Ω है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध क्या होगा ?
उत्तर- परिपथ के कुल प्रतिरोध का विलोम, सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के विलोम के योग के बराबर होता है
अतः
यहां
R = परिपथ का कुल प्रतिरोध = ?
r1 = प्रथम शाखा का प्रतिरोध = 2Ω
r2 = द्वितीय शाखा का प्रतिरोध = 3Ω
r3 = तृतीय शाखा का प्रतिरोध = 6Ω
इसलिए
अतः यहां तीनों प्रतिरोधकों का कुल प्रतिरोध होगा = 1Ω
प्रश्न- यदि उक्त समान्तर परिपथ में श्रेणी में लगे प्रतिरोधकों r1,r2 तथा r3 में से क्रमशः 9 Ampere, 6 Ampere तथा 3 Ampere धारा का प्रवाह हो रहा है तो परिपथ की कुल धारा का मान क्या होगा ?
उत्तर- परिपथ की कुल धारा = सभी घटकों की धारा का योग
I = i1+i2+i3
I = 9+6+3 = 18
अतः परिपथ की कुल धारा = 18 Ampere
प्रश्न- यदि उक्त समान्तर परिपथ में लगे प्रत्येक प्रतिरोधक की वोल्टेज ड्रॉप 18-18 volt है तो परिपथ में आरोपित कुल वोल्टेज क्या होगी ? (यदि स्रोत की वोल्टेज ड्रॉप शुन्य मानी जाये)
उत्तर- समान्तर परिपथ में सभी घटकों की वोल्टेज, आरोपित वोल्टेज के बराबर होती है अतः यहां कुल आरोपित वोल्टेज का मान भी 18 volt ही होगा |
V = v1 = v2 = v3
V = 18v
अतः कुल आरोपित वोल्टेज = 18 volt

3. श्रेणी-समान्तर दिष्ट धारा परिपथ (Series-Parallel DC Circuit ) / मिश्रित परिपथ
जिस परिपथ में श्रेणी व समान्तर दोनों प्रकार से घटकों को स्थापित किया जाता है वह परिपथ श्रेणी-समान्तर परिपथ कहलाता है | अर्थात कुछ उपकरण सीरीज में और कुछ समांतर में होते हैं। इस परिपथ में समान धारा के प्रवाह के लिए घटकों को श्रेणी में लगाया जाता है तथा समान वोल्टेज के लिए घटकों को समान्तर में लगाया जाता है | श्रेणी व समान्तर दोनो प्रकार से घटकों को लगाये जाने के कारण इस परिपथ को मिश्रित परिपथ भी कहा जाता है |
श्रेणी-समान्तर परिपथ (Series-Parallel circuit) की विशेषता :-
☻ श्रेणी-समान्तर परिपथ में जो घटक आपस में श्रेणी में लगे हैं उनमे समान धारा का प्रवाह होता है तथा जो घटक आपस में समान्तर में लगे हैं उनकी वोल्टेज समान होती है |
☻ तथा श्रेणी-समान्तर परिपथ में वो सभी नियम लगते हैं जो श्रेणी तथा समान्तर परिपथ में लगते हैं |
नोट- यदि ऊपर बिंदु संख्या 1 व 2 में दिए गए श्रेणी तथा समान्तर परिपथों को भली प्रकार से समझ लिया जाए तो श्रेणी-समान्तर (मिश्रित परिपथ) आसानी से समझा जा सकता है |
निम्न चित्रों तथा प्रश्नों से मिश्रित परिपथ को आसानी से समझा जा सकता है :-
प्रश्न-1- निम्न चित्र-1 में परिपथ का का कुल प्रतिरोध क्या होगा ? (यदि बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध शून्य माना जाये)

हल- श्रेणी-समान्तर (मिश्रित) परिपथ का कुल प्रतिरोध जानने के लिए हम श्रेणी अथवा समान्तर, किसी भी एक ग्रुप का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे उसके बाद दूसरे ग्रुप का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे तत्पश्चात दोनों का योग करेंगे |
चरण -1 – सर्वप्रथम हम प्रथम ग्रुप में श्रेणी में लगे प्रतिरोधक r1 तथा r2 का कुल प्रतिरोध ज्ञात करेंगे |
r1 तथा r2 का कुल प्रतिरोध = r1 + r2 (श्रेणी में लगे होने के कारण सीधे इनका योग करेंगे)
2 + 3 = 5Ω
इससे हमें निम्न परिपथ प्राप्त होगा :-

चरण-2- दूसरे चरण में हम दूसरे ग्रुप में समान्तर में लगे प्रतिरोधकों r3, r4 व r5 का कुल प्रतिरोध निम्न प्रकार ज्ञात करेंगे :-
चरण-2 से हमें निम्न परिपथ प्राप्त होगा, जिसमे समान्तर में लगे तीनों प्रतिरोधकों का योग 1Ω है

चरण-3- चरण 2 में हमें प्राप्त हुआ कि 5Ω व 1Ω के प्रतिरोधक श्रेणी में लगे हुए हैं | अब हम श्रेणी में लगे दोनों प्रतिरोधकों का योग निम्न प्रकार करेंगे :-
कुल प्रतिरोध = 5 + 1 = 6Ω (जिसका परिणामी परिपथ हमें निम्न प्रकार प्राप्त होगा)

प्रश्न-2- उक्त परिपथ में कुल धारा (I) का मान ज्ञात करें |
हल- परिपथ में धारा का मान ज्ञात करने के लिए हमें परिपथ की वोल्टेज तथा प्रतिरोध का ज्ञात होना जरुरी है |
यहां वोल्टेज V = 18V
प्रतिरोध R = 6Ω

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