ट्रांसफार्मर तेल की जाँच Testing of Transformer oil

ट्रांसफार्मर तेल, ट्रांसफार्मर टैंक में भरा जाता है | इसे इंसुलेशन ऑइल भी कहा जाता है | ट्रांसफार्मर में तेल भरने का उद्देश्य होता है वाइंडिंग को उचित प्रतिरोधकता देना, ट्रांसफार्मर को ठंडा रखना तथा वाइंडिंग के जोड़ों में होने वाले ऑक्सीकरण को रोकना | ट्रांसफार्मर जितने अधिक वोल्टता पर प्रयुक्त होता है तेल की “डाई-इलेक्ट्रिक-स्ट्रेंथ” उतनी ही अधिक होनी चाहिए |  ट्रांसफार्मर तेल निम्न 2 प्रकार का होता है :-

1. सिंथेटिक तेल (Synthetic oil)- 
2. खनिज तेल (Mineral oil)-
तेल में नमी जाने, पानी जाने, गंदगी जाने, तेल के अन्दर स्पार्किंग होने अथवा लम्बे समय तक उपयोग में रहने से तेल ख़राब हो जाता है अतः ट्रांसफार्मर तेल की जांच आवश्यक रूप से करनी चाहिए |

तेल को ट्रांसफार्मर में भरने से पहले उसकी जाँच आवश्यक रूप से करनी चाहिए | क्योंकि तेल की डाई-इलेक्ट्रिक-स्ट्रेंथ कम होने, तेल में नमी होने, गंदगी होने आदि पर यह ट्रांसफार्मर के लिए नुकसानदायक हो सकता है | अगर जाँच में तेल ठीक ना निकले तो उसे या तो फ़िल्टर करा लेना चाहिए अथवा नया तेल डालना चाहिए |
ट्रांसफार्मर तेल का परीक्षण निम्न 4 विधियों से किया जाता है :-
 

ट्रांसफार्मर तेल की जाँच

1. डाई-इलेक्ट्रिक परीक्षण | Di-Electric test

इस परीक्षण में ट्रांसफार्मर तेल की जाँच के लिए ट्रांसफार्मर से तेल निकालकर एक टेस्टिंग कप में डाला जाता है | यह कप कांच अथवा प्लास्टिक का बना होता है | इस कप में दो एलेक्ट्रोड़ होते है जिनमे 40Hz से 60Hz तक की विधुत सप्लाई दी जाती है |

तेल परीक्षक में एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट लगा होता है जो 60KV तक की AC सप्लाई देता है | टेस्टिंग कप को तेल परीक्षक में लगाकर इसके दोनों एलेक्ट्रोड़ के मध्य AC विधुत सप्लाई दी जाती है | अगर दोनों एलेक्ट्रोड़ के मध्य 30KV से कम पर ही स्पार्किंग उत्पन्न हो जाये तो यह तेल ख़राब तेल माना जाता है अथवा इसकी डाई-इलेक्ट्रिक-स्ट्रेंथ कम होती है | इसे फ़िल्टर करने के बाद फिर से जांच करने पर इसमें 60KV तक स्पार्किंग उत्पन्न नहीं होनी चाहिए |

2. क्रेकल परीक्षण | Creckle test

ट्रांसफार्मर तेल की जाँच में यह परीक्षण तेल में पानी अथवा नमी की उपस्थिति जांचने के लिए किया जाता है | क्रेकल जाँच में एक नमी रहित पात्र में ट्रांसफार्मर तेल लिया जाता है | अब धातु की एक छड़ को 400°C तक गर्म किया जाता है | इस गर्म छड़ को तेल में डालकर जांच की जाती है | अगर तेल में तड़क-तड़क की आवाज सुनाइ दे अथवा बुलबुले बनें तो माना जाता है कि तेल में नमी अथवा पानी है | अगर तेल में किसी प्रकार की आवाज अथवा बुलबुले ना आयें तो तेल में पानी नहीं है |

3. अम्लता परीक्षण | Acidity test

तेल के हवा से संपर्क में आने तथा तेल में उपस्थित लोहा, ताम्बा तथा अन्य धातु योगिकों की उपस्थिति के कारण तेल का ऑक्सीकरण होने लगता है | ऑक्सीकरण के कारण तेल अम्लीय हो जाता है जिससे इसके प्रतिरोध में कमी आ जाती है जिससे वाइंडिंग में स्पार्किंग होने की सम्भावना बन जाती है तथा वाइंडिंग में काम आने वाला कागज भी ख़राब होने लगता है | अतः इससे बचने के लिए ट्रांसफार्मर तेल की जाँच का अम्लता परिक्षण (Acidity test) आवश्यक है |

अम्लता परीक्षण के लिए एक जाँच किट (Testing kit) की आवश्यकता होती है | इस किट में निम्न जाँच सामग्री होती है :-

1. रेक्टिफाइड स्पिरिट की एक पॉलिथीन बोतल
2. एक सोडियम कार्बोनेट की 
पॉलिथीन बोतल
3. यूनिवर्सल इंडिकेटर की बोतल
4. एक पारदर्शी ट्यूब
5. एक सिरिंज
6. कलर चार्ट

ट्रांसफार्मर तेल की जाँच Testing of Transformer oil निम्न प्रकार की जाती है :-
1. इस जाँच के लिए सर्वप्रथम 8 मिली ट्रांसफार्मर तेल लिया जाता है |
2. इस तेल में 1 मिली 
रेक्टिफाइड स्पिरिट मिलाया जाता है |
3. इसे मिलाने के बाद इसमें 1 मिली 
सोडियम कार्बोनेट मिलाया जाता है |
4. इसे फिर से मिलाने के बाद इसमें 
यूनिवर्सल इंडिकेटर की 5 बूंदें डाली जाती हैं |
5. अंत में तेल को मिलाने के बाद निम्न कलर चार्ट के अनुसार mgKOH/g में तेल की अम्लीयता का पता लगाया जाता है |  

ट्रांसफार्मर तेल की जाँच

4. क्षेत्र परीक्षण | Field test

4. क्षेत्र परीक्षण (Field test):-

ट्रांसफार्मर तेल की जाँच के क्षेत्र परीक्षण में एक हीटर में अन्तर्निहित आसुत जल पर जब ट्रांसफार्मर तेल की एक बूंद को एक सूक्ष्म नलीका द्वारा धीरे से गिराया जाता है तो यह तेल की बूंद चपटी हो जाती है | यदि इस बूंद का व्यास 17 mm से कम हो तो यह तेल उपयोग में लेने हेतु ठीक है | यदि तेल की बूंद 17 mm से अधिक फ़ैल जाये तो यह तेल उपयोग में लेने हेतु ठीक नहीं है |

itiale.in

Related :-

Leave a Comment