समान्तर में ट्रांसफार्मर Transformers in parallel

जब हमारे पास एक ट्रांसफार्मर से लोड चल रहा हो, लेकिन उस ट्रांसफार्मर पर लोड बढ़ जाने पर उस ट्रांसफार्मर को हटाकर बड़ा ट्रांसफार्मर लगाने से अच्छा है हम पुराने ट्रांसफार्मर के समान्तर में एक अतिरिक्त ट्रांसफार्मर जोड़ दें | क्योंकि पुराने ट्रांसफार्मर को हटाकर नया बड़ा ट्रांसफार्मर लगाने में अधिक खर्च आयेगा | इसलिए हम पुराने ट्रांसफार्मर के साथ समान्तर में एक अन्य ट्रांसफार्मर लगा देते हैं |
बड़े बिजली घरों पर तो एक बड़े ट्रांसफार्मर के स्थान पर दो छोटे ट्रांसफार्मरों को समान्तर में लगाया जाता है क्योंकि दो छोटे ट्रांसफार्मरों में से कोई एक ट्रांसफार्मर ख़राब होने पर दूसरे ट्रांसफार्मर से कम से कम आधे लोड को चलाया जा सकता है |

समान्तर में ट्रांसफार्मर को निम्न चित्र के अनुसार स्थापित किया जाता है :-

समान्तर में ट्रांसफार्मर

समान्तर में ट्रांसफार्मर Transformers in parallel

समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन के लिए निम्न शर्तो का पूरा होना आवश्यक है :-

  1.  समान वोल्टेज अनुपात- शुन्य लोड पर दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों की वोल्टेज समान होनी चाहिए | अन्यथा एक ट्रांसफार्मर में से दूसरे ट्रांसफार्मर में स्थानीय धारा प्रवाह के कारण क्षति का मान बढ़ जायेगा 
  2. समान फेज क्रम-  दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों का फेज क्रम एक समान होना चाहिए अन्यथा जिन फेज का फेज क्रम असमान होगा वो शॉर्ट सर्किट हो जायेंगे |
  3. एक समान प्रति इकाई इम्पीडेंस- दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों का प्रति इकाई इम्पीडेंस समान होना चाहिए अन्यथा दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों का पॉवर फैक्टर अलग-अलग हो जायेगा | ( रीएक्टेंस व प्रतिरोध का अनुपात प्रति इकाई इम्पीडेंस कहलाता है अर्थात XL/R )
  4. एक समान ध्रुवता- दोनों ट्रांसफ़ॉर्मरों की ध्रुवता समान होनी चाहिए | जैसे-एक ट्रांसफार्मर के न्यूट्रल को दूसरे के न्यूट्रल से जोड़ें, एक ट्रांसफार्मर के R फेज को दूसरे के R फेज से जोड़ें, इसी प्रकार Y व B फेज को भी जोड़ें | ट्रांसफार्मर की बॉडी पर N, R, Y व B इंगित होता है | बॉडी पर इंगित ना होने कि स्थिति में ध्रुवता परीक्षक द्वारा भी ध्रुवता परीक्षण किया जा सकता है |
  5. समान आवृति- दोनों ट्रांसफार्मर समान आवृति कि विधुत सप्लाई पर जुड़े हों |

नोट- ऊपर दी गई शर्तों का पालन करके हम दो से अधिक ट्रांसफ़ॉर्मरों को भी समान्तर में जोड़ सकते हैं |

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समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन के लाभ व हानियां | Advantages and disadvantages of parallel operation of Transformer

समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन से लाभ होने के साथ-साथ कुछ हानियां भी हैं अतः लाभ व हानियों का विवरण निम्न प्रकार है :-

समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन के निम्न लाभ हैं :-

  • समान्तर में चल रहे किसी भी ट्रांसफार्मर में दोष आ जाने पर दूसरे ट्रांसफार्मर से विधुत सप्लाई चालु रहती है | माना हमारे पास 100-100 KVA के 3 ट्रांसफार्मर (कुल-300 KVA) समान्तर में लगे हैं, इनमे से एक ट्रांसफार्मर ख़राब हो जाने पर अन्य 2 ट्रांसफ़ॉर्मरों (200 KVA) से सप्लाई चालू रखी जा सकती है | 3 ट्रांसफ़ॉर्मरों के स्थान पर अगर हमारे पास एक ही 300 KVA का ट्रांसफार्मर लगा होता तो उसके ख़राब होने पर पूरी विधुत सप्लाई बंद हो जाती |
  • एक बड़े ट्रांसफार्मर के स्थान पर कई छोटे-छोटे ट्रांसफ़ॉर्मरों का रखरखाव करना आसान होता है | अर्थात समान्तर में लगे एक ट्रांसफार्मर का रखरखाव करते हुए अन्य ट्रांसफ़ॉर्मरों से कम लोड पर विधुत सप्लाई चालू रखी जा सकती है |
  • एक बड़े ट्रांसफार्मर को परिवर्तित करने में अधिक खर्च आता है जबकि समान्तर में लगे कई छोटे ट्रांसफ़ॉर्मरों में से किसी एक ट्रांसफार्मर को बदलने में कम खर्च आता है |
  • लाइन पर लोड बढ़ जाने पर छोटे ट्रांसफार्मर को हटाकर बड़ा ट्रांसफार्मर लगाने के स्थान पर पुराने ट्रांसफार्मर के साथ समान्तर में अन्य ट्रांसफार्मर लगाने में कम खर्च आता है |

समान्तर में ट्रांसफार्मरों के संचालन की निम्न हानियां हैं :-

  • एक बड़े ट्रांसफार्मर की अपेक्षा कई छोटे ट्रांसफ़ॉर्मरों को अधिक स्थान (Space) की आवश्यकता होती है |
  • एक बड़े ट्रांसफार्मर की अपेक्षा कई छोटे ट्रांसफ़ॉर्मरों को स्थापित करना महंगा पड़ता है अर्थात लागत अधिक आती है |
  • गलत सयोंजन होने पर ट्रांसफार्मर के ख़राब होने अथवा जलने की सम्भावना होती है |

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